< ज़बूर 62 >
1 मेरी जान को ख़ुदा ही की उम्मीद है, मेरी नजात उसी से है।
For the Leader; for Jeduthun. A Psalm of David. Only for God doth my soul wait in stillness; from Him cometh my salvation.
2 वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है, वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे ज़्यादा जुम्बिश न होगी।
He only is my rock and my salvation, my high tower, I shall not be greatly moved.
3 तुम कब तक ऐसे शख़्स पर हमला करते रहोगे, जो झुकी हुई दीवार और हिलती बाड़ की तरह है; ताकि सब मिलकर उसे क़त्ल करो?
How long will ye set upon a man, that ye may slay him, all of you, as a leaning wall, a tottering fence?
4 वह उसको उसके मर्तबे से गिरा देने ही का मश्वरा करते रहते हैं; वह झूट से ख़ुश होते हैं। वह अपने मुँह से तो बरकत देते हैं लेकिन दिल में ला'नत करते हैं।
They only devise to thrust him down from his height, delighting in lies; they bless with their mouth, but they curse inwardly. (Selah)
5 ऐ मेरी जान, ख़ुदा ही की आस रख, क्यूँकि उसी से मुझे उम्मीद है।
Only for God wait thou in stillness, my soul; for from Him cometh my hope.
6 वही अकेला मेरी चट्टान और मेरी नजात है; वही मेरा ऊँचा बुर्ज है, मुझे जुम्बिश न होगी।
He only is my rock and my salvation, my high tower, I shall not be moved.
7 मेरी नजात और मेरी शौकत ख़ुदा की तरफ़ से है; ख़ुदा ही मेरी ताक़त की चट्टान और मेरी पनाह है।
Upon God resteth my salvation and my glory; the rock of my strength, and my refuge, is in God.
8 ऐ लोगो। हर वक़्त उस पर भरोसा करो; अपने दिल का हाल उसके सामने खोल दो। ख़ुदा हमारी पनाहगाह है। (सिलाह)
Trust in Him at all times, ye people; pour out your heart before Him; God is a refuge for us. (Selah)
9 यक़ीनन अदना लोग बेसबात हैं और आला आदमी झूटे; वह तराजू़ में हल्के निकलेंगे; वह सब के सब बेसबाती से भी कमज़ोर हैं
Men of low degree are vanity, and men of high degree are a lie; if they be laid in the balances, they are together lighter than vanity.
10 जु़ल्म पर तकिया न करो, लूटमार करने पर न फूलो; अगर माल बढ़ जाए तो उस पर दिल न लगाओ।
Trust not in oppression, and put not vain hope in robbery; if riches increase, set not your heart thereon.
11 ख़ुदा ने एक बार फ़रमाया; मैंने यह दो बार सुना, कि कु़दरत ख़ुदा ही की है।
God hath spoken once, twice have I heard this: that strength belongeth unto God;
12 शफ़क़त भी ऐ ख़ुदावन्द तेरी ही है; क्यूँकि तू हर शख़्स को उसके 'अमल के मुताबिक़ बदला देता है।
Also unto Thee, O Lord, belongeth mercy; for Thou renderest to every man according to his work.