< ज़बूर 94 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा ऐ इन्तक़ाम लेने वाले ख़ुदा! जलवागर हो!
A Psalm of David himself. The Fourth Sabbath. The Lord is the God of retribution. The God of retribution acts in order to deliver.
2 ऐ जहान का इन्साफ़ करने वाले! उठ; मग़रूरों को बदला दे!
Lift yourself up, for you judge the earth. Repay the arrogant with retribution.
3 ऐ ख़ुदावन्द, शरीर कब तक; शरीर कब तक ख़ुशी मनाया करेंगे?
How long will sinners, O Lord, how long will sinners glory?
4 वह बकवास करते और बड़ा बोल बोलत हैं, सब बदकिरदार लाफ़ज़नी करते हैं।
How long will they utter and speak iniquity? How long will all who work injustice speak out?
5 ऐ ख़ुदावन्द! वह तेरे लोगों को पीसे डालते हैं, और तेरी मीरास को दुख देते हैं।
They have humiliated your people, O Lord, and they have harassed your inheritance.
6 वह बेवा और परदेसी को क़त्ल करते, और यतीम को मार डालते हैं;
They have executed the widow and the new arrival, and they have slaughtered the orphan.
7 और कहते है “ख़ुदावन्द नहीं देखेगा और या'क़ूब का ख़ुदा ख़याल नहीं करेगा।”
And they have said, “The Lord will not see, nor will the God of Jacob understand.”
8 ऐ क़ौम के हैवानो! ज़रा ख़याल करो; ऐ बेवक़ूफ़ों! तुम्हें कब 'अक़्ल आएगी?
Understand, you senseless ones among the people. And be wise at last, you foolish ones.
9 जिसने कान दिया, क्या वह ख़ुद नहीं सुनता? जिसने आँख बनाई, क्या वह देख नहीं सकता?
He who formed the ear, will he not hear? And he who forged the eye, does he not look closely?
10 क्या वह जो क़ौमों को तम्बीह करता है, और इंसान को समझ सिखाता है, सज़ा न देगा?
He who chastises nations, he who teaches man knowledge, will he not rebuke?
11 ख़ुदावन्द इंसान के ख़यालों को जानता है, कि वह बेकार हैं।
The Lord knows the thoughts of men: that these are in vain.
12 ऐ ख़ुदावन्द, मुबारक है वह आदमी जिसे तू तम्बीह करता, और अपनी शरी'अत की ता'लीम देता है।
Blessed is the man whom you will instruct, O Lord. And you will teach him from your law.
13 ताकि उसको मुसीबत के दिनों में आराम बख्शे, जब तक शरीर के लिए गढ़ा न खोदा जाए।
So may you soothe him from the evil days, until a pit may be dug for sinners.
14 क्यूँकि ख़ुदावन्द अपने लोगों को नहीं छोड़ेगा, और वह अपनी मीरास को नहीं छोड़ेगा;
For the Lord will not drive away his people, and he will not abandon his inheritance,
15 क्यूँकि 'अद्ल सदाक़त की तरफ़ रुजू' करेगा, और सब रास्त दिल उसकी पैरवी करेंगे।
even until the time when justice is being converted into judgment, and when those who are close to justice are all those who are upright of heart.
16 शरीरों के मुक़ाबले में कौन मेरे लिए उठेगा? बदकिरदारों के ख़िलाफ़ कौन मेरे लिए खड़ा होगा?
Who will rise up with me against the malignant? Or who will stand with me against the workers of iniquity?
17 अगर ख़ुदावन्द मेरा मददगार न होता, तो मेरी जान कब की 'आलम — ए — ख़ामोशी में जा बसी होती।
Except that the Lord assisted me, my soul almost would have dwelt in Hell. (questioned)
18 जब मैंने कहा, मेरा पाँव फिसल चला, तो ऐ ख़ुदावन्द! तेरी शफ़क़त ने मुझे संभाल लिया।
If ever I said, “My foot is slipping,” then your mercy, O Lord, assisted me.
19 जब मेरे दिल में फ़िक्रों की कसरत होती है, तो तेरी तसल्ली मेरी जान को ख़ुश करती है।
According to the multitude of my sorrows in my heart, your consolations have given joy to my soul.
20 क्या शरारत के तख़्त से तुझे कुछ वास्ता होगा, जो क़ानून की आड़ में बदी गढ़ता है?
Does the seat of iniquity adhere to you, you who contrive hardship within a commandment?
21 वह सादिक़ की जान लेने को इकट्ठे होते हैं, और बेगुनाह पर क़त्ल का फ़तवा देते हैं।
They will hunt down the soul of the just, and they will condemn innocent blood.
22 लेकिन ख़ुदावन्द मेरा ऊँचा बुर्ज, और मेरा ख़ुदा मेरी पनाह की चट्टान रहा है।
And the Lord has been made into a refuge for me, and my God into the assistance of my hope.
23 वह उनकी बदकारी उन ही पर लाएगा, और उन ही की शरारत में उनको काट डालेगा। ख़ुदावन्द हमारा उनको काट डालेगा।
And he will repay them their iniquity, and he will destroy them in their malice. The Lord our God will utterly destroy them.

< ज़बूर 94 >