< ज़बूर 75 >

1 ऐ ख़ुदा, हम तेरा शुक्र करते हैं, हम तेरा शुक्र करते हैं; क्यूँकि तेरा नाम नज़दीक है, लोग तेरे 'अजीब कामों का ज़िक्र करते हैं।
לַמְנַצֵּ֥חַ אַל־תַּשְׁחֵ֑ת מִזְמֹ֖ור לְאָסָ֣ף שִֽׁיר׃ הֹ֘ודִ֤ינוּ לְּךָ֨ ׀ אֱ‍ֽלֹהִ֗ים הֹ֭ודִינוּ וְקָרֹ֣וב שְׁמֶ֑ךָ סִ֝פְּר֗וּ נִפְלְאֹותֶֽיךָ׃
2 जब मेरा मु'अय्यन वक़्त आएगा, तो मैं रास्ती से 'अदालत करूँगा।
כִּ֭י אֶקַּ֣ח מֹועֵ֑ד אֲ֝נִ֗י מֵישָׁרִ֥ים אֶשְׁפֹּֽט׃
3 ज़मीन और उसके सब बाशिन्दे गुदाज़ हो गए हैं, मैंने उसके सुतूनों को क़ाईम कर दिया।
נְֽמֹגִ֗ים אֶ֥רֶץ וְכָל־יֹשְׁבֶ֑יהָ אָנֹכִ֨י תִכַּ֖נְתִּי עַמּוּדֶ֣יהָ סֶּֽלָה׃
4 मैंने मग़रूरों से कहा, गु़रूर न करो, और शरीरों से, कि सींग ऊँचा न करो।
אָמַ֣רְתִּי לַֽ֭הֹולְלִים אַל־תָּהֹ֑לּוּ וְ֝לָרְשָׁעִ֗ים אַל־תָּרִ֥ימוּ קָֽרֶן׃
5 अपना सींग ऊँचा न करो, बग़ावत से बात न करो।
אַל־תָּרִ֣ימוּ לַמָּרֹ֣ום קַרְנְכֶ֑ם תְּדַבְּר֖וּ בְצַוָּ֣אר עָתָֽק׃
6 क्यूँकि सरफ़राज़ी न तो पूरब से न पश्चिम से, और न दख्खिन से आती है;
כִּ֤י לֹ֣א מִ֭מֹּוצָא וּמִֽמַּעֲרָ֑ב וְ֝לֹ֗א מִמִּדְבַּ֥ר הָרִֽים׃
7 बल्कि ख़ुदा ही 'अदालत करने वाला है; वह किसी को पस्त करता है और किसी को सरफ़राज़ी बख़्शता है।
כִּֽי־אֱלֹהִ֥ים שֹׁפֵ֑ט זֶ֥ה יַ֝שְׁפִּ֗יל וְזֶ֣ה יָרִֽים׃
8 क्यूँकि ख़ुदावन्द के हाथ में प्याला है, और मय झाग वाली है; वह मिली हुई शराब से भरा है, और ख़ुदावन्द उसी में से उंडेलता है; बेशक उसकी तलछट ज़मीन के सब शरीर निचोड़ निचोड़ कर पिएँगे।
כִּ֤י כֹ֪וס בְּֽיַד־יְהוָ֡ה וְיַ֤יִן חָמַ֨ר ׀ מָ֥לֵא מֶסֶךְ֮ וַיַּגֵּ֪ר מִ֫זֶּ֥ה אַךְ־שְׁ֭מָרֶיהָ יִמְצ֣וּ יִשְׁתּ֑וּ כֹּ֝֗ל רִשְׁעֵי־אָֽרֶץ׃
9 लेकिन मैं तो हमेशा ज़िक्र करता रहूँगा, मैं या'क़ूब के ख़ुदा की मदहसराई करूँगा।
וַ֭אֲנִי אַגִּ֣יד לְעֹלָ֑ם אֲ֝זַמְּרָ֗ה לֵאלֹהֵ֥י יַעֲקֹֽב׃
10 और मैं शरीरों के सब सींग काट डालूँगा लेकिन सादिकों के सींग ऊँचे किए जाएंगे।
וְכָל־קַרְנֵ֣י רְשָׁעִ֣ים אֲגַדֵּ֑עַ תְּ֝רֹומַ֗מְנָה קַֽרְנֹ֥ות צַדִּֽיק׃

< ज़बूर 75 >