< ज़बूर 61 >
1 ऐ ख़ुदा, मेरी फ़रियाद सुन! मेरी दुआ पर तवज्जुह कर।
Sliši moj klic, oh Bog, prisluhni moji molitvi.
2 मैं अपनी अफ़सुर्दा दिली में ज़मीन की इन्तिहा से तुझे पुकारूँगा; तू मुझे उस चट्टान पर ले चल जो मुझसे ऊँची है;
Od konca zemlje bom klical k tebi, ko je moje srce preplavljeno. Vôdi me k skali, ki je višja kakor jaz.
3 क्यूँकि तू मेरी पनाह रहा है, और दुश्मन से बचने के लिए ऊँचा बुर्ज।
Kajti zame si bil zatočišče in močna trdnjava pred sovražnikom.
4 मैं हमेशा तेरे खे़मे में रहूँगा। मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।
V tvojem šotorskem svetišču bom ostal na veke. Zaupal bom v skrivališče tvojih peruti. (Sela)
5 क्यूँकि ऐ ख़ुदा तूने मेरी मिन्नतें क़ुबूल की हैं तूने मुझे उन लोगों की सी मीरास बख़्शी है जो तेरे नाम से डरते हैं।
Kajti ti, oh Bog, si uslišal moje zaobljube; dal si mi dediščino tistih, ki se bojijo tvojega imena.
6 तू बादशाह की उम्र दराज़ करेगा; उसकी उम्र बहुत सी नसलों के बराबर होगी।
Kralju boš podaljšal življenje in njegova leta kakor mnoge rodove.
7 वह ख़ुदा के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा; तू शफ़क़त और सच्चाई को उसकी हिफ़ाज़त के लिए मुहय्या कर।
Pred Bogom bo on ostal na veke. O pripravi usmiljenje in resnico, ki ga lahko varuje.
8 यूँ मैं हमेशा तेरी मदहसराई करूँगा, ताकि रोज़ाना अपनी मिन्नतें पूरी करूँ।
Tako bom na veke prepeval hvalo tvojemu imenu, da bom lahko dnevno opravljal svoje zaobljube.