< Ayup 25 >

1 Xuhaliⱪ Bildad jawabǝn mundaⱪ dedi: —
तब बिलदद सूखी ने जवाब दिया
2 «Uningda ⱨɵkümranliⱪ ⱨǝm ⱨǝywǝt bardur; U asmanlarning ⱪǝridiki ixlarnimu tǝrtipkǝ salidu.
“हुकूमत और दबदबा उसके साथ है वह अपने बुलन्द मक़ामों में अमन रखता है।
3 Uning ⱪoxunlirini sanap tügǝtkili bolamdu? Uning nuri kimning üstigǝ qüxmǝy ⱪalar?
क्या उसकी फ़ौजों की कोई ता'दाद है? और कौन है जिस पर उसकी रोशनी नहीं पड़ती?
4 Əmdi insan balisi ⱪandaⱪmu Tǝngrining aldida ⱨǝⱪⱪaniy bolalisun? Ayal zatidin tuƣulƣanlar ⱪandaⱪmu pak bolalisun?
फिर इंसान क्यूँकर ख़ुदा के सामने रास्त ठहर सकता है? या वह जो 'औरत से पैदा हुआ है क्यूँकर पाक हो सकता है?
5 Mana, Uning nǝziridǝ ⱨǝtta aymu yoruⱪ bolmiƣan yǝrdǝ, Yultuzlarmu pak bolmiƣan yǝrdǝ,
देख, चाँद में भी रोशनी नहीं, और तारे उसकी नज़र में पाक नहीं।
6 Ⱪurt bolƣan insan, Sazang bolƣan adǝm balisi [uning aldida] ⱪandaⱪ bolar?».
फिर भला इंसान का जो महज़ कीड़ा है, और आदमज़ाद जो सिर्फ़ किरम है क्या ज़िक्र।”

< Ayup 25 >