< इब्रानियों 6 >

1 इसलिये हम सिद्धता को अपना लक्ष्य बना लें, मसीह संबंधित प्रारंभिक शिक्षाओं से ऊपर उठकर परिपक्वता की ओर बढ़ें. नींव दोबारा न रखें, जो व्यर्थ की प्रथाओं से मन फिराना और परमेश्वर के प्रति विश्वास,
ܡܛܠ ܗܢܐ ܢܫܒܘܩ ܫܘܪܝܐ ܕܡܠܬܗ ܕܡܫܝܚܐ ܘܢܐܬܐ ܠܓܡܝܪܘܬܐ ܐܘ ܠܡܐ ܬܘܒ ܫܬܐܤܬܐ ܐܚܪܬܐ ܡܪܡܝܬܘܢ ܠܬܝܒܘܬܐ ܡܢ ܥܒܕܐ ܡܝܬܐ ܘܠܗܝܡܢܘܬܐ ܕܒܐܠܗܐ
2 शुद्ध होने के विषय, सिर पर हाथ रखने, मरे हुओं के जी उठने तथा अनंत दंड के विषय है. (aiōnios g166)
ܘܠܝܘܠܦܢܐ ܕܡܥܡܘܕܝܬܐ ܘܕܤܝܡ ܐܝܕܐ ܘܠܩܝܡܬܐ ܕܡܢ ܒܝܬ ܡܝܬܐ ܘܠܕܝܢܐ ܕܠܥܠܡ (aiōnios g166)
3 यदि परमेश्वर हमें आज्ञा दें तो हम ऐसा ही करेंगे.
ܐܢ ܡܪܝܐ ܡܦܤ ܢܥܒܕ ܗܕܐ
4 जिन्होंने किसी समय सच के ज्ञान की ज्योति प्राप्‍त कर ली थी, जिन्होंने स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख लिया था, जो पवित्र आत्मा के सहभागी हो गए थे,
ܐܠܐ ܠܐ ܡܫܟܚܝܢ ܗܢܘܢ ܕܚܕܐ ܙܒܢ ܠܡܥܡܘܕܝܬܐ ܢܚܬܘ ܘܛܥܡܘ ܡܘܗܒܬܐ ܕܡܢ ܫܡܝܐ ܘܢܤܒܘ ܪܘܚܐ ܕܩܘܕܫܐ
5 तथा जो परमेश्वर के उत्तम वचन के, और आनेवाले युग के सामर्थ्य का स्वाद चख लेने के बाद भी (aiōn g165)
ܘܛܥܡܘ ܡܠܬܐ ܛܒܬܐ ܕܐܠܗܐ ܘܚܝܠܐ ܕܥܠܡܐ ܕܥܬܝܕ (aiōn g165)
6 परमेश्वर से दूर हो गए, उन्हें दोबारा पश्चाताप की ओर ले आना असंभव है क्योंकि वे परमेश्वर-पुत्र को अपने लिए दोबारा क्रूस पर चढ़ाने तथा सार्वजनिक रूप से उनका ठट्ठा करने में शामिल हो जाते हैं.
ܕܬܘܒ ܢܚܛܘܢ ܕܡܢ ܕܪܝܫ ܢܬܚܕܬܘܢ ܠܬܝܒܘܬܐ ܘܡܢ ܕܪܝܫ ܢܙܩܦܘܢ ܠܒܪܗ ܕܐܠܗܐ ܘܢܨܥܪܘܢ
7 वह भूमि, जो वृष्टि के जल को सोखकर किसान के लिए उपयोगी उपज उत्पन्‍न करती है, परमेश्वर की ओर से आशीष पाती है.
ܐܪܥܐ ܓܝܪ ܕܐܫܬܝܬ ܡܛܪܐ ܕܐܬܐ ܠܗ ܙܒܢܝܢ ܤܓܝܐܢ ܘܐܘܥܝܬ ܥܤܒܐ ܕܚܫܚ ܠܗܢܘܢ ܕܡܛܠܬܗܘܢ ܡܬܦܠܚܐ ܡܩܒܠܐ ܒܘܪܟܬܐ ܡܢ ܐܠܗܐ
8 किंतु वही भूमि यदि कांटा और ऊंटकटारे उत्पन्‍न करती है तो वह किसी काम की नहीं है तथा शापित होने पर है—आग में जलाया जाना ही उसका अंत है.
ܐܢ ܗܘ ܕܝܢ ܕܬܦܩ ܩܘܪܛܒܐ ܘܕܪܕܪܐ ܗܘܝܐ ܠܗ ܡܤܠܝܬܐ ܘܠܐ ܪܚܝܩܐ ܡܢ ܠܘܛܬܐ ܐܠܐ ܚܪܬܗ ܝܩܕܢܐ ܗܘ
9 प्रियो, हालांकि हमने तुम्हारे सामने इस विषय को इस रीति से स्पष्ट किया है; फिर भी हम तुम्हारे लिए इससे अच्छी वस्तुओं तथा उद्धार से संबंधित आशीषों के प्रति आश्वस्त हैं.
ܡܦܝܤܝܢܢ ܕܝܢ ܥܠܝܟܘܢ ܐܚܝ ܐܝܠܝܢ ܕܫܦܝܪܢ ܘܩܪܝܒܢ ܠܚܝܐ ܐܦܢ ܗܟܢܐ ܡܡܠܠܝܢܢ
10 परमेश्वर अन्यायी नहीं हैं कि उनके सम्मान के लिए तुम्हारे द्वारा पवित्र लोगों के भले के लिए किए गए—तथा अब भी किए जा रहे—भले कामों और तुम्हारे द्वारा उनके लिए अभिव्यक्त प्रेम की उपेक्षा करें.
ܠܐ ܗܘܐ ܓܝܪ ܥܘܠ ܐܠܗܐ ܕܢܛܥܐ ܥܒܕܝܟܘܢ ܘܚܘܒܟܘܢ ܗܘ ܕܚܘܝܬܘܢ ܒܫܡܗ ܕܫܡܫܬܘܢ ܠܩܕܝܫܐ ܘܡܫܡܫܝܬܘܢ
11 हमारी यही इच्छा है कि तुममें से हर एक में ऐसा उत्साह प्रदर्शित हो कि अंत तक तुममें आशा का पूरा निश्चय स्पष्ट दिखाई दे.
ܨܒܝܢܢ ܕܝܢ ܕܐܢܫ ܐܢܫ ܡܢܟܘܢ ܗܝ ܗܕܐ ܚܦܝܛܘܬܐ ܢܚܘܐ ܠܫܘܡܠܝܐ ܕܤܒܪܟܘܢ ܥܕܡܐ ܠܚܪܬܐ
12 तुम आलसी न बनो परंतु उन लोगों के पद-चिह्नों पर चलो, जो विश्वास तथा धीरज द्वारा प्रतिज्ञाओं के वारिस हैं.
ܘܕܠܐ ܬܬܩܛܥ ܠܟܘܢ ܐܠܐ ܕܬܗܘܘܢ ܡܡܪܝܢܐ ܠܗܢܘܢ ܕܒܗܝܡܢܘܬܐ ܘܒܢܓܝܪܘܬ ܪܘܚܐ ܗܘܘ ܝܪܬܐ ܕܡܘܠܟܢܐ
13 परमेश्वर ने जब अब्राहाम से प्रतिज्ञा की तो शपथ लेने के लिए उनके सामने स्वयं से बड़ा और कोई न था, इसलिये उन्होंने अपने ही नाम से यह शपथ ली,
ܠܐܒܪܗܡ ܓܝܪ ܟܕ ܡܠܟ ܠܗ ܐܠܗܐ ܡܛܠ ܕܠܝܬ ܗܘܐ ܠܗ ܕܪܒ ܡܢܗ ܕܢܐܡܐ ܒܗ ܝܡܐ ܒܢܦܫܗ
14 “निश्चयतः मैं तुम्हें आशीष दूंगा और तुम्हारे वंश को बढ़ाता जाऊंगा”
ܘܐܡܪ ܕܡܒܪܟܘ ܐܒܪܟܟ ܘܡܤܓܝܘ ܐܤܓܝܟ
15 इसलिये अब्राहाम धीरज रखकर प्रतीक्षा करते रहे तथा उन्हें वह प्राप्‍त हुआ, जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी.
ܘܗܟܢܐ ܐܓܪ ܪܘܚܗ ܘܩܒܠ ܡܘܠܟܢܐ
16 मनुष्य तो स्वयं से बड़े व्यक्ति की शपथ लेता है; तब दोनों पक्षों के लिए पुष्टि के रूप में ली गई शपथ सभी झगड़ों का अंत कर देती है.
ܒܢܝܢܫܐ ܓܝܪ ܒܕܪܒ ܡܢܗܘܢ ܝܡܝܢ ܘܥܠ ܟܠ ܚܪܝܢ ܕܗܘܐ ܒܝܢܬܗܘܢ ܫܘܠܡܐ ܫܪܝܪܐ ܒܡܘܡܬܐ ܗܘܐ ܠܗ
17 इसी प्रकार परमेश्वर ने इस उद्देश्य से शपथ ली कि वह प्रतिज्ञा के वारिसों को अपने न बदलनेवाले उद्देश्य के विषय में पूरी तरह संतुष्ट करें.
ܡܛܠ ܗܢܐ ܝܬܝܪܐܝܬ ܨܒܐ ܐܠܗܐ ܕܢܚܘܐ ܠܝܪܬܐ ܕܡܘܠܟܢܐ ܕܫܘܘܕܝܗ ܠܐ ܡܫܬܚܠܦ ܘܚܒܫܗ ܒܡܘܡܬܐ
18 इसलिए कि दो न बदलनेवाली वस्तुओं द्वारा, जिनके विषय में परमेश्वर झूठे साबित हो ही नहीं सकते; हमें, जिन्होंने उनकी शरण ली है, उस आशा को सुरक्षित रखने का दृढ़ता से साहस प्राप्‍त हो, जो हमारे सामने प्रस्तुत की गई है.
ܕܒܬܪܬܝܢ ܨܒܘܢ ܕܠܐ ܡܫܬܚܠܦܢ ܕܠܐ ܡܫܟܚ ܐܠܗܐ ܕܢܕܓܠ ܒܗܝܢ ܒܘܝܐܐ ܪܒܐ ܢܗܘܐ ܠܢ ܕܐܬܓܘܤܢ ܒܗ ܘܢܐܚܘܕ ܤܒܪܐ ܕܡܠܝܟ ܠܢ
19 यही आशा हमारे प्राण का लंगर है, स्थिर तथा दृढ़. जो उस पर्दे के भीतर पहुंचता भी है,
ܗܘ ܕܐܝܬܘܗܝ ܠܢ ܐܝܟ ܐܘܩܝܢܐ ܕܠܒܝܟ ܒܢܦܫܢ ܕܠܐ ܬܬܙܝܥ ܘܥܐܠ ܠܓܘ ܡܢ ܐܦܝ ܬܪܥܐ
20 जहां मसीह येशु ने अगुआ होकर हमारे लिए मेलखीज़ेदेक की श्रृंखला के एक अनंत काल का महापुरोहित बनकर प्रवेश किया. (aiōn g165)
ܟܪ ܕܩܕ ܥܠ ܚܠܦܝܢ ܝܫܘܥ ܘܗܘܐ ܟܘܡܪܐ ܠܥܠ ܒܕܡܘܬܗ ܕܡܠܟܝܙܕܩ (aiōn g165)

< इब्रानियों 6 >