Preface
Read
+
Publisher
Nainoia, Inc.
PO Box 462, Bellefonte, PA 16823
(814) 470-8028
Nainoia Inc, Publisher
LinkedIn/NAINOIA-INC
Third Party Publisher Resources
Request Custom Formatted Verses
Please contact us below
Submit your proposed corrections
I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Bible, John Chapter 19 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Hindi-Bible/John/19 1 १) इस पर पिलातुस ने यीशु को लेकर कोड़े लगवाए। 2 २) और सिपाहियों ने काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा, और उसे बैंगनी ऊपरी वस्त्र पहनाया, 3 ३) और उसके पास आ आकर कहने लगे, “हे यहूदियों के राजा, प्रणाम!” और उसे थप्पड़ मारे। 4 ४) तब पिलातुस ने फिर बाहर निकलकर लोगों से कहा, “देखो, मैं उसे तुम्हारे पास फिर बाहर लाता हूँ; ताकि तुम जानो कि मैं उसमें कुछ भी दोष नहीं पाता।” 5 ५) तब यीशु काँटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहने हुए बाहर निकला और पिलातुस ने उनसे कहा, “देखो, यह पुरुष।” 6 ६) जब प्रधान याजकों और प्यादों ने उसे देखा, तो चिल्लाकर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर!” पिलातुस ने उनसे कहा, “तुम ही उसे लेकर क्रूस पर चढ़ाओ; क्योंकि मैं उसमें दोष नहीं पाता।” 7 ७) यहूदियों ने उसको उत्तर दिया, “हमारी भी व्यवस्था है और उस व्यवस्था के अनुसार वह मारे जाने के योग्य है क्योंकि उसने अपने आपको परमेश्वर का पुत्र बताया।” 8 ८) जब पिलातुस ने यह बात सुनी तो और भी डर गया। 9 ९) और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा, “तू कहाँ का है?” परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया। 10 १०) पिलातुस ने उससे कहा, “मुझसे क्यों नहीं बोलता? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।” 11 ११) यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इसलिए जिसने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है, उसका पाप अधिक है।” 12 १२) इससे पिलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा, परन्तु यहूदियों ने चिल्ला चिल्लाकर कहा, “यदि तू इसको छोड़ देगा तो तू कैसर का मित्र नहीं; जो कोई अपने आपको राजा बनाता है वह कैसर का सामना करता है।” 13 १३) ये बातें सुनकर पिलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था, जो इब्रानी में ‘गब्बता’ कहलाता है, और वहाँ न्याय आसन पर बैठा। 14 १४) यह फसह की तैयारी का दिन था और छठे घंटे के लगभग था: तब उसने यहूदियों से कहा, “देखो, यही है, तुम्हारा राजा!” 15 १५) परन्तु वे चिल्लाए, “ले जा! ले जा! उसे क्रूस पर चढ़ा!” पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढ़ाऊँ?” प्रधान याजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़ हमारा और कोई राजा नहीं।” 16 १६) तब उसने उसे उनके हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए। 17 १७) तब वे यीशु को ले गए। और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया, जो ‘खोपड़ी का स्थान’ कहलाता है और इब्रानी में ‘गुलगुता’। 18 १८) वहाँ उन्होंने उसे और उसके साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया, एक को इधर और एक को उधर, और बीच में यीशु को। 19 १९) और पिलातुस ने एक दोष-पत्र लिखकर क्रूस पर लगा दिया और उसमें यह लिखा हुआ था, “यीशु नासरी यहूदियों का राजा।” 20 २०) यह दोष-पत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था। 21 २१) तब यहूदियों के प्रधान याजकों ने पिलातुस से कहा, “‘यहूदियों का राजा’ मत लिख परन्तु यह कि ‘उसने कहा, मैं यहूदियों का राजा हूँ।’” 22 २२) पिलातुस ने उत्तर दिया, “मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया।” 23 २३) जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुर्ता भी लिया, परन्तु कुर्ता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था; 24 २४) इसलिए उन्होंने आपस में कहा, “हम इसको न फाड़ें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किसका होगा।” यह इसलिए हुआ, कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो, “उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिए और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली।” 25 २५) अतः सिपाहियों ने ऐसा ही किया। परन्तु यीशु के क्रूस के पास उसकी माता और उसकी माता की बहन मरियम, क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी। 26 २६) यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिससे वह प्रेम रखता था पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, “हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।” 27 २७) तब उस चेले से कहा, “देख, यह तेरी माता है।” और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया। 28 २८) इसके बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो कहा, “मैं प्यासा हूँ।” 29 २९) वहाँ एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, इसलिए उन्होंने सिरके के भिगाए हुए पनसोख्ता को जूफे पर रखकर उसके मुँह से लगाया। 30 ३०) जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा, “पूरा हुआ”; और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए। 31 ३१) और इसलिए कि वह तैयारी का दिन था, यहूदियों ने पिलातुस से विनती की, कि उनकी टाँगें तोड़ दी जाएँ और वे उतारे जाएँ ताकि सब्त के दिन वे क्रूसों पर न रहें, क्योंकि वह सब्त का दिन बड़ा दिन था। 32 ३२) इसलिए सिपाहियों ने आकर पहले की टाँगें तोड़ीं तब दूसरे की भी, जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे। 33 ३३) परन्तु जब यीशु के पास आकर देखा कि वह मर चुका है, तो उसकी टाँगें न तोड़ीं। 34 ३४) परन्तु सिपाहियों में से एक ने बरछे से उसका पंजर बेधा और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला। 35 ३५) जिसने यह देखा, उसी ने गवाही दी है, और उसकी गवाही सच्ची है; और वह जानता है, कि सच कहता है कि तुम भी विश्वास करो। 36 ३६) ये बातें इसलिए हुईं कि पवित्रशास्त्र की यह बात पूरी हो, “उसकी कोई हड्डी तोड़ी न जाएगी।” 37 ३७) फिर एक और स्थान पर यह लिखा है, “जिसे उन्होंने बेधा है, उस पर दृष्टि करेंगे।” 38 ३८) इन बातों के बाद अरिमतियाह के यूसुफ ने, जो यीशु का चेला था, (परन्तु यहूदियों के डर से इस बात को छिपाए रखता था), पिलातुस से विनती की, कि मैं यीशु के शव को ले जाऊँ, और पिलातुस ने उसकी विनती सुनी, और वह आकर उसका शव ले गया। 39 ३९) नीकुदेमुस भी जो पहले यीशु के पास रात को गया था पचास सेर के लगभग मिला हुआ गन्धरस और एलवा ले आया। 40 ४०) तब उन्होंने यीशु के शव को लिया और यहूदियों के गाड़ने की रीति के अनुसार उसे सुगन्ध-द्रव्य के साथ कफन में लपेटा। 41 ४१) उस स्थान पर जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था, एक बारी थी; और उस बारी में एक नई कब्र थी; जिसमें कभी कोई न रखा गया था। 42 ४२) अतः यहूदियों की तैयारी के दिन के कारण, उन्होंने यीशु को उसी में रखा, क्योंकि वह कब्र निकट थी। Additional comments?
Refresh Captcha
The world's first Holy Bible un-translation!