< প্রেরিত 7 >
1 তখন মহাযাজক স্তিফানকে জিজ্ঞাসা করলেন, “এসব অভিযোগ কি সত্যি?”
महापुरोहित ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह आरोप सच है?”
2 এর উত্তরে তিনি বললেন, “হে আমার ভাইরা ও পিতৃতুল্য ব্যক্তিরা, আমার কথা শুনুন। আমাদের পিতৃপুরুষ অব্রাহাম, হারণে বসবাস করার পূর্বে তিনি যখন মেসোপটেমিয়ায় বাস করছিলেন, তখন প্রতাপের ঈশ্বর তাঁর কাছে আবির্ভূত হয়েছিলেন।
स्तेफ़ानॉस ने उसे उत्तर दिया, “आदरणीय गुरुवर और बंधुओं,” कृपया सुनिए: महामहिम परमेश्वर ने हमारे पूर्वज अब्राहाम को उनके हारान प्रदेश में आकर बसने के पूर्व, जब वह मेसोपोतामिया में थे, दिव्य दर्शन देते हुए आज्ञा दी:
3 ঈশ্বর বলেছিলেন, ‘তুমি তোমার দেশ ও তোমার আত্মীয়স্বজন ত্যাগ করো এবং আমি যে দেশ তোমাকে দেখাব, সেই দেশে যাও।’
अपने पिता के घर तथा अपने रिश्तेदारों को छोड़कर उस देश को चला जा, जो मैं तुझे दिखाऊंगा.
4 “তাই তিনি কলদীয়দের দেশ ত্যাগ করে হারণে গিয়ে বসতি স্থাপন করলেন। তাঁর পিতার মৃত্যুর পর ঈশ্বর তাঁকে এই দেশে পাঠালেন, যেখানে এখন আপনারা বসবাস করছেন।
“इसलिये वह कसदियों के देश को छोड़कर हारान नगर में बस गए. इसके बाद उनके पिता की मृत्यु के बाद, परमेश्वर उन्हें इस भूमि पर ले आए जिस पर आप निवास कर रहे हैं. परमेश्वर ने उन्हें इस भूभाग का कोई उत्तराधिकार नहीं दिया;
5 তিনি তাঁকে এখানে কোনও অধিকার, এমনকি, পা রাখার মতো একখণ্ড জমিও দান করেননি। কিন্তু ঈশ্বর তাঁকে প্রতিশ্রুতি দিয়েছিলেন যে, তিনি ও তাঁর পরে তাঁর উত্তরপুরুষেরা সেই দেশের অধিকারী হবেন, যদিও সেই সময় অব্রাহামের কোনো সন্তান ছিল না।
यहां तक कि पैर रखने का भी स्थान नहीं. किंतु परमेश्वर ने उनके उस समय निःसंतान होने पर भी उनसे यह प्रतिज्ञा की कि उनके बाद वह उनके वंशजों को यह भूमि उनकी संपत्ति के रूप में प्रदान करेंगे.
6 ঈশ্বর তাঁর সঙ্গে এভাবে কথা বলেছিলেন, ‘জেনে রাখো যে তোমার বংশধরেরা চারশো বছর এমন একটি দেশে অপরিচিত হয়ে বসবাস করবে, যা তাদের নিজস্ব নয়; তারা সেখানে ক্রীতদাসে পরিণত হবে এবং তাদের সাথে দুর্ব্যবহার করা হবে।
तब परमेश्वर ने अब्राहाम से कहा, ‘यह सच है तुम्हारे वंश के लोग पराए देश में परदेशी होकर रहेंगे, जहां उन्हें दास बना लिया जाएगा, और उन्हें चार सौ वर्ष तक दुःख देंगे.
7 কিন্তু যে দেশে তারা ক্রীতদাস হয়ে থাকবে, সেই দেশটিকে আমি শাস্তি দেব।’ ঈশ্বর বলেছিলেন, ‘শেষ পর্যন্ত তারা সেই দেশ থেকে বেরিয়ে আসবে ও এই স্থানে এসে আমার উপাসনা করবে।’
फिर जिस देश के वे दास होंगे, उस देश के लोगों को मैं दंड दूंगा, फिर तुम्हारे वंश के लोग वहां से बहुत धन लेकर निकलेंगे.’
8 তারপর তিনি অব্রাহামকে নিয়মের চিহ্নস্বরূপ সুন্নতের সংস্কার দান করলেন। আর অব্রাহাম, তাঁর ছেলে ইস্হাকের জন্ম দিলেন ও আট দিন পরে তাঁর সুন্নত করলেন। পরে ইস্হাক যাকোবের জন্ম দিলেন ও যাকোব সেই বারোজন পিতৃকুলপতির জন্ম দিলেন।
परमेश्वर ने अब्राहाम के साथ ख़तना की वाचा स्थापित की. जब अब्राहाम के पुत्र यित्सहाक का जन्म हुआ, तो आठवें दिन उनका ख़तना किया गया. यित्सहाक के पुत्र थे याकोब और याकोब से बारह गोत्रपिता पैदा हुए.
9 “যেহেতু পিতৃকুলপতিরা যোষেফের প্রতি ঈর্ষান্বিত হয়েছিলেন, তারা তাঁকে মিশরে ক্রীতদাসরূপে বিক্রি করে দিলেন। কিন্তু ঈশ্বর তাঁর সহবর্তী ছিলেন।
“जलन के कारण गोत्रपिताओं ने योसेफ़ को मिस्र देश में बेच दिया किंतु परमेश्वर की कृपादृष्टि योसेफ़ पर बनी रही.
10 তিনি তাঁকে সমস্ত সংকট থেকে উদ্ধার করলেন। তিনি যোষেফকে প্রজ্ঞা দান করলেন এবং মিশরের রাজা ফরৌণের আনুকূল্য অর্জন করতে সক্ষমতা দিলেন। সেই কারণে, ফরৌণ তাঁকে মিশর ও তাঁর সমস্ত প্রাসাদের উপরে প্রশাসকরূপে নিযুক্ত করলেন।
इसलिये परमेश्वर ने योसेफ़ को सभी यातनाओं से मुक्त कर उन्हें बुद्धि प्रदान की और मिस्र देश के राजा फ़रोह की कृपादृष्टि प्रदान की तथा फ़रोह ने उन्हें मिस्र देश और पूरे राजमहल पर अधिकारी बना दिया.
11 “তারপরে সমস্ত মিশরে ও কনানে এক দুর্ভিক্ষ হল এবং ভীষণ কষ্ট উপস্থিত হল। আমাদের পিতৃপুরুষেরা খাদ্যের সন্ধান পেলেন না।
“तब सारे मिस्र और कनान देश में अकाल पड़ा जिससे हर जगह हाहाकार मच गया और हमारे पूर्वजों के सामने भोजन का अभाव हो गया.
12 যাকোব যখন শুনলেন যে মিশরে শস্য সঞ্চিত আছে, তিনি আমাদের পিতৃপুরুষদের প্রথমবার সেই যাত্রায় পাঠালেন।
किंतु जब याकोब को यह मालूम हुआ कि मिस्र देश में अन्न उपलब्ध है, उन्होंने हमारे पूर्वजों को अन्न लेने वहां भेजा, जिनकी यह पहली मिस्र की यात्रा थी.
13 তাদের দ্বিতীয় যাত্রায় যোষেফ তাঁর ভাইদের কাছে আত্মপরিচয় দিলেন, আর ফরৌণ যোষেফের পরিবারের বিষয়ে জানতে পারলেন।
जब वे अन्न लेने वहां दूसरी बार गए, योसेफ़ ने स्वयं को अपने भाइयों पर प्रकट कर दिया, जिससे फ़रोह योसेफ़ के परिवार से परिचित हो गया.
14 এরপরে যোষেফ নিজের পিতা যাকোব ও তাঁর সমগ্র পরিবারের সব মিলিয়ে পঁচাত্তর জনকে তাঁর কাছে ডেকে পাঠালেন।
तब योसेफ़ ने अपने पिता और सारे परिवार को, जिनकी संख्या पचहत्तर थी, मिस्र देश में बुला लिया.
15 তারপরে যাকোব মিশরে গেলেন। সেখানে তাঁর ও আমাদের পিতৃপুরুষদের মৃত্যু হল।
तब याकोब मिस्र देश में बस गए और वहीं उनकी और हमारे पूर्वजों की मृत्यु हुई.
16 তাঁদের শবদেহ শিখিমে নিয়ে আসা হল এবং অব্রাহাম শিখিমে, হমোরের ছেলেদের কাছ থেকে কিছু অর্থের বিনিময়ে যে কবর কিনেছিলেন, সেখানে তাদের কবর দেওয়া হল।
उनके अवशेष शेकेम नगर लाए गए तथा उन्हें अब्राहाम द्वारा मोल ली गई कंदरा-क़ब्र में रखा गया, जिसे अब्राहाम ने शेकेम नगर के निवासी हामोर के पुत्रों को दाम देकर खरीदा था.
17 “ঈশ্বর অব্রাহামের কাছে যে প্রতিশ্রুতি করেছিলেন, তা পূর্ণ হওয়ার সময় সন্নিকট হলে, মিশরে আমাদের লোকদের সংখ্যা অত্যন্ত বৃদ্ধি পেল।
“जब परमेश्वर द्वारा अब्राहाम से की गई प्रतिज्ञा को पूरी करने का समय आया तब मिस्र देश में हमारे पूर्वजों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो चुकी थी.
18 পরে ‘এমন এক নতুন রাজা মিশরের ক্ষমতায় এলেন, যাঁর কাছে যোষেফের কোনও গুরুত্বই ছিল না।’
उस समय मिस्र में एक नया राजा बना, जो योसेफ़ को नहीं जानता था.
19 তিনি আমাদের পিতৃপুরুষদের সঙ্গে বিশ্বাসঘাতকতাপূর্ণ আচরণ করলেন এবং তিনি বলপ্রয়োগ করে তাদের নবজাত সন্তানদের বাইরে ফেলে দিতে বললেন, যেন তারা মারা যায়। এভাবে তারা আমাদের পূর্বপুরুষদের উপরে অত্যাচার করলেন।
उसने हमारे पूर्वजों के साथ चालाकी से बुरा व्यवहार किया और नवजात शिशुओं को नाश करने के लिए विवश किया कि एक भी शिशु बचा न रहे.
20 “সেই সময়ে মোশির জন্ম হয়। তিনি কোনো সাধারণ শিশু ছিলেন না। তিন মাস পর্যন্ত তিনি তাঁর বাবার বাড়িতে প্রতিপালিত হলেন।
“इसी काल में मोशेह का जन्म हुआ. वह परमेश्वर की दृष्टि में चाहने योग्य थे. तीन माह तक उनका पालन पोषण उनके पिता के ही परिवार में हुआ.
21 তাঁকে যখন বাইরে রেখে দেওয়া হল, ফরৌণের মেয়ে তাঁকে তুলে নিলেন ও তাঁর নিজের ছেলের মতো তাঁকে প্রতিপালন করলেন।
जब उनको छुपाए रखना असंभव हो गया, तब फ़रोह की पुत्री उन्हें ले गई. उसने उनका पालन पोषण अपने पुत्र जैसे किया.
22 মোশি মিশরীয় সমস্ত জ্ঞান-বিদ্যায় শিক্ষিত হয়ে উঠলেন। কথায় ও কাজে তিনি পরাক্রমী ছিলেন।
मिस्र देश की सारी विद्या में मोशेह को प्रशिक्षित किया गया. वह बातचीत और कर्तव्य-पालन करने में प्रभावशाली थे.
23 “মোশির বয়স যখন চল্লিশ বছর, তিনি তাঁর সহ-ইস্রায়েলীদের খোঁজ করবেন বলে স্থির করলেন।
“जब मोशेह लगभग चालीस वर्ष के हुए, उनके मन में अपने इस्राएली बंधुओं से भेंट करने का विचार आया.
24 তিনি দেখলেন, তাদের একজনের প্রতি এক মিশরীয় অন্যায় আচরণ করছে। তাই তিনি তার প্রতিরক্ষায় গেলেন এবং সেই মিশরীয়কে হত্যা করে তার প্রতিশোধ নিলেন।
वहां उन्होंने एक इस्राएली के साथ अन्याय से भरा व्यवहार होते देख उसकी रक्षा की तथा सताए जानेवाले के बदले में मिस्रवासी की हत्या कर दी.
25 মোশি ভেবেছিলেন যে, তাঁর স্বজাতির লোকেরা উপলব্ধি করতে পারবে যে, তাদের উদ্ধারের জন্য ঈশ্বর তাঁকে ব্যবহার করছেন, কিন্তু তারা বুঝতে পারল না।
उनका विचार यह था कि उनके इस काम के द्वारा इस्राएली यह समझ जाएंगे कि परमेश्वर स्वयं उन्हीं के द्वारा इस्राएलियों को मुक्त करा रहे हैं किंतु ऐसा हुआ नहीं.
26 পরের দিন, দুজন ইস্রায়েলী যখন পরস্পর মারামারি করছিল, মোশি তাদের কাছে এলেন। তিনি এই কথা বলে তাদের পুনর্মিলনের চেষ্টা করলেন, ‘ওহে, তোমরা পরস্পর ভাই ভাই, কেন তোমাদের একজন অন্যজনকে আহত করতে চাইছ?’
दूसरे दिन जब उन्होंने आपस में लड़ते हुए दो इस्राएलियों के मध्य यह कहते हुए मेल-मिलाप का प्रयास किया, ‘तुम भाई-भाई हो, क्यों एक दूसरे को आहत करना चाह रहे हो?’
27 “কিন্তু যে লোকটি অপরজনের প্রতি অন্যায় আচরণ করছিল, সে মোশিকে এক পাশে ধাক্কা দিয়ে সরিয়ে বলল, ‘কে তোমাকে আমাদের উপরে শাসক ও বিচারকর্তা নিযুক্ত করেছে?
“उस अन्याय करनेवाले इस्राएली ने मोशेह को धक्का देते हुए कहा, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?
28 গতকাল সেই মিশরীয়টিকে যেমন হত্যা করেছিলে, আমাকেও কি তেমনই হত্যা করতে চাও?’
कहीं तुम्हारा मतलब कल उस मिस्री जैसे मेरी भी हत्या का तो नहीं है? बोलो!’
29 মোশি যখন একথা শুনলেন, তিনি মিদিয়ন দেশে পালিয়ে গেলেন। সেখানে তিনি প্রবাসী হয়ে বসবাস করে দুই ছেলের জন্ম দিলেন।
यह सुन मोशेह वहां से भाग खड़े हुए और मिदियान देश में परदेशी होकर रहने लगे. वहां उनके दो पुत्र पैदा हुए.
30 “চল্লিশ বছর অতিক্রান্ত হওয়ার পর, সীনয় পর্বতের কাছে মরুপ্রান্তরে এক প্রজ্বলিত ঝোপের আগুনের শিখায় এক স্বর্গদূত মোশিকে চাক্ষুষ দর্শন দিলেন।
“चालीस वर्ष व्यतीत होने पर सीनाय पर्वत के बंजर भूमि में एक जलती हुई कंटीली झाड़ी आग की लौ में उन्हें एक स्वर्गदूत दिखाई दिया.
31 তিনি যখন তা দেখলেন, সেই দৃশ্যে তিনি চমৎকৃত হলেন। আরও নিবিড়ভাবে লক্ষ্য করার জন্য যেই তিনি এগিয়ে গেলেন, তিনি প্রভুর কণ্ঠস্বর শুনতে পেলেন:
इस दृश्य ने उन्हें आश्चर्यचकित कर दिया. जब वह इसे नज़दीकी से देखने के उद्देश्य से झाड़ी के पास गए तो परमेश्वर ने उनसे कहा:
32 ‘আমি তোমার পিতৃপুরুষদের ঈশ্বর, অব্রাহাম, ইস্হাক ও যাকোবের ঈশ্বর।’ মোশি ভয়ে কাঁপতে লাগলেন, সেদিকে তাকানোর সাহস তাঁর রইল না।
‘मैं तुम्हारे पूर्वजों के पिता अर्थात् अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब का परमेश्वर हूं.’ मोशेह भय से कांपने लगे और ऊपर आंख उठाने का साहस न कर सके.
33 “তখন প্রভু তাঁকে বললেন, ‘তোমার চটিজুতো খুলে ফেলো, কারণ তুমি যে স্থানে দাঁড়িয়ে আছ সেটি পবিত্র ভূমি।
“प्रभु ने मोशेह से कहा, अपनी पैरों से जूते उतार दो, क्योंकि यह स्थान, जिस पर तुम खड़े हो, पवित्र है.
34 আমি প্রকৃতই মিশরে আমার প্রজাদের উপরে নির্যাতন লক্ষ্য করেছি। আমি তাদের আর্তনাদ শুনেছি ও তাদের মুক্ত করার জন্যই নেমে এসেছি। এখন এসো, আমি তোমাকে মিশরে ফেরত পাঠাই।’
मिस्र देश में मेरी प्रजा पर हो रहा अत्याचार मैंने अच्छी तरह से देखा है. ‘मैंने उनका कराहना भी सुना है. मैं उन्हें मुक्त कराने नीचे उतर आया हूं. सुनो, मैं तुम्हें मिस्र देश भेजूंगा.’
35 “ইনিই সেই মোশি, যাঁকে তারা এই কথা বলে প্রত্যাখ্যান করেছিল, ‘কে তোমাকে শাসক ও বিচারকর্তা নিযুক্ত করেছে’? স্বয়ং ঈশ্বর তাঁকে তাদের শাসক ও উদ্ধারকারীরূপে পাঠিয়েছিলেন সেই স্বর্গদূতের মাধ্যমে, যিনি ঝোপের মধ্যে তাঁকে দর্শন দিয়েছিলেন।
“यह वही मोशेह हैं, जिन्हें इस्राएलियों ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था, ‘किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है?’ परमेश्वर ने उन्हीं को उस स्वर्गदूत द्वारा, जो झाड़ी में उन्हें दिखाई दिया था, राजा तथा छुड़ाने वाला ठहराकर भेज दिया.
36 তিনি তাদের মিশর থেকে বের করে আনলেন এবং মিশরে, লোহিত সাগরে ও চল্লিশ বছর যাবৎ মরুপ্রান্তরে বিভিন্ন বিস্ময়কর কাজ ও অলৌকিক চিহ্নকাজ সম্পন্ন করলেন।
यह वही मोशेह थे, जिन्होंने उनका नायक होकर उन्हें बाहर निकाला और मिस्र देश, लाल सागर तथा चालीस वर्ष बंजर भूमि में अद्भुत चिह्न दिखाते हुए उनका मार्गदर्शन किया.
37 “ইনিই সেই মোশি, যিনি ইস্রায়েলীদের বলেছিলেন, ‘ঈশ্বর তোমাদের ভাইয়ের মধ্য থেকে আমার মতো একজন ভাববাদীর উত্থান ঘটাবেন।’
“यही थे वह मोशेह, जिन्होंने इस्राएल की संतान के सामने यह घोषणा पहले से ही की थी, ‘तुम्हारे ही देशवासियों में से परमेश्वर मेरे ही समान एक भविष्यवक्ता को उठाएंगे.’
38 তিনি সেই মরুপ্রান্তরে জনমণ্ডলীর মধ্যে ছিলেন। তিনি ছিলেন সেই স্বর্গদূতের সঙ্গে, যিনি সীনয় পর্বতের উপরে তাঁর সঙ্গে কথা বলেছিলেন এবং যিনি আমাদের পিতৃপুরুষদের সঙ্গেও ছিলেন। তিনি জীবন্ত বাক্য আমাদের কাছে দেওয়ার জন্য গ্রহণ করেছিলেন।
यह वही हैं, जो बंजर भूमि में इस्राएली समुदाय में उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद थे, जिसने उनसे सीनाय पर्वत पर बातें की और जो हमारे पूर्वजों के साथ थे तथा मोशेह ने तुम्हें सौंप देने के लिए जिनसे जीवित वचन प्राप्त किए.
39 “কিন্তু আমাদের পিতৃপুরুষেরা মোশির আদেশ পালন করতে চাইলেন না। পরিবর্তে, তাঁরা তাঁকে অগ্রাহ্য করলেন ও মনে মনে মিশরের প্রতি ফিরে গেলেন।
“हमारे पूर्वज उनके आज्ञापालन के इच्छुक नहीं थे. वे मन ही मन मिस्र देश की कामना करने लगे.
40 তাঁরা হারোণকে বললেন, ‘আমাদের আগে আগে যাওয়ার উদ্দেশে আমাদের জন্য দেবতা নির্মাণ করো। এই যে মোশি, যিনি আমাদের মিশর থেকে বের করে এনেছিলেন, তাঁর কী হয়েছে, তা আমরা জানি না!’
वे हारोन से कहते रहे, ‘हमारे आगे-आगे जाने के लिए देवताओं को स्थापित करो. इस मोशेह की, जो हमें मिस्र साम्राज्य से बाहर लेकर आया है, कौन जाने क्या हुआ!’
41 সেই সময় তাঁরা বাছুরের আকৃতিবিশিষ্ট একটি মূর্তি নির্মাণ করলেন। তাঁরা তার কাছে বিভিন্ন নৈবেদ্য নিয়ে এলেন এবং তাঁদের হাতে তৈরি মূর্তির সম্মানে এক আনন্দোৎসব পালন করলেন।
तब उन्होंने बछड़े की एक मूर्ति बनाई, उसे बलि चढ़ाई तथा अपने हाथों के कामों पर उत्सव मनाने लगे.
42 কিন্তু ঈশ্বর বিমুখ হলেন এবং আকাশের সূর্য, চাঁদ ও আকাশের তারা উপাসনা করার জন্য তাদের সমর্পণ করলেন। ভাববাদীদের গ্রন্থে যা লেখা আছে, এ তারই সঙ্গে সহমত পোষণ করে: “‘হে ইস্রায়েলের কুল, তোমরা কি মরুভূমিতে চল্লিশ বছর, আমার কাছে বিভিন্ন বলিদান ও নৈবেদ্য নিয়ে এসেছিলে?
इससे परमेश्वर ने उनसे मुंह मोड़कर उन्हें आकाश के नक्षत्रों की उपासना करने के लिए छोड़ दिया, जैसा भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में लिखा है: “‘हे इस्राएल के वंशजों, निर्जन प्रदेश में चालीस साल तक क्या तुमने मुझे बलिदान और भेंट चढ़ाया?
43 তোমরা তুলে ধরেছিলে মোলকের সেই সমাগম তাঁবু ও তোমাদের দেবতা রিফনের প্রতীক, তারকা— যে দুই মূর্তি তোমরা উপাসনার জন্য নির্মাণ করেছিলে। আমি তাই তোমাদের ব্যাবিলনের সীমানার ওপারে নির্বাসনে পাঠাব।’
तुमने देवता मोलेक की वेदी की स्थापना की, अपने देवता रेफ़ान के तारे को ऊंचा किया और उन्हीं की मूर्तियों को आराधना के लिए स्थापित किया. इसलिये मैं तुम्हें बाबेल से दूर निकाल ले जाऊंगा.’
44 “মরুপ্রান্তরে আমাদের পিতৃপুরুষদের সঙ্গে ছিল সেই সাক্ষ্য-তাঁবু। মোশি যে নকশা দেখেছিলেন, সেই অনুযায়ী তাঁকে ঈশ্বরের দেওয়া নির্দেশমতো তা নির্মিত হয়েছিল।
“बंजर भूमि में गवाही का तंबू हमारे पूर्वजों के पास था. इसका निर्माण ठीक-ठीक परमेश्वर द्वारा मोशेह को दिए गए निर्देश के अनुसार किया गया था, जिसका आकार स्वयं मोशेह देख चुके थे.
45 পরবর্তীকালে যিহোশূয়ের আমলে আমাদের পিতৃপুরুষেরা যখন ঈশ্বর দ্বারা তাড়িয়ে দেওয়া জাতিকে উচ্ছেদ করে তাদের দেশ অধিকার করলেন, তখনও তাঁরা সেই সমাগম তাঁবুটি সঙ্গে নিয়ে গেলেন। সেই তাঁবু দাউদের সময় পর্যন্ত সেখানেই ছিল।
हमारे पूर्वज इस गवाही के तंबू को यहोशू के नेतृत्व में अपने साथ उस भूमि पर ले आए, जिसे उन्होंने अपने अधिकार में ले लिया था और जहां से परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों के सामने से राष्ट्रों को निकाल दिया था. ऐसा दावीद के समय तक रहा.
46 তিনি ঈশ্বরের অনুগ্রহ উপভোগ করলেন এবং যাকোবের ঈশ্বরের জন্য একটি আবাসগৃহ নির্মাণ করার জন্য অনুমতি চাইলেন।
दावीद पर परमेश्वर की कृपादृष्टि थी. दावीद ने उनसे याकोब के परमेश्वर के लिए एक निवास स्थान बनाने की आज्ञा चाही.
47 কিন্তু প্রকৃতপক্ষে শলোমন তাঁর জন্য সেই আবাসগৃহ নির্মাণ করেন।
किंतु इस भवन का निर्माण शलोमोन द्वारा किया गया.
48 “যাই হোক, পরাৎপর মানুষের হাতে তৈরি গৃহে বসবাস করেন না। ভাববাদী যেমন বলেন:
“सच तो यह है कि, परम प्रधान परमेश्वर मनुष्य के हाथ से बने भवन में वास नहीं करते. भविष्यवक्ता की घोषणा है:
49 “‘স্বর্গ আমার সিংহাসন ও পৃথিবী আমার পাদপীঠ। প্রভু বলেন, তোমরা আমার জন্য কী ধরনের আবাস নির্মাণ করবে? অথবা, আমার বিশ্রামস্থানই বা হবে কোথায়?
“‘स्वर्ग मेरा सिंहासन तथा पृथ्वी मेरे पैरों की चौकी है. किस प्रकार का घर बनाओगे तुम मेरे लिए? परमेश्वर का कहना है, या कहां होगा मेरा विश्राम स्थान?
50 আমার হাতই কি এই সমস্ত নির্মাণ করেনি?’
क्या ये सभी मेरे ही हाथों की रचना नहीं?’
51 “একগুঁয়ে মানুষ তোমরা, অচ্ছিন্নত্বক তোমাদের হৃদয় ও কান! তোমরাও তোমাদের পিতৃপুরুষদের মতো; তোমরা সবসময়ই পবিত্র আত্মাকে প্রতিরোধ করে থাকো!
“आप, जो हठीले हृदय और कान के ख़तना रहित लोग हैं, हमेशा पवित्र आत्मा का विरोध करते रहते हैं. आप ठीक वही कर रहे हैं, जो आपके पूर्वजों ने किया.
52 তোমাদের পিতৃপুরুষেরা নির্যাতন করেনি, এমন কোনও ভাববাদী কি আছেন? তারা এমনকি, তাঁদেরও হত্যা করেছিল, যাঁরা সেই ধর্মময় পুরুষের আগমনবার্তা ঘোষণা করেছিলেন। আর এখন তোমরাও বিশ্বাসঘাতকতা করে তাঁকে হত্যা করেছ—
क्या कभी भी कोई ऐसा भविष्यवक्ता हुआ है, जिसे आपके पूर्वजों ने सताया न हो? यहां तक कि उन्होंने तो उन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या भी कर दी जिन्होंने उस धर्मी जन के आगमन की पहले से ही घोषणा की थी. यहां उसी की हत्या करके आप लोग विश्वासघाती और हत्यारे बन गए हैं.
53 তোমরা, বিধান গ্রহণ করেছিলে, যা স্বর্গদূতদের মাধ্যমে দেওয়া হয়েছিল, কিন্তু তা পালন করোনি।”
आप वही हैं जिन्हें स्वर्गदूतों द्वारा प्रभावशाली व्यवस्था सौंपी गई थी, फिर भी आपने उसका पालन नहीं किया.”
54 মহাসভার সদস্যরা যখন একথা শুনল, তারা ক্রোধে উন্মত্ত হয়ে তাঁর প্রতি দন্তঘর্ষণ করতে লাগল।
यह सुन सारे सुननेवाले तिलमिला उठे और स्तेफ़ानॉस पर दांत पीसने लगे.
55 কিন্তু স্তিফান, পবিত্র আত্মায় পূর্ণ হয়ে স্বর্গের প্রতি একদৃষ্টে চেয়ে রইলেন। তিনি ঈশ্বরের মহিমা দেখতে পেলেন। আরও দেখলেন যে যীশু ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন।
किंतु पवित्र आत्मा से भरकर स्तेफ़ानॉस ने जब अपनी दृष्टि स्वर्ग की ओर उठाई, उन्होंने परमेश्वर की महिमा को और मसीह येशु को परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए देखा.
56 তিনি বললেন, “দেখো, আমি স্বর্গ খোলা দেখতে পাচ্ছি ও মনুষ্যপুত্র ঈশ্বরের ডানদিকে দাঁড়িয়ে আছেন।”
स्तेफ़ानॉस ने सुननेवालों को संबोधित करते हुए कहा, “वह देखिए! मुझे स्वर्ग खुला हुआ तथा मनुष्य का पुत्र परमेश्वर के दाहिनी ओर खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं.”
57 এতে তারা তাদের কান বন্ধ করল এবং উচ্চকণ্ঠে চিৎকার করে সকলে তাঁর দিকে এগিয়ে গেল।
यह सुनते ही सुननेवालों ने चीखते हुए अपने कानों पर हाथ रख लिए. फिर वे गुस्से में स्तेफ़ानॉस पर एक साथ टूट पड़े.
58 তারা তাঁকে নগরের বাইরে টেনে নিয়ে গেল ও তাঁকে পাথর দিয়ে আঘাত করতে লাগল। ইতিমধ্যে, সাক্ষীরা নিজের নিজের পোশাক খুলে শৌল নামে এক যুবকের পায়ের কাছে রাখল।
उन्होंने स्तेफ़ानॉस को पकड़ा और घसीटते हुए नगर के बाहर ले गए और वहां उन्होंने पथराव करके उनकी हत्या कर दी. इस समय उन्होंने अपने बाहरी कपड़े शाऊल नामक युवक के पास रख छोड़े थे.
59 তারা যখন তাঁকে পাথর দিয়ে আঘাত করছিল, স্তিফান প্রার্থনা করলেন, “প্রভু যীশু, আমার আত্মাকে তুমি গ্রহণ করো।”
जब वे स्तेफ़ानॉस का पथराव कर रहे थे, स्तेफ़ानॉस ने प्रभु से इस प्रकार प्रार्थना की, “प्रभु येशु, मेरी आत्मा को स्वीकार कीजिए.”
60 তারপর তিনি নতজানু হয়ে চিৎকার করে বললেন, “প্রভু, এদের বিরুদ্ধে তুমি এই পাপ গণ্য করো না।” একথা বলার পর তিনি মৃত্যুর কোলে ঢলে পড়লেন।
तब उन्होंने घुटने टेककर ऊंचे शब्द में यह कहा, “प्रभु, इन्हें इस पाप का दोषी न ठहराना.” यह कहते हुए स्तेफ़ानॉस लंबी नींद में सो गए.