< रोमियो 9 >

1 मैं मसीह में सच कहता हूँ, झूठ नहीं बोलता, और मेरा दिल भी रूह — उल — क़ुद्दूस में इस की गवाही देता है
ⲁ̅ⲟⲩⲙⲉ ⲧⲉϯϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϩⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲛ̅ϯϫⲓϭⲟⲗ ⲁⲛ. ⲉⲥⲣ̅ⲙⲛ̅ⲧⲣⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲛ̅ϭⲓⲧⲁⲥⲩⲛⲓⲇⲏⲥⲓⲥ ϩⲙ̅ⲟⲩⲡ̅ⲛ̅ⲁ̅ ⲉϥⲟⲩⲁⲁⲃ.
2 कि मुझे बड़ा ग़म है और मेरा दिल बराबर दुःखता रहता है।
ⲃ̅ϫⲉ ⲟⲩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲗⲩⲡⲏ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲓ̈ ⲙⲛ̅ⲟⲩⲙ̅ⲕⲁϩ ⲛ̅ϩⲏⲧ ⲛ̅ⲁⲧⲱϫⲛ̅ ϩⲙ̅ⲡⲁϩⲏⲧ.
3 क्यूँकि मुझे यहाँ तक मंज़ूर होता कि अपने भाइयों की ख़ातिर जो जिस्म के ऐतबार से मेरे क़रीबी हैं में ख़ुद मसीह से महरूम हो जाता।
ⲅ̅ⲛⲉⲓ̈ϣⲗⲏⲗ ⲅⲁⲣ ⲁⲛⲟⲕ ⲡⲉ ⲉⲧⲣⲁϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲥ̅ⲧⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲙ̅ⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϩⲁⲛⲁⲥⲛⲏⲩ ⲛⲁⲥⲩⲅⲅⲉⲛⲏⲥ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅
4 वो इस्राईल हैं, और लेपालक होने का हक़ और जलाल और ओह्दा और शरी'अत और इबादत और वा'दे उन ही के हैं।
ⲇ̅ⲉⲧⲉⲛⲁⲓ̈ ⲛⲉ ⲛⲓ̈ⲥⲣⲁⲏⲗⲓⲧⲏⲥ. ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲧⲱⲟⲩ ⲧⲉ ⲧⲙⲛ̅ⲧϣⲏⲣⲉ. ⲙⲛ̅ⲡⲉⲟⲟⲩ. ⲙⲛ̅ⲧⲇⲓⲁⲑⲏⲕⲏ. ⲙⲛ̅ⲧⲛⲟⲙⲟⲑⲉⲥⲓⲁ. ⲙⲛ̅ⲡϣⲙ̅ϣⲉ. ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲣⲏⲧ.
5 और क़ौम के बुज़ुर्ग उन ही के हैं और जिस्म के ऐतबार से मसीह भी उन ही में से हुआ, जो सब के ऊपर और हमेशा तक ख़ुदा'ए महमूद है; आमीन। (aiōn g165)
ⲉ̅ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲛⲟⲩⲟⲩ ⲛⲉ ⲛ̅ⲉⲓⲟⲧⲉ. ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲁⲡⲉⲭ̅ⲥ̅ ⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲟⲩ ⲕⲁⲧⲁⲥⲁⲣⲝ̅. ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧϩⲓϫⲛ̅ⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ. ⲡⲉⲧⲥⲙⲁⲙⲁⲁⲧ ϣⲁⲛⲓⲉⲛⲉϩ ϩⲁⲙⲏⲛ· (aiōn g165)
6 लेकिन ये बात नहीं कि ख़ुदा का कलाम बातिल हो गया इसलिए कि जो इस्राईल की औलाद हैं वो सब इस्राईली नहीं।
ⲋ̅ⲟⲩⲭⲟⲓⲟⲛ ⲇⲉ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁϥϩⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡϣⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲟⲩⲟⲛ ⲅⲁⲣ ⲛⲓⲙ ⲁⲛ ⲉⲛⲧⲁⲩⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ ⲛⲁⲓ̈ ⲛⲉ ⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ.
7 और न अब्रहाम की नस्ल होने की वजह से सब फ़र्ज़न्द ठहरे बल्कि ये लिखा है; “कि इज़्हाक़ ही से तेरी नस्ल कहलाएगी।”
ⲍ̅ⲟⲩⲇⲉ ϫⲉ ϩⲉⲛⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲉⲥⲡⲉⲣⲙⲁ ⲛ̅ⲁⲃⲣⲁϩⲁⲙ ⲛⲉ ϩⲉⲛϣⲏⲣⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲛⲉ. ⲁⲗⲗⲁ ϩⲛ̅ⲓ̈ⲥⲁⲁⲕ ⲉⲩⲛⲁⲙⲟⲩⲧⲉ ⲛⲁⲕ ⲉⲩⲥⲡⲉⲣⲙⲁ.
8 या'नी कि जिस्मानी फ़र्ज़न्द ख़ुदा के फ़र्ज़न्द नहीं बल्कि वा'दे के फ़र्ज़न्द नस्ल गिने जाते हैं।
ⲏ̅ⲉⲧⲉⲡⲁⲓ̈ ⲡⲉ ϫⲉ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲥⲁⲣⲝ̅ ⲛⲁⲓ̈ ⲛⲉ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲁⲗⲗⲁ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲣⲏⲧ ⲛⲉⲧⲟⲩⲛⲁⲟⲡⲟⲩ ⲉⲡⲉⲥⲡⲉⲣⲙⲁ.
9 क्यूँकि वा'दे का क़ौल ये है “मैं इस वक़्त के मुताबिक़ आऊँगा और सारा के बेटा होगा।”
ⲑ̅ⲡⲉⲓ̈ϣⲁϫⲉ ⲅⲁⲣ ⲡⲁⲡⲉⲣⲏⲧ ⲡⲉ ϫⲉ ϯⲛⲏⲩ ⲕⲁⲧⲁⲡⲓⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛ̅ⲧⲉⲟⲩϣⲏⲣⲉ ϣⲱⲡⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲣⲣⲁ.
10 और सिर्फ़ यही नहीं बल्कि रबेका भी एक शख़्स या'नी हमारे बाप इज़्हाक़ से हामिला थी।
ⲓ̅ⲟⲩⲙⲟⲛⲟⲛ ⲇⲉ ⲁⲗⲗⲁ ⲧⲕⲉϩⲣⲉⲃⲉⲕⲕⲁ. ⲉⲁⲥϫⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲛ̅ⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ̅ ⲛ̅ⲟⲩⲁ ⲡⲉⲛⲉⲓⲱⲧ ⲓ̈ⲥⲁⲁⲕ.
11 और अभी तक न तो लड़के पैदा हुए थे और न उन्होंने नेकी या बदी की थी, कि उससे कहा गया, बड़ा छोटे की ख़िदमत करेगा।
ⲓ̅ⲁ̅ⲉⲙⲡⲁⲧⲟⲩϫⲡⲟⲟⲩ. ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲡⲁⲧⲟⲩⲣ̅ϩⲱⲃ ⲛ̅ⲁⲅⲁⲑⲟⲛ. ⲏ̅ ⲙ̅ⲡⲉⲑⲟⲟⲩ. ϫⲉⲕⲁⲁⲥ ⲉⲣⲉⲡⲧⲱϣ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲕⲁⲧⲁⲟⲩⲙⲛ̅ⲧⲥⲱⲧⲡ̅ ⲙⲟⲩⲛ ⲉⲃⲟⲗ.
12 ताकि ख़ुदा का इरादा जो चुनाव पर मुन्हसिर है “आ'माल पर म्बनी न ठहरे बल्कि बुलानेवाले पर।”
ⲓ̅ⲃ̅ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲃⲏⲩⲉ ⲁⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲉⲧⲧⲱϩⲙ̅. ⲁⲩϫⲟⲟⲥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲡⲛⲟϭ ⲛⲁⲣ̅ϩⲙ̅ϩⲁⲗ ⲙ̅ⲡⲕⲟⲩⲓ̈.
13 चुनाँचे लिखा है “मैंने याक़ूब से तो मुहब्बत की मगर ऐसों को नापसन्द।”
ⲓ̅ⲅ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲧⲥⲏϩ ϫⲉ ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃ ⲁⲓ̈ⲙⲉⲣⲓⲧϥ̅. ⲏ̅ⲥⲁⲩ ⲇⲉ ⲁⲓ̈ⲙⲉⲥⲧⲱϥ.
14 पस हम क्या कहें? क्या ख़ुदा के यहाँ बे'इन्साफ़ी है? हरगिज़ नहीं;
ⲓ̅ⲇ̅ⲟⲩ ϭⲉ ⲡⲉⲧⲛ̅ⲛⲁϫⲟⲟϥ ⲙⲏ ⲟⲩⲛ̅ϫⲓ ⲛ̅ϭⲟⲛⲥ̅ ⲛ̅ⲛⲁϩⲣⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲥϣⲱⲡⲉ.
15 क्यूँकि वो मूसा से कहता है “जिस पर रहम करना मंज़ूर है और जिस पर तरस खाना मंज़ूर है उस पर तरस खाऊँगा।”
ⲓ̅ⲉ̅ϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ⲅⲁⲣ ⲙ̅ⲙⲱⲩ̈ⲥⲏⲥ ϫⲉ ϯⲛⲁⲛⲁ ⲙ̅ⲡⲉϯⲛⲁⲛⲁ ⲛⲁϥ. ⲧⲁϣⲛϩ̅ⲧⲏⲓ̈ ϩⲁⲡⲉϯⲛⲁϣⲛ̅ϩⲧⲏⲓ̈ ϩⲁⲣⲟϥ.
16 पर ये न इरादा करने वाले पर मुन्हसिर है न दौड़ धूप करने वाले पर बल्कि रहम करने वाले ख़ुदा पर।
ⲓ̅ⲋ̅ⲁⲣⲁ ϭⲉ ⲙ̅ⲡⲁⲡⲉⲧⲟⲩⲱϣ ⲁⲛ ⲡⲉ. ⲟⲩⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲁⲡⲉⲧⲡⲏⲧ ⲁⲛ ⲡⲉ. ⲁⲗⲗⲁ ⲡⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲛⲁ ⲡⲉ.
17 क्यूँकि किताब — ए — मुक़द्दस में ख़ुदा ने फिर'औन से कहा “मैंने इसी लिए तुझे खड़ा किया है कि तेरी वजह से अपनी क़ुदरत ज़ाहिर करूँ, और मेरा नाम तमाम रू'ऐ ज़मीन पर मशहूर हो।”
ⲓ̅ⲍ̅ϣⲁⲣⲉⲧⲉⲅⲣⲁⲫⲏ ⲅⲁⲣ ϫⲟⲟⲥ ⲙ̅ⲫⲁⲣⲁⲱ ϫⲉ ⲉⲧⲃⲉⲡⲁⲓ̈ ⲁⲓ̈ⲧⲟⲩⲛⲟⲥⲕ̅ ϫⲉ ⲉⲓ̈ⲉⲟⲩⲉⲛϩ̅ⲧⲁϭⲟⲙ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲕ̅. ⲁⲩⲱ ϫⲉ ⲉⲩⲉϫⲱ ⲙ̅ⲡⲁⲣⲁⲛ ϩⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲧⲏⲣϥ̅.
18 पर वो जिस पर चाहता है रहम करता है, और जिसे चाहता है उसे सख़्त करता है।
ⲓ̅ⲏ̅ⲁⲣⲁ ϭⲉ ⲡⲉⲧϥ̅ⲟⲩⲁϣϥ̅ ⲡⲉϣⲁϥⲛⲁ ⲛⲁϥ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϥ̅ⲟⲩⲁϣϥ̅ ϣⲁϥϯⲛ̅ϣⲟⲧ ⲛⲁϥ.
19 पर तू मुझ से कहेगा, “फिर वो क्यूँ ऐब लगाता है? कौन उसके इरादे का मुक़ाबिला करता है?”
ⲓ̅ⲑ̅ⲕⲛⲁϫⲟⲟⲥ ϭⲉ ⲛⲁⲓ̈ ϫⲉ ⲁϩⲣⲟϥ ϥϭⲛ̅ⲁⲣⲓⲕⲉ. ⲛⲓⲙ ⲅⲁⲣ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ̅ ⲟⲩⲃⲉⲡⲉϥⲟⲩⲱϣ.
20 ऐ' इंसान, भला तू कौन है जो ख़ुदा के सामने जवाब देता है? क्या बनी हुई चीज़ बनाने वाले से कह सकती है “तूने मुझे क्यूँ ऐसा बनाया?”
ⲕ̅ⲱ̅ ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛ̅ⲧⲕ̅ⲛⲓⲙ ϩⲱⲱϥ ⲉⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲟⲩⲃⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙⲏ ⲡⲉⲡⲗⲁⲥⲙⲁ ⲛⲁϫⲟⲟⲥ ⲙ̅ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲡⲗⲁⲥⲥⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ϫⲉ ⲁϩⲣⲟⲕ ⲁⲕⲧⲁⲙⲓⲟⲓ̈ ⲛ̅ⲧⲉⲓ̈ϩⲉ.
21 क्या कुम्हार को मिट्टी पर इख़्तियार नहीं? कि एक ही लौन्दे में से एक बरतन इज़्ज़त के लिए बनाए और दूसरा बे'इज़्ज़ती के लिए?
ⲕ̅ⲁ̅ⲏ̅ ⲙⲛ̅ⲧⲉⲡⲕⲉⲣⲁⲙⲉⲩⲥⲧⲉⲝⲟⲩⲥⲓⲁ ⲉⲧⲁⲙⲓⲟ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲓⲟⲙⲉ ⲛ̅ⲟⲩⲱⲧ ⲛ̅ⲟⲩϩⲛⲁⲁⲩ ⲉⲩⲧⲁⲉⲓⲟ. ⲕⲉⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲉⲩⲥⲱϣ.
22 पस क्या त'अज्जुब है अगर ख़ुदा अपना ग़ज़ब ज़ाहिर करने और अपनी क़ुदरत ज़ाहिर करने के इरादे से ग़ज़ब के बरतनों के साथ जो हलाकत के लिए तैयार हुए थे, निहायत तहम्मील से पैश आए।
ⲕ̅ⲃ̅ⲉϣϫⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲇⲉ ⲉϥⲟⲩⲱϣ ⲉⲟⲩⲱⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲉϥⲟⲣⲅⲏ. ⲁⲩⲱ ⲉⲧⲁⲙⲟⲛ ⲉⲧⲉϥϭⲟⲙ. ⲁϥⲉⲓⲛⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩⲛⲟϭ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧϩⲁⲣϣ̅ϩⲏⲧ ⲛ̅ϩⲉⲛⲥⲕⲉⲩⲏ ⲛ̅ⲟⲣⲅⲏ ⲉⲩⲥⲃ̅ⲧⲱⲧ ⲉⲡⲧⲁⲕⲟ.
23 और ये इसलिए हुआ कि अपने जलाल की दौलत रहम के बरतनों के ज़रिए से ज़ाहिर करे जो उस ने जलाल के लिए पहले से तैयार किए थे।
ⲕ̅ⲅ̅ϫⲉ ⲉϥⲉⲟⲩⲱⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲣⲙ̅ⲙⲁⲟ ⲙ̅ⲡⲉϥⲉⲟⲟⲩ ⲉϫⲛ̅ϩⲉⲛⲥⲕⲉⲩⲏ ⲛ̅ⲛⲁ. ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲛⲧⲁϥⲥⲃ̅ⲧⲱⲧⲟⲩ ϫⲓⲛⲛ̅ϣⲟⲣⲡ̅ ⲉⲡⲉⲟⲟⲩ.
24 या'नी हमारे ज़रिए से जिनको उसने न सिर्फ़ यहूदियों में से बल्कि ग़ैर क़ौमों में से भी बुलाया।
ⲕ̅ⲇ̅ⲛⲁⲓ̈ ⲟⲛ ⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁϩⲙⲟⲩ ⲁⲛⲟⲛ. ⲟⲩⲙⲟⲛⲟⲛ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲓ̈ⲟⲩⲇⲁⲓ̈. ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛ̅ⲕⲉϩⲉⲑⲛⲟⲥ.
25 चुनाँचे होसे की किताब में भी ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, “जो मेरी उम्मत नहीं थी उसे अपनी उम्मत कहूँगा' और जो प्यारी न थी उसे प्यारी कहूँगा।
ⲕ̅ⲉ̅ⲛ̅ⲑⲉ ⲟⲛ ⲉϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ⲛ̅ⲱⲥⲏⲉ ϫⲉ ϯⲛⲁⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲡⲉⲧⲉⲙ̅ⲡⲁⲗⲁⲟⲥ ⲁⲛ ⲡⲉ ϫⲉ ⲡⲁⲗⲁⲟⲥ. ⲁⲩⲱ ⲧⲁⲙⲉⲣⲓⲧ ⲁⲛ ϫⲉ ⲧⲁⲙⲉⲣⲓⲧ.
26 और ऐसा होगा कि जिस जगह उनसे ये कहा गया था कि तुम मेरी उम्मत नहीं हो, उसी जगह वो ज़िन्दा ख़ुदा के बेटे कहलाएँगे।”
ⲕ̅ⲋ̅ⲛⲥ̅ϣⲱⲡⲉ ϩⲙ̅ⲡⲙⲁ ⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟⲟⲥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲧⲛ̅ⲡⲁⲗⲁⲟⲥ ⲁⲛ ⲥⲉⲛⲁⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲟⲛϩ̅.
27 और यसायाह इस्राईल के बारे में पुकार कर कहता है चाहे बनी इस्राईल का शुमार समुन्दर की रेत के बराबर हो तोभी उन में से थोड़े ही बचेंगे।
ⲕ̅ⲍ̅ⲏ̅ⲥⲁⲓ̈ⲁⲥ ⲇⲉ ϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲁⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ. ϫⲉ ⲉⲣϣⲁⲛⲧⲏⲡⲉ ⲛ̅ⲛ̅ϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ ⲣ̅ⲑⲉ ⲙ̅ⲡϣⲱ ⲛ̅ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲟⲩϣⲱϫⲡ̅ ⲡⲉⲧⲛⲁⲟⲩϫⲁⲓ̈.
28 क्यूँकि ख़ुदावन्द अपने कलाम को मुकम्मल और ख़त्म करके उसके मुताबिक़ ज़मीन पर अमल करेगा।
ⲕ̅ⲏ̅ⲟⲩϣⲁϫⲉ ⲅⲁⲣ ⲉϥϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲱ ⲉϥϣⲱⲱⲧ ⲡⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲁⲁⲁϥ ϩⲓϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ.
29 चुनाँचे यसायाह ने पहले भी कहा है कि अगर रब्बुल अफ़वाज हमारी कुछ नस्ल बाक़ी न रखता तो हम सदूम की तरह और अमूरा के बराबर हो जाते।
ⲕ̅ⲑ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲟⲛ ⲉⲛⲧⲁⲏ̅ⲥⲁⲓ̈ⲁⲥ ϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲛ̅ⲥⲁⲃⲏⲗ ϫⲉ ⲁⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲥⲁⲃⲁⲱⲑ ϣⲱϫⲡ̅ ⲛⲁⲛ ⲛ̅ⲟⲩⲥⲡⲉⲣⲙⲁ. ⲛⲉⲛⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲡⲉ ⲛ̅ⲑⲉ ⲛ̅ⲥⲟⲇⲟⲙⲁ. ⲛ̅ⲧⲛ̅ⲉⲓⲛⲉ ⲛ̅ⲅⲟⲙⲟⲣⲣⲁ.
30 पस हम क्या कहें? ये कि ग़ैर क़ौमों ने जो रास्तबाज़ी की तलाश न करती थीं, रास्तबाज़ी हासिल की या'नी वो रास्तबाज़ी जो ईमान से है।
ⲗ̅ⲉⲛⲛⲁϫⲟⲟⲥ ϭⲉ ϫⲉ ⲟⲩ ϫⲉⲛ̅ϩⲉⲑⲛⲟⲥ ⲉⲧⲉⲛ̅ⲥⲉⲡⲏⲧ ⲁⲛ ⲛ̅ⲥⲁⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲁⲩⲧⲁϩⲉⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ. ⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲇⲉ ⲧⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ.
31 मगर इस्राईल जो रास्बाज़ी की शरी'अत तक न पहुँचा।
ⲗ̅ⲁ̅ⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ ⲇⲉ ⲉϥⲡⲏⲧ ⲛ̅ⲥⲁⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲛ̅ⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲙ̅ⲡϥ̅ⲧⲁϩⲉⲡⲛⲟⲙⲟⲥ.
32 किस लिए? इस लिए कि उन्होंने ईमान से नहीं बल्कि गोया आ'माल से उसकी तलाश की; उन्होंने उसे ठोकर खाने के पत्थर से ठोकर खाई।
ⲗ̅ⲃ̅ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲛ. ⲁⲗⲗⲁ ϩⲱⲥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲛⲉϩⲃⲏⲟⲩⲉ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩϫⲱⲣⲡ̅ ⲉⲡⲱⲛⲉ ⲛ̅ϫⲣⲟⲡ
33 चुनाँचे लिखा है देखो; “मैं सिय्यून में ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान रखता हूँ और जो उस पर ईमान लाएगा वो शर्मिन्दा न होगा।”
ⲗ̅ⲅ̅ⲕⲁⲧⲁⲑⲉ ⲉⲧⲥⲏϩ ϫⲉ ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ϯⲛⲁⲕⲱ ϩⲛ̅ⲥⲓⲱⲛ ⲛ̅ⲟⲩⲱⲛⲉ ⲛ̅ϫⲣⲟⲡ ⲙⲛ̅ⲟⲩⲡⲉⲧⲣⲁ ⲛ̅ⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲟⲛ. ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲛⲁⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲛϥ̅ⲛⲁϫⲓϣⲓⲡⲉ ⲁⲛ.

< रोमियो 9 >