< ज़बूर 6 >

1 ऐ ख़ुदा तू मुझे अपने क़हर में न झिड़क, और अपने ग़ज़बनाक ग़ुस्से में मुझे तम्बीह न दे।
برای رهبر سرایندگان: مزمور داوود، با همراهی سازهای زهی، در مایۀ شِمینیت. ای خداوند، مرا در شدت خشم خود توبیخ و تنبیه نکن.
2 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं अधमरा हो गया हूँ। ऐ ख़ुदवन्द, मुझे शिफ़ा दे, क्यूँकि मेरी हडिडयों में बेक़रारी है।
ای خداوند، به من رحم کن زیرا پژمرده شده‌ام. خداوندا، مرا شفا ده، زیرا دردْ وجودم را فرا گرفته
3 मेरी जान भी बहुत ही बेक़रार है; और तू ऐ ख़ुदावन्द, कब तक?
و بسیار پریشانم. تا به کی ای خداوند، تا به کی؟
4 लौट ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा। अपनी शफ़क़त की ख़ातिर मुझे बचा ले।
ای خداوند، بیا و مرا برهان؛ به خاطر محبت خود، مرا نجات ده.
5 क्यूँकि मौत के बाद तेरी याद नहीं होती, क़ब्र में कौन तेरी शुक्रगुज़ारी करेगा? (Sheol h7585)
زیرا مردگان نمی‌توانند تو را به یاد آورند. کیست که در قبر تو را ستایش کند؟ (Sheol h7585)
6 मैं कराहते कराहते थक गया, मैं अपना पलंग आँसुओं से भिगोता हूँ हर रात मेरा बिस्तर तैरता है।
از نالیدن خسته شده‌ام. هر شب بسترم را غرق اشک می‌سازم.
7 मेरी आँख ग़म के मारे बैठी जाती हैं, और मेरे सब मुख़ालिफ़ों की वजह से धुंधलाने लगीं।
از آزار دشمنانم آنقدر گریه کرده‌ام که چشمانم تار شده‌اند.
8 ऐ सब बदकिरदारो, मेरे पास से दूर हो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मेरे रोने की आवाज़ सुन ली है।
ای همهٔ بدکاران، از من دور شوید؛ زیرا خداوند صدای گریهٔ مرا شنیده است.
9 खूदावन्द ने मेरी मिन्नत सुन ली; ख़ुदावन्द मेरी दुआ क़ुबूल करेगा।
او به فریاد من خواهد رسید و دعایم را اجابت خواهد کرد.
10 मेरे सब दुश्मन शर्मिन्दा और बहुत ही बेक़रार होंगे; वह लौट जाएँगे, वह अचानक शर्मिन्दा होंगे।
آنگاه همهٔ دشمنانم ناگهان عاجز و درمانده شده، با سرافکندگی دور خواهند شد.

< ज़बूर 6 >