< 1 सला 2 >

1 और दाऊद के मरने के दिन नज़दीकआए, तब उसने अपने बेटे सुलेमान को वसीय्यत की और कहा कि,
وَعِنْدَمَا أَحَسَّ دَاوُدُ بِدُنُوِّ أَجَلِهِ، أَوْصَى سُلَيْمَانَ ابْنَهُ قَائِلاً:١
2 “मैं उसी रास्ते जाने वाला हूँ जो सारे जहान का है; इसलिए तू मज़बूत हो और मर्दानगी दिखा।
«أَنَا مَاضٍ إِلَى مَصِيرِ كُلِّ أَهْلِ الأَرْضِ، فَتَشَجَّعْ وَكُنْ رَجُلاً.٢
3 और जो मूसा की शरी'अत में लिखा है, उसके मुताबिक़ ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की हिदायत को मानकर उसके रास्तों पर चल; और उसके क़ानून पर और उसके फ़रमानों और हुक्मों और शहादतों पर 'अमल कर, ताकि जो कुछ तू करे और जहाँ कहीं तू जाए, सब में तुझे कामयाबी हो,
احْفَظْ شَرَائِعَ إِلَهِكَ. سِرْ فِي سُبُلِهِ وَأَطِعْ فَرَائِضَهُ وَوَصَايَاهُ وَأَحْكَامَهُ وَشَهَادَاتِهِ، كَمَا هِيَ مُدَوَّنَةٌ فِي شَرِيعَةِ مُوسَى، لِيُحَالِفَكَ النَّجَاحُ فِي كُلِّ مَا تَفْعَلُ وَحَيْثُمَا تَتَوَجَّهُ،٣
4 और ख़ुदावन्द अपनी उस बात को क़ाईम रख्खे, जो उसने मेरे हक़ में कही कि, 'अगर तेरी औलाद अपने रास्ते की हिफ़ाज़त करके अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से मेरे सामने सच्चाई से चले, तो इस्राईल के तख़्त पर तेरे यहाँ आदमी की कमी न होगी।
فَيُحَقِّقَ الرَّبُّ وُعُودَهُ الَّتِي وَعَدَنِي بِها قَائِلاً: إِذَا حَفِظَ بَنُوكَ طَرِيقَهُمْ وَسَلَكُوا أَمَامِي بِإِخْلاصٍ مِنْ كُلِّ قُلُوبِهِمْ وَأَنْفُسِهِمْ، فَإِنَّهُ لَنْ يَنْقَطِعَ لَكَ رَجُلٌ عَنِ اعْتِلاءِ عَرْشِ إِسْرَائِيلَ.٤
5 “और तू ख़ुद जानता है कि ज़रोयाह के बेटे योआब ने मुझ से क्या — क्या किया, या'नी उसने इस्राईली लश्कर के दो सरदारों, नेर के बेटे अबनेर और यतर के बेटे 'अमासा से क्या किया, जिनको उसने क़त्ल किया और सुलह के वक़्त ख़ून — ए — जंग बहाया, और ख़ून — ए — जंग को अपने पटके पर जो उसकी कमर में बंधा था और अपनी जूतियों पर जो उसके पाँवों में थी लगाया।
أَنْتَ تَعْلَمُ مَا جَنَاهُ عَلَيَّ يُوآبُ ابْنُ صُرُوِيَّةَ حِينَ قَتَلَ قَائِدَيْ جُيُوشِ إِسْرَائِيلَ: أَبْنَيْرَ بْنَ نَيْرٍ وَعَمَاسَا بْنَ يَثْرٍ، فَسَفَكَ دَماً فِي وَقْتِ السِّلْمِ، وَكَأَنَّهُ فِي خِضَمِّ حَرْبٍ، فَلَطَّخَ بِذَلِكَ الدَّمِ حِزَامَ حَقَوَيْهِ وَنَعْلَيْ رِجْلَيْهِ.٥
6 इसलिए तू अपनी हिकमत से काम लेना और उसके सफ़ेद सर को क़ब्र में सलामत उतरने न देना। (Sheol h7585)
فَاقْضِ بِمَا تُمْلِيهِ عَلَيْكَ حِكْمَتُكَ، وَلا تَدَعْ رَأْسَهُ الأَشْيَبَ يَمُوتُ فِي سَلامٍ. (Sheol h7585)٦
7 लेकिन बरज़िली जिल'आदी के बेटों पर महेरबानी करना, और वह उनमें शामिल हों जो तेरे दस्तरख़्वान पर खाना खाया करेंगे, क्यूँकि वह ऐसा ही करने को मेरे पास आए जब मैं तेरे भाई अबीसलोम की वजह से भागा था।
وَاصْنَعْ مَعْرُوفاً لِبَنِي بَرْزِلَّايِ الْجِلْعَادِيِّ، فَيَكُونُوا بَيْنَ الآكِلِينَ الدَّائِمِينَ عَلَى مَائِدَتِكَ، لأَنَّهُمْ وَقَفُوا إِلَى جَانِبِي عِنْدَ هُرُوبِي مِنْ وَجْهِ أَبْشَالُومَ أَخِيكَ.٧
8 और देख, बिनयमीनी जीरा का बेटा बहूरीमी सिम'ई तेरे साथ है, जिसने उस दिन जब कि मैं महनायम को जाता था बहुत बुरी तरह मुझ पर ला'नत की, लेकिन वह यरदन पर मुझ से मिलने को आया, और मैंने ख़ुदावन्द की क़सम खाकर उससे कहा कि “मैं तुझे तलवार से क़त्ल नहीं करूँगा।
وَهُنَاكَ أَيْضاً شِمْعِي بْنُ جِيرَا الْبِنْيَامِينِيُّ مِنْ بَحُورِيمَ، فَقَدْ صَبَّ عَلَيَّ أَشَدَّ اللَّعْنَاتِ يَوْمَ انْطَلَقْتُ إِلَى مَحَنَايِمَ، وَلَكِنَّهُ انْحَدَرَ لِلِقَائِي عِنْدَ نَهْرِ الأُرْدُنِّ مُسْتَغْفِراً، فَحَلَفْتُ لَهُ بِالرَّبِّ أَنَّنِي لَنْ أُمِيتَهُ بِالسَّيْفِ،٨
9 तब तू उसको बेगुनाह न ठहराना, क्यूँकि तू ''अक़्लमन्द आदमी है और तू जानता है कि तुझे उसके साथ क्या करना चाहिए, इसलिए तू उसका सफ़ेद सर लहू लुहान करके क़ब्र में उतारना।” (Sheol h7585)
أَمَّا أَنْتَ فَلا تُبَرِّرْهُ مِنْ ذَنْبِهِ، وَأَنْتَ رَجُلٌ حَكِيمٌ، فَانْظُرْ مَا تُعَاقِبُهُ بِهِ. أَحْدِرْ شَيْبَتَهُ إِلَى الْقَبْرِ مُلَطَّخَةً بِالدَّمِ». (Sheol h7585)٩
10 और दाऊद अपने बाप — दादा के साथ सो गया और दाऊद के शहर में दफ़्न हुआ।
ثُمَّ مَاتَ دَاوُدُ وَدُفِنَ فِي أُورُشَلِيمَ.١٠
11 और कुल मुद्दत जिसमें दाऊद ने इस्राईल पर हुकूमत की चालीस साल की थी; सात साल तो उसने हबरून में हुकूमत की, और सैंतीस साल येरूशलेम में।
وَكَانَتْ فَتْرَةُ حُكْمِ دَاوُدَ أَرْبَعِينَ سَنَةً، مَلَكَ سَبْعَ سِنِينَ فِي حَبْرُونَ وَثَلاثاً وَثَلاثِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ.١١
12 और सुलेमान अपने बाप दाऊद के तख़्त पर बैठा और उसकी हुकूमत बहुत ही मज़्बूत हुई।
وَأَصْبَحَ سُلَيْمَانُ مَلِكاً عَلَى إِسْرَائِيلَ خَلَفاً لِوَالِدِهِ دَاوُدَ، وَتَثَبَّتَتْ دَعَائِمُ مَمْلَكَتِهِ.١٢
13 तब हज्जीत का बेटा अदूनियाह, सुलेमान की माँ बतसबा' के पास आया; उसने पूछा, “तू सुलह के ख़्याल से आया है?” उसने कहा, “सुलह के ख़्याल से।”
وَجَاءَ أَدُونِيَّا بْنُ حَجِّيثَ إِلَى بَثْشَبَعَ أُمِّ سُلَيْمَانَ فَسَأَلَتْهُ: «أَجِئْتَ مُسَالِماً؟» فَأَجَابَهَا: «مُسَالِماً»،١٣
14 फिर उसने कहा, “मुझे तुझ से कुछ कहना है।” उसने कहा, “कह।”
وَأَضَافَ: «وَلَدَيَّ مَا أَطْلُبُهُ مِنْكِ». فَقَالَتْ: «تَكَلَّمْ» فَقَالَ:١٤
15 उसने कहा, “तू जानती है कि हुकूमत मेरी थी, और सब इस्राईली मेरी तरफ़ मुतवज्जिह थे कि मैं हुकूमत करूँ, लेकिन हुकूमत पलट गई और मेरे भाई की हो गई, क्यूँकि ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह उसी की थी।
«أَنْتِ تَعْلَمِينَ أَنَّ الْمُلْكَ كَانَ مِنْ حَقِّي، وَأَنَّ جَمِيعَ الإِسْرَائِيلِيِّينَ قَدِ الْتَفُّوا حَوْلِي لأَكُونَ مَلِكاً عَلَيْهِمْ، وَلَكِنْ تَحَوَّلَتِ الأُمُورُ، وَصَارَ الْمُلْكُ لأَخِي بِمُقْتَضَى أَمْرِ الرَّبِّ.١٥
16 इसलिए मेरी तुझ से एक दरख़्वास्त है, नामंजूर न कर।” उसने कहा, “बयान कर।”
وَلِيَ الآنَ مَطْلَبٌ وَاحِدٌ، فَلا تُخَيِّبِي أَمَلِي فِيهِ،١٦
17 उसने कहा, “ज़रा सुलेमान बादशाह से कह, क्यूँकि वह तेरी बात को नहीं टालेगा, कि अबीशाग शून्मीत को मुझे ब्याह दे।”
اطْلُبِي مِنْ سُلَيْمَانَ الْمَلِكِ أَنْ يُزَوِّجَنِي مِنْ أَبِيشَجَ الشُّونَمِيَّةِ فَهُوَ لَا يَرُدُّ لَكِ سُؤْلاً».١٧
18 बतसबा' ने कहा, “अच्छा, मैं तेरे लिए बादशाह से 'दरख़्वास्त करूँगी।”
فَأَجَابَتْهُ بَثْشَبَعُ: «أَنَا أُخَاطِبُ الْمَلِكَ فِي الأَمْرِ نِيَابَةً عَنْكَ».١٨
19 तब बतसबा' सुलेमान बादशाह के पास गई, ताकि उससे अदूनियाह के लिए 'दरख़्वास्त करे। बादशाह उसके इस्तक़बाल के वास्ते उठा और उसके सामने झुका, फिर अपने तख़्त पर बैठा; और उसने बादशाह की माँ के लिए एक तख़्त लगवाया, तब वह उसके दहने हाथ बैठी;
وَدَخَلَتْ بَثْشَبَعُ إِلَى سُلَيْمَانَ لِتَرْفَعَ إِلَيْهِ مَطْلَبَ أَدُونِيَّا، فَهَبَّ الْمَلِكُ لاِسْتِقْبَالِهَا وَسَجَدَ لَهَا، ثُمَّ جَلَسَ عَلَى الْعَرْشِ، وَأَعَدَّ لَهَا مَقْعَداً مَلَكِيًّا آخَرَ فَجَلَسَتْ عَنْ يَمِينِهِ،١٩
20 और कहने लगी, “मेरी तुझ से एक छोटी सी दरख़्वास्त है; तू मुझ से इन्कार न करना।” बादशाह ने उससे कहा, “ऐ मेरी माँ, इरशाद फ़रमा; मुझे तुझ से इन्कार न होगा।”
وَقَالَتْ: «جِئْتُ أَطْلُبُ مِنْكَ أَمْراً وَاحِداً بَسِيطاً، فَلا تَرُدَّنِي خَائِبَةً». فَأَجَابَهَا: «اسْأَلِي يَا أُمِّي، لأَنِّي لَنْ أُخَيِّبَ لَكِ رَجَاءً».٢٠
21 उसने कहा, “अबीशाग शून्मीत तेरे भाई अदूनियाह को ब्याह दी जाए।”
فَقَالَتْ: «زَوِّجْ أَدُونِيَّا أَخَاكَ مِنْ أَبِيشَجَ الشُّونَمِيَّةِ».٢١
22 सुलेमान बादशाह ने अपनी माँ को जवाब दिया, “तू अबीशाग शून्मीत ही को अदूनियाह के लिए क्यूँ माँगती है? उसके लिए हुकूमत भी माँग, क्यूँकि वह तो मेरा बड़ा भाई है; बल्कि उसके लिए क्या, अबीयातर काहिन और ज़रोयाह के बेटे योआब के लिए भी माँग।”
فَأَجَابَهَا الْمَلِكُ: «لِمَاذَا تَطْلُبِينَ أَبِيشَجَ الشُّونَمِيَّةَ فَقَطْ لأَدُونِيَّا؟ اُطْلُبِي لَهُ الْمُلْكَ أَيْضاً، فَهُوَ أَخِي الأَكْبَرُ، فَيُصْبِحَ الْمُلْكُ لَهُ وَلأَبِيَاثَارَ الْكَاهِنِ وَيُوآبَ ابْنِ صُرُوِيَّةَ».٢٢
23 तब सुलेमान बादशाह ने ख़ुदावन्द की क़सम खाई और कहा कि “अगर अदूनियाह ने यह बात अपनी ही जान के ख़िलाफ़ नहीं कही, तो ख़ुदा मुझ से ऐसा ही, बल्कि इससे भी ज़्यादा करे।
وَحَلَفَ سُلَيْمَانُ الْمَلِكُ بِالرَّبِّ قَائِلاً: «لِيُعَاقِبْنِي الرَّبُّ أَشَدَّ عِقَابٍ وَيَزِدْ إِنْ لَمْ يَدْفَعْ أَدُونِيَّا حَيَاتَهُ ثَمَناً لِهَذَا الْمَطْلَبِ.٢٣
24 इसलिए अब ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जिसने मुझ को क़याम बख़्शा, और मुझ को मेरे बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाया, और मेरे लिए अपने वा'दे के मुताबिक़ एक घर बनाया, यक़ीनन अदूनियाह आज ही क़त्ल किया जाएगा।”
حَيٌّ هُوَ الرَّبُّ الَّذِي ثَبَّتَنِي وَأَجْلَسَنِي عَلَى عَرْشِ دَاوُدَ أَبِي وَأَعْطَانِي مُلْكاً كَمَا وَعَدَ. الْيَوْمَ يَمُوتُ أَدُونِيَّا».٢٤
25 और सुलेमान बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को भेजा: उसने उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया।
وَأَرْسَلَ الْمَلِكُ سُلَيْمَانُ بَنَايَاهُو بْنَ يَهُويَادَاعَ فَقَتَلَ أَدُونِيَّا.٢٥
26 फिर बादशाह ने अबीयातर काहिन से कहा, “तू अनतोत को अपने खेतों में चला जा क्यूँकि तू क़त्ल के लायक़ है, लेकिन मैं इस वक़्त तुझ को क़त्ल नहीं करता क्यूँकि तू मेरे बाप दाऊद के सामने ख़ुदावन्द यहोवाह का सन्दूक़ उठाया करता था; और जो जो मुसीबत मेरे बाप पर आई वह तुझ पर भी आई।”
وَقَالَ الْمَلِكُ لأَبِيَاثَارَ الْكَاهِنِ: «انْطَلِقْ إِلَى حُقُولِكَ فِي عَنَاثُوثَ وَامْكُثْ هُنَاكَ، فَأَنْتَ الْيَوْمَ مُسْتَوْجِبٌ المَوْتَ، وَلَكِنَّنِي لَنْ أَقْتُلَكَ، لأَنَّكَ حَمَلْتَ تَابُوتَ سَيِّدِي الرَّبِّ أَمَامَ دَاوُدَ أَبِي وَلأَنَّكَ قَاسَيْتَ مِنْ كُلِّ مَا قَاسَى مِنْهُ أَيْضاً».٢٦
27 तब सुलेमान ने अबीयातर को ख़ुदावन्द के काहिन के उहदे से बरतरफ़ किया, ताकि वह ख़ुदावन्द के उस क़ौल को पूरा करे जो उसने शीलोह में एली के घराने के हक़ में कहा था।
وطَرَدَ سُلَيْمَانُ أَبِيَاثَارَ مِنْ وَظِيفَةِ الْكَهَنُوتِ، لِيَتِمَّ كَلامُ الرَّبِّ الَّذِي حَكَمَ بِهِ عَلَى نَسْلِ عَالِي فِي شِيلُوهَ.٢٧
28 और यह ख़बर योआब तक पहुँची: क्यूँकि योआब अदूनियाह का तो पैरोकार हो गया था, अगर्चे वह अबीसलोम का पैरोकार नहीं हुआ था। इसलिए योआब ख़ुदावन्द के ख़ेमे को भाग गया, और मज़बह के सींग पकड़ लिए।
فَبَلَغَ الْخَبَرُ يُوآبَ الَّذِي كَانَ قَدْ تَآمَرَ مَعَ أَدُونِيَّا وَلَيْسَ مَعَ أَبْشَالُومَ، فَهَرَبَ إِلَى خَيْمَةِ الرَّبِّ وَتَشَبَّثَ بِقُرُونِ الْمَذْبَحِ،٢٨
29 और सुलेमान बादशाह को ख़बर हुई, “योआब ख़ुदावन्द के ख़ैमे को भाग गया है; और देख, वह मज़बह के पास है।” तब सुलेमान ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को यह कहकर भेजा कि, “जाकर उस पर वार कर।”
فَقِيلَ لِلْمَلِكِ سُلَيْمَانَ إِنَّ يُوآبَ قَدْ لَجَأَ إِلَى خَيْمَةِ الرَّبِّ، وَهَا هُوَ مُقِيمٌ إِلَى جُوَارِ الْمَذْبَحِ، فَأَمَرَ سُلَيْمَانُ بَنَايَاهُو بْنَ يَهُويَادَاعَ أَنْ يَذْهَبَ وَيَقْتُلَهُ.٢٩
30 तब बिनायाह ख़ुदावन्द के ख़ैमे को गया, और उसने उससे कहा, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि तू बाहर निकल आ।” उसने कहा, “नहीं, बल्कि मैं यहीं मरूँगा।” तब बिनायाह ने लौट कर बादशाह को ख़बर दी कि “योआब ने ऐसा कहा है, और उसने मुझे ऐसा जवाब दिया।”
فَدَخَلَ بَنَايَاهُو إِلَى خَيْمَةِ الرَّبِّ وَقَالَ لِيُوآبَ: «الْمَلِكُ يَأْمُرُكَ بِالْخُرُوجِ» فَأَجَابَ: «لا. لَنْ أَخْرُجَ بَلْ أَمُوتَ هُنَا» فَأَبْلَغَ بَنَايَاهُو الْمَلِكَ جَوَابَ يُوآبَ٣٠
31 तब बादशाह ने उससे कहा, “जैसा उसने कहा वैसा ही कर, और उस पर वार कर और उसे दफ़्न कर दे; ताकि तू उस ख़ून को जो योआब ने बे वजह बहाया, मुझ पर से और मेरे बाप के घर पर से दूर कर दे।
فَقَالَ لَهُ الْمَلِكُ: «افْعَلْ مِثْلَمَا قَالَ، وَاقْتُلْهُ وَادْفِنْهُ وَأَزِلْ عَنِّي وَعَنْ بَيْتِ أَبِي ذَنْبَ الدِّمَاءِ الزَّكِيَّةِ الَّتِي سَفَكَهَا يُوآبُ،٣١
32 और ख़ुदावन्द उसका ख़ून उल्टा उसी के सर पर लाएगा, क्यूँकि उसने दो शख़्सों पर जो उससे ज़्यादा रास्तबाज़ और अच्छे थे, या'नी नेर के बेटे अबनेर पर जो इस्राईली लश्कर का सरदार था और यतर के बेटे 'अमासा पर जो यहूदाह की फ़ौज का सरदार था, वार किया और उनको तलवार से क़त्ल किया, और मेरे बाप दाऊद को मा'लूम न था।
فَيُحَمِّلَهُ الرَّبُّ وَحْدَهُ وِزْرَ إِثْمِهِ، لأَنَّهُ اغْتَالَ بِالسَّيْفِ رَجُلَيْنِ بَرِيئَيْنِ، هُمَا أَفْضَلُ مِنْهُ، مِنْ غَيْرِ عِلْمِ دَاوُدَ أَبِي، وَهُمَا أَبْنَيْرُ بْنُ نَيْرٍ رَئِيسُ جَيْشِ إِسْرَائِيلَ، وَعَمَاسَا بْنُ يَثْرٍ رَئِيسُ جَيْشِ يَهُوذَا،٣٢
33 इसलिए उनका ख़ून योआब के सर पर और उसकी नसल के सर पर हमेशा तक रहेगा, लेकिन दाऊद पर और उसकी नसल पर और उसके घर पर और उसके तख़्त पर हमेशा तक ख़ुदावन्द की तरफ़ से सलामती होगी।”
فَيَرْتَدُّ دَمُهُمَا عَلَى رَأْسِ يُوآبَ وَرَأْسِ نَسْلِهِ إِلَى الأَبَدِ، وَيَمْلأُ سَلامُ الرَّبِّ دَاوُدَ وَنَسْلَهُ وَبَيْتَهُ وَعَرْشَهُ إِلَى مَدَى الدَّهْرِ».٣٣
34 तब यहूयदा' का बेटा बिनायाह गया, और उसने उस पर वार करके उसे क़त्ल किया; और वह वीरान के बीच अपने ही घर में दफ़्न हुआ।
فَانْطَلَقَ بَنَايَاهُو بْنُ يَهُويَادَاعَ وَقَتَلَ يُوآبَ. وَدُفِنَ فِي جُوَارِ بَيْتِهِ فِي الصَّحْرَاءِ.٣٤
35 और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को उसकी जगह लश्कर पर मुक़र्रर किया; और सदूक़ काहिन को बादशाह ने अबीयातर की जगह रखा।
وَعَيَّنَ الْمَلِكُ بَنَايَاهُو بْنَ يَهُويَادَاعَ مَكَانَهُ قَائِداً لِلْجَيْشِ، وَأَقَامَ صَادُوقَ الْكَاهِنَ مَكَانَ أَبِيَاثَارَ.٣٥
36 फिर बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा कि “येरूशलेम में अपने लिए एक घर बना ले और वहीं रह, और वहाँ से कहीं न जाना;
ثُمَّ اسْتَدْعَى الْمَلِكُ شِمْعِي بْنَ جِيرَا وَقَالَ لَهُ: «ابْنِ لَكَ بَيْتاً فِي أُورُشَلِيمَ وَأَقِمْ هُنَاكَ، وَإِيَّاكَ أَنْ تُغَادِرَ الْمَدِينَةَ.٣٦
37 क्यूँकि जिस दिन तू बाहर निकलेगा और नहर — ए — क़िद्रोन के पार जाएगा, तू यक़ीन जान ले कि तू ज़रूर मारा जाएगा, और तेरा ख़ून तेरे ही सर पर होगा।”
وَاعْلَمْ أَنَّكَ يَوْمَ تَتَخَطَّى وَادِي قَدْرُونَ فَإِنَّكَ حَتْماً تَمُوتُ وَيَكُونُ دَمُكَ عَلَى رَأْسِكَ».٣٧
38 और सिम'ई ने बादशाह से कहा, “यह बात अच्छी है; जैसा मेरे मालिक बादशाह ने कहा है, तेरा ख़ादिम वैसा ही करेगा।” इसलिए सिम्ई बहुत दिनों तक येरूशलेम में रहा।
فَأَجَابَ شِمْعِي الْمَلِكَ: «حَسَناً، فَإِنَّ عَبْدَكَ يُنَفِّذُ كُلَّ مَا يَأْمُرُ بِهِ سَيِّدِي الْمَلِكُ». فَأَقَامَ شِمْعِي فِي أُورُشَلِيمَ أَيَّاماً كَثِيرَةً.٣٨
39 और तीन साल के आख़िर में ऐसा हुआ कि सिम्ई के नौकरों में से दो आदमी जात के बादशाह अकीस — बिन — मा'काह के यहाँ भाग गए। और उन्होंने सिम'ई को बताया कि, “देख, तेरे नौकर जात में है।”
وَفِي خِتَامِ ثَلاثِ سَنَوَاتٍ هَرَبَ عَبْدَانِ لِشِمْعِي إِلَى أَخِيشَ بْنِ مَعْكَةَ مَلِكِ جَتَّ، فَقِيلَ لِشِمْعِي هُوَذَا عَبْدَاكَ فِي جَتَّ.٣٩
40 तब सिम'ई ने उठकर अपने गधे पर ज़ीन कसा, और अपने नौकरों की तलाश में जात को अकीस के पास गया; और सिम्'ई जाकर अपने नौकरों को जात से ले आया।
فَقَامَ وَأَسْرَجَ حِمَارَهُ وَارْتَحَلَ إِلَى جَتَّ إِلَى أَخِيشَ لِيَبْحَثَ عَنْ عَبْدَيْهِ. وَلَمَّا وَجَدَهُمَا عَادَ بِهِمَا مِنْ جَتَّ.٤٠
41 और यह ख़बर सुलेमान को मिली कि सिम'ई येरूशलेम से जात को गया था और वापस आ गया है,
فَبَلَغَ سُلَيْمَانَ أَنَّ شِمْعِي قَدْ غَادَرَ أُورُشَلِيمَ إِلَى جَتَّ ثُمَّ عَادَ إِلَيْهَا،٤١
42 तब बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा, “क्या मैंने तुझे ख़ुदावन्द की क़सम न खिलाई और तुझ को बता न दिया कि, 'यक़ीन जान ले कि जिस दिन तू बाहर निकला और इधर — उधर कहीं गया, तो ज़रूर मारा जाएगा'? और तू ने मुझ से यह कहा कि जो बात मैंने सुनी, वह अच्छी है।
فَاسْتَدْعَاهُ وَقَالَ لَهُ: «أَمَا اسْتَحْلَفْتُكَ بِالرَّبِّ وَأَشْهَدْتُ عَلَيْكَ أَنَّكَ يَوْمَ تُغَادِرُ الْمَدِينَةَ إِلَى أَيِّ مَكَانٍ آخَرَ حَتْماً تَمُوتُ. فَأَجَبْتَنِي: حَسَناً، وَسَمْعاً وَطَاعَةً.٤٢
43 इसलिए तूने ख़ुदावन्द की क़सम को, और उस हुक्म को जिसकी मैंने तुझे ताकीद की, क्यूँ न माना?”
فَلِمَاذَا نَقَضْتَ يَمِينَ الرَّبِّ وَنَكَثْتَ مَا أَوْصَيْتُكَ بِهِ؟»٤٣
44 और बादशाह ने सिम'ई से यह भी कहा, “तू उस सारी शरारत को जो तू ने मेरे बाप दाऊद से की, जिससे तेरा दिल वाकिफ़ है जानता है; इसलिए ख़ुदावन्द तेरी शरारत को उल्टा तेरे ही सर पर लाएगा।
ثُمَّ قَالَ الْمَلِكُ لَهُ: «أَنْتَ تُدْرِكُ فِي قَرَارَةِ نَفْسِكَ كُلَّ الشَّرِّ الَّذِي ارْتَكَبْتَهُ فِي حَقِّ أَبِي، فَلْيُعَاقِبْكَ الرَّبُّ بِمَا جَنَتْهُ يَدَاكَ.٤٤
45 लेकिन सुलेमान बादशाह मुबारक होगा, और दाऊद का तख़्त ख़ुदावन्द के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा।”
أَمَّا الْمَلِكُ فَلْيُنْعِمْ عَلَيْهِ الرَّبُّ بِبَرَكَاتِهِ، وَلْيَكُنْ عَرْشُ دَاوُدَ رَاسِخاً أَمَامَ الرَّبِّ إِلَى الأَبَدِ».٤٥
46 और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को हुक्म दिया, तब उसने बाहर जाकर उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया। और हुकूमत सुलेमान के हाथ में मज़बूत हो गई।
وَأَمَرَ الْمَلِكُ بَنَايَاهُو بْنَ يَهُويَادَاعَ أَنْ يَخْرُجَ بِشِمْعِي وَيَقْتُلَهُ، وَهَكَذَا ثَبَتَ الْمُلْكُ لِسُلَيْمَانَ.٤٦

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