< ลูก: 12 >

1 ตทานีํ โลกา: สหสฺรํ สหสฺรมฺ อาคตฺย สมุปสฺถิตาสฺตต เอไกโก 'เนฺยษามุปริ ปติตุมฺ อุปจกฺรเม; ตทา ยีศุ: ศิษฺยานฺ พภาเษ, ยูยํ ผิรูศินำ กิณฺวรูปกาปเฏฺย วิเศเษณ สาวธานาสฺติษฺฐตฯ
इसी समय वहां हज़ारों लोगों का इतना विशाल समूह इकट्ठा हो गया कि वे एक दूसरे पर गिर रहे थे. प्रभु येशु ने सबसे पहले अपने शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा, “फ़रीसियों के खमीर अर्थात् ढोंग से सावधान रहो.
2 ยโต ยนฺน ปฺรกาศยิษฺยเต ตทาจฺฉนฺนํ วสฺตุ กิมปิ นาสฺติ; ตถา ยนฺน ชฺญาสฺยเต ตทฺ คุปฺตํ วสฺตุ กิมปิ นาสฺติฯ
ऐसा कुछ भी ढका नहीं, जिसे खोला न जाएगा या ऐसा कोई रहस्य नहीं, जिसे प्रकट न किया जाएगा.
3 อนฺธกาเร ติษฺฐนโต ยา: กถา อกถยต ตา: สรฺวฺวา: กถา ทีปฺเตา โศฺรษฺยนฺเต นิรฺชเน กรฺเณ จ ยทกถยต คฺฤหปฺฤษฺฐาตฺ ตตฺ ปฺรจารยิษฺยเตฯ
वे शब्द, जो तुमने अंधकार में कहे हैं, प्रकाश में सुने जाएंगे, जो कुछ तुमने भीतरी कमरे में कानों में कहा है, वह छत से प्रचार किया जाएगा.
4 เห พนฺธโว ยุษฺมานหํ วทามิ, เย ศรีรสฺย นาศํ วินา กิมปฺยปรํ กรฺตฺตุํ น ศกฺรุวนฺติ เตโภฺย มา ไภษฺฏฯ
“मेरे मित्रों, मेरी सुनो: उनसे भयभीत न हो, जो शरीर का तो नाश कर सकते हैं किंतु इसके बाद इससे अधिक और कुछ नहीं
5 ตรฺหิ กสฺมาทฺ เภตวฺยมฺ อิตฺยหํ วทามิ, ย: ศรีรํ นาศยิตฺวา นรกํ นิกฺเษปฺตุํ ศกฺโนติ ตสฺมาเทว ภยํ กุรุต, ปุนรปิ วทามิ ตสฺมาเทว ภยํ กุรุตฯ (Geenna g1067)
पर मैं तुम्हें समझाता हूं कि तुम्हारा किससे डरना सही है: उन्हीं से, जिन्हें शरीर का नाश करने के बाद नर्क में झोंकने का अधिकार है. सच मानो, तुम्हारा उन्हीं से डरना उचित है. (Geenna g1067)
6 ปญฺจ จฏกปกฺษิณ: กึ ทฺวาภฺยำ ตามฺรขณฺฑาภฺยำ น วิกฺรียนฺเต? ตถาปีศฺวรเสฺตษามฺ เอกมปิ น วิสฺมรติฯ
क्या दो अस्सारिओन में पांच गौरैयां नहीं बेची जातीं? फिर भी परमेश्वर उनमें से एक को भी नहीं भूलते.
7 ยุษฺมากํ ศิร: เกศา อปิ คณิตา: สนฺติ ตสฺมาตฺ มา วิภีต พหุจฏกปกฺษิโภฺยปิ ยูยํ พหุมูลฺยา: ฯ
तुम्हारे सिर का तो एक-एक बाल गिना हुआ है. इसलिये भयभीत न हो. तुम्हारा दाम अनेक गौरैया से कहीं अधिक है.
8 อปรํ ยุษฺมภฺยํ กถยามิ ย: กศฺจินฺ มานุษาณำ สากฺษานฺ มำ สฺวีกโรติ มนุษฺยปุตฺร อีศฺวรทูตานำ สากฺษาตฺ ตํ สฺวีกริษฺยติฯ
“मैं तुमसे कहता हूं कि जो कोई मुझे मनुष्यों के सामने स्वीकार करता है, मनुष्य का पुत्र उसे परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने स्वीकार करेगा,
9 กินฺตุ ย: กศฺจินฺมานุษาณำ สากฺษานฺมามฺ อสฺวีกโรติ ตมฺ อีศฺวรสฺย ทูตานำ สากฺษาทฺ อหมฺ อสฺวีกริษฺยามิฯ
किंतु जो मुझे मनुष्यों के सामने अस्वीकार करता है, उसका परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने इनकार किया जाएगा.
10 อนฺยจฺจ ย: กศฺจินฺ มนุชสุตสฺย นินฺทาภาเวน กาญฺจิตฺ กถำ กถยติ ตสฺย ตตฺปาปสฺย โมจนํ ภวิษฺยติ กินฺตุ ยทิ กศฺจิตฺ ปวิตฺรมฺ อาตฺมานํ นินฺทติ ตรฺหิ ตสฺย ตตฺปาปสฺย โมจนํ น ภวิษฺยติฯ
यदि कोई मनुष्य के पुत्र के विरुद्ध एक भी शब्द कहता है, उसे तो क्षमा कर दिया जाएगा किंतु पवित्र आत्मा की निंदा बिलकुल क्षमा न की जाएगी.
11 ยทา โลกา ยุษฺมานฺ ภชนเคหํ วิจารกรฺตฺฤราชฺยกรฺตฺฤณำ สมฺมุขญฺจ เนษฺยนฺติ ตทา เกน ปฺรกาเรณ กิมุตฺตรํ วทิษฺยถ กึ กถยิษฺยถ เจตฺยตฺร มา จินฺตยต;
“जब तुम उनके द्वारा सभागृहों, शासकों और अधिकारियों के सामने प्रस्तुत किए जाओ तो इस विषय में कोई चिंता न करना कि अपने बचाव में तुम्हें क्या उत्तर देना है या क्या कहना है
12 ยโต ยุษฺมาภิรฺยทฺ ยทฺ วกฺตวฺยํ ตตฺ ตสฺมินฺ สมเยอว ปวิตฺร อาตฺมา ยุษฺมานฺ ศิกฺษยิษฺยติฯ
क्योंकि पवित्र आत्मा ही तुम पर प्रकट करेंगे कि उस समय तुम्हारा क्या कहना सही होगा.”
13 ตต: ปรํ ชนตามธฺยสฺถ: กศฺจิชฺชนสฺตํ ชคาท เห คุโร มยา สห ไปตฺฤกํ ธนํ วิภกฺตุํ มม ภฺราตรมาชฺญาปยตุ ภวานฺฯ
उपस्थित भीड़ में से किसी ने प्रभु येशु से कहा, “गुरुवर, मेरे भाई से कहिए कि वह मेरे साथ पिता की संपत्ति का बंटवारा कर ले.”
14 กินฺตุ ส ตมวทตฺ เห มนุษฺย ยุวโย รฺวิจารํ วิภาคญฺจ กรฺตฺตุํ มำ โก นิยุกฺตวานฺ?
प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “हे मानव! किसने मुझे तुम्हारे लिए न्यायकर्ता या मध्यस्थ ठहराया है?”
15 อนนฺตรํ ส โลกานวทตฺ โลเภ สาวธานา: สตรฺกาศฺจ ติษฺฐต, ยโต พหุสมฺปตฺติปฺราปฺตฺยา มนุษฺยสฺยายุ รฺน ภวติฯ
तब प्रभु येशु ने भीड़ को देखते हुए उन्हें चेतावनी दी, “स्वयं को हर एक प्रकार के लालच से बचाए रखो. मनुष्य का जीवन उसकी संपत्ति की बहुतायत होने पर भला नहीं है.”
16 ปศฺจาทฺ ทฺฤษฺฏานฺตกถามุตฺถาปฺย กถยามาส, เอกสฺย ธนิโน ภูเมา พหูนิ ศสฺยานิ ชาตานิฯ
तब प्रभु येशु ने उनके सामने यह दृष्टांत प्रस्तुत किया: “किसी व्यक्ति की भूमि से अच्छी फसल उत्पन्‍न हुई.
17 ตต: ส มนสา จินฺตยิตฺวา กถยามฺพภูว มไมตานิ สมุตฺปนฺนานิ ทฺรวฺยาณิ สฺถาปยิตุํ สฺถานํ นาสฺติ กึ กริษฺยามิ?
उसने मन में विचार किया, ‘अब मैं क्या करूं? फसल रखने के लिए तो मेरे पास स्थान ही नहीं है.’
18 ตโตวททฺ อิตฺถํ กริษฺยามิ, มม สรฺวฺวภาณฺฑาคาราณิ ภงฺกฺตฺวา พฺฤหทฺภาณฺฑาคาราณิ นิรฺมฺมาย ตนฺมเธฺย สรฺวฺวผลานิ ทฺรวฺยาณิ จ สฺถาปยิษฺยามิฯ
“फिर उसने विचार किया, ‘मैं ऐसा करता हूं: मैं इन बखारों को तोड़कर बड़े भंडार निर्मित करूंगा. तब मेरी सारी उपज तथा वस्तुओं का रख रखाव हो सकेगा.
19 อปรํ นิชมโน วทิษฺยามิ, เห มโน พหุวตฺสรารฺถํ นานาทฺรวฺยาณิ สญฺจิตานิ สนฺติ วิศฺรามํ กุรุ ภุกฺตฺวา ปีตฺวา เกาตุกญฺจ กุรุฯ กินฺตฺวีศฺวรสฺตมฺ อวทตฺ,
तब मैं स्वयं से कहूंगा, “अनेक वर्षों के लिए अब तेरे लिए उत्तम वस्तुएं इकट्ठा हैं. विश्राम कर! खा, पी और आनंद कर!”’
20 เร นิรฺโพธ อทฺย ราเตฺรา ตว ปฺราณาสฺตฺวตฺโต เนษฺยนฺเต ตต เอตานิ ยานิ ทฺรวฺยาณิ ตฺวยาสาทิตานิ ตานิ กสฺย ภวิษฺยนฺติ?
“किंतु परमेश्वर ने उससे कहा, ‘अरे मूर्ख! आज ही रात तेरे प्राण तुझसे ले लिए जाएंगे; तब ये सब, जो तूने अपने लिए इकट्ठा कर रखा है, किसका होगा?’
21 อเตอว ย: กศฺจิทฺ อีศฺวรสฺย สมีเป ธนสญฺจยมกฺฤตฺวา เกวลํ สฺวนิกเฏ สญฺจยํ กโรติ โสปิ ตาทฺฤศ: ฯ
“यही है उस व्यक्ति की स्थिति, जो मात्र अपने लिए इस प्रकार इकट्ठा करता है किंतु जो परमेश्वर की दृष्टि में धनवान नहीं है.”
22 อถ ส ศิเษฺยภฺย: กถยามาส, ยุษฺมานหํ วทามิ, กึ ขาทิษฺยาม: ? กึ ปริธาสฺยาม: ? อิตฺยุกฺตฺวา ชีวนสฺย ศรีรสฺย จารฺถํ จินฺตำ มา การฺษฺฏฯ
इसके बाद अपने शिष्यों से उन्मुख हो प्रभु येशु ने कहा, “यही कारण है कि मैंने तुमसे कहा है, अपने जीवन के विषय में यह चिंता न करो कि हम क्या खाएंगे या अपने शरीर के विषय में कि हम क्या पहनेंगे.
23 ภกฺษฺยาชฺชีวนํ ภูษณาจฺฉรีรญฺจ เศฺรษฺฐํ ภวติฯ
जीवन भोजन से तथा शरीर वस्त्रों से बढ़कर है.
24 กากปกฺษิณำ การฺยฺยํ วิจารยต, เต น วปนฺติ ศสฺยานิ จ น ฉินฺทนฺติ, เตษำ ภาณฺฑาคาราณิ น สนฺติ โกษาศฺจ น สนฺติ, ตถาปีศฺวรเสฺตโภฺย ภกฺษฺยาณิ ททาติ, ยูยํ ปกฺษิภฺย: เศฺรษฺฐตรา น กึ?
कौवों पर विचार करो: वे न तो बोते हैं और न काटते हैं. उनके न तो खलिहान होते हैं और न भंडार; फिर भी परमेश्वर उन्हें भोजन प्रदान करते हैं. तुम्हारा दाम पक्षियों से कहीं अधिक बढ़कर है!
25 อปรญฺจ ภาวยิตฺวา นิชายุษ: กฺษณมาตฺรํ วรฺทฺธยิตุํ ศกฺโนติ, เอตาทฺฤโศ ลาโก ยุษฺมากํ มเธฺย โกสฺติ?
तुममें से कौन है, जो चिंता के द्वारा अपनी आयु में एक पल भी बढ़ा पाया है?
26 อเตอว กฺษุทฺรํ การฺยฺยํ สาธยิตุมฺ อสมรฺถา ยูยมฺ อนฺยสฺมินฺ การฺเยฺย กุโต ภาวยถ?
जब तुम यह छोटा सा काम ही नहीं कर सकते तो भला अन्य विषयों के लिए चिंतित क्यों रहते हो?
27 อนฺยจฺจ กามฺปิลปุษฺปํ กถํ วรฺทฺธเต ตทาปิ วิจารยต, ตตฺ กญฺจน ศฺรมํ น กโรติ ตนฺตูํศฺจ น ชนยติ กินฺตุ ยุษฺมภฺยํ ยถารฺถํ กถยามิ สุเลมานฺ พไหฺวศฺวรฺยฺยานฺวิโตปิ ปุษฺปสฺยาสฺย สทฺฤโศ วิภูษิโต นาสีตฺฯ
“जंगली फूलों को देखो! वे न तो कताई करते हैं और न बुनाई; परंतु मैं कहता हूं कि राजा शलोमोन तक अपने सारे ऐश्वर्य में इनमें से एक के तुल्य भी सजे न थे.
28 อทฺย เกฺษเตฺร วรฺตฺตมานํ ศฺวศฺจูลฺลฺยำ เกฺษปฺสฺยมานํ ยตฺ ตฺฤณํ, ตไสฺม ยทีศฺวร อิตฺถํ ภูษยติ ตรฺหิ เห อลฺปปฺรตฺยยิโน ยุษฺมาน กึ น ปริธาปยิษฺยติ?
यदि परमेश्वर घास का श्रृंगार इस सीमा तक करते हैं, जिसका जीवन थोड़े समय का है और जो कल आग में झोंक दिया जाएगा, क्या वह तुम्हें और कितना अधिक सुशोभित न करेंगे? कैसा कमजोर है तुम्हारा विश्वास!
29 อเตอว กึ ขาทิษฺยาม: ? กึ ปริธาสฺยาม: ? เอตทรฺถํ มา เจษฺฏธฺวํ มา สํทิคฺธฺวญฺจฯ
इस उधेड़-बुन में लगे न रहो कि तुम क्या खाओगे या क्या पियोगे और न ही इसकी कोई चिंता करो.
30 ชคโต เทวารฺจฺจกา เอตานิ สรฺวฺวาณิ เจษฺฏนเต; เอษุ วสฺตุษุ ยุษฺมากํ ปฺรโยชนมาเสฺต อิติ ยุษฺมากํ ปิตา ชานาติฯ
विश्व के सभी राष्ट्र इसी कार्य में लगे हैं. तुम्हारे पिता को पहले ही यह मालूम है कि तुम्हें इन वस्तुओं की ज़रूरत है.
31 อเตอเวศฺวรสฺย ราชฺยารฺถํ สเจษฺฏา ภวต ตถา กฺฤเต สรฺวฺวาเณฺยตานิ ทฺรวฺยาณิ ยุษฺมภฺยํ ปฺรทายิษฺยนฺเตฯ
इनकी जगह परमेश्वर के राज्य की खोज करो और ये सभी वस्तुएं तुम्हारी हो जाएंगी.
32 เห กฺษุทฺรเมษวฺรช ยูยํ มา ไภษฺฏ ยุษฺมภฺยํ ราชฺยํ ทาตุํ ยุษฺมากํ ปิตุ: สมฺมติรสฺติฯ
“तुम, जो संख्या में कम हो, भयभीत न होना क्योंकि तुम्हारे पिता तुम्हें राज्य देकर संतुष्ट हुए हैं.
33 อเตอว ยุษฺมากํ ยา ยา สมฺปตฺติรสฺติ ตำ ตำ วิกฺรีย วิตรต, ยตฺ สฺถานํ เจารา นาคจฺฉนฺติ, กีฏาศฺจ น กฺษายยนฺติ ตาทฺฤเศ สฺวรฺเค นิชารฺถมฺ อชเร สมฺปุฏเก 'กฺษยํ ธนํ สญฺจินุต จ;
अपनी संपत्ति बेचकर प्राप्‍त धनराशि निर्धनों में बांट दो. अपने लिए ऐसा धन इकट्ठा करो, जो नष्ट नहीं किया जा सकता है—स्वर्ग में इकट्ठा किया धन; जहां न तो किसी चोर की पहुंच है और न ही विनाश करनेवाले कीड़ों की.
34 ยโต ยตฺร ยุษฺมากํ ธนํ วรฺตฺตเต ตเตฺรว ยุษฺมากํ มน: ฯ
क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहीं तुम्हारा मन भी होगा.”
35 อปรญฺจ ยูยํ ปฺรทีปํ ชฺวาลยิตฺวา พทฺธกฏยสฺติษฺฐต;
“हमेशा तैयार रहो तथा अपने दीप जलाए रखो,
36 ปฺรภุ รฺวิวาหาทาคตฺย ยไทว ทฺวารมาหนฺติ ตไทว ทฺวารํ โมจยิตุํ ยถา ภฺฤตฺยา อเปกฺษฺย ติษฺฐนฺติ ตถา ยูยมปิ ติษฺฐตฯ
उन सेवकों के समान, जो अपने स्वामी की प्रतीक्षा में हैं कि वह जब विवाहोत्सव से लौटकर आए और द्वार खटखटाए तो वे तुरंत उसके लिए द्वार खोल दें.
37 ยต: ปฺรภุราคตฺย ยานฺ ทาสานฺ สเจตนานฺ ติษฺฐโต ทฺรกฺษฺยติ เตอว ธนฺยา: ; อหํ ยุษฺมานฺ ยถารฺถํ วทามิ ปฺรภุสฺตานฺ โภชนารฺถมฺ อุปเวศฺย สฺวยํ พทฺธกฏิ: สมีปเมตฺย ปริเวษยิษฺยติฯ
धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी लौटने पर जागते पाएगा. सच तो यह है कि स्वामी ही सेवक के वस्त्र धारण कर उन्हें भोजन के लिए बैठाएगा तथा स्वयं उन्हें भोजन परोसेगा.
38 ยทิ ทฺวิตีเย ตฺฤตีเย วา ปฺรหเร สมาคตฺย ตไถว ปศฺยติ, ตรฺหิ เตอว ทาสา ธนฺยา: ฯ
धन्य हैं वे दास, जिन्हें स्वामी रात के दूसरे या तीसरे प्रहर में भी आकर जागते पाए.
39 อปรญฺจ กสฺมินฺ กฺษเณ เจารา อาคมิษฺยนฺติ อิติ ยทิ คฺฤหปติ รฺชฺญาตุํ ศกฺโนติ ตทาวศฺยํ ชาคฺรนฺ นิชคฺฤเห สนฺธึ กรฺตฺตยิตุํ วารยติ ยูยเมตทฺ วิตฺตฯ
किंतु तुम यह जान लो: यदि घर के स्वामी को यह मालूम हो कि चोर किस समय आएगा तो वह उसे अपने घर में घुसने ही न दे.
40 อเตอว ยูยมปิ สชฺชมานาสฺติษฺฐต ยโต ยสฺมินฺ กฺษเณ ตํ นาเปฺรกฺษเธฺว ตสฺมินฺเนว กฺษเณ มนุษฺยปุตฺร อาคมิษฺยติฯ
तुम्हारा भी इसी प्रकार सावधान रहना ज़रूरी है क्योंकि मनुष्य के पुत्र का आगमन ऐसे समय पर होगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकते.”
41 ตทา ปิตร: ปปฺรจฺฉ, เห ปฺรโภ ภวานฺ กิมสฺมานฺ อุทฺทิศฺย กึ สรฺวฺวานฺ อุทฺทิศฺย ทฺฤษฺฏานฺตกถามิมำ วทติ?
पेतरॉस ने उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, आपका यह दृष्टांत मात्र हमारे लिए ही है या भीड़ के लिए भी?”
42 ตต: ปฺรภุ: โปฺรวาจ, ปฺรภุ: สมุจิตกาเล นิชปริวารารฺถํ โภชฺยปริเวษณาย ยํ ตตฺปเท นิโยกฺษฺยติ ตาทฺฤโศ วิศฺวาโสฺย โพทฺธา กรฺมฺมาธีศ: โกสฺติ?
प्रभु ने उत्तर दिया, “वह विश्वासयोग्य और बुद्धिमान भंडारी कौन होगा जिसे स्वामी सभी सेवकों का प्रधान ठहराए कि वह अन्य सेवकों को निर्धारित समय पर भोज्य सामग्री दे दे.
43 ปฺรภุราคตฺย ยมฺ เอตาทฺฤเศ กรฺมฺมณิ ปฺรวฺฤตฺตํ ทฺรกฺษฺยติ เสอว ทาโส ธนฺย: ฯ
धन्य है वह सेवक, जिसे घर का स्वामी लौटने पर यही करते हुए पाए.
44 อหํ ยุษฺมานฺ ยถารฺถํ วทามิ ส ตํ นิชสรฺวฺวสฺวสฺยาธิปตึ กริษฺยติฯ
सच्चाई तो यह है कि घर का स्वामी उस सेवक के हाथों में अपनी सारी संपत्ति की ज़िम्मेदारी सौंप देगा.
45 กินฺตุ ปฺรภุรฺวิลมฺเพนาคมิษฺยติ, อิติ วิจินฺตฺย ส ทาโส ยทิ ตทนฺยทาสีทาสานฺ ปฺรหรฺตฺตุมฺ โภกฺตุํ ปาตุํ มทิตุญฺจ ปฺรารภเต,
किंतु यदि वह दास अपने मन में कहने लगे, ‘अभी तो मेरे स्वामी के लौटने में बहुत समय है’ और वह अन्य दास-दासियों की पिटाई करने लगे और खा-पीकर नशे में चूर हो जाए.
46 ตรฺหิ ยทา ปฺรภุํ นาเปกฺษิษฺยเต ยสฺมินฺ กฺษเณ โส'เจตนศฺจ สฺถาสฺยติ ตสฺมินฺเนว กฺษเณ ตสฺย ปฺรภุราคตฺย ตํ ปทภฺรษฺฏํ กฺฤตฺวา วิศฺวาสหีไน: สห ตสฺย อํศํ นิรูปยิษฺยติฯ
उसका स्वामी एक ऐसे दिन लौटेगा, जिसकी उसने कल्पना ही न की थी और एक ऐसे क्षण में, जिसके विषय में उसे मालूम ही न था तो स्वामी उसके टुकड़े-टुकड़े कर उसकी गिनती अविश्वासियों में कर देगा.
47 โย ทาส: ปฺรเภราชฺญำ ชฺญาตฺวาปิ สชฺชิโต น ติษฺฐติ ตทาชฺญานุสาเรณ จ การฺยฺยํ น กโรติ โสเนกานฺ ปฺรหารานฺ ปฺราปฺสฺยติ;
“वह दास, जिसे अपने स्वामी की इच्छा का पूरा पता था किंतु वह न तो इसके लिए तैयार था और न उसने उसकी इच्छा के अनुसार व्यवहार ही किया, कठोर दंड पाएगा.
48 กินฺตุ โย ชโน'ชฺญาตฺวา ปฺรหารารฺหํ กรฺมฺม กโรติ โสลฺปปฺรหารานฺ ปฺราปฺสฺยติฯ ยโต ยไสฺม พาหุเลฺยน ทตฺตํ ตสฺมาเทว พาหุเลฺยน คฺรหีษฺยเต, มานุษา ยสฺย นิกเฏ พหุ สมรฺปยนฺติ ตสฺมาทฺ พหุ ยาจนฺเตฯ
किंतु वह, जिसे इसका पता ही न था और उसने दंड पाने योग्य अपराध किए, कम दंड पाएगा. हर एक से, जिसे बहुत ज्यादा दिया गया है उससे बहुत ज्यादा मात्रा में ही लिया जाएगा तथा जिसे अधिक मात्रा में सौंपा गया है, उससे अधिक का ही हिसाब लिया जाएगा.
49 อหํ ปฺฤถิวฺยามฺ อไนกฺยรูปํ วหฺนิ นิกฺเษปฺตุมฺ อาคโตสฺมิ, ส เจทฺ อิทานีเมว ปฺรชฺวลติ ตตฺร มม กา จินฺตา?
“मैं पृथ्वी पर आग बरसाने के लक्ष्य से आया हूं और कैसा उत्तम होता यदि यह इसी समय हो जाता!
50 กินฺตุ เยน มชฺชเนนาหํ มคฺโน ภวิษฺยามิ ยาวตฺกาลํ ตสฺย สิทฺธิ รฺน ภวิษฺยติ ตาวทหํ กติกษฺฏํ ปฺราปฺสฺยามิฯ
किंतु मेरे लिए बपतिस्मा की प्रक्रिया निर्धारित है और जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, कैसी दुःखदायी है इसकी पीड़ा!
51 เมลนํ กรฺตฺตุํ ชคทฺ อาคโตสฺมิ ยูยํ กิมิตฺถํ โพธเธฺว? ยุษฺมานฺ วทามิ น ตถา, กินฺตฺวหํ เมลนาภาวํ กรฺตฺตุํมฺ อาคโตสฺมิฯ
क्या विचार है तुम्हारा—क्या मैं पृथ्वी पर मेल-मिलाप के लिए आया हूं? नहीं! मेल-मिलाप नहीं, परंतु फूट के लिए.
52 ยสฺมาเทตตฺกาลมารภฺย เอกตฺรสฺถปริชนานำ มเธฺย ปญฺจชนา: ปฺฤถคฺ ภูตฺวา ตฺรโย ชนา ทฺวโยรฺชนโย: ปฺรติกูลา เทฺวา ชเนา จ ตฺรยาณำ ชนานำ ปฺรติกูเลา ภวิษฺยนฺติฯ
अब से पांच सदस्यों के परिवार में फूट पड़ जाएगी तीन के विरुद्ध दो और दो के विरुद्ध तीन.
53 ปิตา ปุตฺรสฺย วิปกฺษ: ปุตฺรศฺจ ปิตุ รฺวิปกฺโษ ภวิษฺยติ มาตา กนฺยายา วิปกฺษา กนฺยา จ มาตุ รฺวิปกฺษา ภวิษฺยติ, ตถา ศฺวศฺรูรฺพธฺวา วิปกฺษา พธูศฺจ ศฺวศฺรฺวา วิปกฺษา ภวิษฺยติฯ
वे सब एक दूसरे के विरुद्ध होंगे—पिता पुत्र के और पुत्र पिता के; माता पुत्री के और पुत्री माता के; सास पुत्र-वधू के और पुत्र-वधू सास के.”
54 ส โลเกโภฺยปรมปิ กถยามาส, ปศฺจิมทิศิ เมโฆทฺคมํ ทฺฤษฺฏฺวา ยูยํ หฐาทฺ วทถ วฺฤษฺฏิ รฺภวิษฺยติ ตตสฺตไถว ชายเตฯ
भीड़ को संबोधित करते हुए प्रभु येशु ने कहा, “जब तुम पश्चिम दिशा में बादल उठते देखते हो तो तुम तुरंत कहते हो, ‘बारिश होगी’ और बारिश होती है.
55 อปรํ ทกฺษิณโต วาเยา วาติ สติ วทถ นิทาโฆ ภวิษฺยติ ตต: โสปิ ชายเตฯ
जब पवन दक्षिण दिशा से बहता है तुम कहते हो, ‘अब गर्मी पड़ेगी,’ और ऐसा ही हुआ करता है.
56 เร เร กปฏิน อากาศสฺย ภูมฺยาศฺจ ลกฺษณํ โพทฺธุํ ศกฺนุถ,
पाखंडियों! तुम धरती और आकाश की ओर देखकर तो भेद कर लेते हो किंतु इस युग का भेद क्यों नहीं कर सकते?
57 กินฺตุ กาลสฺยาสฺย ลกฺษณํ กุโต โพทฺธุํ น ศกฺนุถ? ยูยญฺจ สฺวยํ กุโต น นฺยาษฺยํ วิจารยถ?
“तुम स्वयं अपने लिए सही गलत का फैसला क्यों नहीं कर लेते?
58 อปรญฺจ วิวาทินา สารฺทฺธํ วิจารยิตุ: สมีปํ คจฺฉนฺ ปถิ ตสฺมาทุทฺธารํ ปฺราปฺตุํ ยตสฺว โนเจตฺ ส ตฺวำ ธฺฤตฺวา วิจารยิตุ: สมีปํ นยติฯ วิจารยิตา ยทิ ตฺวำ ปฺรหรฺตฺตุ: สมีปํ สมรฺปยติ ปฺรหรฺตฺตา ตฺวำ การายำ พธฺนาติ
जब तुम अपने शत्रु के साथ न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत होने जा रहे हो, पूरा प्रयास करो कि मार्ग में ही तुम दोनों में मेल हो जाए अन्यथा वह तो तुम्हें घसीटकर न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत कर देगा, न्यायाधीश तुम्हें अधिकारी के हाथ सौंप देगा और अधिकारी तुम्हें जेल में डाल देगा.
59 ตรฺหิ ตฺวามหํ วทามิ ตฺวยา นิ: เศษํ กปรฺทเกษุ น ปริโศธิเตษุ ตฺวํ ตโต มุกฺตึ ปฺราปฺตุํ น ศกฺษฺยสิฯ
मैं तुमसे कहता हूं कि जब तक तुम एक-एक पैसा लौटा न दो बंदीगृह से छूट न पाओगे.”

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