< मुकाशफ़ा 8 >

1 जब उसने सातवीं मुहर खोली, तो आधे घंटे के क़रीब आसमान में ख़ामोशी रही।
Und als es das siebente Siegel öffnete, entstand eine Stille im Himmel, von etwa einer halben Stunde.
2 और मैंने उन सातों फ़रिश्तों को देखा जो ख़ुदा के सामने खड़े रहते हैं, और उन्हें सात नरसिंगे दीए गए।
Und ich sah die sieben Engel, die vor Gott stehen; und es wurden ihnen sieben Posaunen gegeben.
3 फिर एक और फ़रिश्ता सोने का 'बखूरदान लिए हुए आया और क़ुर्बानगाह के ऊपर खड़ा हुआ, और उसको बहुत सा 'ऊद दिया गया, ताकि अब मुक़द्दसों की दु'आओं के साथ उस सुनहरी क़ुर्बानगाह पर चढ़ाए जो तख़्त के सामने है।
Und ein anderer Engel kam und stellte sich an den Altar, der hatte eine goldene Räucherpfanne; und ihm wurde viel Räucherwerk gegeben, damit er es mitsamt den Gebeten aller Heiligen auf den goldenen Altar gäbe, der vor dem Throne ist.
4 और उस 'ऊद का धुवाँ फ़रिश्ते के सामने है।
Und der Rauch des Räucherwerks stieg mit den Gebeten der Heiligen aus der Hand des Engels auf vor Gott.
5 और फ़रिश्ते ने 'बखूरदान को लेकर उसमें क़ुर्बानगाह की आग भरी और ज़मीन पर डाल दी, और गरजें और आवाज़ें और बिजलियाँ पैदा हुईं और भुन्चाल आया।
Und der Engel nahm die Räucherpfanne und füllte sie mit Feuer vom Altar und warf sie auf die Erde; und es entstanden Stimmen und Donner und Blitze und Erdbeben.
6 और वो सातों फ़रिश्ते जिनके पास वो सात नरसिंगे थे, फूँकने को तैयार हुए।
Und die sieben Engel, welche die sieben Posaunen hatten, machten sich bereit zu posaunen.
7 जब पहले ने नरसिंगा फूँका, तो ख़ून मिले हुए ओले और आग पैदा हुई और ज़मीन जल गई, और तिहाई दरख़्त जल गए, और तमाम हरी घास जल गई।
Und der erste Engel posaunte, und es entstand Hagel und Feuer, mit Blut vermischt, und wurde auf die Erde geworfen; und der dritte Teil der Erde verbrannte, und der dritte Teil der Bäume verbrannte, und alles grüne Gras verbrannte.
8 जब दूसरे फ़रिश्ते ने नरसिंगा फूँका, गोया आग से जलता हुआ एक बड़ा पहाड़ समुन्दर में डाला गया; और तिहाई समुन्दर ख़ून हो गया।
Und der zweite Engel posaunte, und es wurde etwas wie ein großer feuerspeiender Berg ins Meer geworfen; und der dritte Teil des Meeres wurde zu Blut,
9 और समुन्दर की तिहाई जानदार मख़लूक़ात मर गई, और तिहाई जहाज़ तबाह हो गए।
und der dritte Teil der Geschöpfe im Meer, welche Seelen haben, starb, und der dritte Teil der Schiffe ging zugrunde.
10 जब तीसरे फ़रिश्ते ने नरसिंगा फूँका, तो एक बड़ा सितारा मशा'ल की तरह जलता हुआ आसमान से टूटा, और तिहाई दरियाओं और पानी के चश्मों पर आ पड़ा।
Und der dritte Engel posaunte; da fiel ein großer Stern vom Himmel, brennend wie eine Fackel, und er fiel auf den dritten Teil der Flüsse und auf die Wasserquellen;
11 उस सितारे का नाम नागदौना कहलाता है; और तिहाई पानी नागदौने की तरह कड़वा हो गया, और पानी के कड़वे हो जाने से बहुत से आदमी मर गए।
und der Name des Sternes heißt Wermut. Und der dritte Teil der Gewässer wurde zu Wermut, und viele der Menschen starben von den Gewässern, weil sie bitter geworden waren.
12 जब चौथे फ़रिश्ते ने नरसिंगा फूँका, तो तिहाई सूरज चाँद और तिहाई सितारों पर सदमा पहूँचा, यहाँ तक कि उनका तिहाई हिस्सा तारीक हो गया, और तिहाई दिन में रौशनी न रही, और इसी तरह तिहाई रात में भी।
Und der vierte Engel posaunte; da wurde der dritte Teil der Sonne und der dritte Teil des Mondes und der dritte Teil der Sterne geschlagen, damit der dritte Teil derselben verfinstert würde und der Tag ohne Beleuchtung sei seinen dritten Teil, und die Nacht in gleicher Weise.
13 जब मैंने फिर निगाह की, तो आसमान के बीच में एक 'उक़ाब को उड़ते और बड़ी आवाज़ से ये कहते सुना, “उन तीन फ़रिश्तों के नरसिंगो की आवाज़ों की वजह से, जिनका फूँकना अभी बाक़ी है, ज़मीन के रहनेवालों पर अफ़सोस, अफ़सोस, अफ़सोस!”
Und ich sah und hörte einen Adler, der in der Mitte des Himmels flog und mit lauter Stimme rief: Wehe, wehe, wehe denen, die auf Erden wohnen, wegen der übrigen Posaunenstimmen der drei Engel, die noch posaunen sollen!

< मुकाशफ़ा 8 >