< ज़बूर 54 >

1 ऐ ख़ुदा! अपने नाम के वसीले से मुझे बचा, और अपनी कु़दरत से मेरा इन्साफ़ कर।
Al Vencedor: en Neginot: Masquil de David, cuando vinieron los zifeos y dijeron a Saúl: ¿No está David escondido en nuestra tierra? Oh Dios, sálvame en tu Nombre, y con tu valentía defiéndeme.
2 ऐ ख़ुदा मेरी दुआ सुन ले; मेरे मुँह की बातों पर कान लगा।
Oh Dios, oye mi oración; escucha las razones de mi boca.
3 क्यूँकि बेगाने मेरे ख़िलाफ़ उठे हैं, और टेढ़े लोग मेरी जान के तलबगार हुए हैं; उन्होंने ख़ुदा को अपने सामने नहीं रख्खा।
Porque extraños se han levantado contra mí, y fuertes buscan mi alma; no han puesto a Dios delante de sí. (Selah)
4 देखो, ख़ुदा मेरा मददगार है! ख़ुदावन्द मेरी जान को संभालने वालों में है।
He aquí, Dios es el que me ayuda; el Señor es con los que sustentan mi alma.
5 वह बुराई को मेरे दुश्मनों ही पर लौटा देगा; तू अपनी सच्चाई की रूह से उनको फ़ना कर!
El volverá el mal a mis enemigos; córtalos por tu verdad.
6 मैं तेरे सामने रज़ा की कु़र्बानी चढ़ाऊँगा; ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे नाम की शुक्रगु़ज़ारी करूँगा क्यूँकि वह खू़ब है।
Voluntariamente sacrificaré a ti; alabaré tu Nombre, oh SEÑOR, porque es bueno.
7 क्यूँकि उसने मुझे सब मुसीबतों से छुड़ाया है, और मेरी आँख ने मेरे दुश्मनों को देख लिया है।
Porque me ha librado de toda angustia, y sobre mis enemigos vieron mis ojos el deseo de El.

< ज़बूर 54 >