< ज़बूर 63 >

1 ऐ ख़ुदा, तू मेरा ख़ुदा है, मै दिल से तेरा तालिब हूँगा; ख़ुश्क और प्यासी ज़मीन में जहाँ पानी नहीं, मेरी जान तेरी प्यासी और मेरा जिस्म तेरा मुशताक़ है
מִזְמוֹר לְדָוִד בִּהְיוֹתוֹ בְּמִדְבַּר יְהוּדָֽה׃ אֱלֹהִים ׀ אֵלִי אַתָּה אֲֽשַׁחֲרֶךָּ צָמְאָה לְךָ ׀ נַפְשִׁי כָּמַהּ לְךָ בְשָׂרִי בְּאֶֽרֶץ־צִיָּה וְעָיֵף בְּלִי־מָֽיִם׃
2 इस तरह मैंने मक़दिस में तुझ पर निगाह की ताकि तेरी कु़दरत और हश्मत को देखूँ।
כֵּן בַּקֹּדֶשׁ חֲזִיתִךָ לִרְאוֹת עֻזְּךָ וּכְבוֹדֶֽךָ׃
3 क्यूँकि तेरी शफ़क़त ज़िन्दगी से बेहतर है मेरे होंट तेरी ता'रीफ़ करेंगे।
כִּי־טוֹב חַסְדְּךָ מֵחַיִּים שְׂפָתַי יְשַׁבְּחֽוּנְךָ׃
4 इसी तरह मैं उम्र भर तुझे मुबारक कहूँगा; और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाया करूँगा;
כֵּן אֲבָרֶכְךָ בְחַיָּי בְּשִׁמְךָ אֶשָּׂא כַפָּֽי׃
5 मेरी जान जैसे गूदे और चर्बी से सेर होगी, और मेरा मुँह मसरूर लबों से तेरी ता'रीफ़ करेगा।
כְּמוֹ חֵלֶב וָדֶשֶׁן תִּשְׂבַּע נַפְשִׁי וְשִׂפְתֵי רְנָנוֹת יְהַלֶּל־פִּֽי׃
6 जब मैं बिस्तर पर तुझे याद करूँगा, और रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा;
אִם־זְכַרְתִּיךָ עַל־יְצוּעָי בְּאַשְׁמֻרוֹת אֶהְגֶּה־בָּֽךְ׃
7 इसलिए कि तू मेरा मददगार रहा है, और मैं तेरे परों के साये में ख़ुशी मनाऊँगा।
כִּֽי־הָיִיתָ עֶזְרָתָה לִּי וּבְצֵל כְּנָפֶיךָ אֲרַנֵּֽן׃
8 मेरी जान को तेरी ही धुन है; तेरा दहना हाथ मुझे संभालता है।
דָּבְקָה נַפְשִׁי אַחֲרֶיךָ בִּי תָּמְכָה יְמִינֶֽךָ׃
9 लेकिन जो मेरी जान की हलाकत के दर पै हैं, वह ज़मीन के तह में चले जाएँगे।
וְהֵמָּה לְשׁוֹאָה יְבַקְשׁוּ נַפְשִׁי יָבֹאוּ בְּֽתַחְתִּיּוֹת הָאָֽרֶץ׃
10 वह तलवार के हवाले होंगे, वह गीदड़ों का लुक्मा बनेंगे।
יַגִּירֻהוּ עַל־יְדֵי־חָרֶב מְנָת שֻׁעָלִים יִהְיֽוּ׃
11 लेकिन बादशाह खु़दा में ख़ुश होगा; जो उसकी क़सम खाता है वह फ़ख़्र करेगा; क्यूँकि झूट बोलने वालों का मुँह बन्द कर दिया जाएगा
וְהַמֶּלֶךְ יִשְׂמַח בֵּאלֹהִים יִתְהַלֵּל כׇּל־הַנִּשְׁבָּע בּוֹ כִּי יִסָּכֵר פִּי דוֹבְרֵי־שָֽׁקֶר׃

< ज़बूर 63 >