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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Contemporary Version Bible, Joshua Chapter 8 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Contemporary/Joshua/8 1) फिर याहवेह ने यहोशू से कहा, “डरो मत और न घबराओ! अपने साथ सब योद्धाओं को लेकर अय पर आक्रमण करो. मैंने अय के राजा, प्रजा और उसके नगर और उसके देश को तुम्हें दे दिया है. 2) अय तथा उसके राजा के साथ तुम्हें वही करना होगा, जो तुमने येरीख़ो तथा उसके राजा के साथ किया था. लूट की सामग्री तथा पशु तुम अपने लिए रख सकते हो.” 3) तब यहोशू अपने समस्त योद्धाओं को लेकर अय पर आक्रमण के लिए निकल पड़े. यहोशू ने तीस हजार वीर योद्धा चुने और उन्हें रात को ही वहां भेज दिया. 4) उनसे यहोशू ने कहा, “तुम नगर के पीछे छिप जाना, नगर से ज्यादा दूर न जाना. तुम सब सावधान एवं तत्पर रहना. 5) तुम्हारे वहां पहुंचने पर मैं अपने साथ के योद्धाओं को लेकर नगर पर आक्रमण करूंगा. जब नगर के लोग सामना करने के लिए आगे बढ़ेंगे, तब हम उनके सामने से भागेंगे. 6) और जब वे पीछा करते हुए नगर से दूर आ जाएंगे तब वे सोचेंगे, ‘ये लोग पहले के समान हमें पीठ दिखाकर भाग रहे हैं.’ 7) तब तुम अपने छिपने के स्थान से उठकर नगर को अपने अधीन कर लेना; याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर नगर को तुम्हें सौंप देंगे. 8) फिर तुम उसमें आग लगा देना. तुम्हें यह याहवेह के वचन के अनुसार करना होगा. याद रखना, कि तुम्हारे लिए यह मेरा आदेश है.” 9) यह कहते हुए यहोशू ने उन्हें भेज दिया. वे अपने छिपने के जगह पर गए और वे बेथेल तथा अय के बीच में छिपे रहे, यह स्थान अय के पश्चिम में था. यहां यहोशू रात में सैनिकों के साथ तंबू में ही रहे. 10) सुबह जल्दी उठकर यहोशू सैनिकों एवं इस्राएल कि नेता को साथ लेकर अय पहुंचे. 11) तब सभी सैनिक यहोशू के साथ नगर में पहुंचे, और उन्होंने अय के उत्तर में तंबू डाल दिया. उनके तथा अय नगर के बीच केवल एक घाटी ही की दूरी थी. 12) तब यहोशू ने लगभग पांच हज़ार सैनिकों को बेथेल एवं अय के पश्चिम में खड़े कर दिए. 13) और खास सेना को नगर के उत्तर में, तथा कुछ सैनिकों को पश्चिम में खड़ा किया और यहोशू ने रात घाटी में बिताई. 14) जब अय के राजा ने यहोशू के सैनिकों को देखा; वे जल्दी नगर के लोगों को लेकर इस्राएल से युद्ध करने निकल पड़े. युद्ध मरुभूमि के मैदान में था. लेकिन राजा को नहीं मालूम था कि नगर के पीछे इस्राएली सैनिक छिपे हैं. 15) यहां यहोशू और उनके साथ के सैनिकों ने उनके सामने कमजोर होने का दिखावा किया. वे पीठ दिखाते हुए निर्जन प्रदेश में भागने लगे. 16) इनका पीछा करने के लिए नगरवासियों को तैयार किया था. वे यहोशू का पीछा करते हुए नगर से दूर होते गए. 17) अब अय में और बेथेल में कोई भी पुरुष न बचा, सब पुरुष इस्राएल का पीछा करने जा चुके थे. नगर को बचाने के लिए कोई नहीं था. 18) तब याहवेह ने यहोशू से कहा, “जो बर्छी तुम अपने हाथ में लिए हुए हो, उसे अय की ओर उठाओ, क्योंकि मैं इसे तुम्हें दे रहा हूं.” तब यहोशू ने वह बर्छी, जो अपने हाथ में लिए हुए थे, नगर की ओर उठाई. 19) जब घात में बैठे सैनिक अपनी-अपनी जगह से बाहर आ गए और यहोशू ने वह बर्छी आगे बढ़ाई, तब ये सैनिक दौड़कर नगर में जा घुसे, और उस पर हमला किया और उन्होंने नगर में आग लगा दी. 20) दूसरी ओर जब उनका पीछा करते लोगों ने मुड़कर पीछे देखा, तो नगर से धुआं आकाश की ओर उठ रहा था. अब उनके लिए शरण लेने की कोई जगह न आगे थी, न पीछे, क्योंकि वे लोग, जो उन्हें पीठ दिखाकर निर्जन प्रदेश में भाग रहे थे, वे उनके विरुद्ध हो गए थे. 21) जब यहोशू के साथ के इस्राएली सैनिकों ने देखा कि घात लगाए सैनिकों ने नगर पर हमला किया है, और नगर से उठ रहा धुआं आकाश में पहुंच रहा है, तब उन्होंने अय के पुरुषों को मारना शुरू कर दिया. 22) वे सैनिक, जो नगर में थे, उनका सामना करने आ पहुंचे, तब अय के सैनिकों को इस्राएलियों ने घेर लिया. उन्होंने सबको ऐसा मारा कि न तो कोई बच सका और न कोई भाग पाया. 23) और वे अय के राजा को पकड़कर यहोशू के पास जीवित ले आए. 24) जब इस्राएलियों ने निर्जन प्रदेश में पीछा करते हुए अय के सब सैनिकों को तलवार से मार दिया, तब सारे इस्राएली वापस अय नगर में आ गए. 25) अय नगर में स्त्री-पुरुषों की संख्या बारह हजार थी. 26) यहोशू ने अपने हाथ की बर्छी उस समय तक नीची नहीं की जब तक उन्होंने अय के सभी लोगों को मार न दिया. 27) इस्राएलियों ने लूटे हुए सामान में से अपने लिए केवल पशु ही रखे, जैसा कि याहवेह ने यहोशू से कहा था. 28) यहोशू ने अय को पूरा जला दिया, जो आज तक निर्जन पड़ा है. 29) उन्होंने अय के राजा को शाम तक वृक्ष पर लटकाए रखा और शाम होनें पर शव को वहां से उतारकर नगर के बाहर फेंक दिया, तथा उसके ऊपर पत्थरों का ऊंचा ढेर लगा दिया, जो आज तक वहीं है. 30) फिर यहोशू ने मोशेह द्वारा लिखी व्यवस्था में से इस्राएल वंश को दिए गए निर्देशों के अनुसार एबल पर्वत में ऐसे पत्थरों को लेकर वेदी बनाई, जिन पर किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं किया गया था. इस वेदी पर उन्होंने याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के लिए होमबलि तथा मेल बलि चढ़ाई. 31) 32) सब इस्राएलियों के सामने यहोशू ने मोशेह के द्वारा लिखी हुई व्यवस्था की नकल कराई. 33) उस समय सब इस्राएली अपने धर्मवृद्धों, अधिकारियों तथा न्याय करनेवालो के साथ और याहवेह के वाचा का संदूक उठानेवाले दोनों ओर खड़े हुए थे; दूसरे लोग जो वहां रहते थे तथा जन्म से ही जो इस्राएली थे, उनमें आधे गेरिज़िम पर्वत के पास तथा आधे एबल पर्वत के पास खड़े थे. और यह याहवेह के सेवक मोशेह को पहले से कही गई थी कि इस्राएली प्रजा को आशीर्वाद दे. 34) इसके बाद यहोशू ने सबके सामने व्यवस्था की सब बातें जैसी लिखी हुई थी; आशीष और शाप की, सबको पढ़के सुनायी. 35) उसमें से कोई भी बात न छूटी, जो यहोशू ने उस समय सब इस्राएली, जिसमें स्त्रियां, बालक एवं उनके बीच रह रहे पराये भी थे, न सुनी हो. 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