< ज़बूर 56 >

1 ऐ ख़ुदा! मुझ पर रहम फ़रमा, क्यूँकि इंसान मुझे निगलना चाहता है; वह दिन भर लड़कर मुझे सताता है।
To the Chief Musician. Upon "The Dove of God from the distant Sea." David’s. A precious Psalm. When the Philistines seized him in Gath. Show me favour, O God, For weak man hath panted for me, All the day, a fighter oppresseth me:
2 मेरे दुश्मन दिन भर मुझे निगलना चाहते हैं, क्यूँकि जो गु़रूर करके मुझ से लड़ते हैं, वह बहुत हैं।
Mine adversaries have panted all the day, For, many, are fighting with me, loftily.
3 जिस वक़्त मुझे डर लगेगा, मैं तुझ पर भरोसा करूँगा।
What day I am afraid, I, unto thee will direct my confidence.
4 मेरा फ़ख़्र ख़ुदा पर और उसके कलाम पर है। मेरा भरोसा ख़ुदा पर है, मैं डरने का नहीं: बशर मेरा क्या कर सकता है?
In God, I will praise his cause, —In God, have I trusted, I will not fear, What can flesh do unto me?
5 वह दिन भर मेरी बातों को मरोड़ते रहते हैं; उनके ख़याल सरासर यही हैं, कि मुझ से बदी करें।
All the day, they wrest, my words, Against me, all their devices are for mischief;
6 वह इकठ्ठे होकर छिप जाते हैं; वह मेरे नक्श — ए — क़दम को देखते भालते हैं, क्यूँकि वह मेरी जान की घात में हैं।
They stir up strife—they lie hid, They, mark my steps, —Seeing they have waited for my life.
7 क्या वह बदकारी करके बच जाएँगे? ऐ ख़ुदा, क़हर में उम्मतों को गिरा दे!
Because of iniquity, recompense thou them, —In anger, bring thou down, the peoples, O God.
8 तू मेरी आवारगी का हिसाब रखता है; मेरे आँसुओं को अपने मश्कीज़े में रख ले। क्या वह तेरी किताब में लिखे नहीं हैं?
My wandering, hast, thou, recorded, —Put thou my tears in thy bottle, Are they not in thy record?
9 तब तो जिस दिन मैं फ़रियाद करूँगा, मेरे दुश्मन पस्पा होंगे। मुझे यह मा'लूम है कि ख़ुदा मेरी तरफ़ है।
Then, shall my foes turn back, in the day I cry, This, I know, for God is mine!
10 मेरा फ़ख़्र ख़ुदा पर और उसके कलाम पर है; मेरा फ़ख़्र ख़ुदावन्द पर और उसके कलाम पर है।
In God, will I praise with good cause: In Yahweh, will I praise with good cause;
11 मेरा भरोसा ख़ुदा पर है, मैं डरने का नहीं। इंसान मेरा क्या कर सकता है?
In God, have I trusted, I will not fear, What can a son of earth do unto me!
12 ऐ ख़ुदा! तेरी मन्नतें मुझ पर हैं; मैं तेरे हुजू़र शुक्रगुज़ारी की कु़र्बानियाँ पेश करूँगा।
Upon me, O God, are thy vows, I will pay back praises unto thee.
13 क्यूँकि तूने मेरी जान को मौत से छुड़ाया; क्या तूने मेरे पाँव को फिसलने से नहीं बचाया, ताकि मैं ख़ुदा के सामने ज़िन्दों के नूर में चलूँ?
For thou hast rescued my soul from death, Wilt thou not [rescue] my feet from stumbling? That I may walk to and fro, before God, In the light of life.

< ज़बूर 56 >