< ज़बूर 87 >
1 उसकी बुनियाद पाक पहाड़ों में है।
Psalmus Cantici, filiis Core. Fundamenta eius in montibus sanctis:
2 ख़ुदावन्द सिय्यून के फाटकों को या'क़ूब के सब घरों से ज़्यादा 'अज़ीज़ रखता है।
diligit Dominus portas Sion super omnia tabernacula Iacob.
3 ऐ ख़ुदा के शहर! तेरी बड़ी बड़ी खू़बियाँ बयान की जाती हैं। (सिलाह)
Gloriosa dicta sunt de te, civitas Dei.
4 मैं रहब और बाबुल का यूँ ज़िक्र करूँगा, कि वह मेरे जानने वालों में हैं; फ़िलिस्तीन और सूर और कूश को देखो, यह वहाँ पैदा हुआ था।
Memor ero Rahab, et Babylonis scientium me. Ecce alienigenae, et Tyrus, et populus Aethiopum, hi fuerunt illic.
5 बल्कि सिय्यून के बारे में कहा जाएगा, कि फ़लाँ फ़लाँ आदमी उसमें पैदा हुए। और हक़ता'ला ख़ुद उसको क़याम बख़्शेगा।
Numquid Sion dicet: Homo, et homo natus est in ea: et ipse fundavit eam Altissimus?
6 ख़ुदावन्द क़ौमों के शुमार के वक़्त दर्ज करेगा, कि यह शख़्स वहाँ पैदा हुआ था।
Dominus narrabit in scripturis populorum, et principum: horum, qui fuerunt in ea.
7 गाने वाले और नाचने वाले यही कहेंगे कि मेरे सब चश्में तुझ ही में हैं।
Sicut laetantium omnium habitatio est in te.