< ज़बूर 58 >
1 ऐ बुज़ुर्गों! क्या तुम दर हक़ीक़त रास्तगोई करते हो? ऐ बनी आदम! क्या तुम ठीक 'अदालत करते हो?
εἰς τὸ τέλος μὴ διαφθείρῃς τῷ Δαυιδ εἰς στηλογραφίαν εἰ ἀληθῶς ἄρα δικαιοσύνην λαλεῖτε εὐθεῖα κρίνετε οἱ υἱοὶ τῶν ἀνθρώπων
2 बल्कि तुम तो दिल ही दिल में शरारत करते हो; और ज़मीन पर अपने हाथों से जु़ल्म पैमाई करते हैं।
καὶ γὰρ ἐν καρδίᾳ ἀνομίας ἐργάζεσθε ἐν τῇ γῇ ἀδικίαν αἱ χεῖρες ὑμῶν συμπλέκουσιν
3 शरीर पैदाइश ही से कजरवी इख़्तियार करते हैं; वह पैदा होते ही झूट बोलकर गुमराह हो जाते हैं।
ἀπηλλοτριώθησαν οἱ ἁμαρτωλοὶ ἀπὸ μήτρας ἐπλανήθησαν ἀπὸ γαστρός ἐλάλησαν ψεύδη
4 उनका ज़हर साँप का सा ज़हर है; वह बहरे अज़दहे की तरह हैं जो कान बंद कर लेता है;
θυμὸς αὐτοῖς κατὰ τὴν ὁμοίωσιν τοῦ ὄφεως ὡσεὶ ἀσπίδος κωφῆς καὶ βυούσης τὰ ὦτα αὐτῆς
5 जो मन्तर पढ़ने वालों की आवाज़ ही नहीं सुनता, जो चाहे वह कितनी ही होशियारी से मन्तर पढ़ें।
ἥτις οὐκ εἰσακούσεται φωνὴν ἐπᾳδόντων φαρμάκου τε φαρμακευομένου παρὰ σοφοῦ
6 ऐ ख़ुदा! तू उनके दाँत उनके मुँह में तोड़ दे, ऐ ख़ुदावन्द! बबर के बच्चों की दाढ़ें तोड़ डाल।
ὁ θεὸς συνέτριψεν τοὺς ὀδόντας αὐτῶν ἐν τῷ στόματι αὐτῶν τὰς μύλας τῶν λεόντων συνέθλασεν κύριος
7 वह घुलकर बहते पानी की तरह हो जाएँ जब वह अपने तीर चलाए, तो वह जैसे कुन्द पैकान हों।
ἐξουδενωθήσονται ὡς ὕδωρ διαπορευόμενον ἐντενεῖ τὸ τόξον αὐτοῦ ἕως οὗ ἀσθενήσουσιν
8 वह ऐसे हो जाएँ जैसे घोंघा, जो गल कर फ़ना हो जाता है; और जैसे 'औरत का इस्कात जिसने सूरज को देखा ही नहीं।
ὡσεὶ κηρὸς ὁ τακεὶς ἀνταναιρεθήσονται ἐπέπεσε πῦρ καὶ οὐκ εἶδον τὸν ἥλιον
9 इससे पहले कि तुम्हारी हड्डियों को काँटों की आंच लगे वह हरे और जलते दोनों को यकसाँ बगोले से उड़ा ले जाएगा।
πρὸ τοῦ συνιέναι τὰς ἀκάνθας ὑμῶν τὴν ῥάμνον ὡσεὶ ζῶντας ὡσεὶ ἐν ὀργῇ καταπίεται ὑμᾶς
10 सादिक़ इन्तक़ाम को देखकर खु़श होगा; वह शरीर के खू़न से अपने पाँव तर करेगा।
εὐφρανθήσεται δίκαιος ὅταν ἴδῃ ἐκδίκησιν ἀσεβῶν τὰς χεῖρας αὐτοῦ νίψεται ἐν τῷ αἵματι τοῦ ἁμαρτωλοῦ
11 तब लोग कहेंगे, यक़ीनन सादिक़ के लिए अज्र है; बेशक ख़ुदा है, जो ज़मीन पर 'अदालत करता है।
καὶ ἐρεῖ ἄνθρωπος εἰ ἄρα ἔστιν καρπὸς τῷ δικαίῳ ἄρα ἐστὶν ὁ θεὸς κρίνων αὐτοὺς ἐν τῇ γῇ