< ज़बूर 94 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा! जलवागर हो!
God of vengeance—YHWH! God of vengeance, shine forth.
2 ऐ जहान का इन्साफ़ करने वाले! उठ; मग़रूरों को बदला दे!
Be lifted up, judging the earth, Send back a repayment on the proud.
3 ऐ ख़ुदावन्द, शरीर कब तक; शरीर कब तक ख़ुशी मनाया करेंगे?
Until when do the wicked, O YHWH—Until when do the wicked exult?
4 वह बकवास करते और बड़ा बोल बोलत हैं, सब बदकिरदार लाफ़ज़नी करते हैं।
They utter—they speak arrogance, All working iniquity boast [about] themselves.
5 ऐ ख़ुदावन्द! वह तेरे लोगों को पीसे डालते हैं, और तेरी मीरास को दुख देते हैं।
Your people, O YHWH, they bruise, And they afflict Your inheritance.
6 वह बेवा और परदेसी को क़त्ल करते, और यतीम को मार डालते हैं;
They slay widow and sojourner, And they murder fatherless ones.
7 और कहते है “ख़ुदावन्द नहीं देखेगा और या'क़ूब का ख़ुदा ख़याल नहीं करेगा।”
And they say, “YAH does not see, And the God of Jacob does not consider.”
8 ऐ क़ौम के हैवानो! ज़रा ख़याल करो; ऐ बेवक़ूफ़ों! तुम्हें कब 'अक़्ल आएगी?
Consider, you brutish among the people, And you foolish, when do you act wisely?
9 जिसने कान दिया, क्या वह ख़ुद नहीं सुनता? जिसने आँख बनाई, क्या वह देख नहीं सकता?
He who plants the ear, does He not hear? He who forms the eye, does He not see?
10 क्या वह जो क़ौमों को तम्बीह करता है, और इंसान को समझ सिखाता है, सज़ा न देगा?
He who is instructing nations, does He not reprove? He who is teaching man knowledge [is] YHWH.
11 ख़ुदावन्द इंसान के ख़यालों को जानता है, कि वह बेकार हैं।
He knows the thoughts of man, that they [are] vanity.
12 ऐ ख़ुदावन्द, मुबारक है वह आदमी जिसे तू तम्बीह करता, और अपनी शरी'अत की ता'लीम देता है।
O the blessedness of the man Whom You instruct, O YAH, And teach him out of Your law,
13 ताकि उसको मुसीबत के दिनों में आराम बख्शे, जब तक शरीर के लिए गढ़ा न खोदा जाए।
To give rest to him from days of evil, While a pit is dug for the wicked.
14 क्यूँकि ख़ुदावन्द अपने लोगों को नहीं छोड़ेगा, और वह अपनी मीरास को नहीं छोड़ेगा;
For YHWH does not leave His people, And does not forsake His inheritance.
15 क्यूँकि 'अद्ल सदाक़त की तरफ़ रुजू' करेगा, और सब रास्त दिल उसकी पैरवी करेंगे।
For judgment turns back to righteousness, And after it all the upright of heart.
16 शरीरों के मुक़ाबले में कौन मेरे लिए उठेगा? बदकिरदारों के ख़िलाफ़ कौन मेरे लिए खड़ा होगा?
Who rises up for me with evildoers? Who stations himself for me with workers of iniquity?
17 अगर ख़ुदावन्द मेरा मददगार न होता, तो मेरी जान कब की 'आलम — ए — ख़ामोशी में जा बसी होती।
Unless YHWH [were] a help to me, My soul had almost inhabited silence.
18 जब मैंने कहा, मेरा पाँव फिसल चला, तो ऐ ख़ुदावन्द! तेरी शफ़क़त ने मुझे संभाल लिया।
If I have said, “My foot has slipped,” Your kindness, O YHWH, supports me.
19 जब मेरे दिल में फ़िक्रों की कसरत होती है, तो तेरी तसल्ली मेरी जान को ख़ुश करती है।
In the abundance of my thoughts within me, Your comforts delight my soul.
20 क्या शरारत के तख़्त से तुझे कुछ वास्ता होगा, जो क़ानून की आड़ में बदी गढ़ता है?
Is a throne of mischief joined [with] You? A framer of perverseness by statute?
21 वह सादिक़ की जान लेने को इकट्ठे होते हैं, और बेगुनाह पर क़त्ल का फ़तवा देते हैं।
They decree against the soul of the righteous, And declare innocent blood wicked.
22 लेकिन ख़ुदावन्द मेरा ऊँचा बुर्ज, और मेरा ख़ुदा मेरी पनाह की चट्टान रहा है।
And YHWH is for a high place to me, And my God [is] for a rock—my refuge,
23 वह उनकी बदकारी उन ही पर लाएगा, और उन ही की शरारत में उनको काट डालेगा। ख़ुदावन्द हमारा उनको काट डालेगा।
And He turns back their iniquity on them, And in their wickedness cuts them off; Our God YHWH cuts them off!

< ज़बूर 94 >