< ज़बूर 71 >

1 ऐ ख़ुदावन्द तू ही मेरी पनाह है; मुझे कभी शर्मिन्दा न होने दे!
На Тя, Господи, уповах, да не постыжуся в век.
2 अपनी सदाक़त में मुझे रिहाई दे और छुड़ा; मेरी तरफ़ कान लगा, और मुझे बचा ले।
Правдою Твоею избави мя и изми мя: приклони ко мне ухо Твое и спаси мя.
3 तू मेरे लिए ठहरने की चट्टान हो, जहाँ मैं बराबर जा सकूँ; तूने मेरे बचाने का हुक्म दे दिया है, क्यूँकि मेरी चट्टान और मेरा क़िला' तू ही है।
Буди ми в Бога защитителя и в место крепко спасти мя: яко утверждение мое и прибежище мое еси Ты.
4 ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे शरीर के हाथ से, नारास्त और बेदर्द आदमी के हाथ से छुड़ा।
Боже мой, избави мя из руки грешнаго, из руки законопреступнаго и обидящаго:
5 क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द ख़ुदा, तू ही मेरी उम्मीद है; लड़कपन से मेरा भरोसा तुझ ही पर है।
яко Ты еси терпение мое, Господи, Господи, упование мое от юности моея.
6 तू पैदाइश ही से मुझे संभालता आया है तू मेरी माँ के बतन ही से मेरा शफ़ीक़ रहा है; इसलिए मैं हमेशा तेरी सिताइश करता रहूँगा।
В Тебе утвердихся от утробы, от чрева матере моея Ты еси мой покровитель: о Тебе пение мое выну.
7 मैं बहुतों के लिए हैरत की वजह हूँ। लेकिन तू मेरी मज़बूत पनाहगाह है।
Яко чудо бых многим: и Ты помощник мой крепок.
8 मेरा मुँह तेरी सिताइश से, और तेरी ता'ज़ीम से दिन भर पुर रहेगा।
Да исполнятся уста моя хваления, яко да воспою славу Твою, весь день великолепие Твое.
9 बुढ़ापे के वक़्त मुझे न छोड़; मेरी ज़ईफ़ी में मुझे छोड़ न दे।
Не отвержи мене во время старости: внегда оскудевати крепости моей, не остави мене.
10 क्यूँकि मेरे दुश्मन मेरे बारे में बातें करते हैं, और जो मेरी जान की घात में हैं वह आपस में मशवरा करते हैं,
Яко реша врази мои мне, и стрегущии душу мою совещаша вкупе,
11 और कहते हैं, कि ख़ुदा ने उसे छोड़ दिया है; उसका पीछा करो और पकड़ लो, क्यूँकि छुड़ाने वाला कोई नहीं।
глаголюще: Бог оставил есть его, пожените и имите его, яко несть избавляяй.
12 ऐ ख़ुदा, मुझ से दूर न रह! ऐ मेरे ख़ुदा, मेरी मदद के लिए जल्दी कर!
Боже мой, не удалися от мене: Боже мой, в помощь мою вонми.
13 मेरी जान के मुख़ालिफ़ शर्मिन्दा और फ़ना हो जाएँ; मेरा नुक़्सान चाहने वाले मलामत और रुस्वाई से मुलब्बस हो।
Да постыдятся и изчезнут оклеветающии душу мою, да облекутся в студ и срам ищущии злая мне.
14 लेकिन मैं हमेशा उम्मीद रख्खूंगा, और तेरी ता'रीफ़ और भी ज़्यादा किया करूँगा।
Аз же всегда возуповаю на Тя, и приложу на всяку похвалу Твою.
15 मेरा मुँह तेरी सदाक़त का, और तेरी नजात का बयान दिन भर करेगा; क्यूँकि मुझे उनका शुमार मा'लूम नहीं।
Уста моя возвестят правду Твою, весь день спасение Твое, яко не познах книжная.
16 मैं ख़ुदावन्द ख़ुदा की क़ुदरत के कामों का इज़हार करूँगा; मैं सिर्फ़ तेरी ही सदाक़त का ज़िक्र करूँगा।
Вниду в силе Господни: Господи, помяну правду Тебе единаго.
17 ऐ ख़ुदा, तू मुझे बचपन से सिखाता आया है, और मैं अब तक तेरे 'अजायब का बयान करता रहा हूँ।
Боже мой, имже научил мя еси от юности моея, и доныне возвещу чудеса Твоя.
18 ऐ ख़ुदा, जब मैं बुड्ढा और सिर सफ़ेद हो जाऊँ तो मुझे न छोड़ना; जब तक कि मैं तेरी क़ुदरत आइंदा नसल पर, और तेरा ज़ोर हर आने वाले पर ज़ाहिर न कर दूँ।
И даже до старости и престарения, Боже мой, не остави мене, дондеже возвещу мышцу Твою роду всему грядущему,
19 ऐ ख़ुदा, तेरी सदाक़त भी बहुत बलन्द है। ऐ ख़ुदा, तेरी तरह कौन है जिसने बड़े बड़े काम किए हैं?
силу Твою и правду Твою, Боже, даже до вышних, яже сотворил ми еси величия: Боже, кто подобен Тебе?
20 तू जिसने हम को बहुत और सख़्त तकलीफ़ें दिखाई हैं फिर हम को ज़िन्दा करेगा; और ज़मीन की तह से हमें फिर ऊपर ले आएगा।
Елики явил ми еси скорби многи и злы? И обращься оживотворил мя еси и от бездн земли возвел мя еси.
21 तू मेरी 'अज़मत को बढ़ा, और फिर कर मुझे तसल्ली दे।
Умножил еси на мне величествие твое, и обращься утешил мя еси, и от бездн земли паки возвел мя еси.
22 ऐ मेरे ख़ुदा, मैं बरबत पर तेरी, हाँ तेरी सच्चाई की हम्द करूँगा; ऐ इस्राईल के पाक! मैं सितार के साथ तेरी मदहसराई करूँगा।
Ибо аз исповемся Тебе в людех, Господи, в сосудех псаломских истину Твою, Боже: воспою Тебе в гуслех, Святый Израилев.
23 जब मैं तेरी मदहसराई करूँगा, तो मेरे होंट बहुत ख़ुश होंगे; और मेरी जान भी जिसका तूने फ़िदिया दिया है।
Возрадуетеся устне мои, егда воспою Тебе, и душа моя, юже еси избавил:
24 और मेरी ज़बान दिन भर तेरी सदाक़त का ज़िक्र करेगी; क्यूँकि मेरा नुक़्सान चाहने वाले शर्मिन्दा और पशेमान हुए हैं।
еще же и язык мой весь день поучится правде Твоей, егда постыдятся и посрамятся ищущии злая мне.

< ज़बूर 71 >