< गज़लुल 7 >
1 ऐ अमीरज़ादी तेरे पाँव जूतियों में कैसे खू़बसूरत हैं! तेरी रानों की गोलाई उन ज़ेवरों की तरह है, जिनको किसी उस्ताद कारीगर ने बनाया हो।
[[Lov.]] How beautiful are thy feet in sandals, O prince's daughter! The roundings of thy hips are like neck ornaments, The work of the hands of the artificer;
2 तेरी नाफ़ गोल प्याला है, जिसमें मिलाई हुई मय की कमी नहीं। तेरा पेट गेहूँ का अम्बार है, जिसके आस — पास सोसन हों।
Thy navel is like a round goblet, that wanteth not the spiced wine; Thy belly like a heap of wheat, inclosed with lilies;
3 तेरी दोनों छातियाँ दो आहू बच्चे हैं जो तोअम पैदा हुए हों।
Thy two breasts are like two young twin gazelles;
4 तेरी गर्दन हाथी दाँत का बुर्ज है। तेरी आँखें बैत — रबीम के फाटक के पास हस्बून के चश्मे हैं। तेरी नाक लुबनान के बुर्ज की मिसाल है जो दमिश्क़ के रुख़ बना है।
Thy neck is as a tower of ivory; Thine eyes are like the pools at Heshbon, by the gate of Bath-rabbim; Thy nose is as the tower of Lebanon, which looketh toward Damascus;
5 तेरा सिर तुझ पर कर्मिल की तरह है, और तेरे सिर के बाल अर्ग़वानी हैं; बादशाह तेरी जुल्फ़ों में क़ैदी है।
Thy head upon thee is like Carmel, And the hair of thy head like purple; The king is captivated by thy locks.
6 ऐ महबूबा ऐश — ओ — इश्रत के लिए तू कैसी जमीला और जाँफ़ज़ा है।
How fair, how pleasant art thou, love, in delights!
7 यह तेरी क़ामत खजूर की तरह है, और तेरी छातियाँ अंगूर के गुच्छे हैं।
This thy stature is like the palm-tree, And thy breasts like clusters of dates.
8 मैंने कहा, मैं इस खजूर पर चढूँगा, और इसकी शाख़ों को पकड़ूँगा। तेरी छातियाँ अंगूर के गुच्छे हों और तेरे साँस की ख़ुशबू सेब के जैसी हो,
I will go up, say I to myself, upon the palm-tree; I will take hold of its boughs, And thy breasts shall be as clusters of the vine, And the fragrance of thy nose like apples,
9 और तेरा मुँह' बेहतरीन शराब की तरह हो जो मेरे महबूब की तरफ़ सीधी चली जाती है, और सोने वालों के होंटों पर से आहिस्ता आहिस्ता बह जाती है।
And thy mouth like the best wine— [[M.]] — that goeth down smoothly for my beloved, Flowing over the lips of them that sleep.
10 मैं अपने महबूब की हूँऔर वह मेरा मुश्ताक़ है।
I am my beloved's, And his desire is toward me.
11 ऐ मेरे महबूब, चल हम खेतों में सैर करेंऔर गाँव में रात काटें।
Come, my beloved, let us go forth into the country; Let us lodge in the villages!
12 फिर तड़के अंगूरिस्तानों में चलें, और देखें कि आया ताक शिगुफ़्ता है, और उसमे फूल निकले हैं, और अनार की कलियाँ खिली हैं या नहीं। वहाँ मैं तुझे अपनी मुहब्बत दिखाउंगी।
Then will we go early to the vineyards, To see whether the vine putteth forth, Whether its blossom openeth, And the pomegranates bud forth; There will I give thee my love!
13 मर्दुमग्याह की ख़ुशबू फ़ैल रही है, और हमारे दरवाज़ों पर हर क़िस्म के तर — ओ — ख़ुश्क मेवे हैं जो मैंने तेरे लिए जमा' कर रख्खे हैं, ऐ मेरे महबूब।
The love-apples give forth fragrance; And at our doors are all kinds of precious fruits, new and old: I have kept them for thee, my beloved!