< ज़बूर 90 >
1 या रब्ब, नसल दर नसल, तू ही हमारी पनाहगाह रहा है।
Herre! du har været vor Bolig fra Slægt til Slægt.
2 इससे पहले के पहाड़ पैदा हुए, या ज़मीन और दुनिया को तूने बनाया, इब्तिदा से हमेशा तक तू ही ख़ुदा है।
Før Bjergene bleve til, og du dannede Jorden og Jorderige, fra Evighed til Evighed er du Gud.
3 तू इंसान को फिर ख़ाक में मिला देता है, और फ़रमाता है, “ऐ बनी आदम, लौट आओ!”
Du vender det med et Menneske, at han bliver knust; og du siger: Kommer igen, I Menneskens Børn!
4 क्यूँकि तेरी नज़र में हज़ार बरस ऐसे हैं, जैसे कल का दिन जो गुज़र गया, और जैसे रात का एक पहर।
Thi tusinde Aar ere for dine Øjne som den Dag i Gaar, naar den er forbigangen; og som en Nattevagt.
5 तू उनको जैसे सैलाब से बहा ले जाता है; वह नींद की एक झपकी की तरह हैं, वह सुबह को उगने वाली घास की तरह हैं।
Du bortskyller dem, de blive som en Søvn, om Morgenen ere de som Græs, der gaar bort.
6 वह सुबह को लहलहाती और बढ़ती है, वह शाम को कटती और सूख जातीहै।
Om Morgenen blomstrer det, og det gaar bort, om Aftenen afhugges det og tørres.
7 क्यूँकि हम तेरे क़हर से फ़ना हो गए; और तेरे ग़ज़ब से परेशान हुए।
Thi vi fortæres i din Vrede, og vi forfærdes i din Harme.
8 तूने हमारी बदकिरदारी को अपने सामने रख्खा, और हमारे छुपे हुए गुनाहों को अपने चेहरे की रोशनी में।
Du har sat vore Misgerninger for dine Øjne, vor skjulte Synd for dit Ansigts Lys.
9 क्यूँकि हमारे तमाम दिन तेरे क़हर में गुज़रे, हमारी उम्र ख़याल की तरह जाती रहती है।
Thi alle vore Dage ere svundne bort i din Vrede, vi have hentæret vore Aar som en Tanke.
10 हमारी उम्र की मी'आद सत्तर बरस है, या कु़व्वत हो तो अस्सी बरस; तो भी उनकी रौनक़ महज़ मशक्क़त और ग़म है, क्यूँकि वह जल्द जाती रहती है और हम उड़ जाते हैं।
Vore Aars Dage, de ere halvfjerdsindstyve Aar, og er der Styrke, firsindstyve Aar; og deres Stolthed er Møje og Forfængelighed; thi hastelig gaar den forbi, og vi flyve derfra.
11 तेरे क़हर की शिद्दत को कौन जानता है, और तेरे ख़ौफ़ के मुताबिक़ तेरे ग़ज़ब को?
Hvo kender din Vredes Magt og din Harme, saaledes som Frygten for dig udkræver?
12 हम को अपने दिन गिनना सिखा, ऐसा कि हम अक़्ल दिल हासिल करें।
Lær os saaledes at tælle vore Dage, at vi bekomme Visdom i Hjertet.
13 ऐ ख़ुदावन्द, बाज़ आ! कब तक? और अपने बन्दों पर रहम फ़रमा!
Vend om, Herre! hvor længe —? og lad det gøre dig ondt over dine Tjenere.
14 सुबह को अपनी शफ़क़त से हम को आसूदा कर, ताकि हम उम्र भर ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम रहें।
Mæt os aarle med din Miskundhed, saa ville vi synge med Fryd og være glade i alle vore Dage.
15 जितने दिन तूने हम को दुख दिया, और जितने बरस हम मुसीबत में रहे, उतनी ही ख़ुशी हम को 'इनायत कर।
Glæd os efter de Dage, som du har plaget os, efter de Aar, som vi have set Ulykke.
16 तेरा काम तेरे बन्दों पर, और तेरा जलाल उनकी औलाद पर ज़ाहिर हो।
Lad din Gerning aabenbares for dine Tjenere og din Herlighed over deres Børn.
17 और रब्ब हमारे ख़ुदा का करम हम पर साया करे। हमारे हाथों के काम को हमारे लिए क़याम बख़्श हाँ हमारे हाथों के काम को क़याम बख़्श दे।
Og Herrens, vor Guds, Livsalighed være over os, og gør du vore Hænders Gerning fast for os, ja, gør vore Hænders Gerning fast!