< ज़बूर 57 >
1 मुझ पर रहम कर, ऐ ख़ुदा! मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मेरी जान तेरी पनाह लेती है। मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा, जब तक यह आफ़तें गुज़र न जाएँ।
Dem Musikmeister, nach (der Singweise = Melodie) »Vertilge nicht«; ein Lied Davids, als er vor Saul in die Höhle floh. Erbarme dich meiner, o Gott, erbarme dich meiner!
2 मैं ख़ुदा ता'ला से फ़रियाद करूँगा; ख़ुदा से, जो मेरे लिए सब कुछ करता है।
Ich rufe zu Gott, dem Höchsten, zum Allherrn, der meine Sache hinausführt.
3 वह मेरी नजात के लिए आसमान से भेजेगा; जब वह जो मुझे निगलना चाहता है, मलामत करता हो। (सिलाह) ख़ुदा अपनी शफ़क़त और सच्चाई को भेजेगा।
Er sendet vom Himmel und hilft mir, da der gierige Verfolger mich geschmäht hat! (SELA) Es sendet Gott seine Gnade und Treue!
4 मेरी जान बबरों के बीच है, मैं आतिश मिज़ाज लोगों में पड़ा हूँ या'नी ऐसे लोगों में जिनके दाँत बर्छियाँऔर तीर हैं, जिनकी ज़बान तेज़ तलवार है।
Mit meinem Leben liege ich mitten unter Löwen, inmitten haßerfüllter Feinde, unter Menschen, deren Zähne Speere und Pfeile und deren Zunge ein scharfes Schwert ist.
5 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो, तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो!
Erhebe dich über den Himmel hinaus, o Gott, über die ganze Erde (verbreite sich) deine Herrlichkeit!
6 उन्होंने मेरे पाँव के लिए जाल लगाया है; मेरी जान 'आजिज़ आ गई। उन्होंने मेरे आगे गढ़ा खोदा, वह ख़ुद उसमें गिर पड़े। (सिलाह)
Sie haben meinen Füßen ein Netz gestellt: meine Seele ist gebeugt; eine Grube haben sie vor mir gegraben: sie selbst sind mitten hineingestürzt. (SELA)
7 मेरा दिल क़ाईम है, ऐ ख़ुदा! मेरा दिल क़ाईम है; मैं गाऊँगा बल्कि मैं मदह सराई करूँगा।
Mein Herz ist getrost, o Gott, mein Herz ist getrost; singen will ich und spielen!
8 ऐ मेरी शौकत, बेदार हो! ऐ बर्बत और सितार जागो! मैं ख़ुद सुबह सवेरे जाग उठूँगा।
Wach auf, meine Seele, wacht auf, Harfe und Zither: ich will das Morgenrot wecken!
9 ऐ ख़ुदावन्द! मैं लोगों में तेरा शुक्र करूँगा। मैं उम्मतों में तेरी मदहसराई करूँगा।
Ich will dich preisen unter den Völkern, Allherr, ich will dir lobsingen unter den Völkerschaften!
10 क्यूँकि तेरी शफ़क़त आसमान के, और तेरी सच्चाई फ़लाक के बराबर बुलन्द है।
Denn groß bis zum Himmel ist deine Gnade, und bis an die Wolken geht deine Treue.
11 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो! तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो!
Erhebe dich über den Himmel hinaus, o Gott, über die ganze Erde (verbreite sich) deine Herrlichkeit!