Preface
Read
+
Publisher
Nainoia, Inc.
PO Box 462, Bellefonte, PA 16823
(814) 470-8028
Nainoia Inc, Publisher
LinkedIn/NAINOIA-INC
Third Party Publisher Resources
Request Custom Formatted Verses
Please contact us below
Submit your proposed corrections
I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Urdu Bible, Devanagari, Acts Chapter 4 https://www.AionianBible.org/Bibles/Urdu---Urdu-Bible/Acts/4 1) जब वो लोगों से ये कह रहे थे तो काहिन और हैकल का मालिक और सदूक़ी उन पर चढ़ आए। 2) वो ग़मगीन हुए क्यूँकि यह लोगों को ता'लीम देते और ईसा की मिसाल देकर मुर्दों के जी उठने का ऐलान करते थे। 3) और उन्होंने उन को पकड़ कर दुसरे दिन तक हवालात में रख्खा; क्यूँकि शाम हो गेई थी। 4) मगर कलाम के सुनने वालों में से बहुत से ईमान लाए; यहाँ तक कि मर्दो की ता'दाद पाँच हज़ार के क़रीब हो गेई। 5) दुसरे दिन यूँ हुआ कि उनके सरदार और बुज़ुर्ग और आलिम। 6) और सरदार काहिन हन्ना और काइफ़ा, यूहन्ना, और इस्कन्दर और जितने सरदार काहिन के घराने के थे, येरूशलेम में जमा हुए। 7) और उनको बीच में खड़ा करके पूछने लगे कि तुम ने ये काम किस क़ुदरत और किस नाम से किया? 8) उस वक़्त पतरस ने रूह — उल — कुददूस से भरपूर होकर उन से कहा। 9) ऐ उम्मत के सरदारों और बुज़ुर्गों; अगर आज हम से उस एहसान के बारे में पूछ — ताछ की जाती है, जो एक कमज़ोर आदमी पर हुआ; कि वो क्यूँकर अच्छा हो गया? 10) तो तुम सब और इस्राईल की सारी उम्मत को मा'लूम हो कि ईसा मसीह नासरी जिसको तुम ने मस्लूब किया, उसे ख़ुदा ने मुर्दों में से जिलाया, उसी के नाम से ये शख़्स तुम्हारे सामने तन्दरुस्त खड़ा है। 11) ये वही पत्थर है जिसे तुमने हक़ीर जाना और वो कोने के सिरे का पत्थर हो गया। 12) और किसी दूसरे के वसीले से नजात नहीं, क्यूँकि आसमान के तले आदमियों को कोई दुसरा नाम नहीं बख़्शा गया, जिसके वसीले से हम नजात पा सकें। 13) जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना की हिम्मत देखी, और मा'लूम किया कि ये अनपढ़ और नावाक़िफ़ आदमी हैं, तो ता'अज्जुब किया; फिर ऊन्हें पहचाना कि ये ईसा के साथ रहे हैं। 14) और उस आदमी को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़ा देखकर कुछ ख़िलाफ़ न कह सके। 15) मगर उन्हें सद्रे — ए — अदालत से बाहर जाने का हुक्म देकर आपस में मशवरा करने लगे। 16) “कि हम इन आदमियों के साथ क्या करें? क्यूँकि येरूशलेम के सब रहने वालों पर यह रोशन है। कि उन से एक खुला मोजिज़ा ज़ाहिर हुआ और हम इस का इन्कार नहीं कर सकते। 17) लेकिन इसलिए कि ये लोगों में ज़्यादा मशहूर न हो, हम उन्हें धमकाएं कि फिर ये नाम लेकर किसी से बात न करें।” 18) पस उन्हें बुला कर ताकीद की कि ईसा का नाम लेकर हरगिज़ बात न करना और न तालीम देना। 19) मगर पतरस और यूहन्ना ने जवाब में उनसे कहा, कि तुम ही इन्साफ़ करो, आया ख़ुदा के नज़दीक ये वाजिब है कि हम ख़ुदा की बात से तुम्हारी बात ज़्यादा सुनें? 20) क्यूँकि मुम्किन नहीं कि जो हम ने देखा और सुना है वो न कहें। 21) उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया; क्यूँकि लोगों कि वजह से उनको सज़ा देने का कोई मौक़ा; न मिला इसलिए कि सब लोग उस माजरे कि वजह से ख़ुदा की बड़ाई करते थे। 22) क्यूँकि वो शख़्स जिस पर ये शिफ़ा देने का मोजिज़ा हुआ था, चालीस बरस से ज़्यादा का था। 23) वो छूटकर अपने लोगों के पास गए, और जो कुछ सरदार काहिनों और बुज़ुर्गों ने उन से कहा था बयान किया। 24) जब उन्होंने ये सुना तो एक दिल होकर बुलन्द आवाज़ से ख़ुदा से गुज़ारिश की, 'ऐ' मालिक तू वो है जिसने आसमान और ज़मीन और समुन्दर और जो कुछ उन में है पैदा किया। 25) तूने रूह — उल — क़ुद्दूस के वसीले से हमारे बाप अपने ख़ादिम दाऊद की ज़बानी फ़रमाया कि, क़ौमों ने क्यूँ धूम मचाई? और उम्मतों ने क्यूँ बातिल ख़याल किए? 26) ख़ुदावन्द और उसके मसीह की मुख़ालिफ़त को ज़मीन के बादशाह उठ खड़े हुए, और सरदार जमा हो गए।’ 27) क्यूँकि वाक़'ई तेरे पाक ख़ादिम ईसा के बरख़िलाफ़ जिसे तूने मसह किया। हेरोदेस, और, पुनित्युस पीलातुस, ग़ैर क़ौमों और इस्राईलियों के साथ इस शहर में जमा हुए। 28) ताकि जो कुछ पहले से तेरी क़ुदरत और तेरी मसलेहत से ठहर गया था, वही 'अमल में लाएँ। 29) अब, ऐ ख़ुदावन्द “उनकी धमकियों को देख, और अपने बन्दों को ये तौफ़ीक़ दे, कि वो तेरा कलाम कमाल दिलेरी से सुनाएँ। 30) और तू अपना हाथ शिफ़ा देने को बढ़ा और तेरे पाक ख़ादिम ईसा के नाम से मोजिज़े और अजीब काम ज़हूर में आएँ।” 31) जब वो दुआ कर चुके, तो जिस मकान में जमा थे, वो हिल गया और वो सब रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गए, और ख़ुदा का कलाम दिलेरी से सुनाते रहे। 32) और ईमानदारों की जमा'अत एक दिल और एक जान थी; और किसी ने भी अपने माल को अपना न कहा, बल्कि उनकी सब चीज़ें मुश्तरका थीं। 33) और रसूल बड़ी क़ुदरत से ख़ुदावन्द ईसा के जी उठने की गवाही देते रहे, और उन सब पर बड़ा फ़ज़ल था। 34) क्यूँकि उन में कोई भी मुहताज न था, इसलिए कि जो लोग ज़मीनों और घरों के मालिक थे, उनको बेच बेच कर बिकी हुई चीज़ों की क़ीमत लाते। 35) और रसूलों के पाँव में रख देते थे, फिर हर एक को उसकी ज़रुरत के मुवाफ़िक़ बाँट दिया जाता था। 36) और यूसुफ़ नाम एक लावी था, जिसका लक़ब रसूलों ने बरनबास: या'नी नसीहत का बेटा रख्खा था, और जिसकी पैदाइश कुप्रुस टापू की थी। 37) उसका एक खेत था, जिसको उसने बेचा और क़ीमत लाकर रसूलों के पाँव में रख दी। Additional comments?
Refresh Captcha
The world's first Holy Bible un-translation!