< गलातियों 5 >

1 मसीह ने हमे आज़ाद रहने के लिए आज़ाद किया है; पस क़ाईम रहो, और दोबारा ग़ुलामी के जुवे में न जुतो।
State, et nolite iterum iugo servitutis contineri.
2 सुनो, मैं पौलुस तुमसे कहता हूँ कि अगर तुम ख़तना कराओगे तो मसीह से तुम को कुछ फ़ाइदा न होगा।
Ecce ego Paulus dico vobis: quoniam si circumcidamini, Christus vobis nihil proderit.
3 बल्कि मैं हर एक ख़तना करने वाले आदमी पर फिर गवाही देता हूँ, कि उसे तमाम शरी'अत पर' अमल करना फ़र्ज़ है।
Testificor autem rursus omni homini circumcidenti se, quoniam debitor est universae legis faciendae.
4 तुम जो शरी'अत के वसीले से रास्तबाज़ ठहरना चाहते हो, मसीह से अलग हो गए और फ़ज़ल से महरूम।
Evacuati estis a Christo, qui in lege iustificamini: a gratia excidistis.
5 क्यूँकि हम पाक रूह के ज़रिए, ईमान से रास्तबाज़ी की उम्मीद बर आने के मुन्तज़िर हैं।
Nos enim spiritu ex fide, spem iustitiae expectamus.
6 और मसीह ईसा में न तो ख़तना कुछ काम का है न नामख़्तूनी मगर ईमान जो मुहब्बत की राह से असर करता है।
Nam in Christo Iesu neque circumcisio aliquid valet, neque praeputium: sed fides, quae per charitatem operatur.
7 तुम तो अच्छी तरह दौड़ रहे थे किसने तुम्हें हक़ के मानने से रोक दिया।
Currebatis bene: quis vos impedivit veritati non obedire? nemini consenseritis.
8 ये तरग़ीब ख़ुदा जिसने तुम्हें बुलाया उस की तरफ़ से नहीं है।
Persuasio haec non est ex eo, qui vocat vos.
9 थोड़ा सा ख़मीर सारे गूँधे हुए आटे को ख़मीर कर देता है।
Modicum fermentum totam massam corrumpit.
10 मुझे ख़ुदावन्द में तुम पर ये भरोसा है कि तुम और तरह का ख़याल न करोगे; लेकिन जो तुम्हें उलझा देता है, वो चाहे कोई हो सज़ा पाएगा।
Ego confido in vobis in Domino, quod nihil aliud sapietis: qui autem conturbat vos, portabit iudicium, quicumque est ille.
11 और ऐ भाइयों! अगर मैं अब तक ख़तना का एलान करता हूँ, तो अब तक सताया क्यूँ जाता हूँ? इस सूरत में तो सलीब की ठोकर तो जाती रही।
Ego autem, fratres, si circumcisionem adhuc praedico: quid adhuc persecutionem patior? Ergo evacuatum est scandalum crucis.
12 क़ाश कि तुम्हें बेक़रार करने वाले अपना तअ'ल्लुक़ तोड़ लेते।
Utinam et abscindantur qui vos conturbant.
13 ऐ भाइयों! तुम आज़ादी के लिए बुलाए तो गए हो, मगर ऐसा न हो कि ये आज़ादी जिस्मानी बातों का मौक़ा, बने; बल्कि मुहब्बत की राह पर एक दूसरे की ख़िदमत करो।
Vos enim in libertatem vocati estis fratres: tantum ne libertatem in occasionem detis carnis, sed per charitatem Spiritus servite invicem.
14 क्यूँकि पूरी शरी'अत पर एक ही बात से 'अमल हो जाता है, या; नी इससे कि “तू अपने पड़ोसी से अपनी तरह मुहब्बत रख।”
Omnis enim lex in uno sermone impletur: Diliges proximum tuum sicut teipsum.
15 लेकिन अगर तुम एक दूसरे को फाड़ खाते हो, तो ख़बरदार रहना कि एक दूसरे को ख्त्म न कर दो।
Quod si invicem mordetis, et comeditis: videte ne ab invicem consumamini.
16 मगर मैं तुम से ये कहता हूँ, रूह के मुताबिक़ चलो तो जिस्म की ख़्वाहिश को हरगिज़ पूरा न करोगे।
Dico autem in Christo: Spiritu ambulate, et desideria carnis non perficietis.
17 क्यूँकि जिस्म रूह के ख़िलाफ़ ख़्वाहिश करता है और रूह जिस्म के ख़िलाफ़ है, और ये एक दूसरे के मुख़ालिफ़ हैं, ताकि जो तुम चाहो वो न करो।
Caro enim concupiscit adversus spiritum: spiritus autem adversus carnem: haec enim sibi invicem adversantur: ut non quaecumque vultis, illa faciatis.
18 और अगर तुम पाक रूह की हिदायत से चलते हो, तो शरी'अत के मातहत नहीं रहे।
Quod si Spiritu ducimini, non estis sub lege.
19 अब जिस्म के काम तो ज़ाहिर हैं, या'नी कि हरामकारी, नापाकी, शहवत परस्ती,
Manifesta sunt autem opera carnis: quae sunt fornicatio, immunditia, impudicitia, luxuria,
20 बुत परसती, जादूगरी, अदावतें, झगड़ा, हसद, ग़ुस्सा, तफ़्रक़े, जुदाइयाँ, बिद'अतें,
idolorum servitus, veneficia, inimicitiae, contentiones, aemulationes, irae, rixae, dissensiones, sectae,
21 अदावत, नशाबाज़ी, नाच रंग और इनकी तरह, इनके ज़रिए तुम्हें पहले से कहे देता हूँ जिसको पहले बता चुका हूँ कि ऐसे काम करने वाले ख़ुदा की बादशाही के वारिस न होंगे।
invidiae, homicidia, ebrietates, comessationes, et his similia, quae praedico vobis, sicut praedixi: quoniam qui talia agunt, regnum Dei non consequentur.
22 मगर पाक रूह का फल मुहब्बत, ख़ुशी, इत्मीनान, सब्र, मेहरबानी, नेकी, ईमानदारी
Fructus autem Spiritus est: charitas, gaudium, pax, patientia, benignitas, bonitas, longanimitas,
23 हलीम, परहेज़गारी है; ऐसे कामों की कोई शरी; अत मुख़ालिफ़ नहीं।
mansuetudo, fides, modestia, continentia, castitas. Adversus huiusmodi non est lex.
24 और जो मसीह ईसा के हैं उन्होंने जिस्म को उसकी रगबतों और ख़्वाहिशों समेत सलीब पर खींच दिया है।
Qui autem sunt Christi, carnem suam crucifixerunt cum vitiis, et concupiscentiis.
25 अगर हम पाक रूह की वजह से ज़िंदा हैं, तो रूह के मुवाफ़िक़ चलना भी चाहिए।
Si spiritu vivimus, spiritu et ambulemus.
26 हम बेजा फ़ख़्र करके न एक दूसरे को चिढ़ाएँ, न एक दूसरे से जलें।
Non efficiamur inanis gloriae cupidi, invicem provocantes, invicem invidentes.

< गलातियों 5 >