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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Urdu Bible, Devanagari, Numbers Chapter 23 https://www.AionianBible.org/Bibles/Urdu---Urdu-Bible/Numbers/23 1) और बल'आम ने बलक़ से कहा, “मेरे लिए यहाँ सात मज़बहे बनवा दे, और सात बछड़े और सात मेंढे मेरे लिए यहाँ तैयार कर रख।” 2) बलक़ ने बल'आम के कहने के मुताबिक़ किया, और बलक़ और बल'आम ने हर मज़बह पर एक बछड़ा और एक मेंढा चढ़ाया। 3) फिर बल'आम ने बलक़ से कहा, “तू अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी के पास खड़ा रह, और मैं जाता हूँ, मुम्किन है कि ख़ुदावन्द मुझ से मुलाक़ात करने को आए। इसलिए जो कुछ वह मुझ पर ज़ाहिर करेगा, मैं तुझे बताऊँगा।” और वह एक बरहना पहाड़ी पर चला गया। 4) और ख़ुदा बल'आम से मिला; उसने उससे कहा “मैंने सात मज़बहे तैयार किए हैं और उन पर एक — एक बछड़ा और एक — एक मेंढा चढ़ाया है।” 5) तब ख़ुदावन्द ने एक बात बल'आम के मुँह में डाली और कहा कि “बलक़ के पास लौट जा, और यूँ कहना।” 6) तब वह उसके पास लौट कर आया और क्या देखता है, कि वह अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी के पास मोआब के सब हाकिमों के साथ खड़ा है। 7) तब उसने अपनी मिसाल शुरू' की, और कहने लगा, “बलक़ ने मुझे अराम से, या'नी शाह — ए — मोआब ने पश्चिम के पहाड़ों से बुलवाया, कि आ जा, और मेरी ख़ातिर या'क़ूब पर ला'नत कर, आ, इस्राईल को फटकार! 8) मैं उस पर ला'नत कैसे करूँ, जिस पर ख़ुदा ने ला'नत नहीं की? मैं उसे कैसे फटकारूँ, जिसे ख़ुदावन्द ने नहीं फटकारा 9) चट्टानों की चोटी पर से वह मुझे नज़र आते हैं, और पहाड़ों पर से मैं उनको देखता हूँ। देख, यह वह क़ौम है जो अकेली बसी रहेगी, और दूसरी क़ौमों के साथ मिल कर इसका शुमार न होगा। 10) या'क़ूब की गर्द के ज़र्रों को कौन गिन सकता है, और बनी इस्राईल की चौथाई को कौन शुमार कर सकता है? काश, मैं सादिक़ों की मौत मरूँ और मेरी 'आक़बत भी उन ही की तरह हो।” 11) तब बलक़ ने बल'आम से कहा, “ये तूने मुझ से क्या किया? मैंने तुझे बुलवाया ताकि तू मेरे दुश्मनों पर ला'नत करे, और तू ने उनको बरकत ही बरकत दी।” 12) उसने जवाब दिया और कहा क्या मैं उसी बात का ख़याल न करूँ, जो ख़ुदावन्द मेरे मुँह में डाले?' 13) फिर बलक़ ने उससे कहा, “अब मेरे साथ दूसरी जगह चल, जहाँ से तू उनको देख भी सकेगा; वह सब के सब तो तुझे नहीं दिखाई देंगे, लेकिन जो दूर दूर पड़े हैं उनको देख लेगा; फिर तू वहाँ से मेरी ख़ातिर उन पर ला'नत करना।” 14) तब वह उसे पिसगा की चोटी पर, जहाँ ज़ोफ़ीम का मैदान है ले गया; वहीं उसने सात मज़बहे बनाए और हर मज़बह पर एक — एक बछड़ा और एक मेंढा चढ़ाया। 15) तब उसने बलक़ से कहा, “तू यहाँ अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी के पास ठहरा रह, जब कि मैं उधर जाकर ख़ुदावन्द से मिल कर आऊँ।” 16) और ख़ुदावन्द बल'आम से मिला, और उसने उसके मुँह में एक बात डाली, और कहा, “बलक़ के पास लौट जा, और यूँ कहना।” 17) और जब वह उसके पास लौटा तो क्या देखता है, कि वह अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी कि पास मोआब के हाकिमों के साथ खड़ा है। तब बलक़ ने उससे पूछा, “ख़ुदावन्द ने क्या कहा है?” 18) तब उसने अपनी मिसाल शुरू' की और कहने लगा, “उठ ऐ बलक़, और सुन, ऐ सफ़ोर के बेटे! मेरी बातों पर कान लगा, 19) ख़ुदा इंसान नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमज़ाद है कि अपना इरादा बदले। क्या, जो कुछ उसने कहा उसे न करे? या, जो फ़रमाया है उसे पूरा न करे? 20) देख, मुझे तो बरकत देने का हुक्म मिला है; उसने बरकत दी है, और मैं उसे पलट नहीं सकता। 21) वह या'क़ूब में बदी नहीं पाता, और न इस्राईल में कोई ख़राबी देखता है। ख़ुदावन्द उसका ख़ुदा उसके साथ है, और बादशाह के जैसी ललकार उन लोगों के बीच में है। 22) ख़ुदा उनको मिस्र से निकाल कर लिए आ रहा है, उनमें जंगली साँड के जैसी ताक़त है। 23) या'क़ूब पर कोई जादू नहीं चलता, और न इस्राईल के ख़िलाफ़ फ़ाल कोई चीज़ है; बल्कि या'क़ूब और इस्राईल के हक़ में अब यह कहा जाएगा, कि ख़ुदा ने कैसे कैसे काम किए। 24) देख, यह गिरोह शेरनी की तरह उठती है। और शेर की तरह तन कर खड़ी होती है। वह अब नहीं लेटने को, जब तक शिकार न खा ले। और मक़तूलों का ख़ून न पी ले।” 25) तब बलक़ ने बल'आम से कहा, “न तो तू उन पर ला'नत ही कर और न उनको बरकत ही दे।” 26) बल'आम ने जवाब दिया, और बलक़ से कहा, “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा कि जो कुछ ख़ुदावन्द कहे, वही मुझे करना पड़ेगा?” 27) तब बलक़ ने बल'आम से कहा, “अच्छा आ, मैं तुझ को एक और जगह ले जाऊँ; शायद ख़ुदा को पसन्द आए कि तू मेरी ख़ातिर वहाँ से उन पर ला'नत करे।” 28) तब बलक़ बल'आम को फ़गूर की चोटी पर, जहाँ से यशीमोन नज़र आता है ले गया। 29) और बल'आम ने बलक़ से कहा कि “मेरे लिए यहाँ सात मज़बहे बनवा और सात बैल और सात ही मेंढे मेरे लिए तैयार कर रख।” 30) चुनाँचे बलक़ ने, जैसा बल'आम ने कहा वैसा ही किया और हर मज़बह पर एक बैल और एक मेंढा चढ़ाया। Additional comments?
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