< ज़बूर 69 >
1 ऐ ख़ुदा मुझ को बचा ले, क्यूँकि पानी मेरी जान तक आ पहुँचा है।
Sálvame, o! Dios, porque las aguas han entrado hasta el alma.
2 मैं गहरी दलदल में धंसा जाता हूँ, जहाँ खड़ा नहीं रहा जाता; मैं गहरे पानी में आ पड़ा हूँ, जहाँ सैलाब मेरे सिर पर से गुज़रता है।
Estoy zabullido en cieno profundo, que no hay pie; soy venido en profundos de aguas, y la corriente me ha anegado.
3 मैं चिल्लाते चिल्लाते थक गया, मेरा गला सूख गया; मेरी आँखें अपने ख़ुदा के इन्तिज़ार में पथरा गई।
He trabajado llamando; mi garganta se ha enronquecido; han desfallecido mis ojos de esperar a mi Dios.
4 मुझ से बे वजह 'अदावत रखने वाले, मेरे सिर के बालों से ज़्यादा हैं; मेरी हलाकत के चाहने वाले और नाहक़ दुश्मन ज़बरदस्त हैं, तब जो मैंने छीना नहीं मुझे देना पड़ा।
Hánse aumentado más que los cabellos de mi cabeza los que me aborrecen sin causa; hánse fortalecido mis enemigos, los que me destruyen sin porqué: lo que no hurté, entonces lo volví.
5 ऐ ख़ुदा, तू मेरी बेवक़ूफ़ी से वाक़िफ़ है, और मेरे गुनाह तुझ से पोशीदा नहीं हैं।
Dios, tú sabes mi insensatez; y mis delitos no te son ocultos.
6 ऐ ख़ुदावन्द, लश्करों के ख़ुदा, तेरी उम्मीद रखने वाले मेरी वजह से शर्मिन्दा न हों, ऐ इस्राईल के ख़ुदा, तेरे तालिब मेरी वजह से रुस्वा न हों।
No sean avergonzados por mí, los que te esperan, Señor Jehová de los ejércitos; no sean confusos por mí los que te buscan, o! Dios de Israel.
7 क्यूँकि तेरे नाम की ख़ातिर मैंने मलामत उठाई है, शर्मिन्दगी मेरे मुँह पर छा गई है।
Porque por ti he sufrido vergüenza; confusión ha cubierto mi rostro.
8 मैं अपने भाइयों के नज़दीक बेगाना बना हूँ, और अपनी माँ के फ़रज़न्दों के नज़दीक अजनबी।
He sido extrañado de mis hermanos, y extraño a los hijos de mi madre.
9 क्यूँकि तेरे घर की गै़रत मुझे खा गई, और तुझ को मलामत करने वालों की मलामतें मुझ पर आ पड़ीं हैं।
Porque el zelo de tu casa me comió, y los denuestos de los que te denuestan, cayeron sobre mí.
10 मेरे रोज़ा रखने से मेरी जान ने ज़ारी की, और यह भी मेरी मलामत का ज़रिए' हुआ।
Y lloré con ayuno de mi alma, y esto me ha sido por afrenta.
11 जब मैं ने टाट ओढ़ा, तो उनके लिए ज़र्ब — उल — मसल ठहरा।
Y puse saco por mi vestido, y fui a ellos por proverbio.
12 फाटक पर बैठने वालों में मेरा ही ज़िक्र रहता है, और मैं नशे बाज़ों का हम्द हूँ।
Hablaban contra mí los que se sentaban a la puerta, y en las canciones de los bebedores de sidra.
13 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द, तेरी ख़ुशनूदी के वक़्त मेरी दुआ तुझ ही से है; ऐ ख़ुदा, अपनी शफ़क़त की फ़िरावानी से, अपनी नजात की सच्चाई में जवाब दे।
Y yo enderazaba mi oración a ti, o! Jehová, al tiempo de la buena voluntad: o! Dios, por la multitud de tu misericordia óyeme, por la verdad de tu salud.
14 मुझे दलदल में से निकाल ले और धसने न दे: मुझ से 'अदावत रखने वालों, और गहरे पानी से मुझे बचा ले।
Escápame del lodo, y no sea yo anegado; y sea yo librado de los que me aborrecen, y de los profundos de las aguas.
15 मैं सैलाब में डूब न जाऊँ, और गहराव मुझे निगल न जाए, और पाताल मुझ पर अपना मुँह बन्द न कर ले
No me anegue el ímpetu de las aguas, ni me suerba la hondura, ni el pozo cierre sobre mí su boca.
16 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे जवाब दे, क्यूँकि मेरी शफ़क़त ख़ूब है अपनी रहमतों की कसरत के मुताबिक़ मेरी तरफ़ मुतवज्जिह हो।
Oyeme, Jehová; porque benigna es tu misericordia: conforme a la multitud de tus miseraciones mira por mí.
17 अपने बन्दे से रूपोशी न कर; क्यूँकि मैं मुसीबत में हूँ, जल्द मुझे जवाब दे।
Y no escondas tu rostro de tu siervo; porque estoy angustiado; apresúrate, óyeme.
18 मेरी जान के पास आकर उसे छुड़ा ले मेरे दुश्मनों के सामने मेरा फ़िदिया दे।
Acércate a mi alma, redímela: por causa de mis enemigos líbrame.
19 तू मेरी मलामत और शर्मिन्दगी और रुस्वाई से वाक़िफ़ है; मेरे दुश्मन सब के सब तेरे सामने हैं।
Tú sabes mi afrenta, y mi confusión, y mi vergüenza; delante de ti están todos mis enemigos.
20 मलामत ने मेरा दिल तोड़ दिया, मैं बहुत उदास हूँ और मैं इसी इन्तिज़ार में रहा कि कोई तरस खाए लेकिन कोई न था; और तसल्ली देने वालों का मुन्तज़िर रहा लेकिन कोई न मिला।
La afrenta ha quebrantado mi corazón; y he tenido dolor; y he esperado quien se compadeciese de mí, y no lo hubo, y consoladores, y no hallé.
21 उन्होंने मुझे खाने को इन्द्रायन भी दिया, और मेरी प्यास बुझाने को उन्होंने मुझे सिरका पिलाया।
Y pusieron en mi comida hiel; y en mi sed me dieron a beber vinagre.
22 उनका दस्तरख़्वान उनके लिए फंदा हो जाए। और जब वह अमन से हों तो जाल बन जाए।
Sea su mesa delante de ellos por lazo; y lo que es por paces, les sea por tropezón.
23 उनकी आँखें तारीक हो जाएँ, ताकि वह देख न सके, और उनकी कमरें हमेशा काँपती रहें।
Sean oscurecidos sus ojos para ver; y haz siempre titubear sus lomos.
24 अपना ग़ज़ब उन पर उँडेल दे, और तेरा शदीद क़हर उन पर आ पड़े।
Derrama sobre ellos tu ira, y el furor de tu enojo les comprenda.
25 उनका घर उजड़ जाए, उनके खे़मों में कोई न बसे।
Sea su palacio asolado; en sus tiendas no haya morador.
26 क्यूँकि वह उसको जिसे तूने मारा है और जिनको तूने जख़्मी किया है, उनके दुख का ज़िक्र करते हैं।
Porque persiguieron al que tú heriste: y cuentan del dolor de los que tú mataste.
27 उनके गुनाह पर गुनाह बढ़ा; और वह तेरी सदाक़त में दाख़िल न हों।
Pon maldad sobre su maldad, y no entren en tu justicia.
28 उनके नाम किताब — ए — हयात से मिटा और सादिकों के साथ मुन्दर्ज न हों।
Sean raídos del libro de los vivientes: y no sean escritos con los justos.
29 लेकिन मैं तो ग़रीब और ग़मगीन हूँ। ऐ ख़ुदा तेरी नजात मुझे सर बुलन्द करे।
Y yo afligido, y dolorido: tu salud, o! Dios, me defenderá.
30 मैं हम्द गाकर ख़ुदा के नाम की ता'रीफ़ करूँगा, और शुक्रगुज़ारी के साथ उसकी तम्जीद करूँगा।
Yo alabaré el nombre de Dios con canción; y magnificarle he con alabanza.
31 यह ख़ुदावन्द को बैल से ज़्यादा पसन्द होगा, बल्कि सींग और खुर वाले बछड़े से ज़्यादा।
Y agradará a Jehová más que buey, y becerro, que echa cuernos y uñas.
32 हलीम इसे देख कर ख़ुश हुए हैं; ऐ ख़ुदा के तालिबो, तुम्हारे दिल ज़िन्दा रहें।
Verán los humildes, y regocijarse han: buscád a Dios, y vivirá vuestro corazón.
33 क्यूँकि ख़ुदावन्द मोहताजों की सुनता है, और अपने क़ैदियों को हक़ीर नहीं जानता।
Porque Jehová oye a los menesterosos, y no menosprecia a sus prisioneros.
34 आसमान और ज़मीन उसकी ता'रीफ़ करें, और समन्दर और जो कुछ उनमें चलता फिरता है।
Alábenle los cielos y la tierra, las mares y todo lo que se mueve en ellas.
35 क्यूँकि ख़ुदा सिय्यून को बचाएगा, और यहूदाह के शहरों को बनाएगा; और वह वहाँ बसेंगे और उसके वारिस होंगे।
Porque Dios guardará a Sión, y reedificará las ciudades de Judá, y habitarán allí, y heredarla han.
36 उसके बन्दों की नसल भी उसकी मालिक होगी, और उसके नाम से मुहब्बत रखने वाले उसमें बसेंगे।
Y la simiente de sus siervos la heredará; y los que aman su nombre habitarán en ella.