< ज़बूर 51 >
1 ऐ ख़ुदा! अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मुझ पर रहम कर; अपनी रहमत की कसरत के मुताबिक़ मेरी ख़ताएँ मिटा दे।
Ten piedad de mí, oh Dios, en tu misericordia; conforme a tu gran amor, quita mi pecado.
2 मेरी बदी को मुझ से धो डाल, और मेरे गुनाह से मुझे पाक कर!
Sean lavadas todas mis malas acciones y límpiame del mal.
3 क्यूँकि मैं अपनी ख़ताओं को मानता हूँ, और मेरा गुनाह हमेशा मेरे सामने है।
Porque soy consciente de mi error; mi pecado está siempre delante de mí.
4 मैंने सिर्फ़ तेरा ही गुनाह किया है, और वह काम किया है जो तेरी नज़र में बुरा है; ताकि तू अपनी बातों में रास्त ठहरे, और अपनी 'अदालत में बे'ऐब रहे।
Contra ti, solamente contra ti. he hecho lo malo en tus ojos; lo que tú condenas; para que seas reconocido justo en tus palabras, y puro cuando estás juzgando.
5 देख, मैंने बदी में सूरत पकड़ी, और मैं गुनाह की हालत में माँ के पेट में पड़ा।
Verdaderamente, fui formado en el mal, y en el pecado mi madre me concibió mi madre.
6 देख, तू बातिन की सच्चाई पसंद करता है, और बातिन ही में मुझे दानाई सिखाएगा।
Tu deseo es por lo que es verdadero en lo íntimo: en los secretos de mi alma me darás conocimiento de sabiduría.
7 ज़ूफ़े से मुझे साफ़ कर, तो मैं पाक हूँगा; मुझे धो, और मैं बर्फ़ से ज़्यादा सफ़ेद हूँगा।
Purifícame con hisopo; y seré limpio; lávame y seré más blanco que la nieve.
8 मुझे ख़ुशी और ख़ुर्रमी की ख़बर सुना, ताकि वह हड्डियाँ जो तूने तोड़ डाली, हैं, ख़ुश हों।
Lléname de alegría y gozo; para que los huesos que se han roto puedan ser restaurados.
9 मेरे गुनाहों की तरफ़ से अपना मुँह फेर ले, और मेरी सब बदकारी मिटा डाल।
Deja que tu rostro se aleje de mi maldad, y borra todos mis pecados.
10 ऐ ख़ुदा! मेरे अन्दर पाक दिल पैदा कर, और मेरे बातिन में शुरू' से सच्ची रूह डाल।
Haz un corazón limpio en mí, oh Dios; renueva un espíritu recto dentro de mi.
11 मुझे अपने सामने से ख़ारिज न कर, और अपनी पाक रूह को मुझ से जुदा न कर।
No me apartes de delante de ti, ni me quites tu espíritu santo.
12 अपनी नजात की शादमानी मुझे फिर'इनायत कर, और मुस्त'इद रूह से मुझे संभाल।
Devuélveme la alegría de tu salvación; deja que un espíritu noble me sustente.
13 तब मैं ख़ताकारों को तेरी राहें सिखाऊँगा, और गुनहगार तेरी तरफ़ रुजू' करेंगे।
Entonces enseñaré a los malhechores tus caminos; y los pecadores se volverán a ti.
14 ऐ ख़ुदा! ऐ मेरे नजात बख़्श ख़ुदा, मुझे खू़न के जुर्म से छुड़ा, तो मेरी ज़बान तेरी सदाक़त का हम्द गाएगी।
Líbrame de Homicidios. oh Dios, el Dios de mi salvación; y mi lengua alabará tu justicia.
15 ऐ ख़ुदावन्द! मेरे होंटों को खोल दे, तो मेरे मुँह से तेरी सिताइश निकलेगी।
Oh Señor, que se abran mis labios, para que mi boca declare tu alabanza.
16 क्यूँकि कु़र्बानी में तेरी ख़ुशी नहीं, वरना मैं देता; सोख़्तनी कु़र्बानी से तुझे कुछ ख़ुशी नहीं।
No tienes ganas de una ofrenda que yo la daría; no te gustan las ofrendas quemadas, holocausto.
17 शिकस्ता रूह ख़ुदा की कु़र्बानी है; ऐ ख़ुदा! तू शिकस्ता और ख़स्तादिल को हक़ीर न जानेगा।
Las ofrendas de Dios son un espíritu quebrantado; un corazón roto y afligido, oh Dios, no lo desprecias.
18 अपने करम से सिय्यून के साथ भलाई कर, येरूशलेम की फ़सील को तामीर कर,
Haz bien a Sión en tu buena voluntad, edificando los muros de Jerusalén.
19 तब तू सदाक़त की कु़र्बानियों और सोख़्तनी कु़र्बानी और पूरी सोख़्तनी कु़र्बानी से खु़श होगा; और वह तेरे मज़बह पर बछड़े चढ़ाएँगे।
Entonces te deleitarás en las ofrendas de justicia, en ofrendas quemadas; Entonces harán ofrendas de bueyes en tu altar.