< ज़बूर 96 >

1 ख़ुदावन्द के सामने नया हम्द गाओ! ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! ख़ुदावन्द के सामने गाओ।
Canticum ipsi David, quando domus ædificabatur post captivitatem. [Cantate Domino canticum novum; cantate Domino omnis terra.
2 ख़ुदावन्द के सामने गाओ, उसके नाम को मुबारक कहो; रोज़ ब रोज़ उसकी नजात की बशारत दो।
Cantate Domino, et benedicite nomini ejus; annuntiate de die in diem salutare ejus.
3 क़ौमों में उसके जलाल का, सब लोगों में उसके 'अजायब का बयान करो।
Annuntiate inter gentes gloriam ejus; in omnibus populis mirabilia ejus.
4 क्यूँकि ख़ुदावन्द बुज़ु़र्ग़ और बहुत। सिताइश के लायक़ है; वह सब मा'बूदों से ज़्यादा ता'ज़ीम के लायक़ है।
Quoniam magnus Dominus, et laudabilis nimis: terribilis est super omnes deos.
5 इसलिए कि और क़ौमों के सब मा'बूद सिर्फ़ बुत हैं; लेकिन ख़ुदावन्द ने आसमानों को बनाया।
Quoniam omnes dii gentium dæmonia; Dominus autem cælos fecit.
6 अज़मत और जलाल उसके सामने में हैं, क़ुदरत और जमाल उसके मक़दिस में।
Confessio et pulchritudo in conspectu ejus; sanctimonia et magnificentia in sanctificatione ejus.
7 ऐ क़ौमों के क़बीलो! ख़ुदावन्द की, ख़ुदावन्द ही की तम्जीद — ओ — ताज़ीम करो!
Afferte Domino, patriæ gentium, afferte Domino gloriam et honorem;
8 ख़ुदावन्द की ऐसी तम्जीद करो जो उसके नाम की शायान है; हदिया लाओ और उसकी बारगाहों में आओ!
afferte Domino gloriam nomini ejus. Tollite hostias, et introite in atria ejus;
9 पाक आराइश के साथ ख़ुदावन्द को सिज्दा करो; ऐ सब अहल — ए — ज़मीन! उसके सामने काँपते रहो!
adorate Dominum in atrio sancto ejus. Commoveatur a facie ejus universa terra;
10 क़ौमों में 'ऐलान करो, “ख़ुदावन्द सल्तनत करता है! जहान क़ाईम है, और उसे जुम्बिश नहीं; वह रास्ती से कौमों की 'अदालत करेगा।”
dicite in gentibus, quia Dominus regnavit. Etenim correxit orbem terræ, qui non commovebitur; judicabit populos in æquitate.
11 आसमान ख़ुशी मनाए, और ज़मीन ख़ुश हो; समन्दर और उसकी मा'मूरी शोर मचाएँ;
Lætentur cæli, et exsultet terra; commoveatur mare et plenitudo ejus;
12 मैदान और जो कुछ उसमें है, बाग़ — बाग़ हों; तब जंगल के सब दरख़्त खु़शी से गाने लगेंगे।
gaudebunt campi, et omnia quæ in eis sunt. Tunc exsultabunt omnia ligna silvarum
13 ख़ुदावन्द के सामने, क्यूँकि वह आ रहा है; वह ज़मीन की 'अदालत करने को रहा है। वह सदाक़त से जहान की, और अपनी सच्चाई से क़ौमों की 'अदालत करेगा।
a facie Domini, quia venit, quoniam venit judicare terram. Judicabit orbem terræ in æquitate, et populos in veritate sua.]

< ज़बूर 96 >