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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Bible, John Chapter 17 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Hindi-Bible/John/17 1 १) यीशु ने ये बातें कहीं और अपनी आँखें आकाश की ओर उठाकर कहा, “हे पिता, वह घड़ी आ पहुँची, अपने पुत्र की महिमा कर, कि पुत्र भी तेरी महिमा करे, 2 २) क्योंकि तूने उसको सब प्राणियों पर अधिकार दिया, कि जिन्हें तूने उसको दिया है, उन सब को वह अनन्त जीवन दे। (aiōnios g166) 3 ३) और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तूने भेजा है, जानें। (aiōnios g166) 4 ४) जो काम तूने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा करके मैंने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है। 5 ५) और अब, हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की सृष्टि से पहले, मेरी तेरे साथ थी। 6 ६) “मैंने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया जिन्हें तूने जगत में से मुझे दिया। वे तेरे थे और तूने उन्हें मुझे दिया और उन्होंने तेरे वचन को मान लिया है। 7 ७) अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तूने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है। 8 ८) क्योंकि जो बातें तूने मुझे पहुँचा दीं, मैंने उन्हें उनको पहुँचा दिया और उन्होंने उनको ग्रहण किया और सच-सच जान लिया है, कि मैं तेरी ओर से आया हूँ, और यह विश्वास किया है कि तू ही ने मुझे भेजा। 9 ९) मैं उनके लिये विनती करता हूँ, संसार के लिये विनती नहीं करता हूँ परन्तु उन्हीं के लिये जिन्हें तूने मुझे दिया है, क्योंकि वे तेरे हैं। 10 १०) और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा है; और जो तेरा है वह मेरा है; और इनसे मेरी महिमा प्रगट हुई है। 11 ११) मैं आगे को जगत में न रहूँगा, परन्तु ये जगत में रहेंगे, और मैं तेरे पास आता हूँ; हे पवित्र पिता, अपने उस नाम से जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा कर, कि वे हमारे समान एक हों। 12 १२) जब मैं उनके साथ था, तो मैंने तेरे उस नाम से, जो तूने मुझे दिया है, उनकी रक्षा की, मैंने उनकी देख-रेख की और विनाश के पुत्र को छोड़ उनमें से कोई नाश न हुआ, इसलिए कि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो। 13 १३) परन्तु अब मैं तेरे पास आता हूँ, और ये बातें जगत में कहता हूँ, कि वे मेरा आनन्द अपने में पूरा पाएँ। 14 १४) मैंने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है, और संसार ने उनसे बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। 15 १५) मैं यह विनती नहीं करता, कि तू उन्हें जगत से उठा ले, परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख। 16 १६) जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं। 17 १७) सत्य के द्वाराउन्हें पवित्र कर: तेरा वचन सत्य है। 18 १८) जैसे तूने जगत में मुझे भेजा, वैसे ही मैंने भी उन्हें जगत में भेजा। 19 १९) और उनके लिये मैं अपने आपको पवित्र करता हूँ ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किए जाएँ। 20 २०) “मैं केवल इन्हीं के लिये विनती नहीं करता, परन्तु उनके लिये भी जो इनके वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, 21 २१) कि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूँ, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिए कि जगत विश्वास करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। 22 २२) और वह महिमा जो तूने मुझे दी, मैंने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे कि हम एक हैं। 23 २३) मैं उनमें और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तूने मुझसे प्रेम रखा, वैसा ही उनसे प्रेम रखा। 24 २४) हे पिता, मैं चाहता हूँ कि जिन्हें तूने मुझे दिया है, जहाँ मैं हूँ, वहाँ वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तूने मुझे दी है, क्योंकि तूने जगत की उत्पत्ति से पहले मुझसे प्रेम रखा। 25 २५) हे धार्मिक पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैंने तुझे जाना और इन्होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा। 26 २६) और मैंने तेरा नाम उनको बताया और बताता रहूँगा कि जो प्रेम तुझको मुझसे था, वह उनमें रहे औरमैं उनमें रहूँ।” Additional comments?
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