< ज़बूर 59 >
1 ऐ मेरे खु़दा मुझे मेरे दुश्मनों से छुड़ा मेरे ख़िलाफ़ उठने वालों पर सरफ़राज़ कर।
in finem ne disperdas David in tituli inscriptione quando misit Saul et custodivit domum eius ut interficeret eum eripe me de inimicis meis Deus et ab insurgentibus in me libera me
2 मुझे बदकिरदारों से छुड़ा, और खूंख़्वार आदमियों से मुझे बचा।
eripe me de operantibus iniquitatem et de viris sanguinum salva me
3 क्यूँकि देख, वह मेरी जान की घात में हैं। ऐ ख़ुदावन्द! मेरी ख़ता या मेरे गुनाह के बगै़र ज़बरदस्त लोग मेरे ख़िलाफ़ इकठ्ठे होते हैं।
quia ecce ceperunt animam meam inruerunt in me fortes
4 वह मुझ बेक़सूर पर दौड़ दौड़कर तैयार होते हैं; मेरी मदद के लिए जाग और देख!
neque iniquitas mea neque peccatum meum Domine sine iniquitate cucurri et direxi
5 ऐ ख़ुदावन्द, लश्करों के ख़ुदा! इस्राईल के ख़ुदा! सब कौमों के मुहासिबे के लिए उठ; किसी दग़ाबाज़ ख़ताकार पर रहम न कर। (सिलाह)
exsurge in occursum meum et vide et tu Domine Deus virtutum Deus Israhel intende ad visitandas omnes gentes non miserearis omnibus qui operantur iniquitatem diapsalma
6 वह शाम को लौटते और कुत्ते की तरह भौंकते हैं और शहर के गिर्द फिरते हैं।
convertentur ad vesperam et famem patientur ut canes et circuibunt civitatem
7 देख! वह अपने मुँह से डकारते हैं, उनके लबों के अन्दर तलवारें हैं; क्यूँकि वह कहते हैं, “कौन सुनता है?”
ecce loquentur in ore suo et gladius in labiis eorum quoniam quis audivit
8 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द! तू उन पर हँसेगा; तू तमाम क़ौमों को ठट्ठों में उड़ाएगा।
et tu Domine deridebis eos ad nihilum deduces omnes gentes
9 ऐ मेरी कु़व्वत, मुझे तेरी ही आस होगी, क्यूँकि ख़ुदा मेरा ऊँचा बुर्ज है।
fortitudinem meam ad te custodiam quia Deus susceptor meus
10 मेरा ख़ुदा अपनी शफ़क़त से मेरा अगुवा होगा, ख़ुदा मुझे मेरे दुश्मनों की पस्ती दिखाएगा।
Deus meus voluntas eius praeveniet me
11 उनको क़त्ल न कर, ऐसा न हो मेरे लोग भूल जाएँ ऐ ख़ुदावन्द, ऐ हमारी ढाल!, अपनी कु़दरत से उनको तितर बितर करके पस्त कर दे।
Deus ostendet mihi super inimicos meos ne occidas eos nequando obliviscantur populi mei disperge illos in virtute tua et depone eos protector meus Domine
12 वह अपने मुँह के गुनाह, और अपने होंटों की बातों और अपनी लान तान और झूट बोलने के वजह से, अपने गु़रूर में पकड़े जाएँ।
delictum oris eorum sermonem labiorum ipsorum et conprehendantur in superbia sua et de execratione et mendacio adnuntiabuntur
13 क़हर में उनको फ़ना कर दे, फ़ना कर दे ताकि वह बर्बाद हो जाएँ, और वह ज़मीन की इन्तिहा तक जान लें, कि ख़ुदा या'क़ूब पर हुक्मरान है।
in consummatione in ira consummationis et non erunt et scient quia Deus dominatur Iacob finium terrae diapsalma
14 फिर शाम को वह लौटें और कुत्ते की तरह भौंकें और शहर के गिर्द फिरें।
convertentur ad vesperam et famem patientur ut canes et circuibunt civitatem
15 वह खाने की तलाश में मारे मारे फिरें, और अगर आसूदा न हों तो सारी रात ठहरे रहे।
ipsi dispergentur ad manducandum si vero non fuerint saturati et murmurabunt
16 लेकिन मैं तेरी कु़दरत का हम्द गाऊँगा, बल्कि सुबह को बुलन्द आवाज़ से तेरी शफ़क़त का हम्द गाऊँगा। क्यूँकि तू मेरा ऊँचा बुर्ज है, और मेरी मुसीबत के दिन मेरी पनाहगाह।
ego autem cantabo fortitudinem tuam et exultabo mane misericordiam tuam quia factus es susceptor meus et refugium meum in die tribulationis meae
17 ऐ मेरी ताक़त, मै तेरी मदहसराई करूँगा; क्यूँकि ख़ुदा मेरा शफ़ीक़ ख़ुदा मेरा ऊँचाबुर्ज है।
adiutor meus tibi psallam quia Deus susceptor meus es Deus meus misericordia mea