< ज़बूर 61 >

1 ऐ ख़ुदा, मेरी फ़रियाद सुन! मेरी दुआ पर तवज्जुह कर।
Au maître de chant. Sur les instruments à cordes. De David. O Dieu, entends mes cris, sois attentif à ma prière.
2 मैं अपनी अफ़सुर्दा दिली में ज़मीन की इन्तिहा से तुझे पुकारूँगा; तू मुझे उस चट्टान पर ले चल जो मुझसे ऊँची है;
De l'extrémité de la terre je crie vers toi, dans l'angoisse de mon cœur; conduis-moi sur le rocher que je ne puis atteindre.
3 क्यूँकि तू मेरी पनाह रहा है, और दुश्मन से बचने के लिए ऊँचा बुर्ज।
Car tu es pour moi un refuge, une tour puissante contre l'ennemi.
4 मैं हमेशा तेरे खे़मे में रहूँगा। मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा।
Je voudrais demeurer à jamais dans ta tente, me réfugier à l'abri de tes ailes! — Séla.
5 क्यूँकि ऐ ख़ुदा तूने मेरी मिन्नतें क़ुबूल की हैं तूने मुझे उन लोगों की सी मीरास बख़्शी है जो तेरे नाम से डरते हैं।
Car toi, ô Dieu, tu exauces mes vœux, tu m'as donné l'héritage de ceux qui révèrent ton nom.
6 तू बादशाह की उम्र दराज़ करेगा; उसकी उम्र बहुत सी नसलों के बराबर होगी।
Ajoute des jours aux jours du roi, que ses années se prolongent d'âge en âge!
7 वह ख़ुदा के सामने हमेशा क़ाईम रहेगा; तू शफ़क़त और सच्चाई को उसकी हिफ़ाज़त के लिए मुहय्या कर।
Qu'il demeure sur le trône éternellement devant Dieu! Ordonne à ta bonté et à ta vérité de le garder!
8 यूँ मैं हमेशा तेरी मदहसराई करूँगा, ताकि रोज़ाना अपनी मिन्नतें पूरी करूँ।
Alors je célébrerai ton nom à jamais, et j'accomplirai mes vœux chaque jour.

< ज़बूर 61 >