< ज़बूर 82 >

1 ख़ुदा की जमा'अत में ख़ुदा मौजूद है। वह इलाहों के बीच 'अदालत करता है:
Ein Psalm Asaphs. Gott steht in der Gottesversammlung, inmitten der Götter richtet er:
2 “तुम कब तक बेइन्साफ़ी से 'अदालत करोगे, और शरीरों की तरफ़दारी करोगे? (सिलाह)
«Wie lange wollt ihr ungerecht richten und die Person des Schuldigen ansehen? (Pause)
3 ग़रीब और यतीम का इन्साफ़ करो, ग़मज़दा और मुफ़लिस के साथ इन्साफ़ से पेश आओ।
Schafft dem Geringen und Verwaisten Recht, rechtfertigt den Elenden und Armen!
4 ग़रीब और मोहताज को बचाओ; शरीरों के हाथ से उनको छुड़ाओ।”
Lasset den Geringen und Dürftigen frei, errettet ihn aus der Hand der Gottlosen!»
5 वह न तो कुछ जानते हैं न समझते हैं, वह अंधेरे में इधर उधर चलते हैं; ज़मीन की सब बुनियादें हिल गई हैं।
Aber sie wollen nichts merken und nichts verstehen, sondern wandeln in der Finsternis; es wanken alle Stützen des Landes!
6 मैंने कहा था, “तुम इलाह हो, और तुम सब हक़ता'ला के फ़र्ज़न्द हो;
Ich habe gesagt: «Ihr seid Götter und allzumal Kinder des Höchsten;
7 तोभी तुम आदमियों की तरह मरोगे, और 'उमरा में से किसी की तरह गिर जाओगे।”
dennoch sollt ihr sterben wie Menschen und fallen wie einer der Fürsten!»
8 ऐ ख़ुदा! उठ ज़मीन की 'अदालत कर क्यूँकि तू ही सब क़ौमों का मालिक होगा।
Mache dich auf, o Gott, richte die Erde; denn du bist Erbherr über alle Nationen!

< ज़बूर 82 >