< ज़बूर 59 >
1 ऐ मेरे खु़दा मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ा मेरे ख़िलाफ़ उठने वालों पर सरफ़राज़ कर।
Escápame de mis enemigos, o! Dios mío: líbrame de los que se levantan contra mí.
2 मुझे बदकिरदारों से छुड़ा, और खूंख़्वार आदमियों से मुझे बचा।
Escápame de los que obran iniquidad, y sálvame de los varones de sangres:
3 क्यूँकि देख, वह मेरी जान की घात में हैं। ऐ ख़ुदावन्द! मेरी ख़ता या मेरे गुनाह के बगै़र ज़बरदस्त लोग मेरे ख़िलाफ़ इकठ्ठे होते हैं।
Porque, he aquí, han asechado a mi vida: hánse juntado contra mí fuertes sin rebelión mía, y sin pecado mío, o! Jehová.
4 वह मुझ बेक़सूर पर दौड़ दौड़कर तैयार होते हैं; मेरी मदद के लिए जाग और देख!
Sin mi delito corren, y se aperciben: despierta para encontrarme, y mira.
5 ऐ ख़ुदावन्द, लश्करों के ख़ुदा! इस्राईल के ख़ुदा! सब कौमों के मुहासिबे के लिए उठ; किसी दग़ाबाज़ ख़ताकार पर रहम न कर। (सिलाह)
Y tú, Jehová Dios de los ejércitos, Dios de Israel, despierta a visitar todas las naciones: no hayas misericordia de todos los que se rebelan con iniquidad. (Selah)
6 वह शाम को लौटते और कुत्ते की तरह भौंकते हैं और शहर के गिर्द फिरते हैं।
Volverse han a la tarde, ladrarán como perros, y rodearán la ciudad.
7 देख! वह अपने मुँह से डकारते हैं, उनके लबों के अन्दर तलवारें हैं; क्यूँकि वह कहते हैं, “कौन सुनता है?”
He aquí, hablarán con su boca: espadas están en sus labios, porque, ¿Quién lo oye?
8 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द! तू उन पर हँसेगा; तू तमाम क़ौमों को ठट्ठों में उड़ाएगा।
Mas tú, Jehová, te reirás de ellos: harás burla de todas las gentes.
9 ऐ मेरी कु़व्वत, मुझे तेरी ही आस होगी, क्यूँकि ख़ुदा मेरा ऊँचा बुर्ज है।
Para ti reservaré su fortaleza: porque Dios es mi defensa.
10 मेरा ख़ुदा अपनी शफ़क़त से मेरा अगुवा होगा, ख़ुदा मुझे मेरे दुश्मनों की पस्ती दिखाएगा।
El Dios de mi misericordia me prevendrá: Dios me hará ver en mis enemigos venganza.
11 उनको क़त्ल न कर, ऐसा न हो मेरे लोग भूल जाएँ ऐ ख़ुदावन्द, ऐ हमारी ढाल!, अपनी कु़दरत से उनको तितर बितर करके पस्त कर दे।
No los matarás, porque mi pueblo no se olvide; házlos vagabundos con tu fortaleza, y abatelos, o! Jehová, escudo nuestro.
12 वह अपने मुँह के गुनाह, और अपने होंटों की बातों और अपनी लान तान और झूट बोलने के वजह से, अपने गु़रूर में पकड़े जाएँ।
Por el pecado de su boca, por la palabra de sus labios, y sean presos por su soberbia: y cuenten de maldición y de enflaquecimiento,
13 क़हर में उनको फ़ना कर दे, फ़ना कर दे ताकि वह बर्बाद हो जाएँ, और वह ज़मीन की इन्तिहा तक जान लें, कि ख़ुदा या'क़ूब पर हुक्मरान है।
Acába los con furor, acába los y no sean: y sepan que Dios domina en Jacob hasta los fines de la tierra. (Selah)
14 फिर शाम को वह लौटें और कुत्ते की तरह भौंकें और शहर के गिर्द फिरें।
Y vuelvan a la tarde, y ladren como perros: y rodeen la ciudad.
15 वह खाने की तलाश में मारे मारे फिरें, और अगर आसूदा न हों तो सारी रात ठहरे रहे।
Anden ellos vagabundos para hallar que comer: y si no se hartaren, murmuren.
16 लेकिन मैं तेरी कु़दरत का हम्द गाऊँगा, बल्कि सुबह को बुलन्द आवाज़ से तेरी शफ़क़त का हम्द गाऊँगा। क्यूँकि तू मेरा ऊँचा बुर्ज है, और मेरी मुसीबत के दिन मेरी पनाहगाह।
Y yo cantaré tu fortaleza y loaré de mañana tu misericordia: porque has sido mi amparo, y refugio en el día de mi angustia.
17 ऐ मेरी ताक़त, मै तेरी मदहसराई करूँगा; क्यूँकि ख़ुदा मेरा शफ़ीक़ ख़ुदा मेरा ऊँचाबुर्ज है।
Fortaleza mía, a ti cantaré: porque eres Dios de mi amparo, Dios de mi misericordia.