< प्रेषि. 17 >

1 नंतर ते अंफिपुली व अपुल्लोनिया या शहरांच्यामधून जाऊन थेस्सलनीकास शहरास गेले, तेथे यहूद्यांचे सभास्थान होते.
ପୌଲସୀଲୌ ଆମ୍ଫିପଲ୍ୟାପଲ୍ଲୋନିଯାନଗରାଭ୍ୟାଂ ଗତ୍ୱା ଯତ୍ର ଯିହୂଦୀଯାନାଂ ଭଜନଭୱନମେକମ୍ ଆସ୍ତେ ତତ୍ର ଥିଷଲନୀକୀନଗର ଉପସ୍ଥିତୌ|
2 तेथे पौलाने आपल्या परिपाठाप्रमाणे त्याच्याकडे जाऊन तीन शब्बाथ त्यांच्याबरोबर शास्त्रलेखावरून वादविवाद केला.
ତଦା ପୌଲଃ ସ୍ୱାଚାରାନୁସାରେଣ ତେଷାଂ ସମୀପଂ ଗତ୍ୱା ୱିଶ୍ରାମୱାରତ୍ରଯେ ତୈଃ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ଧର୍ମ୍ମପୁସ୍ତକୀଯକଥାଯା ୱିଚାରଂ କୃତୱାନ୍|
3 त्यांने शास्त्रलेखाचा उलगडा करून असे प्रतिपादन केले की, ख्रिस्ताने दुःख सोसावे व मरण पावलेल्यांमधून पुन्हा उठावे ह्याचे अगत्य होते आणि ज्या येशूची मी तुमच्यापुढे घोषणा करीत आहे तोच तो ख्रिस्त आहे.
ଫଲତଃ ଖ୍ରୀଷ୍ଟେନ ଦୁଃଖଭୋଗଃ କର୍ତ୍ତୱ୍ୟଃ ଶ୍ମଶାନଦୁତ୍ଥାନଞ୍ଚ କର୍ତ୍ତୱ୍ୟଂ ଯୁଷ୍ମାକଂ ସନ୍ନିଧୌ ଯସ୍ୟ ଯୀଶୋଃ ପ୍ରସ୍ତାୱଂ କରୋମି ସ ଈଶ୍ୱରେଣାଭିଷିକ୍ତଃ ସ ଏତାଃ କଥାଃ ପ୍ରକାଶ୍ୟ ପ୍ରମାଣଂ ଦତ୍ୱା ସ୍ଥିରୀକୃତୱାନ୍|
4 तेव्हा त्याच्यापैकी काही जणांची खातरी होऊन पौल सीला ह्यांना येऊन मिळाले; आणि ग्रीक उपासक ह्यांचा मोठा समुदाय त्यांना मिळाला, त्यामध्ये प्रमुख स्त्रिया काही थोड्या थोडक्या नव्हत्या.
ତସ୍ମାତ୍ ତେଷାଂ କତିପଯଜନା ଅନ୍ୟଦେଶୀଯା ବହୱୋ ଭକ୍ତଲୋକା ବହ୍ୟଃ ପ୍ରଧାନନାର୍ୟ୍ୟଶ୍ଚ ୱିଶ୍ୱସ୍ୟ ପୌଲସୀଲଯୋଃ ପଶ୍ଚାଦ୍ଗାମିନୋ ଜାତାଃ|
5 परंतु यहूद्यांनी हेव्याने आपणाबरोबर बाजारचे काही गुंड लोक घेऊन व घोळका जमवून नगरांत घबराट निर्माण केली आणि यासोनाच्या घरावर हल्ला करून त्यांना लोंकाकडे बाहेर काढून आणण्याची खटपट करून पाहिली.
କିନ୍ତୁ ୱିଶ୍ୱାସହୀନା ଯିହୂଦୀଯଲୋକା ଈର୍ଷ୍ୟଯା ପରିପୂର୍ଣାଃ ସନ୍ତୋ ହଟଟ୍ସ୍ୟ କତିନଯଲମ୍ପଟଲୋକାନ୍ ସଙ୍ଗିନଃ କୃତ୍ୱା ଜନତଯା ନଗରମଧ୍ୟେ ମହାକଲହଂ କୃତ୍ୱା ଯାସୋନୋ ଗୃହମ୍ ଆକ୍ରମ୍ୟ ପ୍ରେରିତାନ୍ ଧୃତ୍ୱା ଲୋକନିୱହସ୍ୟ ସମୀପମ୍ ଆନେତୁଂ ଚେଷ୍ଟିତୱନ୍ତଃ|
6 परंतु त्यांचा शोध लागला नाही तेव्हा त्यांनी यासोनाला व कित्येक बंधूना नगराच्या अधिकाऱ्यांकडे ओढीत नेऊन आरडाओरड करीत म्हटले, ज्यांनी जगाची उलटापालट केली ते येथेही आले आहेत.
ତେଷାମୁଦ୍ଦେଶମ୍ ଅପ୍ରାପ୍ୟ ଚ ଯାସୋନଂ କତିପଯାନ୍ ଭ୍ରାତୃଂଶ୍ଚ ଧୃତ୍ୱା ନଗରାଧିପତୀନାଂ ନିକଟମାନୀଯ ପ୍ରୋଚ୍ଚୈଃ କଥିତୱନ୍ତୋ ଯେ ମନୁଷ୍ୟା ଜଗଦୁଦ୍ୱାଟିତୱନ୍ତସ୍ତେ ଽତ୍ରାପ୍ୟୁପସ୍ଥିତାଃ ସନ୍ତି,
7 त्यास यासोनाने आपल्या घरात घेतले आहे आणि हे सर्वजण कैसराच्या आज्ञेविरुद्ध वागतात, म्हणजे येशू म्हणून दुसराच कोणी राजा आहे असे म्हणतात.
ଏଷ ଯାସୋନ୍ ଆତିଥ୍ୟଂ କୃତ୍ୱା ତାନ୍ ଗୃହୀତୱାନ୍| ଯୀଶୁନାମକ ଏକୋ ରାଜସ୍ତୀତି କଥଯନ୍ତସ୍ତେ କୈସରସ୍ୟାଜ୍ଞାୱିରୁଦ୍ଧଂ କର୍ମ୍ମ କୁର୍ୱ୍ୱତି|
8 हे ऐकवून त्यांनी लोकांस व शहराच्या अधिकाऱ्यास खवळून सोडले.
ତେଷାଂ କଥାମିମାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଲୋକନିୱହୋ ନଗରାଧିପତଯଶ୍ଚ ସମୁଦ୍ୱିଗ୍ନା ଅଭୱନ୍|
9 मग त्यांनी यासोनाचा व इतरांचा जामीन घेऊन त्यांना सोडून दिले.
ତଦା ଯାସୋନସ୍ତଦନ୍ୟେଷାଞ୍ଚ ଧନଦଣ୍ଡଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ତାନ୍ ପରିତ୍ୟକ୍ତୱନ୍ତଃ|
10 १० नंतर बंधुजनांनी पौल व सीला ह्यांना लागलेच रातोरात बिरुया शहरास पाठवले, ते तेथे पोहचल्यावर यहूदयांचे सभास्थानात गेले.
ତତଃ ପରଂ ଭ୍ରାତୃଗଣୋ ରଜନ୍ୟାଂ ପୌଲସୀଲୌ ଶୀଘ୍ରଂ ବିରଯାନଗରଂ ପ୍ରେଷିତୱାନ୍ ତୌ ତତ୍ରୋପସ୍ଥାଯ ଯିହୂଦୀଯାନାଂ ଭଜନଭୱନଂ ଗତୱନ୍ତୌ|
11 ११ तेथील लोक थेस्सलनीकातल्या लोंकापेक्षा मोठया मनाचे होते; त्यांनी मोठ्या उत्सुकतेने वचनाचा स्वीकार केला आणि या गोष्टी अशाच आहेत की काय ह्याविषयी ते शास्त्रलेखात दररोज शोध करीत गेले.
ତତ୍ରସ୍ଥା ଲୋକାଃ ଥିଷଲନୀକୀସ୍ଥଲୋକେଭ୍ୟୋ ମହାତ୍ମାନ ଆସନ୍ ଯତ ଇତ୍ଥଂ ଭୱତି ନ ୱେତି ଜ୍ଞାତୁଂ ଦିନେ ଦିନେ ଧର୍ମ୍ମଗ୍ରନ୍ଥସ୍ୟାଲୋଚନାଂ କୃତ୍ୱା ସ୍ୱୈରଂ କଥାମ୍ ଅଗୃହ୍ଲନ୍|
12 १२ त्यातील अनेकांनी व बऱ्याच प्रतिष्ठित ग्रीक स्त्रिया व पुरूष ह्यांनी विश्वास ठेवला.
ତସ୍ମାଦ୍ ଅନେକେ ଯିହୂଦୀଯା ଅନ୍ୟଦେଶୀଯାନାଂ ମାନ୍ୟା ସ୍ତ୍ରିଯଃ ପୁରୁଷାଶ୍ଚାନେକେ ୱ୍ୟଶ୍ୱସନ୍|
13 १३ तरीही पौल देवाचे वचन बिरुयातही सांगत आहे हे थेस्सलनीकांतल्या यहूद्यांना समजले तेव्हा त्यांनी तिकडेही जाऊन लोकांस खवळून चेतविले.
କିନ୍ତୁ ବିରଯାନଗରେ ପୌଲେନେଶ୍ୱରୀଯା କଥା ପ୍ରଚାର୍ୟ୍ୟତ ଇତି ଥିଷଲନୀକୀସ୍ଥା ଯିହୂଦୀଯା ଜ୍ଞାତ୍ୱା ତତ୍ସ୍ଥାନମପ୍ୟାଗତ୍ୟ ଲୋକାନାଂ କୁପ୍ରୱୃତ୍ତିମ୍ ଅଜନଯନ୍|
14 १४ त्यावरून बंधुजनांनी पौलाला समुद्राकडे जाण्यास लागलेच पाठवले; आणि सीला व तीमथ्य हे तेथेच राहीले.
ଅତଏୱ ତସ୍ମାତ୍ ସ୍ଥାନାତ୍ ସମୁଦ୍ରେଣ ଯାନ୍ତୀତି ଦର୍ଶଯିତ୍ୱା ଭ୍ରାତରଃ କ୍ଷିପ୍ରଂ ପୌଲଂ ପ୍ରାହିଣ୍ୱନ୍ କିନ୍ତୁ ସୀଲତୀମଥିଯୌ ତତ୍ର ସ୍ଥିତୱନ୍ତୌ|
15 १५ तेव्हा पौलाला पोहचविणाऱ्यांनी त्यास अथेनैपर्यंत नेले आणि सीला व तीमथ्य ह्यांनी आपणाकडे होईल तितके लवकर यावे अशी त्यांची आज्ञा घेउन ते निघाले.
ତତଃ ପରଂ ପୌଲସ୍ୟ ମାର୍ଗଦର୍ଶକାସ୍ତମ୍ ଆଥୀନୀନଗର ଉପସ୍ଥାପଯନ୍ ପଶ୍ଚାଦ୍ ଯୁୱାଂ ତୂର୍ଣମ୍ ଏତତ୍ ସ୍ଥାନଂ ଆଗମିଷ୍ୟଥଃ ସୀଲତୀମଥିଯୌ ପ୍ରତୀମାମ୍ ଆଜ୍ଞାଂ ପ୍ରାପ୍ୟ ତେ ପ୍ରତ୍ୟାଗତାଃ|
16 १६ पौल अथेनैस त्यांची वाट पाहत असता, ते शहर मूर्तींनी भरलेले आहे असे पाहून त्याच्या मनाचा संताप झाला.
ପୌଲ ଆଥୀନୀନଗରେ ତାୱପେକ୍ଷ୍ୟ ତିଷ୍ଠନ୍ ତନ୍ନଗରଂ ପ୍ରତିମାଭିଃ ପରିପୂର୍ଣଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ସନ୍ତପ୍ତହୃଦଯୋ ଽଭୱତ୍|
17 १७ ह्यामुळे तो सभास्थानात यहूदयांबरोबर व उपासक लोकांबरोबर आणि बाजारात जे त्यास आढळत त्यांच्याबरोबर दररोज वाद घालीत असे.
ତତଃ ସ ଭଜନଭୱନେ ଯାନ୍ ଯିହୂଦୀଯାନ୍ ଭକ୍ତଲୋକାଂଶ୍ଚ ହଟ୍ଟେ ଚ ଯାନ୍ ଅପଶ୍ୟତ୍ ତୈଃ ସହ ପ୍ରତିଦିନଂ ୱିଚାରିତୱାନ୍|
18 १८ तेव्हा एपिकूरपंथी व स्तोयिकपंथी ह्यांच्याबरोबर कित्येक तत्वज्ञांनी त्यास विरोध केला, कित्येक म्हणाले, “हा बडबड्या काय बोलतो?” दुसरे म्हणाले, “हा परक्या दैवतांची घोषणा करणारा दिसतो” कारण येशू व पुनरुत्थान ह्याविषयीच्या सुवार्तेची तो घोषणा करीत असे.
କିନ୍ତ୍ୱିପିକୂରୀଯମତଗ୍ରହିଣଃ ସ୍ତୋଯିକୀଯମତଗ୍ରାହିଣଶ୍ଚ କିଯନ୍ତୋ ଜନାସ୍ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ୱ୍ୟୱଦନ୍ତ| ତତ୍ର କେଚିଦ୍ ଅକଥଯନ୍ ଏଷ ୱାଚାଲଃ କିଂ ୱକ୍ତୁମ୍ ଇଚ୍ଛତି? ଅପରେ କେଚିଦ୍ ଏଷ ଜନଃ କେଷାଞ୍ଚିଦ୍ ୱିଦେଶୀଯଦେୱାନାଂ ପ୍ରଚାରକ ଇତ୍ୟନୁମୀଯତେ ଯତଃ ସ ଯୀଶୁମ୍ ଉତ୍ଥିତିଞ୍ଚ ପ୍ରଚାରଯତ୍|
19 १९ नंतर त्यांनी त्यास धरून अरियपग टेकडीवर नेऊन म्हटले, “तुम्ही दिलेली ही नवी शिकवण काय हे आम्हास समजून सांगाल काय? कारण तुम्ही आम्हास अपरिचित गोष्टी ऐकवत आहा; ह्याचा अर्थ काय हे समजून घ्यावे अशी आमची इच्छा आहे.
ତେ ତମ୍ ଅରେଯପାଗନାମ ୱିଚାରସ୍ଥାନମ୍ ଆନୀଯ ପ୍ରାୱୋଚନ୍ ଇଦଂ ଯନ୍ନୱୀନଂ ମତଂ ତ୍ୱଂ ପ୍ରାଚୀକଶ ଇଦଂ କୀଦୃଶଂ ଏତଦ୍ ଅସ୍ମାନ୍ ଶ୍ରାୱଯ;
20 २० कारण तुम्ही आम्हास अपरिचित गोष्टी ऐकवित आहा; त्याचा अर्थ काय हे समजून घ्यावे अशी आमची इच्छा आहे.”
ଯାମିମାମ୍ ଅସମ୍ଭୱକଥାମ୍ ଅସ୍ମାକଂ କର୍ଣଗୋଚରୀକୃତୱାନ୍ ଅସ୍ୟା ଭାୱାର୍ଥଃ କ ଇତି ୱଯଂ ଜ୍ଞାତୁମ୍ ଇଚ୍ଛାମଃ|
21 २१ काहीतरी नवलविशेष सांगितल्या ऐकल्याशिवाय सर्व अथेनैकर व तेथे राहणारे परके लोक ह्यांचा वेळ जात नसे.
ତଦାଥୀନୀନିୱାସିନସ୍ତନ୍ନଗରପ୍ରୱାସିନଶ୍ଚ କେୱଲଂ କସ୍ୟାଶ୍ଚନ ନୱୀନକଥାଯାଃ ଶ୍ରୱଣେନ ପ୍ରଚାରଣେନ ଚ କାଲମ୍ ଅଯାପଯନ୍|
22 २२ तेव्हा पौल अरियपगाच्या मध्यभागी उभा राहून म्हणाला अहो अथेनैकरांनो, तुम्ही सर्वबाबतीत देवदेवतांना फार मान देणारे आहात असे मला दिसते.
ପୌଲୋଽରେଯପାଗସ୍ୟ ମଧ୍ୟେ ତିଷ୍ଠନ୍ ଏତାଂ କଥାଂ ପ୍ରଚାରିତୱାନ୍, ହେ ଆଥୀନୀଯଲୋକା ଯୂଯଂ ସର୍ୱ୍ୱଥା ଦେୱପୂଜାଯାମ୍ ଆସକ୍ତା ଇତ୍ୟହ ପ୍ରତ୍ୟକ୍ଷଂ ପଶ୍ୟାମି|
23 २३ कारण मी फिरता फिरता तुमच्या उपासनेच्या वस्तू पाहतांना, अज्ञात देवाला ही अक्षरे लिहिलेली वेदी मला आढळली ज्याचे तुम्ही अज्ञानाने भजन करता ते मी तुम्हास जाहीर करतो.
ଯତଃ ପର୍ୟ୍ୟଟନକାଲେ ଯୁଷ୍ମାକଂ ପୂଜନୀଯାନି ପଶ୍ୟନ୍ ‘ଅୱିଜ୍ଞାତେଶ୍ୱରାଯ’ ଏତଲ୍ଲିପିଯୁକ୍ତାଂ ଯଜ୍ଞୱେଦୀମେକାଂ ଦୃଷ୍ଟୱାନ୍; ଅତୋ ନ ୱିଦିତ୍ୱା ଯଂ ପୂଜଯଧ୍ୱେ ତସ୍ୟୈୱ ତତ୍ୱଂ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ପ୍ରତି ପ୍ରଚାରଯାମି|
24 २४ ज्या देवाने जग व त्यातले अवघे निर्माण केले तो स्वर्गाचा व पृथ्वीचा प्रभू असून हातांनी बांधलेल्या इमारतीत राहत नाही.
ଜଗତୋ ଜଗତ୍ସ୍ଥାନାଂ ସର୍ୱ୍ୱୱସ୍ତୂନାଞ୍ଚ ସ୍ରଷ୍ଟା ଯ ଈଶ୍ୱରଃ ସ ସ୍ୱର୍ଗପୃଥିୱ୍ୟୋରେକାଧିପତିଃ ସନ୍ କରନିର୍ମ୍ମିତମନ୍ଦିରେଷୁ ନ ନିୱସତି;
25 २५ आणि त्यास काही उणे आहे, म्हणून मनुष्यांच्या हातून त्याची सेवा घडावी असेही नाही; कारण जीवन प्राण व सर्वकाही तो स्वतः सर्वांना देतो.
ସ ଏୱ ସର୍ୱ୍ୱେଭ୍ୟୋ ଜୀୱନଂ ପ୍ରାଣାନ୍ ସର୍ୱ୍ୱସାମଗ୍ରୀଶ୍ଚ ପ୍ରଦଦାତି; ଅତଏୱ ସ କସ୍ୟାଶ୍ଚିତ୍ ସାମଗ୍ୟ୍ରା ଅଭାୱହେତୋ ର୍ମନୁଷ୍ୟାଣାଂ ହସ୍ତୈଃ ସେୱିତୋ ଭୱତୀତି ନ|
26 २६ आणि त्याने एकापासुन मनुष्यांची सर्व राष्ट्रे निर्माण करून त्यांनी पृथ्वीच्या संबध पाठीवर रहावे असे केले आहे; आणि त्याचे नेमलेले समय व त्यांच्या वस्तीच्या सीमा त्याने ठरविल्या आहेत.
ସ ଭୂମଣ୍ଡଲେ ନିୱାସାର୍ଥମ୍ ଏକସ୍ମାତ୍ ଶୋଣିତାତ୍ ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ମନୁଷ୍ୟାନ୍ ସୃଷ୍ଟ୍ୱା ତେଷାଂ ପୂର୍ୱ୍ୱନିରୂପିତସମଯଂ ୱସତିସୀମାଞ୍ଚ ନିରଚିନୋତ୍;
27 २७ यासाठी की, त्यांनी देवाचा शोध या आशेने करावा आणि त्यास कसे तरी प्राप्त करून घ्यावे, तो आपल्यापैकी कोणापासूनही दूर नाही.
ତସ୍ମାତ୍ ଲୋକୈଃ କେନାପି ପ୍ରକାରେଣ ମୃଗଯିତ୍ୱା ପରମେଶ୍ୱରସ୍ୟ ତତ୍ୱଂ ପ୍ରାପ୍ତୁଂ ତସ୍ୟ ଗୱେଷଣଂ କରଣୀଯମ୍|
28 २८ कारण आपण त्याच्याठायी जगतो, वागतो व आहोत तसेच तुमच्या कवीपैकीही कित्येकांनी म्हणले आहे की, आपण वास्तविक त्याचा वंश आहोत.
କିନ୍ତୁ ସୋଽସ୍ମାକଂ କସ୍ମାଚ୍ଚିଦପି ଦୂରେ ତିଷ୍ଠତୀତି ନହି, ୱଯଂ ତେନ ନିଶ୍ୱସନପ୍ରଶ୍ୱସନଗମନାଗମନପ୍ରାଣଧାରଣାନି କୁର୍ମ୍ମଃ, ପୁନଶ୍ଚ ଯୁଷ୍ମାକମେୱ କତିପଯାଃ କୱଯଃ କଥଯନ୍ତି ‘ତସ୍ୟ ୱଂଶା ୱଯଂ ସ୍ମୋ ହି’ ଇତି|
29 २९ तर मग आपण देवाचे वंशज असतांना मनुष्याच्या चातुर्याने व कल्पनेने कोरलेले सोने, रुपे किंवा पाषाण, ह्यांच्या आकृतीसारखा देव आहे असे आपल्याला वाटता कामा नये.
ଅତଏୱ ଯଦି ୱଯମ୍ ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ୱଂଶା ଭୱାମସ୍ତର୍ହି ମନୁଷ୍ୟୈ ର୍ୱିଦ୍ୟଯା କୌଶଲେନ ଚ ତକ୍ଷିତଂ ସ୍ୱର୍ଣଂ ରୂପ୍ୟଂ ଦୃଷଦ୍ ୱୈତେଷାମୀଶ୍ୱରତ୍ୱମ୍ ଅସ୍ମାଭି ର୍ନ ଜ୍ଞାତୱ୍ୟଂ|
30 ३० अज्ञानाच्या काळांकडे देवाने डोळेझाक केली, परंतु आता सर्वांनी सर्वत्र पश्चात्ताप करावा अशी तो मनुष्यांना आज्ञा करतो.
ତେଷାଂ ପୂର୍ୱ୍ୱୀଯଲୋକାନାମ୍ ଅଜ୍ଞାନତାଂ ପ୍ରତୀଶ୍ୱରୋ ଯଦ୍ୟପି ନାୱାଧତ୍ତ ତଥାପୀଦାନୀଂ ସର୍ୱ୍ୱତ୍ର ସର୍ୱ୍ୱାନ୍ ମନଃ ପରିୱର୍ତ୍ତଯିତୁମ୍ ଆଜ୍ଞାପଯତି,
31 ३१ त्याने असा एक दिवस नेमला आहे की, ज्या दिवशी तो आपण नेमलेला मनुष्य येशू याच्याद्वारे जगाचा न्यायनिवाडा नीतिमत्त्वाने करणार आहे; त्याने त्यास मरण पावलेल्यातून उठवून ह्याविषयीचे प्रमाण सर्वास पटवले आहे.
ଯତଃ ସ୍ୱନିଯୁକ୍ତେନ ପୁରୁଷେଣ ଯଦା ସ ପୃଥିୱୀସ୍ଥାନାଂ ସର୍ୱ୍ୱଲୋକାନାଂ ୱିଚାରଂ କରିଷ୍ୟତି ତଦ୍ଦିନଂ ନ୍ୟରୂପଯତ୍; ତସ୍ୟ ଶ୍ମଶାନୋତ୍ଥାପନେନ ତସ୍ମିନ୍ ସର୍ୱ୍ୱେଭ୍ୟଃ ପ୍ରମାଣଂ ପ୍ରାଦାତ୍|
32 ३२ तेव्हा मृतांच्या पुनरुत्थानाविषयी ऐकून कित्येक थट्टा करू लागले, कित्येक म्हणाले, “ह्याविषयी आम्ही तुमचे पुन्हा आणखी ऐकू.”
ତଦା ଶ୍ମଶାନାଦ୍ ଉତ୍ଥାନସ୍ୟ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା କେଚିଦ୍ ଉପାହମନ୍, କେଚିଦୱଦନ୍ ଏନାଂ କଥାଂ ପୁନରପି ତ୍ୱତ୍ତଃ ଶ୍ରୋଷ୍ୟାମଃ|
33 ३३ इतके झाल्यावर पौल त्यांच्यामधून निघून गेला.
ତତଃ ପୌଲସ୍ତେଷାଂ ସମୀପାତ୍ ପ୍ରସ୍ଥିତୱାନ୍|
34 ३४ तरी काही मनुष्यांनी त्यास चिटकून राहून विश्वास ठेवला; त्यामध्ये दिओनुस्य अरिय-पगकर, दामारी नावांची कोणी स्त्री व त्यांच्याबरोबर इतर कित्येक होते.
ତଥାପି କେଚିଲ୍ଲୋକାସ୍ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧଂ ମିଲିତ୍ୱା ୱ୍ୟଶ୍ୱସନ୍ ତେଷାଂ ମଧ୍ୟେ ଽରେଯପାଗୀଯଦିଯନୁସିଯୋ ଦାମାରୀନାମା କାଚିନ୍ନାରୀ କିଯନ୍ତୋ ନରାଶ୍ଚାସନ୍|

< प्रेषि. 17 >