< ज़बूर 53 >

1 बेवकू़फ़ ने अपने दिल में कहा है, कि कोई ख़ुदा नहीं। वह बिगड़ गये उन्होंने नफ़रत अंगेज़ बदी की है। कोई नेकोकार नहीं।
Auf den Siegesspender, schon vorhanden, ein Lehrgedicht, von David. In seinem Herzen spricht der Tor: "Kein Gott ist da." Verkehrt, verrucht sind sie in ihrem Frevel, und keiner ist, der Gutes täte.
2 ख़ुदा ने आसमान पर से बनी आदम पर निगाह की ताकि देखे कि कोई दानिशमंद, कोई ख़ुदा का तालिब है या नहीं।
Vom Himmel hat sich Gott geneigt hernieder auf die Menschenkinder, zu schaun, ob jemand der Vernunft gehorcht und Gott aufsucht.
3 वह सब के सब फिर गए हैं, वह एक साथ नापाक हो गए; कोई नेकोकार नहीं, एक भी नहीं।
Sie alle sind verderbt, wie Schlacken, und keiner ist, der Gutes täte, auch nicht einer. -
4 क्या उन सब बदकिरदारों को कुछ 'इल्म नहीं, जो मेरे लोगों को ऐसे खाते हैं जैसे रोटी, और ख़ुदा का नाम नहीं लेते?
Erfuhren's nicht die Übeltäter, die meines Volkes Speisen neulich aufgezehrt und Gott gelassen außer acht?
5 वहाँ उन पर बड़ा ख़ौफ़ छा गया जबकि ख़ौफ़ की कोई बात न थी। क्यूँकि ख़ुदा ने उनकी हड्डियाँ जो तेरे ख़िलाफ़ खै़माज़न थे, बिखेर दीं। तूने उनको शर्मिन्दा कर दिया, इसलिए कि ख़ुदा ने उनको रद्द कर दिया है।
Ein Schrecken hatte auf der Stelle sie gepackt. War's nicht ein Schrecken, als die Gebeine des Verderbers schimpflich Gott zerstreute? Gott hat sie ja verworfen.
6 काश कि इस्राईल की नजात सिय्यून में से होती! जब ख़ुदा अपने लोगों को ग़ुलामी से लौटा लाएगा; तो या'कू़ब ख़ुश और इस्राईल शादमान होगा।
Von Sion komme wieder Heil für Israel! Ach wendete doch Gott das Schicksal seines Volkes! Dann wäre Jakob fröhlich und frohlockte Israel.

< ज़बूर 53 >