< مَرْقُس 9 >
وَقَالَ لَهُمُ: «ٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ مِنَ ٱلْقِيَامِ هَهُنَا قَوْمًا لَا يَذُوقُونَ ٱلْمَوْتَ حَتَّى يَرَوْا مَلَكُوتَ ٱللهِ قَدْ أَتَى بِقُوَّةٍ». | ١ 1 |
यीशु न उन्को सी कह्यो, “मय तुम सी सच कहूं हय, कि जो इत खड़ो हंय उन्म सी कोयी कोयी असो हंय, कि जब तक परमेश्वर को राज्य ख सामर्थ संग आतो हुयो नहीं देख ले, तब तक ऊ नहीं मरेंन।”
وَبَعْدَ سِتَّةِ أَيَّامٍ أَخَذَ يَسُوعُ بُطْرُسَ وَيَعْقُوبَ وَيُوحَنَّا، وَصَعِدَ بِهِمْ إِلَى جَبَلٍ عَالٍ مُنْفَرِدِينَ وَحْدَهُمْ. وَتَغَيَّرَتْ هَيْئَتُهُ قُدَّامَهُمْ، | ٢ 2 |
छे दिन को बाद यीशु न पतरस, याकूब अऊर यूहन्ना ख संग ले गयो, अऊर एकान्त म कोयी एक ऊचो पहाड़ी पर ले गयो। उत उन्को सामने यीशु को रूप बदल गयो,
وَصَارَتْ ثِيَابُهُ تَلْمَعُ بَيْضَاءَ جِدًّا كَٱلثَّلْجِ، لَا يَقْدِرُ قَصَّارٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ أَنْ يُبَيِّضَ مِثْلَ ذَلِكَ. | ٣ 3 |
अऊर ओको कपड़ा असो चमकन लग्यो अऊर यहां तक उज्वल भयो, कि धरती पर कोयी धोबी भी वसो उज्वल नहीं कर सकय।
وَظَهَرَ لَهُمْ إِيلِيَّا مَعَ مُوسَى، وَكَانَا يَتَكَلَّمَانِ مَعَ يَسُوعَ. | ٤ 4 |
तीन चेलावों न एलिय्याह अऊर मूसा ख यीशु को संग बाते करतो देख्यो।
فَجَعَلَ بُطْرُسُ يَقولُ لِيَسُوعَ: «يَا سَيِّدِي، جَيِّدٌ أَنْ نَكُونَ هَهُنَا. فَلْنَصْنَعْ ثَلَاثَ مَظَالَّ: لَكَ وَاحِدَةً، وَلِمُوسَى وَاحِدَةً، وَلِإِيلِيَّا وَاحِدَةً». | ٥ 5 |
येको पर पतरस न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हमरो इत रहनो अच्छो हय: येकोलायी हम तीन मण्डा बनायबो, एक तोरो लायी, एक मूसा लायी, अऊर एक एलिय्याह लायी।”
لِأَنَّهُ لَمْ يَكُنْ يَعْلَمُ مَا يَتَكَلَّمُ بِهِ إِذْ كَانُوا مُرْتَعِبِينَ. | ٦ 6 |
पतरस बहुत डर गयो होतो की ओख समझ म नहीं आय रह्यो होतो कि मय का उत्तर देऊ।
وَكَانَتْ سَحَابَةٌ تُظَلِّلُهُمْ. فَجَاءَ صَوْتٌ مِنَ ٱلسَّحَابَةِ قَائِلًا: «هَذَا هُوَ ٱبْنِي ٱلْحَبِيبُ. لَهُ ٱسْمَعُوا». | ٧ 7 |
तब एक बादर न उन्ख झाक दियो, अऊर ऊ बादर म सी यो आवाज निकल्यो, “यो मोरो प्रिय बेटा आय, येकी बाते सुनो।”
فَنَظَرُوا حَوْلَهُمْ بَغْتَةً وَلَمْ يَرَوْا أَحَدًا غَيْرَ يَسُوعَ وَحْدَهُ مَعَهُمْ. | ٨ 8 |
तब उन्न अचानक चारयी तरफ देख क, अऊर यीशु ख छोड़ क अपनो संग अऊर कोयी ख नहीं देख्यो।
وَفِيمَا هُمْ نَازِلُونَ مِنَ ٱلْجَبَلِ، أَوْصَاهُمْ أَنْ لَا يُحَدِّثُوا أَحَدًا بِمَا أَبْصَرُوا، إِلَّا مَتَى قَامَ ٱبْنُ ٱلْإِنْسَانِ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ. | ٩ 9 |
पहाड़ी सी उतरतो समय यीशु न उन्ख आदेश दियो कि जब तक मय आदमी को बेटा मरयो हुयो म सी जीन्दो नहीं होय जाय, तब तक जो कुछ तुम न देख्यो हय ओख कोयी ख मत बतावो।
فَحَفِظُوا ٱلْكَلِمَةَ لِأَنْفُسِهِمْ يَتَسَاءَلُونَ: «مَا هُوَ ٱلْقِيَامُ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ؟». | ١٠ 10 |
उन्न यीशु की आज्ञा ख मान्यो; अऊर आपस म चर्चा करन लग्यो, “मरयो हुयो म सी जीन्दो होन को का मतलब हय?”
فَسَأَلُوهُ قَائِليِنَ: «لِمَاذَا يَقُولُ ٱلْكَتَبَةُ: إِنَّ إِيلِيَّا يَنْبَغِي أَنْ يَأْتِيَ أَوَّلًا؟». | ١١ 11 |
अऊर उन्न यीशु सी पुच्छ्यो, “धर्मशास्त्री कहालीकि कह्य हंय कि एलिय्याह को पहिलो आवनो जरूर हय?”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ إِيلِيَّا يَأْتِي أَوَّلًا وَيَرُدُّ كُلَّ شَيْءٍ. وَكَيْفَ هُوَ مَكْتُوبٌ عَنِ ٱبْنِ ٱلْإِنْسَانِ أَنْ يَتَأَلَّمَ كَثِيرًا وَيُرْذَلَ. | ١٢ 12 |
ओन उन्ख उत्तर दियो, “एलिय्याह सचमुच पहिलो आय क सब कुछ तैयार करन लायी आयेंन, पर मय आदमी को बेटा को बारे म शास्त्र म लिख्यो हय कि बहुत दु: ख उठायेंन, अऊर ठुकरायो जायेंन?
لَكِنْ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ إِيلِيَّا أَيْضًا قَدْ أَتَى، وَعَمِلُوا بِهِ كُلَّ مَا أَرَادُوا، كَمَا هُوَ مَكْتُوبٌ عَنْهُ». | ١٣ 13 |
पर मय तुम सी कहू हय, कि एलिय्याह त आय गयो, अऊर जसो ओको बारे म लिख्यो हय, उन्न जो कुछ चाहयो वसोच ओको संग करयो।”
وَلَمَّا جَاءَ إِلَى ٱلتَّلَامِيذِ رَأَى جَمْعًا كَثِيرًا حَوْلَهُمْ وَكَتَبَةً يُحَاوِرُونَهُمْ. | ١٤ 14 |
जब यीशु चेलावों को जवर आयो, त देख्यो कि उन्को चारयी तरफ बड़ी भीड़ लगी हय अऊर धर्मशास्त्री उन्को संग वाद विवाद कर रह्यो हंय।
وَلِلْوَقْتِ كُلُّ ٱلْجَمْعِ لَمَّا رَأَوْهُ تَحَيَّرُوا، وَرَكَضُوا وَسَلَّمُوا عَلَيْهِ. | ١٥ 15 |
ओख देखतोच सब बहुतच अचम्भित भयो, अऊर ओको तरफ दौड़ क यीशु ख नमस्कार करयो।
فَسَأَلَ ٱلْكَتَبَةَ: «بِمَاذَا تُحَاوِرُونَهُمْ؟» | ١٦ 16 |
यीशु न चेलावों सी पुच्छ्यो, “तुम इन्को सी का बहस कर रह्यो हय?”
فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنَ ٱلْجَمْعِ وَقَالَ: «يَا مُعَلِّمُ، قَدْ قَدَّمْتُ إِلَيْكَ ٱبْنِي بِهِ رُوحٌ أَخْرَسُ، | ١٧ 17 |
भीड़ म सी एक आदमी न ओख उत्तर दियो, “हे गुरु, मय अपनो बेटा ख, जेको म दुष्ट आत्मा समायी हय, ओख तोरो जवर लायो ऊ बोल नहीं सकय।
وَحَيْثُمَا أَدْرَكَهُ يُمَزِّقْهُ فَيُزْبِدُ وَيَصِرُّ بِأَسْنَانِهِ وَيَيْبَسُ. فَقُلْتُ لِتَلَامِيذِكَ أَنْ يُخْرِجُوهُ فَلَمْ يَقْدِرُوا». | ١٨ 18 |
जित कहीं आत्मा ओख पकड़य हय, उतच पटक देवय हय: अऊर ऊ मुंह म फेस लावय हय, अऊर दात कटरय हय, अऊर सूखतो जावय हय। मय न तोरो चेलावों सी कह्यो कि वा बुरी आत्मा ख निकाल दे, पर हि नहीं निकाल सक्यो।”
فَأَجَابَ وَقَالَ لَهُمْ: «أَيُّهَا ٱلْجِيلُ غَيْرُ ٱلْمُؤْمِنِ، إِلَى مَتَى أَكُونُ مَعَكُمْ؟ إِلَى مَتَى أَحْتَمِلُكُمْ؟ قَدِّمُوهُ إِلَيَّ!». | ١٩ 19 |
यो सुन क यीशु न चेलावों सी उत्तर दे क कह्यो, “हे अविश्वासी लोगों, मय कब तक तुम्हरो संग रहूं? अऊर कब तक तुम्हरी सहू? ऊ टुरा ख मोरो जवर लावो।”
فَقَدَّمُوهُ إِلَيْهِ. فَلَمَّا رَآهُ لِلْوَقْتِ صَرَعَهُ ٱلرُّوحُ، فَوَقَعَ عَلَى ٱلْأَرْضِ يَتَمَرَّغُ وَيُزْبِدُ. | ٢٠ 20 |
तब हि बच्चा ख यीशु को जवर लायो: अऊर जब ओन ओख देख्यो, त वा दुष्ट आत्मा न तुरतच ओख मुरकट्यो; अऊर ऊ जमीन पर गिर क, मुंह सी फेस फेकतो लोटन लग्यो।
فَسَأَلَ أَبَاهُ: «كَمْ مِنَ ٱلزَّمَانِ مُنْذُ أَصَابَهُ هَذَا؟». فَقَالَ: «مُنْذُ صِبَاهُ. | ٢١ 21 |
यीशु न ओको बाप सी पुच्छ्यो, “येकी या दशा कब सी हय?” ओन कह्यो, “बचपना सी।
وَكَثِيرًا مَا أَلْقَاهُ فِي ٱلنَّارِ وَفِي ٱلْمَاءِ لِيُهْلِكَهُ. لَكِنْ إِنْ كُنْتَ تَسْتَطِيعُ شَيْئًا فَتَحَنَّنْ عَلَيْنَا وَأَعِنَّا». | ٢٢ 22 |
ओन येख मारन लायी कभी आगी म अऊर कभी पानी म गिरायो; पर यदि तय कुछ कर सकय हय, त हम पर तरस खाय क हमरी मदत कर।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «إِنْ كُنْتَ تَسْتَطِيعُ أَنْ تُؤْمِنَ. كُلُّ شَيْءٍ مُسْتَطَاعٌ لِلْمُؤْمِنِ». | ٢٣ 23 |
यीशु न ओको सी कह्यो, “यदि तय कर सकय हय? त या का बात आय! विश्वास करन वालो लायी सब कुछ होय सकय हय।”
فَلِلْوَقْتِ صَرَخَ أَبُو ٱلْوَلَدِ بِدُمُوعٍ وَقَالَ: «أُومِنُ يَا سَيِّدُ، فَأَعِنْ عَدَمَ إِيمَانِي». | ٢٤ 24 |
बच्चा को बाप न तुरतच गिड़गिड़ाय क कह्यो, “मय विश्वास करू हय, पर मोरो विश्वास कमजोर हय मोरो अविश्वास बड़ावन म मोरी मदत कर।”
فَلَمَّا رَأَى يَسُوعُ أَنَّ ٱلْجَمْعَ يَتَرَاكَضُونَ، ٱنْتَهَرَ ٱلرُّوحَ ٱلنَّجِسَ قَائِلًا لَهُ: «أَيُّهَا ٱلرُّوحُ ٱلْأَخْرَسُ ٱلْأَصَمُّ، أَنَا آمُرُكَ: ٱخْرُجْ مِنْهُ وَلَا تَدْخُلْهُ أَيْضًا!». | ٢٥ 25 |
जब यीशु न देख्यो कि लोग दौड़ क भीड़ लगाय रह्यो हंय, त ओन दुष्ट आत्मा ख यो कह्य क डाट्यो कि, “मुक्की अऊर बहरी आत्मा, मय तोख आदेश देऊ हय, ओको म सी निकल आव, अऊर ओको म फिर कभी मत सिरजो।”
فَصَرَخَ وَصَرَعَهُ شَدِيدًا وَخَرَجَ. فَصَارَ كَمَيْتٍ، حَتَّى قَالَ كَثِيرُونَ: «إِنَّهُ مَاتَ!». | ٢٦ 26 |
तब दुष्ट आत्मा चिल्लाय क अऊर ओख मुरकट क, निकल गयी; अऊर बच्चा मरयो हुयो सो भय गयो, यहां तक कि बहुत लोग कहन लग्यो कि “ऊ मर गयो हय।”
فَأَمْسَكَهُ يَسُوعُ بِيَدِهِ وَأَقَامَهُ، فَقَامَ. | ٢٧ 27 |
पर यीशु न ओको हाथ पकड़ क ओख उठायो, अऊर ऊ खड़ो भय गयो।
وَلَمَّا دَخَلَ بَيْتًا سَأَلَهُ تَلَامِيذُهُ عَلَى ٱنْفِرَادٍ: «لِمَاذَا لَمْ نَقْدِرْ نَحْنُ أَنْ نُخْرِجَهُ؟». | ٢٨ 28 |
जब यीशु घर म आयो, त ओको चेलावों न एकान्त म ओको सी पुच्छ्यो, “हम दुष्ट आत्मा ख कहाली नहीं निकाल सक्यो?”
فَقَالَ لَهُمْ: «هَذَا ٱلْجِنْسُ لَا يُمْكِنُ أَنْ يَخْرُجَ بِشَيْءٍ إِلَّا بِٱلصَّلَاةِ وَٱلصَّوْمِ». | ٢٩ 29 |
यीशु न उन्को सी कह्यो, “यो तरह की दुष्ट आत्मा प्रार्थना करनो सीच निकल सकय हय।”
وَخَرَجُوا مِنْ هُنَاكَ وَٱجْتَازُوا ٱلْجَلِيلَ، وَلَمْ يُرِدْ أَنْ يَعْلَمَ أَحَدٌ، | ٣٠ 30 |
तब यीशु अऊर ओको चेला उत सी निकल क गलील प्रदेश म सी होतो हुयो जाय रह्यो होतो। त ऊ नहीं चाहत होतो कि कोयी ख मालूम पड़यो कि ऊ उत हय,
لِأَنَّهُ كَانَ يُعَلِّمُ تَلَامِيذَهُ وَيَقُولُ لَهُمْ: «إِنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ يُسَلَّمُ إِلَى أَيْدِي ٱلنَّاسِ فَيَقْتُلُونَهُ. وَبَعْدَ أَنْ يُقْتَلَ يَقُومُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ». | ٣١ 31 |
कहालीकि ऊ अपनो चेलावों ख शिक्षा दे रह्यो होतो अऊर उन्को सी कहत होतो, “मय आदमी को बेटा, आदमियों को हाथ म पकड़वायो जाऊं, अऊर हि मोख मार डालेंन; अऊर मय मरन को तीन दिन बाद जीन्दो होय जाऊं।”
وَأَمَّا هُمْ فَلَمْ يَفْهَمُوا ٱلْقَوْلَ، وَخَافُوا أَنْ يَسْأَلُوهُ. | ٣٢ 32 |
पर हि यीशु की बात समझ नहीं सक्यो, कहालीकि हि ओको सी पूछन सी डरत होतो।
وَجَاءَ إِلَى كَفْرِنَاحُومَ. وَإِذْ كَانَ فِي ٱلْبَيْتِ سَأَلَهُمْ: «بِمَاذَا كُنْتُمْ تَتَكَالَمُونَ فِيمَا بَيْنَكُمْ فِي ٱلطَّرِيقِ؟». | ٣٣ 33 |
तब हि कफरनहूम पहुंच्यो; अऊर घर म आय क यीशु न चेलावों सी पुच्छ्यो, “रस्ता म तुम कौन्सी बात पर बहस कर रह्यो होतो?”
فَسَكَتُوا، لِأَنَّهُمْ تَحَاجُّوا فِي ٱلطَّرِيقِ بَعْضُهُمْ مَعَ بَعْضٍ فِي مَنْ هُوَ أَعْظَمُ. | ٣٤ 34 |
पर हि चुप रह्यो, कहालीकि रस्ता म हि आपस म बहस कर रह्यो होतो कि हम म सी बड़ो कौन हय?
فَجَلَسَ وَنَادَى ٱلِٱثْنَيْ عَشَرَ وَقَالَ لَهُمْ: «إِذَا أَرَادَ أَحَدٌ أَنْ يَكُونَ أَوَّلًا فَيَكُونُ آخِرَ ٱلْكُلِّ وَخَادِمًا لِلْكُلِّ». | ٣٥ 35 |
तब यीशु न बैठ क बारयी चेलावों ख बुलायो अऊर उन्को सी कह्यो, “यदि कोयी बड़ो होनो चाहवय, त सब सी छोटो अऊर सब को सेवक बनेंन।”
فَأَخَذَ وَلَدًا وَأَقَامَهُ فِي وَسْطِهِمْ ثُمَّ ٱحْتَضَنَهُ وَقَالَ لَهُمْ: | ٣٦ 36 |
अऊर ओन एक बच्चा ख ले क उन्को बीच म खड़ो करयो, अऊर ओख गोदी म ले क उन्को सी कह्यो,
«مَنْ قَبِلَ وَاحِدًا مِنْ أَوْلَادٍ مِثْلَ هَذَا بِٱسْمِي يَقْبَلُنِي، وَمَنْ قَبِلَنِي فَلَيْسَ يَقْبَلُنِي أَنَا بَلِ ٱلَّذِي أَرْسَلَنِي». | ٣٧ 37 |
“जो कोयी मोरो नाम सी असो बच्चा म सी कोयी एक ख भी स्वीकार करय हय, ऊ मोख स्वीकार करय हय; अऊर जो कोयी मोख स्वीकार करय हय, ऊ मोख नहीं, पर मोरो भेजन वालो ख स्वीकार करय हय।”
فَأَجَابَهُ يُوحَنَّا قَائِلًا: «يَا مُعَلِّمُ، رَأَيْنَا وَاحِدًا يُخْرِجُ شَيَاطِينَ بِٱسْمِكَ وَهُوَ لَيْسَ يَتْبَعُنَا، فَمَنَعْنَاهُ لِأَنَّهُ لَيْسَ يَتْبَعُنَا». | ٣٨ 38 |
तब यूहन्ना न यीशु सी कह्यो, “हे गुरु, हम न एक आदमी ख तोरो नाम सी दुष्ट आत्मावों ख निकालता देख्यो अऊर हम्न ओख रूकन लायी कह्यो, कहालीकि ऊ हमरो झुण्ड म सी नहीं होतो।”
فَقَالَ يَسُوعُ: «لَا تَمْنَعُوهُ، لِأَنَّهُ لَيْسَ أَحَدٌ يَصْنَعُ قُوَّةً بِٱسْمِي وَيَسْتَطِيعُ سَرِيعًا أَنْ يَقُولَ عَلَيَّ شَرًّا. | ٣٩ 39 |
यीशु न कह्यो, “ओख मना मत करो” कहालीकि असो कोयी नहाय जो मोरो नाम सी सामर्थ को काम करय हय, अऊर जल्दी सी मोख बुरो कह्य सकेंन।
لِأَنَّ مَنْ لَيْسَ عَلَيْنَا فَهُوَ مَعَنَا. | ٤٠ 40 |
कहालीकि जो हमरो विरोध म नहाय, ऊ हमरो तरफ हय।
لِأَنَّ مَنْ سَقَاكُمْ كَأْسَ مَاءٍ بِٱسْمِي لِأَنَّكُمْ لِلْمَسِيحِ، فَٱلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّهُ لَا يُضِيعُ أَجْرَهُ. | ٤١ 41 |
जो कोयी एक प्याला पानी तुम्ख येकोलायी पिलायेंन कि तुम मसीह को आय त मय तुम सी सच कहू हय कि ऊ निश्चित रूप सी अपनो पुण्य पायेंन।
«وَمَنْ أَعْثَرَ أَحَدَ ٱلصِّغَارِ ٱلْمُؤْمِنِينَ بِي، فَخَيْرٌ لَهُ لَوْ طُوِّقَ عُنُقُهُ بِحَجَرِ رَحًى وَطُرِحَ فِي ٱلْبَحْرِ. | ٤٢ 42 |
“जो आदमी मोरो पर विश्वास करन वालो इन छोटो म सी छोटो पाप करन लायी उत्साहित करेंन त ओको लायी ठीक यो हय कि एक बड़ो गरहट को पाट ओको गरो म टंगाय क ओख समुन्दर म फेक दियो जाये।”
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ يَدُكَ فَٱقْطَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ ٱلْحَيَاةَ أَقْطَعَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ يَدَانِ وَتَمْضِيَ إِلَى جَهَنَّمَ، إِلَى ٱلنَّارِ ٱلَّتِي لَا تُطْفَأُ. (Geenna ) | ٤٣ 43 |
यदि तोरो हाथ तोरो सी पाप करवावय त ओख काट डाल। तोरो लायी दोयी हाथों को बजाय एक हाथ को जीवन म सिरनो कहीं अच्छो हय बजाय दोयी हाथ वालो होय क नरक म डाल्यो जाये, जहां की आगी कभी नहीं बुझय। (Geenna )
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. | ٤٤ 44 |
जित कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय।
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ رِجْلُكَ فَٱقْطَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ ٱلْحَيَاةَ أَعْرَجَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ رِجْلَانِ وَتُطْرَحَ فِي جَهَنَّمَ فِي ٱلنَّارِ ٱلَّتِي لَا تُطْفَأُ. (Geenna ) | ٤٥ 45 |
यदि तोरो पाय तोख पापों लायी उत्साहित करन को वजह बनेंन त ओख काट डाल। लंगड़ा होय क् जीवन म सिरनो तोरो लायी येको सी ठीक हय कि दोय पाय रह्य क् भी नरक म डाल दियो जाये। (Geenna )
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. | ٤٦ 46 |
जित उन्को कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय।
وَإِنْ أَعْثَرَتْكَ عَيْنُكَ فَٱقْلَعْهَا. خَيْرٌ لَكَ أَنْ تَدْخُلَ مَلَكُوتَ ٱللهِ أَعْوَرَ مِنْ أَنْ تَكُونَ لَكَ عَيْنَانِ وَتُطْرَحَ فِي جَهَنَّمِ ٱلنَّارِ. (Geenna ) | ٤٧ 47 |
यदि तोरी आंखी तोख पापों लायी उत्साहित करन को वजह बनय हय त ओख निकाल डाल। तोरो लायी यो ठीक हय कि दोयी आंखी रखन यां नरक म फेकन को बजाय केवल एक आंखी सी परमेश्वर को राज्य म सिर। (Geenna )
حَيْثُ دُودُهُمْ لَا يَمُوتُ وَٱلنَّارُ لَا تُطْفَأُ. | ٤٨ 48 |
जित कीड़ा नहीं मरय अऊर आगी नहीं बुझय।
لِأَنَّ كُلَّ وَاحِدٍ يُمَلَّحُ بِنَارٍ، وَكُلَّ ذَبِيحَةٍ تُمَلَّحُ بِمِلْحٍ. | ٤٩ 49 |
हर एक लोग ख आगी सी शुद्ध करयो जायेंन, जसो बलिदान नमक सी शुद्ध करयो जावय हय।
اَلْمِلْحُ جَيِّدٌ. وَلَكِنْ إِذَا صَارَ ٱلْمِلْحُ بِلَا مُلُوحَةٍ، فَبِمَاذَا تُصْلِحُونَهُ؟ لِيَكُنْ لَكُمْ فِي أَنْفُسِكُمْ مِلْحٌ، وَسَالِمُوا بَعْضُكُمْ بَعْضًا». | ٥٠ 50 |
“नमक अच्छो हय, पर यदि नमकपन को स्वाद खोय देवय हय, त ओख फिर सी कसो नमकीन करो? “आपस म दोस्ती को नमक रखे, अऊर आपस म मिलझुल क अऊर एक दूसरों सी शान्ति सी रहे।”