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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Urdu Bible, Devanagari, 1-Kings Chapter 2 https://www.AionianBible.org/Bibles/Urdu---Urdu-Bible/1-Kings/2 1) और दाऊद के मरने के दिन नज़दीकआए, तब उसने अपने बेटे सुलेमान को वसीय्यत की और कहा कि, 2) “मैं उसी रास्ते जाने वाला हूँ जो सारे जहान का है; इसलिए तू मज़बूत हो और मर्दानगी दिखा। 3) और जो मूसा की शरी'अत में लिखा है, उसके मुताबिक़ ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की हिदायत को मानकर उसके रास्तों पर चल; और उसके क़ानून पर और उसके फ़रमानों और हुक्मों और शहादतों पर 'अमल कर, ताकि जो कुछ तू करे और जहाँ कहीं तू जाए, सब में तुझे कामयाबी हो, 4) और ख़ुदावन्द अपनी उस बात को क़ाईम रख्खे, जो उसने मेरे हक़ में कही कि, 'अगर तेरी औलाद अपने रास्ते की हिफ़ाज़त करके अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से मेरे सामने सच्चाई से चले, तो इस्राईल के तख़्त पर तेरे यहाँ आदमी की कमी न होगी। 5) “और तू ख़ुद जानता है कि ज़रोयाह के बेटे योआब ने मुझ से क्या — क्या किया, या'नी उसने इस्राईली लश्कर के दो सरदारों, नेर के बेटे अबनेर और यतर के बेटे 'अमासा से क्या किया, जिनको उसने क़त्ल किया और सुलह के वक़्त ख़ून — ए — जंग बहाया, और ख़ून — ए — जंग को अपने पटके पर जो उसकी कमर में बंधा था और अपनी जूतियों पर जो उसके पाँवों में थी लगाया। 6) इसलिए तू अपनी हिकमत से काम लेना और उसके सफ़ेद सर को क़ब्र में सलामत उतरने न देना। (Sheol h7585) 7) लेकिन बरज़िली जिल'आदी के बेटों पर महेरबानी करना, और वह उनमें शामिल हों जो तेरे दस्तरख़्वान पर खाना खाया करेंगे, क्यूँकि वह ऐसा ही करने को मेरे पास आए जब मैं तेरे भाई अबीसलोम की वजह से भागा था। 8) और देख, बिनयमीनी जीरा का बेटा बहूरीमी सिम'ई तेरे साथ है, जिसने उस दिन जब कि मैं महनायम को जाता था बहुत बुरी तरह मुझ पर ला'नत की, लेकिन वह यरदन पर मुझ से मिलने को आया, और मैंने ख़ुदावन्द की क़सम खाकर उससे कहा कि “मैं तुझे तलवार से क़त्ल नहीं करूँगा। 9) तब तू उसको बेगुनाह न ठहराना, क्यूँकि तू ''अक़्लमन्द आदमी है और तू जानता है कि तुझे उसके साथ क्या करना चाहिए, इसलिए तू उसका सफ़ेद सर लहू लुहान करके क़ब्र में उतारना।” (Sheol h7585) 10) और दाऊद अपने बाप — दादा के साथ सो गया और दाऊद के शहर में दफ़्न हुआ। 11) और कुल मुद्दत जिसमें दाऊद ने इस्राईल पर हुकूमत की चालीस साल की थी; सात साल तो उसने हबरून में हुकूमत की, और सैंतीस साल येरूशलेम में। 12) और सुलेमान अपने बाप दाऊद के तख़्त पर बैठा और उसकी हुकूमत बहुत ही मज़्बूत हुई। 13) तब हज्जीत का बेटा अदूनियाह, सुलेमान की माँ बतसबा' के पास आया; उसने पूछा, “तू सुलह के ख़्याल से आया है?” उसने कहा, “सुलह के ख़्याल से।” 14) फिर उसने कहा, “मुझे तुझ से कुछ कहना है।” उसने कहा, “कह।” 15) उसने कहा, “तू जानती है कि हुकूमत मेरी थी, और सब इस्राईली मेरी तरफ़ मुतवज्जिह थे कि मैं हुकूमत करूँ, लेकिन हुकूमत पलट गई और मेरे भाई की हो गई, क्यूँकि ख़ुदावन्द की तरफ़ से यह उसी की थी। 16) इसलिए मेरी तुझ से एक दरख़्वास्त है, नामंजूर न कर।” उसने कहा, “बयान कर।” 17) उसने कहा, “ज़रा सुलेमान बादशाह से कह, क्यूँकि वह तेरी बात को नहीं टालेगा, कि अबीशाग शून्मीत को मुझे ब्याह दे।” 18) बतसबा' ने कहा, “अच्छा, मैं तेरे लिए बादशाह से 'दरख़्वास्त करूँगी।” 19) तब बतसबा' सुलेमान बादशाह के पास गई, ताकि उससे अदूनियाह के लिए 'दरख़्वास्त करे। बादशाह उसके इस्तक़बाल के वास्ते उठा और उसके सामने झुका, फिर अपने तख़्त पर बैठा; और उसने बादशाह की माँ के लिए एक तख़्त लगवाया, तब वह उसके दहने हाथ बैठी; 20) और कहने लगी, “मेरी तुझ से एक छोटी सी दरख़्वास्त है; तू मुझ से इन्कार न करना।” बादशाह ने उससे कहा, “ऐ मेरी माँ, इरशाद फ़रमा; मुझे तुझ से इन्कार न होगा।” 21) उसने कहा, “अबीशाग शून्मीत तेरे भाई अदूनियाह को ब्याह दी जाए।” 22) सुलेमान बादशाह ने अपनी माँ को जवाब दिया, “तू अबीशाग शून्मीत ही को अदूनियाह के लिए क्यूँ माँगती है? उसके लिए हुकूमत भी माँग, क्यूँकि वह तो मेरा बड़ा भाई है; बल्कि उसके लिए क्या, अबीयातर काहिन और ज़रोयाह के बेटे योआब के लिए भी माँग।” 23) तब सुलेमान बादशाह ने ख़ुदावन्द की क़सम खाई और कहा कि “अगर अदूनियाह ने यह बात अपनी ही जान के ख़िलाफ़ नहीं कही, तो ख़ुदा मुझ से ऐसा ही, बल्कि इससे भी ज़्यादा करे। 24) इसलिए अब ख़ुदावन्द की हयात की क़सम जिसने मुझ को क़याम बख़्शा, और मुझ को मेरे बाप दाऊद के तख़्त पर बिठाया, और मेरे लिए अपने वा'दे के मुताबिक़ एक घर बनाया, यक़ीनन अदूनियाह आज ही क़त्ल किया जाएगा।” 25) और सुलेमान बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को भेजा: उसने उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया। 26) फिर बादशाह ने अबीयातर काहिन से कहा, “तू अनतोत को अपने खेतों में चला जा क्यूँकि तू क़त्ल के लायक़ है, लेकिन मैं इस वक़्त तुझ को क़त्ल नहीं करता क्यूँकि तू मेरे बाप दाऊद के सामने ख़ुदावन्द यहोवाह का सन्दूक़ उठाया करता था; और जो जो मुसीबत मेरे बाप पर आई वह तुझ पर भी आई।” 27) तब सुलेमान ने अबीयातर को ख़ुदावन्द के काहिन के उहदे से बरतरफ़ किया, ताकि वह ख़ुदावन्द के उस क़ौल को पूरा करे जो उसने शीलोह में एली के घराने के हक़ में कहा था। 28) और यह ख़बर योआब तक पहुँची: क्यूँकि योआब अदूनियाह का तो पैरोकार हो गया था, अगर्चे वह अबीसलोम का पैरोकार नहीं हुआ था। इसलिए योआब ख़ुदावन्द के ख़ेमे को भाग गया, और मज़बह के सींग पकड़ लिए। 29) और सुलेमान बादशाह को ख़बर हुई, “योआब ख़ुदावन्द के ख़ैमे को भाग गया है; और देख, वह मज़बह के पास है।” तब सुलेमान ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को यह कहकर भेजा कि, “जाकर उस पर वार कर।” 30) तब बिनायाह ख़ुदावन्द के ख़ैमे को गया, और उसने उससे कहा, “बादशाह यूँ फ़रमाता है कि तू बाहर निकल आ।” उसने कहा, “नहीं, बल्कि मैं यहीं मरूँगा।” तब बिनायाह ने लौट कर बादशाह को ख़बर दी कि “योआब ने ऐसा कहा है, और उसने मुझे ऐसा जवाब दिया।” 31) तब बादशाह ने उससे कहा, “जैसा उसने कहा वैसा ही कर, और उस पर वार कर और उसे दफ़्न कर दे; ताकि तू उस ख़ून को जो योआब ने बे वजह बहाया, मुझ पर से और मेरे बाप के घर पर से दूर कर दे। 32) और ख़ुदावन्द उसका ख़ून उल्टा उसी के सर पर लाएगा, क्यूँकि उसने दो शख़्सों पर जो उससे ज़्यादा रास्तबाज़ और अच्छे थे, या'नी नेर के बेटे अबनेर पर जो इस्राईली लश्कर का सरदार था और यतर के बेटे 'अमासा पर जो यहूदाह की फ़ौज का सरदार था, वार किया और उनको तलवार से क़त्ल किया, और मेरे बाप दाऊद को मा'लूम न था। 33) इसलिए उनका ख़ून योआब के सर पर और उसकी नसल के सर पर हमेशा तक रहेगा, लेकिन दाऊद पर और उसकी नसल पर और उसके घर पर और उसके तख़्त पर हमेशा तक ख़ुदावन्द की तरफ़ से सलामती होगी।” 34) तब यहूयदा' का बेटा बिनायाह गया, और उसने उस पर वार करके उसे क़त्ल किया; और वह वीरान के बीच अपने ही घर में दफ़्न हुआ। 35) और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को उसकी जगह लश्कर पर मुक़र्रर किया; और सदूक़ काहिन को बादशाह ने अबीयातर की जगह रखा। 36) फिर बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा कि “येरूशलेम में अपने लिए एक घर बना ले और वहीं रह, और वहाँ से कहीं न जाना; 37) क्यूँकि जिस दिन तू बाहर निकलेगा और नहर — ए — क़िद्रोन के पार जाएगा, तू यक़ीन जान ले कि तू ज़रूर मारा जाएगा, और तेरा ख़ून तेरे ही सर पर होगा।” 38) और सिम'ई ने बादशाह से कहा, “यह बात अच्छी है; जैसा मेरे मालिक बादशाह ने कहा है, तेरा ख़ादिम वैसा ही करेगा।” इसलिए सिम्ई बहुत दिनों तक येरूशलेम में रहा। 39) और तीन साल के आख़िर में ऐसा हुआ कि सिम्ई के नौकरों में से दो आदमी जात के बादशाह अकीस — बिन — मा'काह के यहाँ भाग गए। और उन्होंने सिम'ई को बताया कि, “देख, तेरे नौकर जात में है।” 40) तब सिम'ई ने उठकर अपने गधे पर ज़ीन कसा, और अपने नौकरों की तलाश में जात को अकीस के पास गया; और सिम्'ई जाकर अपने नौकरों को जात से ले आया। 41) और यह ख़बर सुलेमान को मिली कि सिम'ई येरूशलेम से जात को गया था और वापस आ गया है, 42) तब बादशाह ने सिम'ई को बुला भेजा और उससे कहा, “क्या मैंने तुझे ख़ुदावन्द की क़सम न खिलाई और तुझ को बता न दिया कि, 'यक़ीन जान ले कि जिस दिन तू बाहर निकला और इधर — उधर कहीं गया, तो ज़रूर मारा जाएगा'? और तू ने मुझ से यह कहा कि जो बात मैंने सुनी, वह अच्छी है। 43) इसलिए तूने ख़ुदावन्द की क़सम को, और उस हुक्म को जिसकी मैंने तुझे ताकीद की, क्यूँ न माना?” 44) और बादशाह ने सिम'ई से यह भी कहा, “तू उस सारी शरारत को जो तू ने मेरे बाप दाऊद से की, जिससे तेरा दिल वाकिफ़ है जानता है; इसलिए ख़ुदावन्द तेरी शरारत को उल्टा तेरे ही सर पर लाएगा। 45) लेकिन सुलेमान बादशाह मुबारक होगा, और दाऊद का तख़्त ख़ुदावन्द के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा।” 46) और बादशाह ने यहूयदा' के बेटे बिनायाह को हुक्म दिया, तब उसने बाहर जाकर उस पर ऐसा वार किया कि वह मर गया। और हुकूमत सुलेमान के हाथ में मज़बूत हो गई। Additional comments?
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