< ลูก: 11 >
1 อนนฺตรํ ส กสฺมึศฺจิตฺ สฺถาเน ปฺรารฺถยต ตตฺสมาปฺเตา สตฺยำ ตไสฺยก: ศิษฺยสฺตํ ชคาท เห ปฺรโภ โยหนฺ ยถา สฺวศิษฺยานฺ ปฺรารฺถยิตุมฺ อุปทิษฺฏวานฺ ตถา ภวานปฺยสฺมานฺ อุปทิศตุฯ
एक दिन प्रभु येशु एक स्थान पर प्रार्थना कर रहे थे. जब उन्होंने प्रार्थना समाप्त की उनके शिष्यों में से एक ने उनसे विनती की, “प्रभु, हमको प्रार्थना करना सिखा दीजिए—ठीक जैसे योहन ने अपने शिष्यों को सिखाया है.”
2 ตสฺมาตฺ ส กถยามาส, ปฺรารฺถนกาเล ยูยมฺ อิตฺถํ กถยธฺวํ, เห อสฺมากํ สฺวรฺคสฺถปิตสฺตว นาม ปูชฺยํ ภวตุ; ตว ราชตฺวํ ภวตุ; สฺวรฺเค ยถา ตถา ปฺฤถิวฺยามปิ ตเวจฺฉยา สรฺวฺวํ ภวตุฯ
प्रभु येशु ने उनसे कहा, “जब भी तुम प्रार्थना करो, इस प्रकार किया करो: “‘हमारे स्वर्गीय पिता! आपका नाम सभी जगह सम्मानित हो. आपका राज्य हर जगह स्थापित हो.
3 ปฺรตฺยหมฺ อสฺมากํ ปฺรโยชนียํ โภชฺยํ เทหิฯ
हमारा रोज़ का भोजन हमें हर दिन दिया कीजिए.
4 ยถา วยํ สรฺวฺวานฺ อปราธิน: กฺษมามเห ตถา ตฺวมปิ ปาปานฺยสฺมากํ กฺษมสฺวฯ อสฺมานฺ ปรีกฺษำ มานย กินฺตุ ปาปาตฺมโน รกฺษฯ
हमारे पापों को क्षमा कीजिए. हम भी उनके पाप क्षमा करते हैं, जो हमारे विरुद्ध पाप करते हैं. हमें परीक्षा में फंसने से बचाइए.’”
5 ปศฺจาตฺ โสปรมปิ กถิตวานฺ ยทิ ยุษฺมากํ กสฺยจิทฺ พนฺธุสฺติษฺฐติ นิศีเถ จ ตสฺย สมีปํ ส คตฺวา วทติ,
प्रभु येशु ने उनसे आगे कहा, “तुममें से किसी का एक मित्र आधी रात में आकर यह विनती करे, ‘मित्र! मुझे तीन रोटियां दे दो;
6 เห พนฺโธ ปถิก เอโก พนฺธุ รฺมม นิเวศนมฺ อายาต: กินฺตุ ตสฺยาติถฺยํ กรฺตฺตุํ มมานฺติเก กิมปิ นาสฺติ, อเตอว ปูปตฺรยํ มหฺยมฺ ฤณํ เทหิ;
क्योंकि मेरा एक मित्र यात्रा करते हुए घर आया है और उसके भोजन के लिए मेरे पास कुछ नहीं है.’
7 ตทา ส ยทิ คฺฤหมธฺยาตฺ ปฺรติวทติ มำ มา กฺลิศาน, อิทานีํ ทฺวารํ รุทฺธํ ศยเน มยา สห พาลกาศฺจ ติษฺฐนฺติ ตุภฺยํ ทาตุมฺ อุตฺถาตุํ น ศกฺโนมิ,
तब वह अंदर ही से उत्तर दे, ‘मुझे मत सताओ! द्वार बंद हो चुका है और मेरे बालक मेरे साथ सो रहे हैं. अब मैं उठकर तुम्हें कुछ नहीं दे सकता.’
8 ตรฺหิ ยุษฺมานหํ วทามิ, ส ยทิ มิตฺรตยา ตไสฺม กิมปิ ทาตุํ โนตฺติษฺฐติ ตถาปิ วารํ วารํ ปฺรารฺถนาต อุตฺถาปิต: สนฺ ยสฺมินฺ ตสฺย ปฺรโยชนํ ตเทว ทาสฺยติฯ
मैं जो कह रहा हूं उसे समझो: हालांकि वह व्यक्ति मित्र होने पर भी भले ही उसे देना न चाहे, फिर भी उस मित्र के बहुत विनती करने पर उसकी ज़रूरत के अनुसार उसे अवश्य देगा.
9 อต: การณาตฺ กถยามิ, ยาจธฺวํ ตโต ยุษฺมภฺยํ ทาสฺยเต, มฺฤคยธฺวํ ตต อุทฺเทศํ ปฺราปฺสฺยถ, ทฺวารมฺ อาหต ตโต ยุษฺมภฺยํ ทฺวารํ โมกฺษฺยเตฯ
“यही कारण है कि मैंने तुमसे कहा है: विनती करो, तो तुम्हें दिया जाएगा; खोजो, तो तुम पाओगे; द्वार खटखटाओ, तो वह तुम्हारे लिए खोल दिया जाएगा
10 โย ยาจเต ส ปฺราปฺโนติ, โย มฺฤคยเต ส เอโวทฺเทศํ ปฺราปฺโนติ, โย ทฺวารมฺ อาหนฺติ ตทรฺถํ ทฺวารํ โมจฺยเตฯ
क्योंकि हर एक, जो विनती करता है, उसकी विनती पूरी की जाती है, जो खोजता है, वह प्राप्त करता है और वह, जो द्वार खटखटाता है, उसके लिए द्वार खोल दिया जाता है.
11 ปุเตฺรณ ปูเป ยาจิเต ตไสฺม ปาษาณํ ททาติ วา มตฺเสฺย ยาจิเต ตไสฺม สรฺปํ ททาติ
“तुममें कौन पिता ऐसा है, जो अपने पुत्र के मछली मांगने पर उसे सांप दे
12 วา อณฺเฑ ยาจิเต ตไสฺม วฺฤศฺจิกํ ททาติ ยุษฺมากํ มเธฺย ก เอตาทฺฤศ: ปิตาเสฺต?
या अंडे की विनती पर बिच्छू?
13 ตสฺมาเทว ยูยมภทฺรา อปิ ยทิ สฺวสฺวพาลเกภฺย อุตฺตมานิ ทฺรวฺยาณิ ทาตุํ ชานีถ ตรฺหฺยสฺมากํ สฺวรฺคสฺถ: ปิตา นิชยาจเกภฺย: กึ ปวิตฺรมฺ อาตฺมานํ น ทาสฺยติ?
जब तुम दुष्ट होने पर भी अपनी संतान को उत्तम वस्तुएं प्रदान करना जानते हो तो तुम्हारे स्वर्गीय पिता उन्हें, जो उनसे विनती करते हैं, कहीं अधिक बढ़कर पवित्र आत्मा प्रदान न करेंगे, जो उत्तम है?”
14 อนนฺตรํ ยีศุนา กสฺมาจฺจิทฺ เอกสฺมินฺ มูกภูเต ตฺยาชิเต สติ ส ภูตตฺยกฺโต มานุโษ วากฺยํ วกฺตุมฺ อาเรเภ; ตโต โลกา: สกลา อาศฺจรฺยฺยํ เมนิเรฯ
प्रभु येशु एक व्यक्ति में से, जो गूंगा था, एक दुष्टात्मा को निकाल रहे थे. दुष्टात्मा के निकलते ही वह, जो गूंगा था, बोलने लगा. यह देख भीड़ अचंभित रह गई.
15 กินฺตุ เตษำ เกจิทูจุ รฺชโนยํ พาลสิพูพา อรฺถาทฺ ภูตราเชน ภูตานฺ ตฺยาชยติฯ
किंतु उनमें से कुछ ने कहा, “वह तो दुष्टात्माओं के प्रधान बेलज़बूल की सहायता से दुष्टात्मा निकालता है.”
16 ตํ ปรีกฺษิตุํ เกจิทฺ อากาศียมฺ เอกํ จิหฺนํ ทรฺศยิตุํ ตํ ปฺรารฺถยาญฺจกฺริเรฯ
कुछ अन्य ने प्रभु येशु को परखने के उद्देश्य से उनसे अद्भुत चिह्न की मांग की.
17 ตทา ส เตษำ มน: กลฺปนำ ชฺญาตฺวา กถยามาส, กสฺยจิทฺ ราชฺยสฺย โลกา ยทิ ปรสฺปรํ วิรุนฺธนฺติ ตรฺหิ ตทฺ ราชฺยมฺ นศฺยติ; เกจิทฺ คฺฤหสฺถา ยทิ ปรสฺปรํ วิรุนฺธนฺติ ตรฺหิ เตปิ นศฺยนฺติฯ
उनके मन की बातें जानकर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “कोई भी राज्य, जिसमें फूट पड़ चुकी है, नाश हो जाता है और जिस परिवार में फूट पड़ चुकी हो, उसका नाश हो जाता है.
18 ตไถว ไศตานปิ สฺวโลกานฺ ยทิ วิรุณทฺธิ ตทา ตสฺย ราชฺยํ กถํ สฺถาสฺยติ? พาลสิพูพาหํ ภูตานฺ ตฺยาชยามิ ยูยมิติ วทถฯ
यदि शैतान अपने ही विरुद्ध काम करने लगे तो उसका राज्य स्थिर कैसे रह सकता है? मैं ये सब इसलिये कह रहा हूं कि तुम यह दावा कर रहे हो कि मैं दुष्टात्माओं को बेलज़बूल की सहायता से निकाला करता हूं.
19 ยทฺยหํ พาลสิพูพา ภูตานฺ ตฺยาชยามิ ตรฺหิ ยุษฺมากํ สนฺตานา: เกน ตฺยาชยนฺติ? ตสฺมาตฺ เตอว กถายา เอตสฺยา วิจารยิตาโร ภวิษฺยนฺติฯ
यदि मैं दुष्टात्माओं को बेलज़बूल के सहयोग से बाहर निकाला करता हूं तो फिर तुम्हारे अनुयायी उनको कैसे बाहर करती है? परिणामस्वरूप वे ही तुम पर आरोप लगाएंगे.
20 กินฺตุ ยทฺยหมฺ อีศฺวรสฺย ปรากฺรเมณ ภูตานฺ ตฺยาชยามิ ตรฺหิ ยุษฺมากํ นิกฏมฺ อีศฺวรสฺย ราชฺยมวศฺยมฺ อุปติษฺฐติฯ
किंतु यदि मैं दुष्टात्माओं को परमेश्वर के सामर्थ्य के द्वारा निकालता हूं, तब परमेश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य आ चुका है.
21 พลวานฺ ปุมานฺ สุสชฺชมาโน ยติกาลํ นิชาฏฺฏาลิกำ รกฺษติ ตติกาลํ ตสฺย ทฺรวฺยํ นิรุปทฺรวํ ติษฺฐติฯ
“जब कोई बलवान व्यक्ति शस्त्रों से पूरी तरह से सुसज्जित होकर अपने घर की चौकसी करता है, तो उसकी संपत्ति सुरक्षित रहती है
22 กินฺตุ ตสฺมาทฺ อธิกพล: กศฺจิทาคตฺย ยทิ ตํ ชยติ ตรฺหิ เยษุ ศสฺตฺราสฺเตฺรษุ ตสฺย วิศฺวาส อาสีตฺ ตานิ สรฺวฺวาณิ หฺฤตฺวา ตสฺย ทฺรวฺยาณิ คฺฤหฺลาติฯ
किंतु जब उससे अधिक बलवान कोई व्यक्ति उस पर आक्रमण कर उसे अपने वश में कर लेता है और वे सभी शस्त्र, जिन पर वह भरोसा करता था, छीन लेता है, तो वह उसकी संपत्ति को लूटकर बांट देता है.
23 อต: การณาทฺ โย มม สปกฺโษ น ส วิปกฺษ: , โย มยา สห น สํคฺฤหฺลาติ ส วิกิรติฯ
“वह, जो मेरे पक्ष में नहीं है मेरे विरुद्ध है और वह, जो मेरे साथ इकट्ठा नहीं करता, वह बिखेरता है.
24 อปรญฺจ อเมธฺยภูโต มานุษสฺยานฺตรฺนิรฺคตฺย ศุษฺกสฺถาเน ภฺรานฺตฺวา วิศฺรามํ มฺฤคยเต กินฺตุ น ปฺราปฺย วทติ มม ยสฺมาทฺ คฺฤหาทฺ อาคโตหํ ปุนสฺตทฺ คฺฤหํ ปราวฺฤตฺย ยามิฯ
“जब दुष्टात्मा किसी व्यक्ति में से बाहर आ जाती है, वह निवास स्थान की खोज में सूखे स्थानों में फिरती है, किंतु उसे निवास स्थान प्राप्त नहीं हो पाता. तब वह सोचती है कि मैं जिस निवास स्थान को छोड़कर आयी थी, वहीं लौट जाऊं.
25 ตโต คตฺวา ตทฺ คฺฤหํ มารฺชิตํ โศภิตญฺจ ทฺฤษฺฏฺวา
वह वहां लौटकर उसे खाली, साफ़ और सुथरा पाती है.
26 ตตฺกฺษณมฺ อปคตฺย สฺวสฺมาทปิ ทุรฺมฺมตีนฺ อปรานฺ สปฺตภูตานฺ สหานยติ เต จ ตทฺคฺฤหํ ปวิศฺย นิวสนฺติฯ ตสฺมาตฺ ตสฺย มนุษฺยสฺย ปฺรถมทศาต: เศษทศา ทุ: ขตรา ภวติฯ
तब वह जाकर अपने से अधिक बुरी सात आत्मा और ले आती है और वे सब उस व्यक्ति में प्रवेश कर उसमें अपना घर बना लेती हैं. तब उस व्यक्ति की स्थिति पहले से खराब हो जाती है.”
27 อสฺยา: กถายา: กถนกาเล ชนตามธฺยสฺถา กาจินฺนารี ตมุจฺไจ: สฺวรํ โปฺรวาจ, ยา โยษิตฺ ตฺวำ ครฺพฺเภ'ธารยตฺ สฺตนฺยมปายยจฺจ ไสว ธนฺยาฯ
जब प्रभु येशु यह शिक्षा दे रहे थे, भीड़ में से एक नारी पुकार उठी, “धन्य है वह माता, जिसने आपको जन्म दिया और आपका पालन पोषण किया.”
28 กินฺตุ โสกถยตฺ เย ปรเมศฺวรสฺย กถำ ศฺรุตฺวา ตทนุรูปมฺ อาจรนฺติ เตอว ธนฺยา: ฯ
किंतु प्रभु येशु ने कहा, “परंतु धन्य वे हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनकर उसका पालन करते हैं.”
29 ตต: ปรํ ตสฺยานฺติเก พหุโลกานำ สมาคเม ชาเต ส วกฺตุมาเรเภ, อาธุนิกา ทุษฺฏโลกาศฺจิหฺนํ ทฺรษฺฏุมิจฺฉนฺติ กินฺตุ ยูนสฺภวิษฺยทฺวาทินศฺจิหฺนํ วินานฺยตฺ กิญฺจิจฺจิหฺนํ ตานฺ น ทรฺศยิษฺยเตฯ
जब और अधिक लोग इकट्ठा होने लगे, प्रभु येशु ने कहा, “यह पीढ़ी अत्यंत बुरी पीढ़ी है. यह चमत्कार चिह्नों की मांग करती है किंतु भविष्यवक्ता योनाह के चिह्न के अतिरिक्त इसे और कोई चिह्न नहीं दिया जाएगा.
30 ยูนสฺ ตุ ยถา นีนิวียโลกานำ สมีเป จิหฺนรูโปภวตฺ ตถา วิทฺยมานโลกานามฺ เอษำ สมีเป มนุษฺยปุโตฺรปิ จิหฺนรูโป ภวิษฺยติฯ
जिस प्रकार परमेश्वर की ओर से भविष्यवक्ता योनाह नीनवे नगरवासियों के लिए एक चिह्न थे, उसी प्रकार मनुष्य का पुत्र इस पीढ़ी के लिए एक चिह्न है.
31 วิจารสมเย อิทานีนฺตนโลกานำ ปฺราติกูเลฺยน ทกฺษิณเทศียา ราชฺญี โปฺรตฺถาย ตานฺ โทษิณ: กริษฺยติ, ยต: สา ราชฺญี สุเลมาน อุปเทศกถำ โศฺรตุํ ปฺฤถิวฺยา: สีมาต อาคจฺฉตฺ กินฺตุ ปศฺยต สุเลมาโนปิ คุรุตร เอโก ชโน'สฺมินฺ สฺถาเน วิทฺยเตฯ
न्याय-दिवस पर दक्षिण की रानी इस पीढ़ी के साथ खड़ी होगी और इसे धिक्कारेगी क्योंकि वह पृथ्वी के छोर से यात्रा कर राजा शलोमोन के ज्ञान को सुनने आई थी; किंतु यहां तो वह है, जो राजा शलोमोन से भी बढ़कर है.
32 อปรญฺจ วิจารสมเย นีนิวียโลกา อปิ วรฺตฺตมานกาลิกานำ โลกานำ ไวปรีเตฺยน โปฺรตฺถาย ตานฺ โทษิณ: กริษฺยนฺติ, ยโต เหโตเสฺต ยูนโส วากฺยาตฺ จิตฺตานิ ปริวรฺตฺตยามาสุ: กินฺตุ ปศฺยต ยูนโสติคุรุตร เอโก ชโน'สฺมินฺ สฺถาเน วิทฺยเตฯ
न्याय-दिवस पर नीनवे नगर की जनता इस पीढ़ी के साथ उपस्थित होगी और इसे धिक्कारेगी क्योंकि उसने तो भविष्यवक्ता योनाह के प्रचार के परिणामस्वरूप पश्चाताप कर लिया, किंतु यहां तो वह है, जो भविष्यवक्ता योनाह से भी बढ़कर है.
33 ปฺรทีปํ ปฺรชฺวาลฺย โทฺรณสฺยาธ: กุตฺราปิ คุปฺตสฺถาเน วา โกปิ น สฺถาปยติ กินฺตุ คฺฤหปฺรเวศิโภฺย ทีปฺตึ ทาตํ ทีปาธาโรปรฺเยฺยว สฺถาปยติฯ
“दीप जलाकर कोई भी उसे न तो ऐसे स्थान पर रखता है, जहां वह छुप जाए और न ही किसी बर्तन के नीचे; परंतु वह उसे उसके नियत स्थान पर रखता है, कि जो प्रवेश करते हैं, देख सकें.
34 เทหสฺย ปฺรทีปศฺจกฺษุสฺตสฺมาเทว จกฺษุ รฺยทิ ปฺรสนฺนํ ภวติ ตรฺหิ ตว สรฺวฺวศรีรํ ทีปฺติมทฺ ภวิษฺยติ กินฺตุ จกฺษุ รฺยทิ มลีมสํ ติษฺฐติ ตรฺหิ สรฺวฺวศรีรํ สานฺธการํ สฺถาสฺยติฯ
तुम्हारे शरीर का दीपक तुम्हारी आंख हैं. यदि तुम्हारी आंख निरोगी हैं, तुम्हारा सारा शरीर उजियाला होगा किंतु यदि तुम्हारी आंखें रोगी हैं, तो तुम्हारा शरीर भी अंधियारा होगा.
35 อสฺมาตฺ การณาตฺ ตวานฺต: สฺถํ โชฺยติ รฺยถานฺธการมยํ น ภวติ ตทรฺเถ สาวธาโน ภวฯ
ध्यान रहे कि तुम्हारे भीतर छिपा हुआ उजाला अंधकार न हो.
36 ยต: ศรีรสฺย กุตฺราปฺยํเศ สานฺธกาเร น ชาเต สรฺวฺวํ ยทิ ทีปฺติมตฺ ติษฺฐติ ตรฺหิ ตุภฺยํ ทีปฺติทายิโปฺรชฺชฺวลนฺ ปฺรทีป อิว ตว สวรฺวศรีรํ ทีปฺติมทฺ ภวิษฺยติฯ
इसलिये यदि तुम्हारा सारा शरीर उजियाला है, उसमें ज़रा सा भी अंधकार नहीं है, तब वह सब जगह उजाला देगा—जैसे एक दीप अपने उजाले से तुम्हें उजियाला देता है.”
37 เอตตฺกถายา: กถนกาเล ผิรุเศฺยโก เภชนาย ตํ นิมนฺตฺรยามาส, ตต: ส คตฺวา โภกฺตุมฺ อุปวิเวศฯ
जब प्रभु येशु अपना प्रवचन समाप्त कर चुके, एक फ़रीसी ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया. प्रभु येशु उसके साथ गए तथा भोजन के लिए बैठ गए.
38 กินฺตุ โภชนาตฺ ปูรฺวฺวํ นามางฺกฺษีตฺ เอตทฺ ทฺฤษฺฏฺวา ส ผิรุศฺยาศฺจรฺยฺยํ เมเนฯ
उस फ़रीसी को यह देख आश्चर्य हुआ कि भोजन के पूर्व प्रभु येशु ने हाथ नहीं धोए.
39 ตทา ปฺรภุสฺตํ โปฺรวาจ ยูยํ ผิรูศิโลกา: ปานปาตฺราณำ โภชนปาตฺราณาญฺจ พหิ: ปริษฺกุรุถ กินฺตุ ยุษฺมากมนฺต เรฺทาราตฺไมฺย รฺทุษฺกฺริยาภิศฺจ ปริปูรฺณํ ติษฺฐติฯ
प्रभु येशु ने इस पर उससे कहा, “तुम फ़रीसी प्याले और थाली को बाहर से तो साफ़ करते हो किंतु तुम्हारे हृदय लोभ और दुष्टता से भरे हुए हैं.
40 เห สรฺเวฺว นิรฺโพธา โย พหิ: สสรฺช ส เอว กิมนฺต รฺน สสรฺช?
निर्बुद्धियों! जिसने बाहरी भाग बनाया है, क्या उसी ने अंदरूनी भाग नहीं बनाया?
41 ตต เอว ยุษฺมาภิรนฺต: กรณํ (อีศฺวราย) นิเวทฺยตำ ตสฺมินฺ กฺฤเต ยุษฺมากํ สรฺวฺวาณิ ศุจิตำ ยาสฺยนฺติฯ
तुममें जो अंदर बसा हुआ है, उसे दान में दे दो, तब तुम और तुम्हारे संस्कार शुद्ध हो पाएंगे.
42 กินฺตุ หนฺต ผิรูศิคณา ยูยํ นฺยายมฺ อีศฺวเร เปฺรม จ ปริตฺยชฺย โปทินายา อรุทาทีนำ สรฺเวฺวษำ ศากานาญฺจ ทศมำศานฺ ทตฺถ กินฺตุ ปฺรถมํ ปาลยิตฺวา เศษสฺยาลงฺฆนํ ยุษฺมากมฺ อุจิตมาสีตฺฯ
“धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम परमेश्वर को अपने पुदीना, ब्राम्ही तथा अन्य हर एक साग-पात का दसवां अंश तो देते हो किंतु मनुष्यों के प्रति न्याय और परमेश्वर के प्रति प्रेम की उपेक्षा करते हो. ये ही वे चीज़ें हैं, जिनको पूरा करना आवश्यक है—अन्यों की उपेक्षा किए बिना.
43 หา หา ผิรูศิโน ยูยํ ภชนเคเห โปฺรจฺจาสเน อาปเณษุ จ นมสฺกาเรษุ ปฺรียเธฺวฯ
“धिक्कार है तुम पर, फ़रीसियो! तुम्हें सभागृहों में प्रधान आसन तथा नगर चौक में लोगों द्वारा सम्मान भरा नमस्कार पसंद है.
44 วต กปฏิโน'ธฺยาปกา: ผิรูศินศฺจ โลกายตฺ ศฺมศานมฺ อนุปลภฺย ตทุปริ คจฺฉนฺติ ยูยมฺ ตาทฺฤคปฺรกาศิตศฺมศานวาทฺ ภวถฯ
“धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम उन छिपी हुई कब्रों के समान हो जिन पर लोग अनजाने ही चलते फिरते हैं.”
45 ตทานีํ วฺยวสฺถาปกานามฺ เอกา ยีศุมวทตฺ, เห อุปเทศก วาเกฺยเนทฺฤเศนาสฺมาสฺวปิ โทษมฺ อาโรปยสิฯ
एक वकील ने प्रभु येशु से कहा, “गुरुवर! ऐसा कहकर आप हमारा भी अपमान कर रहे हैं.”
46 ตต: ส อุวาจ, หา หา วฺยวสฺถาปกา ยูยมฺ มานุษาณามฺ อุปริ ทุ: สหฺยานฺ ภารานฺ นฺยสฺยถ กินฺตุ สฺวยมฺ เอกางฺคุลฺยาปิ ตานฺ ภารานฺ น สฺปฺฤศถฯ
प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “धिक्कार है तुम पर भी, वकीलों! क्योंकि तुम लोगों पर नियमों का ऐसा बोझ लाद देते हो, जिसको उठाना कठिन होता है, जबकि तुम स्वयं उनकी सहायता के लिए अपनी उंगली से छूते तक नहीं.
47 หนฺต ยุษฺมากํ ปูรฺวฺวปุรุษา ยานฺ ภวิษฺยทฺวาทิโน'วธิษุเสฺตษำ ศฺมศานานิ ยูยํ นิรฺมฺมาถฯ
“धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम भविष्यद्वक्ताओं के लिए स्मारक बनाते हो, जबकि तुम्हारे अपने पूर्वजों ने ही उन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी.
48 เตไนว ยูยํ สฺวปูรฺวฺวปุรุษาณำ กรฺมฺมาณิ สํมนฺยเธฺว ตเทว สปฺรมาณํ กุรุถ จ, ยตเสฺต ตานวธิษุ: ยูยํ เตษำ ศฺมศานานิ นิรฺมฺมาถฯ
इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों के कुकर्मों के गवाह हो और इसका पूरी तरह समर्थन करते हो—क्योंकि ये ही थे, जिन्होंने भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी और अब तुम उन्हीं के स्मारक बनाते हो.
49 อเตอว อีศฺวรสฺย ศาสฺเตฺร โปฺรกฺตมสฺติ เตษามนฺติเก ภวิษฺยทฺวาทิน: เปฺรริตำศฺจ เปฺรษยิษฺยามิ ตตเสฺต เตษำ กำศฺจน หนิษฺยนฺติ กำศฺจน ตาฑศฺษฺยินฺติฯ
इसलिये परमेश्वर की बुद्धि का भी यह कहना है: ‘मैं उनके पास भविष्यवक्ता और प्रेरित भेजूंगा. वे उनमें से कुछ की हत्या कर देंगे तथा कुछ को उत्पीड़ित करेंगे
50 เอตสฺมาตฺ การณาตฺ หาพิล: โศณิตปาตมารภฺย มนฺทิรยชฺญเวโทฺย รฺมเธฺย หตสฺย สิขริยสฺย รกฺตปาตปรฺยฺยนฺตํ
कि सृष्टि की स्थापना से लेकर आज तक सारे भविष्यद्वक्ताओं के लहू बहने का हिसाब इसी पीढ़ी से लिया जाए;
51 ชคต: สฺฤษฺฏิมารภฺย ปฺฤถิวฺยำ ภวิษฺยทฺวาทินำ ยติรกฺตปาตา ชาตาสฺตตีนามฺ อปราธทณฺฑา เอษำ วรฺตฺตมานโลกานำ ภวิษฺยนฺติ, ยุษฺมานหํ นิศฺจิตํ วทามิ สรฺเวฺว ทณฺฑา วํศสฺยาสฺย ภวิษฺยนฺติฯ
हाबिल से लेकर ज़करयाह तक, जिनकी हत्या वेदी तथा मंदिर के मध्य की गई थी. हां, मेरा विश्वास करो: इसका हिसाब इसी पीढ़ी से लिया जाएगा.’
52 หา หา วฺยวสฺถปกา ยูยํ ชฺญานสฺย กุญฺจิกำ หฺฤตฺวา สฺวยํ น ปฺรวิษฺฏา เย ปฺรเวษฺฏุญฺจ ปฺรยาสินสฺตานปิ ปฺรเวษฺฏุํ วาริตวนฺต: ฯ
“धिक्कार है तुम पर, वकीलों! तुमने ज्ञान की कुंजी तो ले ली हैं, किंतु तुमने ही इसमें प्रवेश नहीं किया, और जो इसमें प्रवेश कर रहे थे, उनका भी मार्ग बंद कर दिया है.”
53 อิตฺถํ กถากถนาทฺ อธฺยาปกา: ผิรูศินศฺจ สตรฺกา:
प्रभु येशु के वहां से निकलने पर शास्त्री और फ़रीसी, जो उनके कट्टर विरोधी हो गए थे, उनसे अनेक विषयों पर कठिन प्रश्न करने लगे.
54 สนฺตสฺตมปวทิตุํ ตสฺย กถายา โทษํ ธรฺตฺตมิจฺฉนฺโต นานาขฺยานกถนาย ตํ ปฺรวรฺตฺตยิตุํ โกปยิตุญฺจ ปฺราเรภิเรฯ
वे इस घात में थे कि वे प्रभु येशु को उनके ही किसी कथन द्वारा फंसा लें.