< 2 مُلُوك 25 >
وَفِي السَّنَةِ التَّاسِعَةِ لِمُلْكِ صِدْقِيَّا، فِي الْيَوْمِ الْعَاشِرِ مِنَ الشَّهْرِ الْعَاشِرِ، زَحَفَ نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ بِكَامِلِ جَيْشِهِ عَلَى أُورُشَلِيمَ وَحَاصَرَهَا، وَأَقَامَ حَوْلَهَا أَبْرَاجاً. | ١ 1 |
और उसकी सल्तनत के नौवें बरस के दसवें महीने के दसवें दिन, यूँ हुआ कि शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने अपनी सारी फ़ौज के साथ येरूशलेम पर चढ़ाई की, और उसके सामने ख़ैमाज़न हुआ, और उन्होंने उसके सामने चारों तरफ़ घेराबन्दी की।
وَاسْتَمَرَّ حِصَارُ أُورُشَلِيمَ حَتَّى الْعَامِ الْحَادِي عَشَرَ مِنْ مُلْكِ صِدْقِيَّا | ٢ 2 |
और सिदक़ियाह बादशाह की सल्तनत के ग्यारहवें बरस तक शहर का मुहासिरा रहा।
وَفِي الْيَوْمِ التَّاسِعِ مِنَ الشَّهْرِ الرَّابِعِ مِنْ تِلْكَ السَّنَةِ، تَفَاقَمَتِ الْمَجَاعَةُ فِي الْمَدِينَةِ، حَتَّى لَمْ يَجِدْ أَهْلُهَا خُبْزاً يَأْكُلُونَهُ. | ٣ 3 |
चौथे महीने के नौवें दिन से शहर में काल ऐसा सख़्त हो गया, कि मुल्क के लोगों के लिए कुछ खाने को न रहा।
وَفِي تِلْكَ اللَّيْلَةِ فَتَحَ صِدْقِيَّا وَرِجَالُهُ ثُغْرَةً فِي سُورِ الْمَدِينَةِ، وَتَسَلَّلَ مَعَ رِجَالِهِ الْمُحَارِبِينَ مِنْ خِلالِ الْبَوَّابَةِ الْقَائِمَةِ بَيْنَ السُّورَيْنِ نَحْوَ حَدِيقَةِ الْمَلِكِ. وَكَانَ الْكِلْدَانِيُّونَ مُحِيطِينَ بِالْمَدِينَةِ. فَتَوَجَّهَ صِدْقِيَّا وَمُقَاتِلُوهُ إِلَى طَرِيقِ الصَّحْرَاءِ. | ٤ 4 |
तब शहर पनाह में सुराख़ हो गया, और दोनों दीवारों के बीच जो फाटक शाही बाग़ के बराबर था, उससे सब जंगी मर्द रात ही रात भाग गए, उस वक़्त कसदी शहर को घेरे हुए थे और बादशाह ने वीराने का रास्ता लिया।
فَتَعَقَّبَتْ جُيُوشُ الْكِلْدَانِيِّينَ الْمَلِكَ، وَأَدْرَكَتْهُ فِي صَحْرَاءِ أَرِيحَا، بَعْدَ أَنْ تَفَرَّقَتْ قُوَّاتُهُ عَنْهُ. | ٥ 5 |
लेकिन कसदियों की फ़ौज ने बादशाह का पीछा किया और उसे यरीहू के मैदान में जा लिया, और उसका सारा लश्कर उसके पास से तितर बितर हो गया था।
فَأَسَرُوا الْمَلِكَ وَاقْتَادُوهُ إِلَى مَلِكِ بَابِلَ الْمُقِيمِ فِي رَبْلَةَ، وَحَرَّضُّوهُ عَلَى الْقَضَاءِ عَلَيْهِ. | ٦ 6 |
इसलिए वह बादशाह को पकड़ कर रिबला में शाह — ए — बाबुल के पास ले गए, और उन्होंने उस पर फ़तवा दिया।
ثُمَّ قَتَلُوا أَبْنَاءَ صِدْقِيَّا عَلَى مَرْأَى مِنْهُ، وَقَلَعُوا عَيْنَيْهِ، وَقَيَّدُوهُ بِسِلْسِلَتَيْنِ مِنْ نُحَاسٍ، وَسَاقُوهُ إِلَى بَابِلَ. | ٧ 7 |
और उन्होंने सिदक़ियाह के बेटों को उसकी आँखों के सामने ज़बह किया और सिदक़ियाह की आँखें निकाल डालीं और उसे ज़ँजीरों से जकड़कर बाबुल को ले गए।
وَفِي الْيَوْمِ السَّابِعِ مِنَ الشَّهْرِ الْخَامِسِ مِنَ السَّنَةِ التَّاسِعَةِ عَشْرَةَ مِنْ حُكْمِ الْمَلِكِ نَبُوخَذْنَصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ، قَدِمَ نبُوزَرَادَانُ قَائِدُ الْحَرَسِ الْمَلَكِيِّ مِنْ بَابِلَ إِلَى أُورُشَلِيمَ، | ٨ 8 |
और शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के 'अहद के उन्नीसवें साल के पाँचवें महीने के सातवें दिन, शाह — ए — बाबुल का एक ख़ादिम नबूज़रादान जो जिलौदारों का सरदार था येरूशलेम में आया।
وَأَحْرَقَ الْهَيْكَلَ وَقَصْرَ الْمَلِكِ وَسَائِرَ بُيُوتِ أُورُشَلِيمَ، وَكُلَّ مَنَازِلِ الْعُظَمَاءِ. | ٩ 9 |
और उसने ख़ुदावन्द का घर और बादशाह का महल येरूशलेम के सब घर, या'नी हर एक बड़ा घर आग से जला दिया।
وَهَدَمَتْ جُيُوشُ الْكِلْدَانِيِّينَ الَّتِي تَحْتَ إِمْرَةِ رَئِيسِ الْحَرَسِ الْمَلَكِيِّ جَمِيعَ أَسْوَارِ أُورُشَلِيمَ، | ١٠ 10 |
और कसदियों के सारे लश्कर ने जो जिलौदारों के सरदार के साथ थे, येरूशलेम की फ़सील को चारों तरफ़ से गिरा दिया।
وَسَبَى نَبُوزَرَادَانُ بَقِيَّةَ الشَّعْبِ الَّذِي بَقِيَ فِي الْمَدِينَةِ، وَالْهَارِبِينَ الَّذِينَ لَجَأُوا إِلَى مَلِكِ بَابِلَ وَسِوَاهُمْ مِنَ السُّكَّانِ. | ١١ 11 |
और बाक़ी लोगों को जो शहर में रह गए थे, और उनको जिन्होंने अपनों को छोड़ कर शाह — ए — बाबुल की पनाह ली थी, और 'अवाम में से जितने बाक़ी रह गए थे, उन सबको नबूज़रादान जिलौदारों का सरदार क़ैद करके ले गया।
وَلَكِنَّهُ تَرَكَ فِيهَا فُقَرَاءَ الأَرْضِ الْمَسَاكِينَ لِيَزْرَعُوهَا وَيَفْلَحُوهَا. | ١٢ 12 |
पर जिलौदारों के सरदार ने मुल्क के कंगालों को रहने दिया, ताकि खेती और बाग़ों की बाग़बानी करें।
وَحَطَّمَ الْكِلْدَانِيُّونَ أَعْمِدَةَ النُّحَاسِ وَبِرْكَةَ النُّحَاسِ الَّتِي فِي بَيْتِ الرَّبِّ، وَنَقَلُوا نُحَاسَهَا إِلَى بَابِلَ. | ١٣ 13 |
और पीतल के उन सुतूनों को जो ख़ुदावन्द के घर में थे, और कुर्सियों को और पीतल के बड़े हौज़ को, जो ख़ुदावन्द के घर में था, कसदियों ने तोड़ कर टुकड़े — टुकड़े किया और उनका पीतल बाबुल को ले गए।
وَاسْتَوْلَوْا أَيْضاً عَلَى الْقُدُورِ وَالرُّفُوشِ وَالْمَقَاصِّ والصُّحُونِ وَجَمِيعِ آنِيَةِ النُّحَاسِ الَّتِي كَانَتْ تُسْتَخْدَمُ فِي الْهَيْكَلِ. | ١٤ 14 |
और तमाम देगें और बेल्चे और गुलगीर और चम्चे, और पीतल के तमाम बर्तन जो वहाँ काम आते थे ले गए।
وَكَذَلِكَ الْمَجَامِرِ وَالْمَنَاضِحِ. كُلُّ مَا كَانَ مَصْنُوعاً مِنَ ذَهَبٍ أَخَذَهُ قَائِدُ الْحَرَسِ الْمَلَكِيِّ كَذَهَبٍ، وَمَا كَانَ مَصْنُوعاً مِنْ فِضَّةٍ كَفِضَّةٍ. | ١٥ 15 |
और अंगीठियाँ और कटोरे, ग़रज़ जो कुछ सोने का था उसके सोने को, और जो कुछ चाँदी का था उसकी चाँदी को, जिलौदारों का सरदार ले गया।
وَكَانَ مِنَ الْعَسِيرِ وَزْنُ النُّحَاسِ الَّذِي صَنَعَ مِنْهُ سُلَيْمَانُ الْعَمُودَيْنِ وَالْبِرْكَةَ الْوَاحِدَةَ، وَالْقَوَاعِدَ لِهَيْكَلِ الرَّبِّ | ١٦ 16 |
और दोनों सुतून और वह बड़ा हौज़ और वह कुर्सियाँ, जिनको सुलेमान ने ख़ुदावन्द के घर के लिए बनाया था, इन सब चीज़ों के पीतल का वज़न बेहिसाब था।
إِذْ كَانَ ارْتِفَاعُ الْعَمُودِ يَزِيدُ عَلَى ثَمَانِي عَشْرَةَ ذِرَاعاً (نَحْوَ تِسْعَةِ أَمْتَارٍ)، وَقَدْ وُضِعَ عَلَيْهِ تَاجٌ ارْتِفَاعُهُ ثَلاثُ أَذْرُعٍ (نَحْوَ مِتْرٍ وَنِصْفِ الْمِتْرِ)، تُحِيطُ بِهِ الشَّبَكَةُ وَالرُّمَّانَاتُ النُّحَاسِيَّةُ. وَكَانَ الْعَمُودُ الثَّانِي مَصْنُوعاً عَلَى غِرَارِ الْعَمُودِ الأَوَّلِ. | ١٧ 17 |
एक सुतून अठारह हाथ ऊँचा था, और उसके ऊपर पीतल का एक ताज था और वह ताज तीन हाथ बलन्द था; उस ताज पर चारों तरफ़ जालियाँ और अनार की कलियाँ, सब पीतल की बनी हुई थीं; और दूसरे सुतून के लवाज़िम भी जाली समेत इन्हीं की तरह थे।
وَسَبَى رَئِيسُ الْحَرَسِ الْمَلَكِيِّ سَرَايَا رَئِيسَ الْكَهَنَةِ، وَصَفَنْيَا مُسَاعِدَهُ، وَحُرَّاسَ الْبَابِ الثَّلاثَةَ. | ١٨ 18 |
जिलौदारों के सरदार ने सिरायाह सरदार काहिन को और काहिन — ए — सानी सफ़नियाह को और तीनों दरबानों को पकड़ लिया;
وَقَبَضَ عَلَى خَصِيٍّ وَاحِدٍ مِنْ أَهْلِ الْمَدِينَةِ، كَانَ قَائِداً لِلْجَيْشِ، وَعَلَى خَمْسَةِ رِجَالٍ مِنْ نُدَمَاءِ الْمَلِكِ الَّذِينَ تَمَّ الْعُثُورُ عَلَيْهِمْ فِي الْمَدِينَةِ، وَكَاتِبِ قَائِدِ الْجَيْشِ الْمَسْؤولِ عَنِ التَّجْنِيدِ، وَسِتِّينَ رَجُلاً مِنَ الْفَلّاحِينَ أَهْلِ الْمَدِينَةِ. | ١٩ 19 |
और उसने शहर में से एक सरदार को पकड़ लिया जो जंगी मर्दों पर मुक़र्रर था, और जो लोग बादशाह के सामने हाज़िर रहते थे उनमें से पाँच आदमियों को जो शहर में मिले, और लश्कर के बड़े मुहर्रिर को जो अहल — ए — मुल्क की मौजूदात लेता था, और मुल्क के लोगों में से साठ आदमियों को जो शहर में मिले।
وَاقْتَادَهُمْ نَبُوزَرَادَانُ رَئِيسُ الْحَرَسِ إِلَى مَلِكِ بَابِلَ الْمُعَسْكِرِ فِي رَبْلَةَ، | ٢٠ 20 |
इनको जिलौदारों का सरदार नबूज़रादान पकड़ कर शाह — ए — बाबुल के सामने रिबला में ले गया।
فَقَتَلَهُمْ مَلِكُ بَابِلَ فِي رَبْلَةَ فِي أَرْضِ حَمَاةَ. وَهَكَذَا سُبِيَ شَعْبُ يَهُوذَا مِنْ أَرْضِهِ. | ٢١ 21 |
और शाह — ए — बाबुल ने हमात के 'इलाक़े के रिबला में इनको मारा और क़त्ल किया। इसलिए यहूदाह भी अपने मुल्क से ग़ुलाम होकर चला गया।
أَمَّا بَقِيَّةُ الشَّعْبِ الَّذِينَ تَرَكَهُمْ نَبُوخَذْنَصَّرُ مَلِكُ بَابِلَ فِي أَرْضِ يَهُوذَا، فَقَدْ وَكَّلَ عَلَيْهِمْ جَدَلْيَا بْنَ أَخِيقَامَ بْنِ شَافَانَ. | ٢٢ 22 |
जो लोग यहूदाह की सर ज़मीन में रह गए, जिनको नबूकदनज़र शाह — ए — बाबुल ने छोड़ दिया, उन पर उसने जिदलियाह — बिन अख़ीक़ाम — बिन साफ़न को हाकिम मुक़र्रर किया।
وَلَمَّا عَلِمَ رُؤَسَاءُ الْجُيُوشِ وَرِجَالُهُمْ أَنَّ مَلِكَ بَابِلَ قَدْ وَكَّلَ جَدَلْيَا عَلَى الأَرْضِ قَدِمُوا إِلَيْهِ فِي الْمِصْفَاةِ وَهُمْ إِسْماعِيلُ بْنُ نَثَنْيَا، وَيُوحَنَانُ بْنُ قَارِيحَ، وَسَرَايَا بْنُ تَنْحُومَثَ النَّطُوفَاتِيِّ، وَيَازَنْيَا بْنُ الْمَعْكِيِّ، يُرَافِقُهُمْ رِجَالُهُمْ. | ٢٣ 23 |
जब लश्करों के सब सरदारों और उनकी सिपाह ने, या'नी इस्माईल — बिन — नतनियाह और यूहनान बिन क़रीह और सिरायाह बिन ताख़ूमत नातूफ़ाती और याजनियाह बिन मा'काती ने सुना कि शाह — ए — बाबुल ने जिदलियाह को हाकिम बनाया है, तो वह अपने लोगों समेत मिस्फ़ाह में जिदलियाह के पास आए।
فَحَلَفَ جَدَلْيَا لَهُمْ وَلِرِجَالِهِمْ قَائِلاً: «لا تَخَافُوا مِنْ مُوَظَّفِي الْكِلْدَانِيِّينَ. أَقِيمُوا فِي الأَرْضِ وَاخدُمُوا مَلِكَ بَابِلَ فَتَنَالُوا خَيْراً». | ٢٤ 24 |
जिदलियाह ने उनसे और उनकी सिपाह से क़सम खाकर कहा, “कसदियों के मुलाज़िमों से मत डरो; मुल्क में बसे रहो और शाह — ए — बाबुल की ख़िदमत करो और तुम्हारी भलाई होगी।”
وَلَكِنْ فِي الشَّهْرِ السَّابِعِ جَاءَ إِسْماعِيلُ بْنُ نَثَنْيَا بْنِ أَلِيشَمَعَ مِنَ النَّسْلِ الْمَلَكِيِّ، وَعَشْرَةُ رِجَالٍ مَعَهُ وَاغْتَالُوا جَدَلْيَا، وَقَتَلُوا أَيْضاً الْيَهُودَ وَالْكِلْدَانِيِّينَ الْمُقِيمِينَ مَعَهُ فِي الْمِصْفَاةِ. | ٢٥ 25 |
मगर सातवें महीने ऐसा हुआ कि इस्माईल — बिन — नतनियाह — बिन — इलीसमा' जो बादशाह की नस्ल से था, अपने साथ दस मर्द लेकर आया और जिदलियाह को ऐसा मारा कि वह मर गया; और उन यहूदियों और कसदियों को भी जो उसके साथ मिस्फ़ाह में थे क़त्ल किया।
فَهَبَّ جَمِيعُ الشَّعْبِ، صَغِيرُهُمْ وَكَبِيرُهُمْ، وَرُؤَسَاءُ الْجُيُوشِ، وَهَرَبُوا إِلَى مِصْرَ خَوْفاً مِنَ انْتِقَامِ الْكِلْدَانِيِّينَ. | ٢٦ 26 |
तब सब लोग, क्या छोटे क्या बड़े और लोगों के सरदार उठ कर मिस्र को चले गए क्यूँकि वह कसदियों से डरते थे।
وَفِي السَّنَةِ السَّابِعَةِ وَالثَّلاثِينَ لِسَبْيِ يَهُويَاكِينَ مَلِكِ يَهُوذَا، فِي الْيَوْمِ السَّابِعِ وَالْعِشْرِينَ مِنَ الشَّهْرِ الثَّانِي عَشَرَ، أَطْلَقَ أَوِيلُ مَرُودَخُ مَلِكُ بَابِلَ، بِمُنَاسَبَةِ تَوَلِّيهِ الْعَرْشَ، يَهُويَاكِينَ مَلِكَ يَهُوذَا مِنَ السِّجْنِ. | ٢٧ 27 |
और यहूयाकीन शाह — ए — यहूदाह की ग़ुलामी के सैंतीसवें साल के बारहवें महीने के सत्ताइसवें दिन ऐसा हुआ, कि शाह — ए — बाबुल ईवील मरदूक़ ने अपनी सल्तनत के पहले ही साल यहूयाकीन शाह — ए — यहूदाह को क़ैदख़ाने से निकाल कर सरफ़राज़ किया;
وَتَلَطَّفَ بِهِ وَأَكْرَمَهُ إِكْرَاماً فَوْقَ إِكْرَامِهِ لِسَائِرِ الْمُلُوكِ الَّذِينَ مَعَهُ فِي بَابِلَ، | ٢٨ 28 |
और उसके साथ मेहरबानी से बातें कीं, और उसकी कुर्सी उन सब बादशाहों की कुर्सियों से जो उसके साथ बाबुल में थे बलन्द की।
وَأَبْدَلَ ثِيَابَ سِجْنِهِ، فَصَارَ يُنَادِمُ الْمَلِكَ عَلَى مَائِدَتِهِ بِصُورَةٍ دَائِمَةٍ. | ٢٩ 29 |
इसलिए वह अपने क़ैदख़ाने के कपड़े बदलकर उम्र भर बराबर उसके सामने खाना खाता रहा;
وَصَرَفَ لَهُ مَلِكُ بَابِلَ رَاتِباً يَوْمِيًّا كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِهِ. | ٣٠ 30 |
और उसको उम्र भर बादशाह की तरफ़ से वज़ीफ़े के तौर पर हर रोज़ ख़र्चा मिलता रहा।