< ज़बूर 87 >

1 उसकी बुनियाद पाक पहाड़ों में है।
τοῖς υἱοῖς Κορε ψαλμὸς ᾠδῆς οἱ θεμέλιοι αὐτοῦ ἐν τοῖς ὄρεσιν τοῖς ἁγίοις
2 ख़ुदावन्द सिय्यून के फाटकों को या'क़ूब के सब घरों से ज़्यादा 'अज़ीज़ रखता है।
ἀγαπᾷ κύριος τὰς πύλας Σιων ὑπὲρ πάντα τὰ σκηνώματα Ιακωβ
3 ऐ ख़ुदा के शहर! तेरी बड़ी बड़ी खू़बियाँ बयान की जाती हैं। (सिलाह)
δεδοξασμένα ἐλαλήθη περὶ σοῦ ἡ πόλις τοῦ θεοῦ διάψαλμα
4 मैं रहब और बाबुल का यूँ ज़िक्र करूँगा, कि वह मेरे जानने वालों में हैं; फ़िलिस्तीन और सूर और कूश को देखो, यह वहाँ पैदा हुआ था।
μνησθήσομαι Ρααβ καὶ Βαβυλῶνος τοῖς γινώσκουσίν με καὶ ἰδοὺ ἀλλόφυλοι καὶ Τύρος καὶ λαὸς Αἰθιόπων οὗτοι ἐγενήθησαν ἐκεῖ
5 बल्कि सिय्यून के बारे में कहा जाएगा, कि फ़लाँ फ़लाँ आदमी उसमें पैदा हुए। और हक़ता'ला ख़ुद उसको क़याम बख़्शेगा।
μήτηρ Σιων ἐρεῖ ἄνθρωπος καὶ ἄνθρωπος ἐγενήθη ἐν αὐτῇ καὶ αὐτὸς ἐθεμελίωσεν αὐτὴν ὁ ὕψιστος
6 ख़ुदावन्द क़ौमों के शुमार के वक़्त दर्ज करेगा, कि यह शख़्स वहाँ पैदा हुआ था।
κύριος διηγήσεται ἐν γραφῇ λαῶν καὶ ἀρχόντων τούτων τῶν γεγενημένων ἐν αὐτῇ διάψαλμα
7 गाने वाले और नाचने वाले यही कहेंगे कि मेरे सब चश्में तुझ ही में हैं।
ὡς εὐφραινομένων πάντων ἡ κατοικία ἐν σοί

< ज़बूर 87 >