< ज़बूर 78 >
1 ऐ मेरे लोगों मेरी शरी'अत को सुनो मेरे मुँह की बातों पर कान लगाओ।
“A psalm of Asaph.” Give ear, O my people, to my instruction! Incline your ears to the words of my mouth!
2 मैं तम्सील में कलाम करूँगा, और पुराने पोशीदा राज़ कहूँगा,
I will open my mouth in a psalm; I will utter sayings of ancient times.
3 जिनको हम ने सुना और जान लिया, और हमारे बाप — दादा ने हम को बताया।
What we have heard and learned, And our fathers have told us,
4 और जिनको हम उनकी औलाद से पोशीदा नहीं रख्खेंगे; बल्कि आइंदा नसल को भी ख़ुदावन्द की ता'रीफ़, और उसकी कु़दरत और 'अजाईब जो उसने किए बताएँगे।
We will not hide from their children; Showing to the generation to come the praises of Jehovah, His might, and the wonders he hath wrought.
5 क्यूँकि उसने या'कू़ब में एक शहादत क़ाईम की, और इस्राईल में शरी'अत मुक़र्रर की, जिनके बारे में उसने हमारे बाप दादा को हुक्म दिया, कि वह अपनी औलाद को उनकी ता'लीम दें,
For he appointed statutes in Jacob, And established a law in Israel, Which he commanded our fathers To make known to their children;
6 ताकि आइंदा नसल, या'नी वह फ़र्ज़न्द जो पैदा होंगे, उनको जान लें: और वह बड़े होकर अपनी औलाद को सिखाएँ,
So that the generation to come might know them; The children, which should be born, and rise up, Who should declare them to their children;
7 कि वह ख़ुदा पर उम्मीद रखें, और उसके कामों को भूल न जाएँ, बल्कि उसके हुक्मों पर 'अमल करें;
That they might put their trust in God, And not forget his deeds, But keep his commandments;
8 और अपने बाप — दादा की तरह, सरकश और बाग़ी नसल न बनें: ऐसी नसल जिसने अपना दिल दुरुस्त न किया और जिसकी रूह ख़ुदा के सामने वफ़ादार न रही।
And might not be, like their forefathers, A stubborn and rebellious generation, —A generation whose heart was not fixed upon God, And whose spirit was not steadfast toward the Almighty.
9 बनी इफ़्राईम हथियार बन्द होकर और कमाने रखते हुए लड़ाई के दिन फिर गए।
The children of Ephraim were like armed bowmen, Who turn their backs in the day of battle.
10 उन्होंने ख़ुदा के 'अहद को क़ाईम न रख्खा, और उसकी शरी'अत पर चलने से इन्कार किया।
They kept not the covenant of God, And refused to walk in his law;
11 और उसके कामों को और उसके'अजायब को, जो उसने उनको दिखाए थे भूल गए।
And forgot his mighty deeds, And the wonders he had shown them.
12 उसने मुल्क — ए — मिस्र में जुअन के इलाके में, उनके बाप — दादा के सामने 'अजीब — ओ — ग़रीब काम किए।
Marvellous things did he in the sight of their fathers, In the land of Egypt, in the field of Zoan.
13 उसने समुन्दर के दो हिस्से करके उनको पार उतारा, और पानी को तूदे की तरह खड़ा कर दिया।
He divided the sea, and caused them to pass through; Yea, he made the waters to stand as a heap.
14 उसने दिन को बादल से उनकी रहबरी की, और रात भर आग की रोशनी से।
By day he led them by a cloud, And all the night by a light of fire.
15 उसने वीरान में चट्टानों को चीरा, और उनको जैसे बहर से खू़ब पिलाया।
He clave the rocks in the wilderness, And gave them drink, as from the great deep.
16 उसने चट्टान में से नदियाँ जारी कीं, और दरियाओं की तरह पानी बहाया।
From the rock he brought flowing streams, And made water to run down like rivers.
17 तोभी वह उसके ख़िलाफ़ गुनाह करते ही गए, और वीरान में हक़ता'ला से सरकशी करते रहे।
Yet still they sinned against him, And provoked the Most High in the desert.
18 और उन्होंने अपनी ख़्वाहिश के मुताबिक़ खाना मांग कर अपने दिल में ख़ुदा को आज़माया।
They tempted God in their hearts, By asking food for their delight.
19 बल्कि वह ख़ुदा के खि़लाफ़ बकने लगे, और कहा, “क्या ख़ुदा वीरान में दस्तरख़्वान बिछा सकता है?
Yea, they spake against God, and said, “Can God spread a table in the wilderness?
20 देखो, उसने चट्टान को मारा तो पानी फूट निकला, और नदियाँ बहने लगीं क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपने लोगों के लिए गोश्त मुहय्या कर देगा?”
Behold! he smote the rock, and the water flowed, And streams gushed forth: Is he also able to give bread? Can he provide flesh for his people?”
21 तब ख़ुदावन्द सुन कर गज़बनाक हुआ, और या'कू़ब के ख़िलाफ़ आग भड़क उठी, और इस्राईल पर क़हर टूट पड़ा;
When, therefore, the LORD heard this, he was wroth: So a fire was kindled against Jacob, And anger arose against Israel.
22 इसलिए कि वह ख़ुदा पर ईमान न लाए, और उसकी नजात पर भरोसा न किया।
Because they believed not in God, And trusted not in his aid.
23 तोभी उसने आसमानों को हुक्म दिया, और आसमान के दरवाज़े खोले:
Yet he had commanded the clouds above, And had opened the doors of heaven;
24 और खाने के लिए उन पर मन्न बरसाया, और उनको आसमानी खू़राक बख़्शी।
And had rained down upon them manna for food, And had given them the corn of heaven.
25 इंसान ने फ़रिश्तों की गिज़ा खाई: उसने खाना भेजकर उनको आसूदा किया।
Every one ate the food of princes; He sent them bread to the full.
26 उसने आसमान में पुर्वा चलाई, और अपनी कु़दरत से दखना बहाई।
Then he caused a strong wind to blow in the heavens, And by his power he brought a south wind;
27 उसने उन पर गोश्त को ख़ाक की तरह बरसाया, और परिन्दों को समन्दर की रेत की तरह;
He rained down flesh upon them as dust, And feathered fowls as the sand of the sea.
28 जिनको उसने उनकी खे़मागाह में, उनके घरों के आसपास गिराया।
He caused them to fall in the midst of their camp, Round about their habitations.
29 तब वह खाकर खू़ब सेर हुए, और उसने उनकी ख़्वाहिश पूरी की।
So they did eat, and were filled; For he gave them their own desire.
30 वह अपनी ख्वाहिश से बाज़ न आए, और उनका खाना उनके मुँह ही में था।
Their desire was not yet satisfied, And their meat was yet in their mouths,
31 कि ख़ुदा का ग़ज़ब उन पर टूट पड़ा, और उनके सबसे मोटे ताज़े आदमी क़त्ल किए, और इस्राईली जवानों को मार गिराया।
When the wrath of God came upon them, And slew their strong men, And smote down the chosen men of Israel.
32 बावुजूद इन सब बातों कि वह गुनाह करते ही रहे; और उसके 'अजीब — ओ — ग़रीब कामों पर ईमान न लाए।
For all this they sinned still, And put no trust in his wondrous works.
33 इसलिए उसने उनके दिनों को बतालत से, और उनके बरसों को दहशत से तमाम कर दिया।
Therefore he consumed their days in vanity, And their years in sudden destruction.
34 जब वह उनको कत्ल करने लगा, तो वह उसके तालिब हुए; और रुजू होकर दिल — ओ — जान से ख़ुदा को ढूंडने लगे।
When he slew them, they sought him; They returned, and sought earnestly for God;
35 और उनको याद आया कि ख़ुदा उनकी चट्टान, और ख़ुदा ता'ला उनका फ़िदिया देने वाला है।
And remembered that God was their rock, And the Most High their redeemer.
36 लेकिन उन्होंने अपने मुँह से उसकी ख़ुशामद की, और अपनी ज़बान से उससे झूट बोला।
But they only flattered him with their mouths, And spake falsely to him with their tongues.
37 क्यूँकि उनका दिल उसके सामने दुरुस्त और वह उसके 'अहद में वफ़ादार न निकले।
For their hearts were not true to him, Nor were they steadfast in his covenant.
38 लेकिन वह रहीम होकर बदकारी मु'आफ़ करता है, और हलाक नहीं करता; बल्कि बारहा अपने क़हर को रोक लेता है, और अपने पूरे ग़ज़ब को भड़कने नहीं देता।
Yet, being full of compassion, he forgave their iniquity, And would not utterly destroy them; Often he restrained his indignation, And stirred not up all his anger.
39 और उसे याद रहता है कि यह महज़ बशर है। या'नी हवा जो चली जाती है और फिर नहीं आती।
He remembered that they were but flesh, —A breath, that passeth and cometh not back.
40 कितनी बार उन्होंने वीरान में उससे सरकशी की और सेहरा में उसे दुख किया।
How often did they provoke him in the wilderness! How often did they anger him in the desert!
41 और वह फिर ख़ुदा को आज़माने लगे और उन्होंने इस्राईल के ख़ुदा को नाराज़ किया।
Again and again they tempted God, And offended the Holy One of Israel.
42 उन्होंने उसके हाथ को याद न रखा, न उस दिन की जब उसने फ़िदिया देकर उनको मुख़ालिफ़ से रिहाई बख़्शी।
They remembered not his hand, Nor the day when he delivered them from the enemy;
43 उसने मिस्र में अपने निशान दिखाए, और जुअन के 'इलाके में अपने अजायब।
What signs he had wrought in Egypt, And what wonders in the fields of Zoan.
44 और उनके दरियाओं को खू़न बना दिया और वह अपनी नदियों से पी न सके।
He turned their rivers into blood, So that they could not drink of their streams.
45 उसने उन पर मच्छरों के ग़ोल भेजे जो उनको खा गए और मेंढ़क जिन्होंने उनको तबाह कर दिया।
He sent amongst them flies, which devoured them, And frogs, which destroyed them.
46 उसने उनकी पैदावार कीड़ों को और उनकी मेहनत का फल टिड्डियों को दे दिया।
He gave also their fruits to the caterpillar, And their labor to the locust.
47 उसने उनकी ताकों को ओलों से और उनके गूलर के दरख़्तों को पाले से मारा।
He destroyed their vines with hail, And their sycamore-trees with frost.
48 उसने उनके चौपायों को ओलों के हवाले किया, और उनकी भेड़ बकरियों को बिजली के।
He also gave up their cattle to hail, And their flocks to hot thunderbolts.
49 उसने 'ऐज़ाब के फ़रिश्तों की फ़ौज भेज कर अपनी क़हर की शिद्दत ग़ैज़ — ओ — ग़जब और बला को उन पर नाज़िल किया।
He sent against them the fierceness of his anger, Wrath, indignation, and woe, —A host of angels of evil.
50 उसने अपने क़हर के लिए रास्ता बनाया, और उनकी जान मौत से न बचाई, बल्कि उनकी ज़िन्दगी वबा के हवाले की।
He made a way for his anger, He spared them not from death, But gave up their lives to the pestilence.
51 उसने मिस्र के सब पहलौठों को, या'नी हाम के घरों में उनकी ताक़त के पहले फल को मारा:
He smote all the firstborn in Egypt; The first-fruits of their strength in the tents of Ham.
52 लेकिन वह अपने लोगों को भेड़ों की तरह ले चला, और वीरान में ग़ल्ले की तरह उनकी रहनुमाई की।
But he led forth his own people like sheep, And guided them like a flock in the wilderness.
53 और वह उनको सलामत ले गया और वह न डरे, लेकिन उनके दुश्मनों को समन्दर ने छिपा लिया।
He led them on safely, so that they feared not, While the sea overwhelmed their enemies.
54 और वह उनको अपने मक़दिस की सरहद तक लाया, या'नी उस पहाड़ तक जिसे उसके दहने हाथ ने हासिल किया था।
He brought them to his own sacred border, Even to this mountain which his right hand had gained.
55 उसने और क़ौमों को उनके सामने से निकाल दिया; जिनकी मीरास जरीब डाल कर उनको बाँट दी; और जिनके खे़मों में इस्राईल के क़बीलों को बसाया।
He cast out the nations before them, And divided their land by a measuring-line, as an inheritance, And caused the tribes of Israel to dwell in their tents.
56 तोभी उन्होंने ख़ुदाता'ला को आज़मायाऔर उससे सरकशी की, और उसकी शहादतों को न माना;
Yet they tempted and provoked God, the Most High, And kept not his statutes;
57 बल्कि नाफ़रमान होकर अपने बाप दादा की तरह बेवफ़ाई की और धोका देने वाली कमान की तरह एक तरफ़ को झुक गए।
Like their fathers they were faithless, and turned back; They turned aside, like a deceitful bow.
58 क्यूँकि उन्होंने अपने ऊँचे मक़ामों के वजह से उसका क़हर भड़काया, और अपनी खोदी हुई मूरतों से उसे गै़रत दिलाई।
They provoked his anger by their high places, And stirred up his jealousy by their graven images.
59 ख़ुदा यह सुनकर गज़बनाक हुआ, और इस्राईल से सख़्त नफ़रत की।
God saw this, and was wroth, And greatly abhorred Israel;
60 फिर उसने शीलोह के घर को छोड़ दिया, या'नी उस खे़मे को जो बनी आदम के बीच खड़ा किया था।
So that he forsook the habitation at Shiloh, The tabernacle where he dwelt among men,
61 और उसने अपनी ताक़त को ग़ुलामी में, और अपनी हश्मत को मुख़ालिफ़ के हाथ में दे दिया।
And delivered his strength into captivity, And his glory into the hand of the enemy.
62 उसने अपने लोगों को तलवार के हवाले कर दिया, और वह अपनी मीरास से ग़ज़बनाक हो गया।
His own people he gave up to the sword, And was wroth with his own inheritance.
63 आग उनके जवानों को खा गई, और उनकी कुँवारियों के सुहाग न गाए गए।
Fire consumed their young men, And their maidens did not bewail them.
64 उनके काहिन तलवार से मारे गए, और उनकी बेवाओं ने नौहा न किया।
Their priests fell by the sword, And their widows made no lamentation.
65 तब ख़ुदावन्द जैसे नींद से जाग उठा, उस ज़बरदस्त आदमी की तरह जो मय की वजह से ललकारता हो।
But at length the Lord awaked as from sleep, As a hero who had been overpowered by wine;
66 और उसने अपने मुख़ालिफ़ों को मार कर पस्पा कर दिया; उसने उनको हमेशा के लिए रुस्वा किया।
He smote his enemies, and drove them back, And covered them with everlasting disgrace.
67 और उसने यूसुफ़ के ख़मे को छोड़ दिया; और इफ़्राईम के क़बीले को न चुना;
Yet he rejected the tents of Joseph, And chose not the tribe of Ephraim;
68 बल्कि यहूदाह के क़बीले को चुना! उसी कोह — ए — सिय्यून को जिससे उसको मुहब्बत थी।
But chose the tribe of Judah, The Mount Zion which he loved;
69 और अपने मक़दिस को पहाड़ों की तरह तामीर किया, और ज़मीन की तरह जिसे उसने हमेशा के लिए क़ाईम किया है।
Where he built, like the heavens, his sanctuary; Like the earth, which he hath established for ever.
70 उसने अपने बन्दे दाऊद को भी चुना, और भेड़सालों में से उसे ले लिया;
And he chose David, his servant, And took him from the sheepfolds;
71 वह उसे बच्चे वाली भेड़ों की चौपानी से हटा लाया, ताकि उसकी क़ौम या'कू़ब और उसकी मीरास इस्राईल की ग़ल्लेबानी करे।
From tending the suckling ewes he brought him To feed Jacob his people, And Israel his inheritance.
72 फिर उसने ख़ुलूस — ए — दिल से उनकी पासबानी की और अपने माहिर हाथों से उनकी रहनुमाई करता रहा।
He fed them with an upright heart, And guided them with skilful hands.