< ज़बूर 86 >
1 ऐ ख़ुदावन्द! अपना कान झुका और मुझे जवाब दे, क्यूँकि मैं ग़रीब और मोहताज हूँ।
Jehovah, neige Dein Ohr, antworte mir; denn elend und dürftig bin ich.
2 मेरी जान की हिफ़ाज़त कर, क्यूँकि मैं दीनदार हूँ, ऐ मेरे ख़ुदा! अपने बन्दे को, जिसका भरोसा तुझ पर है, बचा ले।
Behüte meine Seele, denn ich bin heilig; rette Du, mein Gott, Deinen Knecht, der auf Dich vertraut.
3 या रब्ब, मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं दिन भर तुझ से फ़रियाद करता हूँ।
Herr, sei mir gnädig; denn zu Dir rufe ich den ganzen Tag.
4 या रब्ब, अपने बन्दे की जान को ख़ुश कर दे, क्यूँकि मैं अपनी जान तेरी तरफ़ उठाता हूँ।
Mache fröhlich die Seele Deines Knechtes, denn zu Dir, Herr, erhebe ich meine Seele.
5 इसलिए कि तू या रब्ब, नेक और मु'आफ़ करने को तैयार है, और अपने सब दुआ करने वालों पर शफ़क़त में ग़नी है।
Denn Du, Herr, bist gut und vergibst, und viel ist Deiner Barmherzigkeit gegen alle, die Dich anrufen.
6 ऐ ख़ुदावन्द, मेरी दुआ पर कान लगा, और मेरी मिन्नत की आवाज़ पर तवज्जुह फ़रमा।
Nimm zu Ohren, o Jehovah, mein Gebet, und horche auf die Stimme meines Flehens.
7 मैं अपनी मुसीबत के दिन तुझ से दुआ करूँगा, क्यूँकि तू मुझे जवाब देगा।
Am Tage meiner Drangsal rufe ich zu Dir; denn Du antwortest mir.
8 या रब्ब, मा'मूदों में तुझ सा कोई नहीं, और तेरी कारीगरी बेमिसाल हैं।
Keiner ist wie Du, Herr, unter den Göttern, und keine Taten wie die Deinigen.
9 या रब्ब, सब क़ौमें जिनको तूने बनाया, आकर तेरे सामने सिज्दा करेंगी और तेरे नाम की तम्जीद करेंगी।
Alle Völkerschaften, die Du gemacht, werden kommen und anbeten, Herr, vor Dir, und Deinen Namen verherrlichen.
10 क्यूँकि तू बुजु़र्ग है और 'अजीब — ओ — ग़रीब काम करता है, तू ही अकेला ख़ुदा है।
Denn groß bist Du und tust Wunder, Du bist Gott allein.
11 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ को अपनी राह की ता'लीम दे, मैं तेरी रास्ती में चलूँगा; मेरे दिल को यकसूई बख़्श, ताकि तेरे नाम का ख़ौफ़ मानूँ।
Weise mir, Jehovah, Deinen Weg, ich will in Deiner Wahrheit wandeln, einige mein Herz zur Furcht Deines Namens.
12 या रब्ब! मेरे ख़ुदा, मैं पूरे दिल से तेरी ता'रीफ़ करूँगा; मैं हमेशा तक तेरे नाम की तम्जीद करूँगा।
Ich bekenne Dich, Herr, mein Gott, von ganzem Herzen und verherrliche Deinen Namen ewiglich.
13 क्यूँकि मुझ पर तेरी बड़ी शफ़क़त है; और तूने मेरी जान को पाताल की तह से निकाला है। (Sheol )
Denn Deine Barmherzigkeit ist groß über mir, und Du hast errettet meine Seele aus der untersten Hölle. (Sheol )
14 ऐ ख़ुदा, मग़रूर मेरे ख़िलाफ़ उठे हैं, और टेढ़े लोगों जमा'अत मेरी जान के पीछे पड़ी है, और उन्होंने तुझे अपने सामने नहीं रख्खा।
O Gott, Vermessene sind aufgestanden wider mich, und eine Rotte Trotziger trachtet mir nach der Seele, und setzen Dich nicht vor sich.
15 लेकिन तू या रब्ब, रहीम — ओ — करीम ख़ुदा है, क़हर करने में धीमा और शफ़क़त — ओ — रास्ती में ग़नी।
Du aber, Herr, bist ein Gott, erbarmungsvoll und gnädig, langmütig und von großer Barmherzigkeit und Wahrheit.
16 मेरी तरफ़ मुतवज्जिह हो और मुझ पर रहम कर; अपने बन्दे को अपनी ताक़त बख़्श, और अपनी लौंडी के बेटे को बचा ले।
Wende Dich zu mir und sei mir gnädig, gib Deinem Knecht Deine Stärke und rette den Sohn Deiner Magd.
17 मुझे भलाई का कोई निशान दिखा, ताकि मुझ से 'अदावत रखने वाले इसे देख कर शर्मिन्दा हों क्यूँकि तूने ऐ ख़ुदावन्द, मेरी मदद की, और मुझे तसल्ली दी है।
Ein Zeichen tue an mir zum Guten, daß es sehen, die mich hassen, und sie sich schämen. Denn Du bist mein Beistand, Jehovah, und tröstest mich!