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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Urdu Bible, Devanagari, Psalms Chapter 89 https://www.AionianBible.org/Bibles/Urdu---Urdu-Bible/Psalms/89 1) मैं हमेशा ख़ुदावन्द की शफ़क़त के हम्द गाऊँगा। मैं नसल दर नसल अपने मुँह से तेरी वफ़ादारी का 'ऐलान करूँगा। 2) क्यूँकि मैंने कहा कि शफ़क़त हमेशा तक बनी रहेगी, तू अपनी वफ़ादारी को आसमान में क़ाईम रखेगा। 3) “मैंने अपने बरगुज़ीदा के साथ 'अहद बाँधा है मैंने अपने बन्दे दाऊद से क़सम खाई है; 4) मैं तेरी नसल को हमेशा के लिए क़ाईम करूँगा, और तेरे तख़्त को नसल दर नसल बनाए रखूँगा।” (सिलाह) 5) ऐ ख़ुदावन्द, आसमान तेरे 'अजायब की ता'रीफ़ करेगा; पाक लोगों के मजमे' में तेरी वफ़ादारी की ता'रीफ़ होगी। 6) क्यूँकि आसमान पर ख़ुदावन्द का नज़ीर कौन है? फ़रिश्तों की जमा'त में कौन ख़ुदावन्द की तरह है? 7) ऐसा मा'बूद जो पाक लोगो की महफ़िल में बहुत ता'ज़ीम के लायक़ ख़ुदा है, और अपने सब चारों तरफ़ वालों से ज़्यादा बड़ा है। 8) ऐ ख़ुदावन्द लश्करों के ख़ुदा, ऐ याह! तुझ सा ज़बरदस्त कौन है? तेरी वफ़ादारी तेरे चारों तरफ़ है। 9) समन्दर के जोश — ओ — ख़रोश पर तू हुक्मरानी करता है; तू उसकी उठती लहरों को थमा देता है। 10) तूने रहब को मक़्तूल की तरह टुकड़े टुकड़े किया; तूने अपने क़वी बाज़ू से अपने दुश्मनों को तितर बितर कर दिया। 11) आसमान तेरा है, ज़मीन भी तेरी है; जहान और उसकी मा'मूरी को तू ही ने क़ाईम किया है। 12) उत्तर और दाख्खिन का पैदा करने वाला तू ही है; तबूर और हरमून तेरे नाम से ख़ुशी मनाते हैं। 13) तेरा बाज़ू कु़दरत वाला है; तेरा हाथ क़वी और तेरा दहना हाथ बुलंद है। 14) सदाक़त और 'अद्ल तेरे तख़्त की बुनियाद हैं; शफ़क़त और वफ़ादारी तेरे आगे आगे चलती हैं। 15) मुबारक है वह क़ौम, जो खु़शी की ललकार को पहचानती है, वह ऐ ख़ुदावन्द, जो तेरे चेहरे के नूर में चलते हैं; 16) वह दिनभर तेरे नाम से ख़ुशी मनाते हैं, और तेरी सदाक़त से सरफराज़ होते हैं। 17) क्यूँकि उनकी ताक़त की शान तू ही है और तेरे करम से हमारा सींग बुलन्द होगा। 18) क्यूँकि हमारी ढाल ख़ुदावन्द की तरफ़ से है, और हमारा बादशाह इस्राईल के क़ुद्दूस की तरफ़ से। 19) उस वक़्त तूने ख़्वाब में अपने पाक लोगों से कलाम किया, और फ़रमाया, मैंने एक ज़बरदस्त को मददगार बनाया है, और क़ौम में से एक को चुन कर सरफ़राज़ किया है। 20) मेरा बन्दा दाऊद मुझे मिल गया, अपने पाक तेल से मैंने उसे मसह किया है। 21) मेरा हाथ उसके साथ रहेगा, मेरा बाजू़ उसे तक़वियत देगा। 22) दुश्मन उस पर जब्र न करने पाएगा, और शरारत का फ़र्ज़न्द उसे न सताएगा। 23) मैं उसके मुख़ालिफ़ों को उसके सामने मग़लूब करूँगा और उससे 'अदावत रखने वालों को मारूँगा। 24) लेकिन मेरी वफ़ादारी और शफ़क़त उसके साथ रहेंगी, और मेरे नाम से उसका सींग बुलन्द होगा। 25) मैं उसका हाथ समन्दर तक बढ़ाऊँगा, और उसके दहने हाथ को दरियाओं तक। 26) वह मुझे पुकार कर कहेगा, 'तू मेराबाप, मेरा ख़ुदा, और मेरी नजात की चट्टान है। 27) और मैं उसको अपना पहलौठा बनाऊँगा और दुनिया का शहंशाह। 28) मैं अपनी शफ़क़त को उसके लिए हमेशा तक क़ाईम रखूँगा और मेरा 'अहद उसके साथ लातब्दील रहेगा। 29) मैं उसकी नसल को हमेशा तक क़ाईम रख्खूंगा, और उसके तख़्त को जब तक आसमानहै। 30) अगर उसके फ़र्ज़न्द मेरी शरी'अत को छोड़ दें, और मेरे अहकाम पर न चलें, 31) अगर वह मेरे क़ानून को तोड़ें, और मेरे फ़रमान को न मानें, 32) तो मैं उनको छड़ी से ख़ता की, और कोड़ों से बदकारी की सज़ा दूँगा। 33) लेकिन मैं अपनी शफ़क़त उस पर से हटा न लूँगा, और अपनी वफ़ादारी को बेकार न होने न दूँगा। 34) मैं अपने 'अहद को न तोडूँगा, और अपने मुँह की बात को न बदलूँगा। 35) मैं एक बार अपनी पाकी की क़सम खा चुका हूँ मैं दाऊद से झूट न बोलूँगा। 36) उसकी नसल हमेशा क़ाईम रहेगी, और उसका तख़्त आफ़ताब की तरह मेरे सामने क़ाईम रहेगा। 37) वह हमेशा चाँद की तरह, और आसमान के सच्चे गवाह की तरह क़ाईम रहेगा। मिलाह 38) लेकिन तूने तो तर्क कर दिया और छोड़ दिया, तू अपने मम्सूह से नाराज़ हुआ है। 39) तूने अपने ख़ादिम के 'अहद को रद्द कर दिया, तूने उसके ताज को ख़ाक में मिला दिया। 40) तूने उसकी सब बाड़ों को तोड़ डाला, तूने उसके क़िलों' को खण्डर बना दिया। 41) सब आने जाने वाले उसे लूटते हैं, वह अपने पड़ोसियों की मलामत का निशाना बन गया। 42) तूने उसके मुख़ालिफ़ों के दहने हाथ को बुलन्द किया; तूने उसके सब दुश्मनों को ख़ुश किया। 43) बल्कि तू उसकी तलवार की धार को मोड़ देता है, और लड़ाई में उसके पाँव को जमने नहीं दिया। 44) तूने उसकी रौनक़ उड़ा दी, और उसका तख़्त ख़ाक में मिला दिया। 45) तूने उसकी जवानी के दिन घटा दिए, तूने उसे शर्मिन्दा कर दिया है। (सिलाह) 46) ऐ ख़ुदावन्द, कब तक? क्या तू हमेशा तक पोशीदा रहेगा? तेरे क़हर की आग कब तक भड़कती रहेगी? 47) याद रख मेरा क़याम ही क्या है, तूने कैसी बतालत के लिए कुल बनी आदम को पैदा किया। 48) वह कौन सा आदमी है जो ज़िन्दा ही रहेगा और मौत को न देखेगा, और अपनी जान को पाताल के हाथ से बचा लेगा? (सिलाह) (Sheol h7585) 49) या रब्ब, तेरी वह पहली शफ़क़त क्या हुई, जिसके बारे में तूने दाऊद से अपनी वफ़ादारी की क़सम खाई थी? 50) या रब्ब, अपने बन्दों की रुस्वाई को याद कर; मैं तो सब ज़बरदस्त क़ौमों की ता'नाज़नी, अपने सीने में लिए फिरता हूँ। 51) ऐ ख़ुदावन्द, तेरे दुश्मनों ने कैसे ता'ने मारे, तेरे मम्सूह के क़दम क़दम पर कैसी ता'नाज़नी की है। 52) ख़ुदावन्द हमेशा से हमेशा तक मुबारक हो! आमीन सुम्मा आमीन। Additional comments?
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