< مَرْقُس 8 >
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ إِذْ كَانَ ٱلْجَمْعُ كَثِيرًا جِدًّا، وَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ مَا يَأْكُلُونَ، دَعَا يَسُوعُ تَلَامِيذَهُ وَقَالَ لَهُمْ: | ١ 1 |
उन दिनो म जब फिर बड़ी भीड़ जमा भयी, अऊर लोगों को जवर कुछ खान को नहीं होतो, त यीशु न अपनो चेलावों ख जवर बुलाय क उन्को सी कह्यो,
«إِنِّي أُشْفِقُ عَلَى ٱلْجَمْعِ، لِأَنَّ ٱلْآنَ لَهُمْ ثَلَاثَةَ أَيَّامٍ يَمْكُثُونَ مَعِي وَلَيْسَ لَهُمْ مَا يَأْكُلُونَ. | ٢ 2 |
“मोख यो भीड़ पर तरस आवय हय, कहालीकि हि लोग तीन दिन सी बराबर मोरो संग हय, अऊर उन्को जवर कुछ भी खान लायी नहीं होतो।
وَإِنْ صَرَفْتُهُمْ إِلَى بُيُوتِهِمْ صَائِمِينَ يُخَوِّرُونَ فِي ٱلطَّرِيقِ، لِأَنَّ قَوْمًا مِنْهُمْ جَاءُوا مِنْ بَعِيدٍ». | ٣ 3 |
यदि मय उन्ख भूखो घर भेज देऊं, त रस्ता म थक क बेहोश होय जायेंन; कहालीकि इन म सी कुछ दूर दूर सी आयो हय।”
فَأَجَابَهُ تَلَامِيذُهُ: «مِنْ أَيْنَ يَسْتَطِيعُ أَحَدٌ أَنْ يُشْبِعَ هَؤُلَاءِ خُبْزًا هُنَا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ؟». | ٤ 4 |
ओको चेलावों न ओख उत्तर दियो, “इत सुनसान जागा म इतनी रोटी कोयी कित सी लायेंन कि हि सन्तुष्ट होय जायेंन?”
فَسَأَلَهُمْ: «كَمْ عِنْدَكُمْ مِنَ ٱلْخُبْزِ؟». فَقَالُوا: «سَبْعَةٌ». | ٥ 5 |
यीशु न उन्को सी पुच्छ्यो, “तुम्हरो जवर कितनी रोटी हय?” उन्न कह्यो, “सात।”
فَأَمَرَ ٱلْجَمْعَ أَنْ يَتَّكِئُوا عَلَى ٱلْأَرْضِ، وَأَخَذَ ٱلسَّبْعَ خُبْزَاتٍ وَشَكَرَ وَكَسَرَ وَأَعْطَى تَلَامِيذَهُ لِيُقَدِّمُوا، فَقَدَّمُوا إِلَى ٱلْجَمْعِ. | ٦ 6 |
तब ओन लोगों ख जमीन पर बैठन को आदेश दियो, अऊर हि सात रोटी ख धरी अऊर परमेश्वर को धन्यवाद कर क् तोड़ी, अऊर अपनो चेलावों ख देत गयो कि उन्ख परोसो, अऊर उन्न लोगों को आगु परोस दियो।
وَكَانَ مَعَهُمْ قَلِيلٌ مِنْ صِغَارِ ٱلسَّمَكِ، فَبَارَكَ وَقَالَ أَنْ يُقَدِّمُوا هَذِهِ أَيْضًا. | ٧ 7 |
उन्को जवर थोड़ी सी छोटी मच्छी भी होती; ओन परमेश्वर ख धन्यवाद कर क् उन्ख भी लोगों को आगु परोसन को आदेश दियो।
فَأَكَلُوا وَشَبِعُوا. ثُمَّ رَفَعُوا فَضَلَاتِ ٱلْكِسَرِ: سَبْعَةَ سِلَالٍ. | ٨ 8 |
हि खाय क सन्तुष्ट भय गयो अऊर चेलावों न बच्यो टुकड़ा कि सात टोकनी भर क उठायी।
وَكَانَ ٱلْآكِلُونَ نَحْوَ أَرْبَعَةِ آلَافٍ. ثُمَّ صَرَفَهُمْ. | ٩ 9 |
अऊर लोग चार हजार को लगभग होतो; तब ओन लोगों ख बिदा कर दियो,
وَلِلْوَقْتِ دَخَلَ ٱلسَّفِينَةَ مَعَ تَلَامِيذِهِ وَجَاءَ إِلَى نَوَاحِي دَلْمَانُوثَةَ. | ١٠ 10 |
अऊर ऊ तुरतच अपनो चेलावों को संग डोंगा पर चढ़ क दलमनूता प्रदेश ख चली गयो।
فَخَرَجَ ٱلْفَرِّيسِيُّونَ وَٱبْتَدَأُوا يُحَاوِرُونَهُ طَالِبِينَ مِنْهُ آيَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ، لِكَيْ يُجَرِّبُوهُ. | ١١ 11 |
कुछ फरीसियों आय क यीशु सी वाद-विवाद करन लग्यो, अऊर ओख जांचन लायी ओको सी उन लोगों न आश्चर्य कर्म करन लायी कह्यो की ऊ परमेश्वर की तरफ सी स्वर्ग को कोयी चिन्ह बताव।
فَتَنَهَّدَ بِرُوحِهِ وَقَالَ: «لِمَاذَا يَطْلُبُ هَذَا ٱلْجِيلُ آيَةً؟ اَلْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَنْ يُعْطَى هَذَا ٱلْجِيلُ آيَةً!». | ١٢ 12 |
ओन अपनी आत्मा म आह भर क कह्यो, “यो पीढ़ी को लोग कहाली चिन्ह ढूंढय हय? मय तुम सी सच कहू हय कि यो पीढ़ी को लोगों ख कोयी चिन्ह नहीं दियो जायेंन।”
ثُمَّ تَرَكَهُمْ وَدَخَلَ أَيْضًا ٱلسَّفِينَةَ وَمَضَى إِلَى ٱلْعَبْرِ. | ١٣ 13 |
अऊर ऊ उन्ख छोड़ क फिर डोंगा पर चढ़ गयो अऊर झील को पार चली गयो।
وَنَسُوا أَنْ يَأْخُذُوا خُبْزًا، وَلَمْ يَكُنْ مَعَهُمْ فِي ٱلسَّفِينَةِ إِلَّا رَغِيفٌ وَاحِدٌ. | ١٤ 14 |
चेला रोटी धरनो भूल गयो होतो, अऊर डोंगा म उन्को जवर एकच रोटी होती।
وَأَوْصَاهُمْ قَائِلًا: «ٱنْظُرُوا! وَتَحَرَّزُوا مِنْ خَمِيرِ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَخَمِيرِ هِيرُودُسَ». | ١٥ 15 |
यीशु न उन्ख चितायो, “देखो, फरीसियों को खमीर अऊर हेरोदेस को खमीर सी चौकस रहो।”
فَفَكَّرُوا قَائِلِينَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لَيْسَ عِنْدَنَا خُبْزٌ». | ١٦ 16 |
कहालीकि हि आपस म बाते कर क् कहन लग्यो, “हमरो जवर रोटी नहाय।”
فَعَلِمَ يَسُوعُ وَقَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا تُفَكِّرُونَ أَنْ لَيْسَ عِنْدَكُمْ خُبْزٌ؟ أَلَا تَشْعُرُونَ بَعْدُ وَلَا تَفْهَمُونَ؟ أَحَتَّى ٱلْآنَ قُلُوبُكُمْ غَلِيظَةٌ؟ | ١٧ 17 |
यो जान क यीशु न उन्को सी कह्यो, तुम कहालीकि आपस म बाते कर रह्यो हय कि हमरो जवर रोटी नहाय? का अब तक नहीं जानय अऊर नहीं समझय? का तुम्हरो मन सुस्त भय गयो हय?
أَلَكُمْ أَعْيُنٌ وَلَا تُبْصِرُونَ، وَلَكُمْ آذَانٌ وَلَا تَسْمَعُونَ، وَلَا تَذْكُرُونَ؟ | ١٨ 18 |
का आंखी रह्य क भी नहीं देखय, अऊर कान रह्य क भी नहीं सुनय? अऊर का तुम्ख याद नहाय।
حِينَ كَسَّرْتُ ٱلْأَرْغِفَةَ ٱلْخَمْسَةَ لِلْخَمْسَةِ ٱلْآلَافِ، كَمْ قُفَّةً مَمْلُوَّةً كِسَرًا رَفَعْتُمْ؟». قَالُوا لَهُ: «ٱثْنَتَيْ عَشْرَةَ». | ١٩ 19 |
कि जब मय न पाच हजार लोगों लायी पाच रोटी तोड़ी होती त तुम न टुकड़ा की कितनी टोकनियां भर क उठायी होती? उन्न ओको सी कह्यो, “बारा टोकनी।”
«وَحِينَ ٱلسَّبْعَةِ لِلْأَرْبَعَةِ ٱلْآلَافِ، كَمْ سَلَّ كِسَرٍ مَمْلُوًّا رَفَعْتُمْ؟». قَالُوا: «سَبْعَةً». | ٢٠ 20 |
यीशु न उन्ख पुच्छ्यो “का तुम्ख याद नहाय जब चार हजार लोगों लायी सात रोटी अऊर तुम न कितनी टोकनी भर क उठायी होती?” उन्न ओको सी कह्यो, “सात टोकनी।”
فَقَالَ لَهُمْ: «كَيْفَ لَا تَفْهَمُونَ؟». | ٢١ 21 |
यीशु न उन्को सी पुच्छ्यो, “का तुम अब भी नहीं समझायो?”
وَجَاءَ إِلَى بَيْتِ صَيْدَا، فَقَدَّمُوا إِلَيْهِ أَعْمَى وَطَلَبُوا إِلَيْهِ أَنْ يَلْمِسَهُ، | ٢٢ 22 |
हि बैतसैदा नगर म आयो; अऊर कुछ लोग एक अन्धा ख यीशु को जवर लायो अऊर ओको सी बिनती करी कि ओख छूव।
فَأَخَذَ بِيَدِ ٱلْأَعْمَى وَأَخْرَجَهُ إِلَى خَارِجِ ٱلْقَرْيَةِ، وَتَفَلَ فِي عَيْنَيْهِ، وَوَضَعَ يَدَيْهِ عَلَيْهِ وَسَأَلَهُ: هَلْ أَبْصَرَ شَيْئًا؟ | ٢٣ 23 |
ऊ अन्धा को हाथ पकड़ क ओख गांव को बाहेर ले गयो, अऊर ओकी आंखी म थूक लगाय क ओको पर हाथ रख्यो, अऊर ओको सी पुच्छ्यो, “का तय कुछ देख सकय हय?”
فَتَطَلَّعَ وَقَالَ: «أُبْصِرُ ٱلنَّاسَ كَأَشْجَارٍ يَمْشُونَ». | ٢٤ 24 |
ओन ऊपर देख क कह्यो, “मय आदमी ख देखूं हय; हि मोख चलतो हुयो झाड़ को जसो लग रह्यो हय।”
ثُمَّ وَضَعَ يَدَيْهِ أَيْضًا عَلَى عَيْنَيْهِ، وَجَعَلَهُ يَتَطَلَّعُ. فَعَادَ صَحِيحًا وَأَبْصَرَ كُلَّ إِنْسَانٍ جَلِيًّا. | ٢٥ 25 |
तब यीशु न दुबारा ओकी आंखी पर हाथ रख्यो, अऊर ओकी आंखी की रोशनी लौट आय गयी, अऊर सब कुछ साफ साफ देखन लग्यो।
فَأَرْسَلَهُ إِلَى بَيْتِهِ قَائِلًا: «لَا تَدْخُلِ ٱلْقَرْيَةَ، وَلَا تَقُلْ لِأَحَدٍ فِي ٱلْقَرْيَةِ». | ٢٦ 26 |
यीशु न ओख यो कह्य क घर भेज्यो, “दुबारा यो गांव म सी मत जाजो सीधो घर जा।”
ثُمَّ خَرَجَ يَسُوعُ وَتَلامِيذُهُ إِلَى قُرَى قَيْصَرِيَّةِ فِيلُبُّسَ. وَفِي ٱلطَّرِيقِ سَأَلَ تَلَامِيذَهُ قَائِلًا لَهُمْ: «مَنْ يَقُولُ ٱلنَّاسُ إِنِّي أَنَا؟». | ٢٧ 27 |
यीशु अऊर ओको चेला कैसरिया फिलिप्पी को गांवो म जातो हुयो। रस्ता म ओन अपनो चेलावों सी पुच्छ्यो, “मोख बतावो लोग मोरो बारे म का कह्य हय कि मय कौन आय?”
فَأَجَابُوا: «يُوحَنَّا ٱلْمَعْمَدَانُ. وَآخَرُونَ: إِيلِيَّا. وَآخَرُونَ: وَاحِدٌ مِنَ ٱلْأَنْبِيَاءِ». | ٢٨ 28 |
उन्न उत्तर दियो, “कुछ कह्य हय, तय यूहन्ना बपतिस्मा देन वालो; पर कोयी कह्य, तय एलिय्याह अऊर कोयी भविष्यवक्तावों म सी एक हय।”
فَقَالَ لَهُمْ: «وَأَنْتُمْ، مَنْ تَقُولُونَ إِنِّي أَنَا؟». فَأَجَابَ بُطْرُسُ وَقَالَ لَهُ: «أَنْتَ ٱلْمَسِيحُ!». | ٢٩ 29 |
ओन उन्को सी पुच्छ्यो, “पर तुम मोख का कह्य हय?” पतरस न ओख उत्तर दियो, “तय मसीहा आय।”
فَٱنْتَهَرَهُمْ كَيْ لَا يَقُولُوا لِأَحَدٍ عَنْهُ. | ٣٠ 30 |
तब यीशु न उन्ख आदेश दे क कह्यो कि मोरो बारे म यो कोयी सी मत कहजो।
وَٱبْتَدَأَ يُعَلِّمُهُمْ أَنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ يَنْبَغِي أَنْ يَتَأَلَّمَ كَثِيرًا، وَيُرْفَضَ مِنَ ٱلشُّيُوخِ وَرُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلْكَتَبَةِ، وَيُقْتَلَ، وَبَعْدَ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ يَقُومُ. | ٣١ 31 |
तब यीशु उन्ख सिखावन लग्यो कि आदमी को बेटा लायी जरूरी हय कि मय बहुत दु: ख उठाऊ, अऊर बुजूर्ग अऊर मुख्य याजक, अऊर धर्मशास्त्री को द्वारा ठुकरायो जाऊं अऊर मोख मार दियो जाऊं, पर मय तीन दिन को बाद जीन्दो हय जाऊं।
وَقَالَ ٱلْقَوْلَ عَلَانِيَةً. فَأَخَذَهُ بُطْرُسُ إِلَيْهِ وَٱبْتَدَأَ يَنْتَهِرُهُ. | ٣٢ 32 |
ओन यो बात उन्को सी साफ-साफ कह्य दियो। येको पर पतरस ओख अलग लिजाय क डाटन लग्यो असो नहीं होय सकय।
فَٱلْتَفَتَ وَأَبْصَرَ تَلَامِيذَهُ، فَٱنْتَهَرَ بُطْرُسَ قَائِلًا: «ٱذْهَبْ عَنِّي يَا شَيْطَانُ! لِأَنَّكَ لَا تَهْتَمُّ بِمَا لِلهِ لَكِنْ بِمَا لِلنَّاسِ». | ٣٣ 33 |
पर यीशु न मुड़ क अपनो चेलावों को तरफ देख्यो, अऊर पतरस ख डाट क कह्यो, “हे शैतान, मोरो आगु सी दूर होय जा; कहालीकि तय परमेश्वर की बातों पर नहीं, पर आदमियों की बातों पर मन लगावय हय।”
وَدَعَا ٱلْجَمْعَ مَعَ تَلَامِيذِهِ وَقَالَ لَهُمْ: «مَنْ أَرَادَ أَنْ يَأْتِيَ وَرَائِي فَلْيُنْكِرْ نَفْسَهُ وَيَحْمِلْ صَلِيبَهُ وَيَتْبَعْنِي. | ٣٤ 34 |
यीशु न भीड़ अऊर अपनो चेलावों अपनो जवर बुलाय क उन्को सी कह्यो, “जो कोयी मोरो पीछू आवनो चाहवय, ऊ अपनो आप ख इन्कार कर क् अऊर अपनो क्रूस उठाये अऊर मरन लायी तैयार रहेंन तब ऊ मोरो पीछू चले।
فَإِنَّ مَنْ أَرَادَ أَنْ يُخَلِّصَ نَفْسَهُ يُهْلِكُهَا، وَمَنْ يُهْلِكُ نَفْسَهُ مِنْ أَجْلِي وَمِنْ أَجْلِ ٱلْإِنْجِيلِ فَهُوَ يُخَلِّصُهَا. | ٣٥ 35 |
कहालीकि जो कोयी अपनो जीव बचावनो चाहवय हय त ऊ ओख खोयेंन, पर जो कोयी मोरो अऊर सुसमाचार को लायी अपनो जीव खोयेंन, ऊ ओख बचायेंन।
لِأَنَّهُ مَاذَا يَنْتَفِعُ ٱلْإِنْسَانُ لَوْ رَبِحَ ٱلْعَالَمَ كُلَّهُ وَخَسِرَ نَفْسَهُ؟ | ٣٦ 36 |
यदि आदमी पूरो जगत ख हासिल करेंन अऊर अपनो जीव की हानि उठायेंन, त ओख का फायदा होयेंन?
أَوْ مَاذَا يُعْطِي ٱلْإِنْسَانُ فِدَاءً عَنْ نَفْسِهِ؟ | ٣٧ 37 |
आदमी अपनो जीवन ख फिर सी हासिल करन लायी का दे सकय हय?
لِأَنَّ مَنِ ٱسْتَحَى بِي وَبِكَلَامِي فِي هَذَا ٱلْجِيلِ ٱلْفَاسِقِ ٱلْخَاطِئِ، فَإِنَّ ٱبْنَ ٱلْإِنْسَانِ يَسْتَحِي بِهِ مَتَى جَاءَ بِمَجْدِ أَبِيهِ مَعَ ٱلْمَلَائِكَةِ ٱلْقِدِّيسِينَ». | ٣٨ 38 |
जो कोयी यो व्यभिचारी अऊर पापी जाति को बीच मोरो सी अऊर मोरी बातों सी शरमायेंन, त मय जब पवित्र स्वर्गदूतों को संग अपनो बाप कि महिमा को संग आऊं, तब ऊ मोरो सी शरमायेंन।”