< ज़बूर 6 >
1 ऐ ख़ुदा तू मुझे अपने क़हर में न झिड़क, और अपने ग़ज़बनाक ग़ुस्से में मुझे तम्बीह न दे।
O LORD, rebuke me not in thine anger, neither chasten me in thy hot displeasure.
2 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं अधमरा हो गया हूँ। ऐ ख़ुदवन्द, मुझे शिफ़ा दे, क्यूँकि मेरी हडिडयों में बेक़रारी है।
Have mercy upon me, O Lord; for I am weak: O Lord, heal me; for my bones are vexed.
3 मेरी जान भी बहुत ही बेक़रार है; और तू ऐ ख़ुदावन्द, कब तक?
My soul is also sore vexed: but thou, O Lord, how long?
4 लौट ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा। अपनी शफ़क़त की ख़ातिर मुझे बचा ले।
Return, O Lord, deliver my soul: oh save me for thy mercies’ sake.
5 क्यूँकि मौत के बाद तेरी याद नहीं होती, क़ब्र में कौन तेरी शुक्रगुज़ारी करेगा? (Sheol )
For in death there is no remembrance of thee: in the grave who shall give thee thanks? (Sheol )
6 मैं कराहते कराहते थक गया, मैं अपना पलंग आँसुओं से भिगोता हूँ हर रात मेरा बिस्तर तैरता है।
I am weary with my groaning; all the night make I my bed to swim; I water my couch with my tears.
7 मेरी आँख ग़म के मारे बैठी जाती हैं, और मेरे सब मुख़ालिफ़ों की वजह से धुंधलाने लगीं।
Mine eye is consumed because of grief; it waxeth old because of all mine enemies.
8 ऐ सब बदकिरदारो, मेरे पास से दूर हो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मेरे रोने की आवाज़ सुन ली है।
Depart from me, all ye workers of iniquity; for the Lord hath heard the voice of my weeping.
9 खूदावन्द ने मेरी मिन्नत सुन ली; ख़ुदावन्द मेरी दुआ क़ुबूल करेगा।
The Lord hath heard my supplication; the Lord will receive my prayer.
10 मेरे सब दुश्मन शर्मिन्दा और बहुत ही बेक़रार होंगे; वह लौट जाएँगे, वह अचानक शर्मिन्दा होंगे।
Let all mine enemies be ashamed and sore vexed: let them return and be ashamed suddenly.