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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Bible, Proverbs Chapter 5 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Hindi-Bible/Proverbs/5 1 १) हे मेरे पुत्र, मेरी बुद्धि की बातों पर ध्यान दे, मेरी समझ की ओर कान लगा; 2 २) जिससे तेरा विवेक सुरक्षित बना रहे, और तू ज्ञान की रक्षा करे। 3 ३) क्योंकि पराई स्त्री के होठों से मधु टपकता है, और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं; 4 ४) परन्तु इसका परिणाम नागदौना के समान कड़वा और दोधारी तलवार के समान पैना होता है। 5 ५) उसके पाँव मृत्यु की ओर बढ़ते हैं; और उसके पग अधोलोक तक पहुँचते हैं। (Sheol h7585) 6 ६) वह जीवन के मार्ग के विषय विचार नहीं करती; उसके चाल चलन में चंचलता है, परन्तु उसे वह स्वयं नहीं जानती। 7 ७) इसलिए अब हे मेरे पुत्रों, मेरी सुनो, और मेरी बातों से मुँह न मोड़ो। 8 ८) ऐसी स्त्री से दूर ही रह, और उसकी डेवढ़ी के पास भी न जाना; 9 ९) कहीं ऐसा न हो कि तू अपना यश औरों के हाथ, और अपना जीवन क्रूर जन के वश में कर दे; 10 १०) या पराए तेरी कमाई से अपना पेट भरें, और परदेशी मनुष्य तेरे परिश्रम का फल अपने घर में रखें; 11 ११) और तू अपने अन्तिम समय में जब तेरे शरीर का बल खत्म हो जाए तब कराह कर, 12 १२) तू यह कहेगा “मैंने शिक्षा से कैसा बैर किया, और डाँटनेवाले का कैसा तिरस्कार किया! 13 १३) मैंने अपने गुरुओं की बातें न मानीं और अपने सिखानेवालों की ओर ध्यान न लगाया। 14 १४) मैं सभा और मण्डली के बीच में पूर्णतः विनाश की कगार पर जा पड़ा।” 15 १५) तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कुएँ के सोते का जल पिया करना। 16 १६) क्या तेरे सोतों का पानी सड़क में, और तेरे जल की धारा चौकों में बह जाने पाए? 17 १७) यह केवल तेरे ही लिये रहे, और तेरे संग अनजानों के लिये न हो। 18 १८) तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, 19 १९) वह तेरे लिए प्रिय हिरनी या सुन्दर सांभरनी के समान हो, उसके स्तन सर्वदा तुझे सन्तुष्ट रखें, और उसी का प्रेम नित्य तुझे मोहित करता रहे। 20 २०) हे मेरे पुत्र, तू व्यभिचारिणी पर क्यों मोहित हो, और पराई स्त्री को क्यों छाती से लगाए? 21 २१) क्योंकि मनुष्य के मार्ग यहोवा की दृष्टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है। 22 २२) दुष्ट अपने ही अधर्म के कर्मों से फँसेगा, और अपने ही पाप के बन्धनों में बन्धा रहेगा। 23 २३) वह अनुशासन का पालन न करने के कारण मर जाएगा, और अपनी ही मूर्खता के कारण भटकता रहेगा। Additional comments?
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