< ज़बूर 60 >

1 ऐ ख़ुदा, तूने हमें रद्द किया; तूने हमें शिकस्ता हाल कर दिया। तू नाराज़ रहा है। हमें फिर बहाल कर।
لِإِمَامِ ٱلْمُغَنِّينَ عَلَى «ٱلسُّوسَنِّ». شَهَادَةٌ مُذَهَّبَةٌ لِدَاوُدَ لِلتَّعْلِيمِ. عِنْدَ مُحَارَبَتِهِ أَرَامَ ٱلنَّهْرَيْنِ وَأَرَامَ صُوبَةَ، فَرَجَعَ يُوآبُ وَضَرَبَ مِنْ أَدُومَ فِي وَادِي ٱلْمِلْحِ ٱثْنَيْ عَشَرَ أَلْفًا. يَا ٱللهُ رَفَضْتَنَا. ٱقْتَحَمْتَنَا. سَخِطْتَ. أَرْجِعْنَا.١
2 तूने ज़मीन को लरज़ा दिया; तूने उसे फाड़ डाला है। उसके रख़्ने बन्द कर दे क्यूँकि वह लरज़ाँ है।
زَلْزَلْتَ ٱلْأَرْضَ، فَصَمْتَهَا. ٱجْبُرْ كَسْرَهَا لِأَنَّهَا مُتَزَعْزِعَةٌ!٢
3 तूने अपने लोगों को सख़्तियाँ दिखाई, तूने हमको लड़खड़ा देने वाली मय पिलाई।
أَرَيْتَ شَعْبَكَ عُسْرًا. سَقَيْتَنَا خَمْرَ ٱلتَّرَنُّحِ.٣
4 जो तुझ से डरते हैं, तूने उनको एक झंडा दिया है; ताकि वह हक़ की ख़ातिर बुलन्द किया जाएं। (सिलाह)
أَعْطَيْتَ خَائِفِيكَ رَايَةً تُرْفَعُ لِأَجْلِ ٱلْحَقِّ. سِلَاهْ.٤
5 अपने दहने हाथ से बचा और हमें जवाब दे, ताकि तेरे महबूब बचाए जाएँ।
لِكَيْ يَنْجُوَ أَحِبَّاؤُكَ. خَلِّصْ بِيَمِينِكَ وَٱسْتَجِبْ لِي!٥
6 ख़ुदा ने अपनी पाकीज़गी में फ़रमाया है, “मैं ख़ुशी करूँगा; मैं सिकम को तक़सीम करूँगा, और सुकात की वादी को बाटूँगा।
ٱللهُ قَدْ تَكَلَّمَ بِقُدْسِهِ: «أَبْتَهِجُ، أَقْسِمُ شَكِيمَ، وَأَقِيسُ وَادِيَ سُكُّوتَ.٦
7 जिल'आद मेरा है, मनस्सी भी मेरा है; इफ़्राईम मेरे सिर का खू़द है, यहूदाह मेरा 'असा है।
لِي جِلْعَادُ وَلِي مَنَسَّى، وَأَفْرَايِمُ خُوذَةُ رَأْسِي، يَهُوذَا صَوْلَجَانِي.٧
8 मोआब मेरी चिलमची है, अदोम पर मैं जूता फेफूँगा; ऐ फ़िलिस्तीन, मेरी वजह से ललकार।”
مُوآبُ مِرْحَضَتِي. عَلَى أَدُومَ أَطْرَحُ نَعْلِي. يَا فَلَسْطِينُ ٱهْتِفِي عَلَيَّ».٨
9 मुझे उस मुहकम शहर में कौन पहुँचाएगा? कौन मुझे अदोम तक ले गया है?
مَنْ يَقُودُنِي إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلْمُحَصَّنَةِ؟ مَنْ يَهْدِينِي إِلَى أَدُومَ؟٩
10 ऐ ख़ुदा, क्या तूने हमें रद्द नहीं कर दिया? ऐ ख़ुदा, तू हमारे लश्करों के साथ नहीं जाता।
أَلَيْسَ أَنْتَ يَا ٱللهُ ٱلَّذِي رَفَضْتَنَا، وَلَا تَخْرُجُ يَا ٱللهُ مَعَ جُيُوشِنَا؟١٠
11 मुख़ालिफ़ के मुक़ाबले में हमारी मदद कर, क्यूँकि इंसानी मदद बेकार है।
أَعْطِنَا عَوْنًا فِي ٱلضِّيقِ، فَبَاطِلٌ هُوَ خَلَاصُ ٱلْإِنْسَانِ.١١
12 ख़ुदा की मदद से हम बहादुरी करेंगे, क्यूँकि वही हमारे मुख़ालिफ़ों को पस्त करेगा।
بِٱللهِ نَصْنَعُ بِبَأْسٍ، وَهُوَ يَدُوسُ أَعْدَاءَنَا.١٢

< ज़बूर 60 >