< ज़बूर 52 >

1 ऐ ज़बरदस्त, तू शरारत पर क्यूँ फ़ख़्र करता है? ख़ुदा की शफ़क़त हमेशा की है।
Eine Unterweisung Davids, vorzusingen, da Doeg, der Edomiter, kam und sagte Saul an und sprach: David ist in Ahimelechs Haus kommen. Was trotzest du denn, du Tyrann, daß du kannst Schaden tun, so doch Gottes Güte noch täglich währet?
2 तेरी ज़बान महज़ शरारत ईजाद करती है; ऐ दग़ाबाज़, वह तेज़ उस्तरे की तरह है।
Deine Zunge trachtet nach Schaden und schneidet mit Lügen wie ein scharf Schermesser.
3 तू बदी को नेकी से ज़्यादा पसंद करता है, और झूट को सदाक़त की बात से।
Du redest lieber Böses denn Gutes und falsch denn recht. (Sela)
4 ऐ दग़ाबाज़ ज़बान! तू मुहलिक बातों को पसंद करती है।
Du redest gern alles, was zu Verderben dienet, mit falscher Zunge.
5 ख़ुदा भी तुझे हमेशा के लिए हलाक कर डालेगा; वह तुझे पकड़ कर तेरे ख़ेमे से निकाल फेंकेगा, और ज़िन्दों की ज़मीन से तुझे उखाड़ डालेगा। (सिलाह)
Darum wird dich Gott auch ganz und gar zerstören und zerschlagen und aus der Hütte reißen und aus dem Lande der Lebendigen ausrotten. (Sela)
6 सादिक़ भी इस बात को देख कर डर जाएँगे, और उस पर हँसेंगे,
Und die Gerechten werden's sehen und sich fürchten und werden sein lachen:
7 कि देखो, यह वही आदमी है जिसने ख़ुदा को अपनी पनाहगाह न बनाया, बल्कि अपने माल की ज़यादती पर भरोसा किया, और शरारत में पक्का हो गया।
Siehe, das ist der Mann, der Gott nicht für seinen Trost hielt, sondern verließ sich auf seinen großen Reichtum und war mächtig, Schaden zutun.
8 लेकिन मैं तो ख़ुदा के घर में जैतून के हरे दरख़्त की तरह हूँ। मेरा भरोसा हमेशा से हमेशा तक ख़ुदा की शफ़क़त पर है।
9 मैं हमेशा तेरी शुक्रगुज़ारी करता रहूँगा, क्यूँकि तू ही ने यह किया है; और मुझे तेरे ही नाम की आस होगी, क्यूँकि वह तेरे पाक लोगों के नज़दीक खू़ब है।

< ज़बूर 52 >